स्वास्थ्य

कोरोना वायरस महामारी से बचने के लिए हमें कई प्रकार की सावधानियों को अपनाने की जरूरत है। इस बीच कई लोग ऐसे भी हैं जो बाजार से सब्जी लाने के बाद कोरोनावायरस से बचने के लिए उसे हैंड सैनिटाइजर या फिर साबुन से धुल रहे हैं। यह न केवल सब्जियों की गुणवत्ता को खराब करेगा बल्कि आपकी सेहत के लिए भी काफी हानिकारक साबित होगा। कुछ जगह पर ऐसे मामले भी देखे गए, जहां पर सब्जियों को साबुन और डिटर्जेंट से धोने के बाद खाने से लोगों को पेट दर्द और कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना भी करना पड़ा। आइए हैंड सेनीटाइजर को बनाने की विधि और उसके इस्तेमाल करने के तरीके के बारे में जानते हैं। क्या कहते हैं एक्सपर्ट जर्मन फेडरल इंस्टीट्यूट फॉर रिस्क एसेसमेंट की एक स्टडी के मुताबिक, फलों और सब्जियों से वायरस आप तक पहुंच सकता है। कनाडा स्थित रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ फूड सेफ्टी डायरेक्टर जेफ फॉर्बर के अनुसार, खाने से पहले आपको फलों और सब्जियों को साबुन से धोना खतरनाक हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि फलों और सब्जियों को धोने के लिए आप किसी ऐसे सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें जिससे सब्जियों को नुकसान ना पहुंचे और आप स्वस्थ भी बने रहें। सब्जियों को कोरोना वायरस से बचाने के लिए ऐसे तैयार करें सैनिटाइजर सामग्री एक कप नीम के पत्ते 1 कप पानी 1 बॉटल स्प्रे करने के लिए 1 चम्मच बेकिंग सोडा बनाने की विधि सबसे पहले, नीम के पत्तों को धो लें। अब एक बर्तन में पानी लें और उसमें पत्ते डालें। इस मिश्रण को धीमी आंच पर गैस पर रख दें। इसे 15-20 मिनट तक उबालें। ध्यान दें कि पानी को हरा होने तक उबालना है। पानी हरा होने के बाद मिश्रण को ठंडा होने के लिए छोड़ दें। जब मिश्रण ठंडा हो जाए तो इसमें 2 चम्मच बेकिंग सोडा डालें और अच्छी तरह मिलाएं। अब इस पानी को एक साफ स्प्रे बोतल में डालें लें। जब भी बाहर से फल या सब्जियां लाएं तो इन्हें खुले पानी में धो लें। इसके बाद बाद इन पर अच्छी तरह इस होममेड नेचुरल सैनिटाइजर का स्प्रे करें और कुछ देर के लिए छोड़ दें। सब्जी और दूसरे खाने के सामान का स्वाद प्रभावित न हो इसके लिए आप दोबारा इन्हें खुले पानी से धो सकते हैं। कैसे कार्य कर सकता है यह स्प्रे आयुर्वेद में नीम की पत्तियों का सेवन करने की बात कही जाती है जो कई प्रकार की बीमारियों के खतरे को कम करता है। वहीं, वैज्ञानिक आधार की बात करें तो नीम की पत्ती और बेकिंग सोडा एंटी बैक्टीरियल एंटी फंगल और एंटीवायरल और एंटी पैरासाइट गुण रखते हैं। इसी प्रभाव के कारण अगर सैनिटाइजर के रूप में इनका प्रयोग किया जाए तो सब्जियों पर मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस के प्रभाव को कई गुना तक खत्म करने के लिए यह प्रभावी रूप से कारगर साबित हो सकता है।
