लखनऊ
पुरुषों में होने वाले कैंसरों में प्रॉस्टेट कैंसर का नाम सबसे प्रमुख है। अखरोट के आकार की प्रॉस्टेट-ग्रन्थि का काम अपने स्रावों द्वारा शुक्राणुओं को आहार व गति प्रदान करना होता है। प्रॉस्टेट कैंसर शुरू में इसी ग्रन्थि तक सीमित रहता है, लेकिन बाद में आसपास व दूर के अंगों में फैल भी सकता है। उम्र बढ़ने के साथ इसकी आशंका बढ़ती है। मोटापे से भी इसका सम्बन्ध पाया गया है और कई बार आनुवंशिकी (जेनेटिक्स) के कारण एक ही परिवार के कई पुरुषों में भी यह हो सकता है।
बीमारी के लक्षण
- पेशाब की धार का पतला होना
- पेशाब करने में असमर्थता
- वीर्य में खून आना
- शिश्न के स्तम्भन में समस्या
- कमर के नीचे के इलाके में या हड्डियों में दर्द
बचने के उपाय
- ताजे फल और सब्जियों का सेवन
- कसरत करना
- वजन कंट्रोल में रखना
- खाद्य-सप्लिमेंट न लें
- लक्षणों का पता चलते ही डॉक्टर से मिलना
डिजिटल रेक्टल जांच जरूरी
डॉक्टर इस रोग की पुष्टि के लिए कई तरह की जांच करते हैं। उंगली को मलद्वार के रास्ते प्रवेश करके प्रॉस्टेट को महसूस करना (डिजिटल रेक्टल एग्जामिनेशन) इनमें महत्त्वपूर्ण है। फिर प्रॉस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन नामक जांच भी खून में कराई जाती है। प्रॉस्टेट की अल्ट्रासोनोग्राफी और बायॉप्सी भी की जाती है। इन सब के बाद पुष्टि होने पर प्रॉस्टेट-कैंसर का उपचार डॉक्टर शुरू करते हैं।