भारत के प्रमुख मसालों में खास स्थान रखने वाली मेथी हरी सब्जी के रूप में भी खाने में इस्तेमाल की जाती है। इसके बीज का इस्तेमाल सब्जियों को तड़का लगाते समय करते हैं। यह न केवल किसी भी सब्जी के स्वाद को बढ़ा देता है बल्कि विभिन्न प्रकार के पकवान में इसका किया गया इस्तेमाल साधारण पकवान के स्वाद को भी लजीज बना देता है। कई लोगों को रात में कब्ज की समस्या बहुत परेशान करती है लेकिन उससे बचने के लिए यहां पर मेथी बीज के सेवन के बारे में बताया जाएगा कि कैसे इसका इस्तेमाल करके अनिद्रा और कब्ज की समस्या से राहत पाई जा सकती है। इस तरह करना होगा इस्तेमाल कब्ज की समस्या से बचे रहने के लिए एक चम्मच मेथी को 2 गिलास पानी लेकर किसी बर्तन में उबाल लें। इस दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पानी को तब तक उबालना है जब तक मेथी का रंग पानी में अच्छी तरह मिल ना जाए। इसके बाद इस पानी को छानकर मेथी बीज अलग कर लें और इसे ठंडा होने दें। जब यह हल्का गुनगुना रहे तो उसी दौरान घूंट घूंट करके इसका सेवन करें। यह कई प्रकार के फायदे आपको पहुंचा सकता है जिसे नीचे बताया जा रहा है। कब्ज से लेकर इन समस्याओं से मिलेगी राहत जो कब्ज की समस्या परेशान हैं उनके लिए मेथी बीज का पानी रामबाण इलाज की तरह कार्य करेगा। यह पाचन क्रिया को ठीक करने और पेट से जुड़ी हुई अन्य समस्याओं के घरेलू उपचार के रूप में प्रभावी रूप से फायदा पहुंचाता है। वहीं, अनिद्रा की समस्या को दूर करके यह आपको गहरी नींद भी दिलाने का कार्य कर सकती है। सेहत के लिए यह ड्रिंक और भी कई फायदे पहुंचाती है। मेथी बीज का इस रूप में किया गया सेवन कोलेस्ट्रॉल लेवल को संतुलित करने, किडनी से जुड़ी समस्याओं से निजात दिलाने, डायबिटीज के जोखिम को कम करने, दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम करने और बालों की अच्छी देखभाल के साथ-साथ फेफड़ों से जुड़ी हुई समस्याओं का खतरा भी कम कर सकते हैं। इसलिए जिन्हें समस्याओं के खतरों से बच के रहना है और अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना है वह हफ्ते में तीन से चार बार इस ड्रिंक का सेवन कर सकते हैं।
कुछ समय पहले तक जहां एक दिन में 1 हजार संक्रमित मामले सामने आना बड़ी बात होती थी, वहीं अब एक दिन में 22 हजार 771 नए मामले सामने आए हैं.... यात्रा में नहीं होंगे संक्रमण का शिकार मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या को देखकर आप इस बात को समझ सकते हैं कि कोरोना का संक्रमण कितनी तेजी से फैल रहा है। लेकिन इसके बाद भी हम अपने दैनिक जीवन को पूरी तरह रोक तो नहीं सकते। इसलिए अगर किसी भी काम के चलते आप यात्रा कर रहे हैं तो यहां जानें कि आप कैसे अपनी यात्रा के दौरान सभी काम पूरे करते हुए कोरोना संक्रमण से बचे रह सकते हैं... यात्रा के दौरान बरतें पूरी सावधानी -लॉकडाउन में ढील मिलने के बाद ज्यादातर जगहों पर कुछ नियमों और शर्तों के साथ यात्रा करने की छूट मिली हुई है। लेकिन इस छूट का उपयोग बहुत समझदारी के साथ करने की आवश्यकता है। क्योंकि हमारी जरा-सी लापरवाही हमें कोरोना संक्रमण का शिकार बना सकती है। यात्रा के दौरान रखें इन बातों का ध्यान -यदि आपके बराबर की सीट कोई सर्दी-जुकाम से पीड़ित व्यक्ति बैठा हो तो उस सीट को बदल लें। यदि यह संभव ना हो तो उस व्यक्ति से बातचीत ना करें और अपने मास्क को ठीक से पहने रखें। -जब भी चेहरे पर हाथ लगाना हो या अपने किसी सामान को छूना हो तो बेहतर होगा कि आप पहले हैंडसैनिटाइज कर लें। ये लोग यात्रा ना करें इस समय जो लोग कोल्ड और फीवर से पीड़ित हैं या खांसी और गले में दर्द जैसी समस्या का सामना कर रहे हैं, इन लोगों को ट्रैवलिंग बिल्कुल नहीं करनी चाहिए। ऐसा आपकी और आपके साथ ट्रैवल करनेवाले सभी लोगों की सेफ्टी के लिए जरूरी है। -अगर आप इस समय यात्रा करेंगे और कोई भी ए-सिम्प्टोमेटिक व्यक्ति आपके पास से गुजरा तो आपको कोरोना का संक्रमण होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। क्योंकि आपका शरीर कोल्ड, कफ या फीवर के कारण पहले से ही कमजोर है। ऐसे में वायरस को आपको शरीर के अंदर अपने मुताबिक माहौल मिल जाता है। यात्रा के दौरान खान-पान -यात्रा के दौरान क्या खाना चाहिए और क्या नहीं यह एक बहुत बड़ा सवाल है। बेहतर तो यही होगा कि आप घर का बना खाना लेकर ही चलें। ताकि रास्ते में जब भी भूख लगे तो आप इसी का उपयोग करें। इसके साथ ही पानी की बोतल भी घर से ही लेकर चलें। -यदि रास्ते में मिनरल वॉटर खरीद रहे हैं तो उपयोग से पहले इसकी बोतल को सही तरीके से सैनिटाइज कर लें। ताकि संक्रमण का खतरा कम किया जा सके। इस समय पैक्ड फूड और प्लास्टिक रैपिंग वाले फूड खाने से भी जितना हो सके बचें। नॉनवेज से दूर रहें -यात्रा के दौरान नॉनवेज खाने से पूरी तरह बचें। फिर चाहे आप इसकी कोई डीप फ्राइड डिश खा रहे हों या टिक्का आदि। क्योंकि इस समय मीट का सेवन आपको संक्रमण होने का खतरा कई गुना बढ़ा सकता है। स्टाफ का सपोर्ट करें -यात्रा के दौरान आपको जगह-जगह पर ट्रैफिक पुलिस या सिविल पुलिस द्वारा पूछे जानेवाले इस सवाल का सामना करना पड़ सकता है कि आप कहां जा रहे हैं? क्यों जा रहे है? आपका ट्रैवल पास कहा हैं आदि...इन सवालों से परेशान ना हों और स्टाफ को पूर सपॉर्ट करें। क्योंकि वे यह सब काम हमारी सुरक्षा के लिए ही कर रहे हैं। एक्सट्रा मास्क रखना ना भूलें -हालांकि इस समय पर मास्क पूरी तरह और हर जगह उपलब्ध हैं। लेकिन यदि आप अपनी पर्सनल कार या पब्लिक ट्रांसपोर्ट के जरिए भी यात्रा पर निकल रहे हैं तो अपने साथ कुछ एक्स्ट्रा मास्क, पेपर सोप, सैनिटाइजर, हैंकी, टिश्यू पेपर रखना ना भूलें। -ताकि मास्क खराब होने या गिरजाने की स्थिति में आपके पास अन्य मास्क हो। कोल्ड या अन्य किसी स्थिति में हाथ धोने और साफ रखने के लिए साबुन, सैनिटाइजर और पानी वगैरह आपके पास होना चाहिए। ये दवाएं रखें हमेशा साथ -छोटी या बड़ी किसी भी यात्रा पर जाने से पहले आप अपने डॉक्टर से एक बार सलाह जरूर कर लें। इसके साथ ही आप उनसे कुछ कोल्ड, फीवर और गले दर्द की दवाओं को लें। ताकि यदि यात्रा के दौरान इस तरह की किसी समस्या का सामना करना पड़े तो आप तुरंत राहत पा सकें और समस्या को बढ़ने से रोक सकें। -
मॉनसून में फैलने वाले बुखार और फ्लू में डेंगू सबसे अधिक खतरनाक माना जाता है। इसका कारण यह है कि इस बुखार के दौरान पीड़ित व्यक्ति की प्लेटलेट्स बहुत तेजी से गिरने लगती हैं। प्लेटलेट्स वे रक्त कोशिकाएं होती हैं, जो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने का काम करती हैं। साथ ही शरीर से बहनेवाले खून पर थक्का जमाने का काम करती हैं। ताकि शरीर से बहुत अधिक खून ना बह सके। लेकिन डेंगू का वायरस इन प्लेटलेट्स को तेजी से कम कर देता है। आइए, जानते हैं डेंगू से बचाव और इसके लक्षणों से जुड़ी कुछ जरूरी बातें... क्यों फैलता है डेंगू? -डेंगू एक तरह का वायरल फीवर होता है, जो मच्छर के काटने से फैलता है। डेंगू फैलानेवाले मच्छरों का बायॉलजिकल नाम एडीज एजिप्टी है। आम बोलचाल की भाषा में इन्हें टाइगर मच्छर भी कहा जाता है क्योंकि इनके शरीर पर सफेद और काली धारियां होती हैं। -इन एडीज मच्छरों की एक खास बात यह होती है कि ये घरों में जमा होनेवाले साफ पानी में पनपते हैं और वहीं अंडे भी देते हैं। जैसे कूलर में जमा पानी या गमलों में भरा पानी, पानी की टंकी आदि। साथ ही ये मच्छर आमतौर पर दिन में और सुबह के समय अधिक काटते हैं। डेंगू के फैलने का सीजन -डेंगू बुखार बरसात का मौसम शुरू होते ही यानी जून महीने के अंतिम दिनों से लेकर अक्टूबर तक फैलता है। इसके बाद सर्दी का मौसम आ जाने से इन मच्छरों के पनपने के अनुकूल मौसम नहीं रह जाता है। लेकिन कुछ खास परिस्थितियों में डेंगू के केस कई महीनों बाद तक देखने को मिलते रहते हैं। डेंगू के लक्षण -डेंगू से संक्रमित व्यक्ति को अचानक तेज बुखार हो जाता है और उसे बहुत तेज ठंड लगती रहती है। -मरीजे के सिर में बहुत तेज दर्द होता है। साथ ही शरीर के जोड़ों में कमजोरी और दर्द से बहुत अधिक बेचैनी होने लगती है। -गले में हर समय दर्द रहता है, यह कभी हल्का होता है तो कभी बहुत तेज। साथ ही चेहरे और सीने या गर्दन पर गुलाबी रंग के रैशेज हो जाते हैं। - इस दौरान मरीज का कुछ भी खाने का मन नहीं करता है। हर समय ऐसा लगता रहता है कि जैसे बस अब उल्टी हुई.. डेंगू के प्रकार -डेंगू का बुखार मुख्य रूप से 3 तरह का होता है। इनमें साधारण डेंगू, रक्त स्त्राव वाला डेंगू और डेंगू शॉक सिंड्रोम। इन तीनों के लक्षण इनके प्रकार के हिसाब से ही गंभीर होते जाते हैं। -जो लक्षण ऊपर बताए गए हैं वे साधारण डेंगू के लक्षण हैं। डेंगू के दूसरे प्रकार यानी रक्त स्त्राव वाले डेंगू में मरीज की त्वचा का रंग पीला पड़ जाता है। साथ ही उसका शरीर गर्म की जगह ठंडा महसूस होता है। -रोगी के नाक या मसूड़ों से खून आने लगता है। इस दौरान खून की उल्टियां भी हो सकती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि रोगी की प्लेटलेट्स तेजी से गिर रही होती हैं। इस कारण उसके शरीर से ब्लीडिंग शुरू हो जाती है। रोगी को तेज प्यास लगती है, गला सूखता है और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। -वहीं, तीसरे प्रकार के डेंगू यानी डेंगू शॉक सिंड्रोम के दौरान मरीज की नब्ज भी कमजोर होने लगती है। पेट में तेज और लगातार दर्द हो सकता है। शरीर ठंडा पड़ने लगता है और मरीज दर्द से करहाने लगता है। क्या नहीं करना है? -क्या करना है के साथ ही आपको यह भी पता होना चाहिए कि डेंगू होने पर हमें क्या नहीं करना चाहिए। यह एक वायरल बुखार है इसलिए इस दौरान आप पैरासिटामोल, आईबुप्रोफेन और एस्प्रिन जैसी दवाओं का सेवन ना करें। क्योंकि इस बीमारी में ऐंटिबायॉटिक दवाओं का शरीर पर कोई असर नहीं होता है। -मरीज को जितना हो सके ओआरएस का घोल देते रहें। भूख लगने पर या ना लगने पर भी भोजन के समय के अनुसार, मूंग की छिलका दाल मिलाकर तैयार की गई खिचड़ी मरीज को खिलाएं। पेशंट को बिल्कुल भी भूख बर्दाश्त नहीं करनी चाहिए नहीं तो हालत अधिक गंभीर हो सकती है। इतने दिन में दिखता है बुखार का असर -डेंगू का संक्रमण किसी भी मरीज के अंदर संक्रमित मच्छर द्वारा वायरस छोड़ने के 3 दिन से लेकर 7 दिन के अंदर फैलने लगता है। इस दौरान मरीज के शरीर में डेंगू के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इसके लक्षणों के बारे में हम बात कर चुके हैं। कहां कराएं इलाज? -अब यह जान लीजिए कि जब भी घर-परिवार में किसी को डेंगू के लक्षण नजर आएं तो आपको परेशान नहीं होना है। बल्कि किसी अच्छे फिजिशियन को दिखना चाहिए। यदि घर में बीमार होनेवाला शख्स कोई बच्चा है तो आप इसे चाइल्ड स्पेशलिस्ट या फिजिशियन दोनों में से किसी को भी दिखा सकते हैं।
काम का दबाव सभी पर है। उन लोगों पर भी जो ऑफिस जाने लगे हैं और उन लोगों पर भी जो घर से काम कर रहे हैं। ऐसे में मेंटल हेल्थ पर बुरा असर कुछ ज्यादा ही नजर आने लगा है। ऐसा नहीं है कि लॉकडाउन से पहले जब सबकुछ सामान्य था, तब काम का तनाव और दबाव नहीं था, ऐसी दिक्कतें तो तब भी आती थीं लेकिन जिन परिस्थितियों से ज्यादातर लोग आज के वक्त में गुजर रहे हैं, ये एकदम नई हैं। यहां जानें अपने मानसिक तनाव और काम के दबाव से निबटने के तरीके... सबसे पहला काम - आप वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं या ऑफिस जाने लगे हैं, सबसे पहली बात तो यह है कि आप टेंशन और परेशानी को अपने ऊपर हावी ना होने दें। क्योंकि यह आपकी परफॉर्मेंस पर नकारात्मक असर डालता है और इससे आपकी समस्या और अधिक बढ़ने लगती है। इसलिए बेहतर है कि आप इन परेशानियों के समाधान को खोजने पर ऊर्जा लगाएं। इन परेशानियों के कारण होनेवाली दिक्कत पर नहीं। हैपी और रिलैक्स रहने का तरीका -काम के दौरान हैपी और रिलैक्स रहने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप मन को शांत रखें। खुद को मानसिक रूप से इस बात के लिए तैयार करें कि मुझे अपना 100 प्रतिशत देना है लेकिन इसका रिजल्ट मेरे नहीं ईश्वर के हाथ में है। इसलिए मेरे साथ वही होगा, जो मेरे लिए अच्छा होगा। कम्युनिकेशन बनाए रखें - ऑफिस हो या वर्क फ्रॉम होम, आज के समय में कॉलीग्स के साथ उस तरह का रिलेशन रख पाना संभव नहीं हो पा रहा है, जैसा पहले रहा करता था। लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आप अपनी टीम के टच में रहना छोड़ दें। टीम और टीम लीडर के साथ होनेवाला लगातार कम्युनिकेशन दिमाग और सोच को सकारात्मक बनाए रखने में सहायक है। हर बात पर हां कहना ठीक नहीं -एक कड़वी लेकिन प्रैक्टिकल बात यह है कि दुनिया में अगर कुछ अपना है तो वह है सिर्फ अपना शरीर। जो जीवन में अंतिम सांस तक अपने साथ रहता है। इसलिए टारगेट पूरा करने या बॉस को खुश करने के लिए हर समय काम के दबाव में ना रहें। यदि आपके पास पहले से ही काफी जिम्मेदारियां हैं और आपको कोई नया काम दिया जा रहा है, जबकि आपके साथियों के पास पर्याप्त खाली समय है तो संयमित भाषा और अपनी समस्याओं को सामने रखते हुए बॉस से बात करें। इस डर में ना जिएं कि बॉस नाराज हो जाएंगे। क्योंकि अगर आपकी मानसिक और शारीरिक सेहत बिगड़ने के कारण आप काम समय पर नहीं कर पाए तब स्थितियां अधिक खराब होंगी। खाना साथ खाएं -ऑफिस जाने लगे हैं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं तो इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि आप साथ में खाना नहीं खा सकते हैं। मेस या कैंटीन में भी सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए साथ में खाना खाने जाएं। हाइजीन और सेफ्टी का पूरा ध्यान रखते हुए एक-दूसरे की कंपनी को इंजॉय करें। -यदि घर से काम कर रहे हैं तो पूरी टीम कभी-कभी बिना किसी ऑफिस वर्क के यूं ही विडियो चेट पर गेट-टुगेदर पार्टी करें। ताकि आप एक-दूसरे से कनेक्ट फील करें और टीम का माहौल सकारात्मक बना रहे। सबसे जरूरी बात -लॉकडाउन के दौरान काम का माहौल अच्छा बनाए रखने के लिए आपको जिस बात पर सबसे अधिक गौर करना है, वह है टीम का माहौल अच्छा बनाए रखना। इस बात को ना भूलें कि यह ऐसा समय है, जब आपकी ही तरह हर साथी असुरक्षा और डर की भावना के बीच जी रहा है। इससे मूड अक्सर खराब हो जाता है। -यदि कभी कोई टीममेट आपको गुस्से में रिप्लाई कर दे तो इस बात को अपने ईगो पर ना लें और उस समय शांत रहें। इस बात को समझें कि मानसिक तनाव के चलते अक्सर हर कोई अपना नियंत्रण खो रहा है। इसलिए गुस्से का जवाब गुस्सा नहीं होना चाहिए।
हर्निया की समस्या अक्सर ऑपरेशन कराने के बाद फिर से उभर आती है। ऐसा करीब 10 फीसदी केसेज में देखने को मिलता है। जहां मरीज ऑपरेशन कराने के बाद फिर से उस स्थिति में पहुंच जाता है, जब उसे दोबार ऑपरेशन की पीड़ा और खर्च को सहना होता है। लेकिन अगर ऑपरेशन लेप्रोस्कोपिक तकनीक के जरिए किया जाए तो हर्निया के दोबारा पनपने की संभावना दस प्रतिशत से घटकर 0.1 प्रतिशत रह जाती है... क्या होता है हर्निया? -हर्निया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर के किसी हिस्से की मांशपेशियां अपनी ऊपरी परत के टिश्यूज में छेद करके अंदर का अंग बाहर की तरफ उभरने लगता है। इस समस्या को ही हर्निया कहते हैं। -हर्निया आमतौर पर पेट में होता है। लेकिन कमर और जांघों पर भी यह समस्या हो सकती है। अब अगर किसी व्यक्ति की आंत उसके पेट की अंदरूनी परत के कमजोर हिस्से में छेद कर पेट की बाहरी परत के अंदर की तरफ बढ़ने लगे...तो यह समस्या हर्निया कहलाएगी। खुद से ठीक नहीं होता है हर्निया -आमतौर पर हर्निया की समस्या घातक या जानलेवा नहीं होती है। लेकिन इसमें कम या अधिक दर्द हो सकता है। साथ ही आमतौर पर हर्निया को दूर करने के लिए ऑपरेशन ही कराना होता है। जबकि कुछ केसेज में अन्य चिकित्सा पद्धतियों के जरिए भी हर्निया का इलाज किया जाता है। -हर्निया का इलाज इसकी स्थिति और इस बात पर भी निर्भर करता है कि यह शरीर के किस हिस्से में हुआ है। कुछ केसेज में हर्निया के उबरने से नसों पर दबाव पड़ने लगता है, इससे संबधित हिस्से में रक्त का प्रवाह बाधित होता है। इस कारण तुरंत ऑपरेशन की स्थिति भी बन जाती है। हर्निया के प्रकार -हर्निया मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है। हाइटल हर्निया और अम्बिलिकल हर्निया। लेकिन कुछ खास स्थितियों में दो प्रकार का हर्निया और देखने को मिलता है। इन्हें इंसिजनल हर्निया और स्पोर्ट्स हर्निया कहते हैं। -हाइटल हर्निया आमतौर पर 50 साल या इससे अधिक उम्र के लोगों में होता है। लेकिन बच्चों में इस हर्निया के लक्षण उस समय दिखते हैं, जब उन्हें जन्म से ही कोई विशेष दोष रहा हो। इस तरह के हर्निया में पेट के द्रव्यों का रिसाव हमारे फूड पाइप में होने लगता है। इससे पेट में कभी कम और कभी तेज जलन की शिकायत बनी रहती है। -अंबिलिकल हर्निया आमतौर पर नवजात शिशुओं में ही देखा जाता है। इस हर्निया को बच्चे के पेट पर उस स्थिति में साफतौर पर देखा जा सकता है, जब बच्चा तेज-तेज रोता है। यह हर्निया का एक मात्र प्रकार है, जो बच्चे के जन्म के एक साल के अंदर-अंदर खुद से ठीक हो जाता है। यदि यह ठीक नहीं होता है तो इसे भी सर्जरी के माध्यम से ही ठीक करना होता है। क्यों बेहतर है लेप्रोस्कोपिक ट्रीटमेंट? -दरअसल, ओपर सर्जरी के बाद जहां पेशंट को कम से कम दो से तीन दिन हॉस्पिटल में रहना होता है, उसके साथ रहनेवाले अटेंडेंट को भी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। - ओपन सर्जरी के बाद दोबारा अपनी रुटीन लाइफ में आने के लिए पेशंट को करीब 1 महीने का इंतजार करना पड़ता है। जबकि लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद 10 से 12 दिन में ही पेशंट अपने काम पहले की तरह कर पाता है।
हममें से हर कोई अपने दिमाग को स्वस्थ और तेज रखना चाहता है। क्योंकि हम सभी जानते हैं कि दुनिया की हर चीज को सिर्फ और सिर्फ अपने दिमाग के बल पर ही हासिल किया जा सकता है। अगर आप भी चाहते हैं कि आपकी सफलता की गाड़ी बुलेट की स्पीड से दौड़े तो खान-पान के कुछ जरूरी नियमों का ध्यान रखें... हमारे पूर्वज और विद्वान अपने भोजन में केवल सरसों तेल और देसी घी का उपयोग किया करते थे। आज के हेल्थ एक्सपर्ट्स भी मानते हैं कि सरसों का तेल और देसी घी हमारे दिल और दिमाग की सेहत के लिए बहुत अधिक फायदेमंद हैं। आज की लाइफस्टाइल के हिसाब से हर दिन एक व्यक्ति को कम से कम कितनी मात्रा में देसी घी खाना चाहिए। ताकि ना तो उसके शरीर में फैट जमा हो और उसका दिमाग भी तेजी से निर्णय ले पाने के लायक बने... देसी घी की कम से कम मात्रा -हर दिन दाल और सब्जी खाते समय अपने खाने में कम से कम 2 छोटे चम्मच देसी घी जरूर शामिल करें। इससे आपके दिमाग की कार्य क्षमता बढ़ेगी और कोशिकाओं को मजबूती मिलेगी। आप दोनों समय के भोजन और नाश्ते में भी इतनी मात्रा में देसी घी का उपयोग हर दिन कर सकते हैं। यह मात्रा स्वस्थ व्यक्तियों को ध्यान में रखते हुए बताई गई है। जिन लोगों को हार्ट, शुगर या कोई अन्य गंभीर रोग है, उन्हें अपनी डायट में किसी भी नई चीज को शामिल करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लेनी चाहिए। कोशिश करें कि यह घी देसी गाय के दूध से बना हो। क्योंकि हमारा दिमाग सिर्फ घी खाने से नहीं बल्कि देसी गाय के घी से तेज होता है। ऐसा गायों की अलग-अलग प्रजाति और उनके दूध से मिलनेवाले अलग-अलग गुणों के कारण होता है। -देसी गाय का घी जहां हमारे दिमाग को तेज और कुशाग्र बनाता है। वहीं जर्सी गाय और भैंस का दूध हमारे शरीर को बलवान बनाने का काम करता है। यानी मसल्स बनानी हैं तो भैंस के दूध और घी का उपयोग करें और दिमाग तेज बनाना है तो देसी गाय के दूध और घी का। -हमारे समाज में खान-पान को लेकर जिस तरह की दिक्कतें बढ़ रही हैं, उसकी सबसे बड़ी वजह ही यही है कि हमारी शिक्षा का स्तर तो सुधरा है लेकिन सामाजिक ज्ञान और सांस्कृतिक शिक्षा पर ध्यान देना लगभग बंद हो गया है। पुराने समय में जिन लोगों को अपना नाम भी लिखना नहीं आता था, उन्हें भी इस बात की जानकारी होती थी कि कौन-सा भोजन किस मौसम में और कितनी मात्रा में खाना चाहिए। जबकि आज के समय में आयुर्वेदाचार्यों और डायटीशियंस को छोड़ दें तो ज्यादातर डॉक्टर्स भी मौसम के हिसाब से डायट के बारे में सलाह नहीं देते हैं। यह भी जरूरी है -कभी भी कोई एक फूड या ऐक्टिविटी हमें पूरी तरह स्वस्थ नहीं रख सकती। इसके साथ में हमें कुछ और भी करना होता है। इसलिए देसी घी के सेवन के साथ ही यदि आप नियमित रूप से व्यायाम, योग, दौड़ना या सुबह की सैर करना शुरू करेंगे तो आप 10 से 15 दिन के अंदर ही अपने आपमें एक सकारात्मक बदलाव देख पाएंगे।
बरसात के मौसम में फ्लू होना आम बात है। फिर इस मौसम में मच्छरों के कारण फैलनेवाले बुखार जैसे मलेरिया और डेंगू का भी खतरा बहुत अधिक रहता है। ऐसे में भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा (Ayush Ministry) वायरल, फ्लू और वायरस से बचने के देसी उपाय सुझाए गए हैं। मंत्रालय के अनुसार, मॉनसून में होनेवाली बीमारियों के प्रारंभिक लक्षण के तौर पर खांसी, जुकाम, गले में खराश, छींके आना जैसी समस्याओं का सामना करते हैं। यदि हम अपने खान-पान को समय के अनुसार बदल लें तो अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर सकते हैं... मॉनसून में कारगर हैं सेहतमंद रखनेवाले ये उपाय... -आमतौर पर गर्मी के मौसम में हल्दी का दूध यानी गोल्डन मिल्क नहीं पिया जाता है। लेकिन इस बार की गर्मी के साथ ही बरसात भी हर बार से अलग है। आखिर कोविड-19 के खतरे ने हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रभावित किया है। -खांसी, जुकाम और गले में दर्द के साथ ही सांस से जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए दिन में एक बार हल्दी वाले दूध का सेवन जरूर करें। ध्यान रखें कि एक गिलास दूस में एक चौथाई चम्मच हल्दी मिलानी होती है... चम्मच भरकर नहीं। - बंद नाक को खोलने और गले के दर्द से मुक्ति पाने के लिए आप गर्म पानी में विक्स या पुदीनहरा डालकर भाप ले सकते हैं। आप चाहें तो गर्म पानी में असेंशियल ऑइल्स जैसे लौंग का तेल, टी-ट्री ऑइल, लैमन ग्रास ऑइल मिलाकर भी भाप ले सकते हैं। मौसमी फ्लू के लक्षण -मॉनसून में होनेवाले फ्लू के कुछ खास लक्षण होते हैं। यहां हम आपको ऐसे ही 6 लक्षणों के बारे में बता रहे हैं। यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण अपने अंदर अनुभव हो तो आपको अधिक सतर्क हो जाने की जरूरत है... -सांस लेने में परेशानी होना -नाक बंद होना -खांसी -बदन दर्द लगातार बने रहना -सिरदर्द होना -मांसपेशियों में खिंचाव होना घर बैठे मौसमी फ्लू से बचने के तरीके घर बैठे इन बीमारियों को कैसे ठीक कर सकते हैं, इस बारे में आयुर्वेदाचार्य और पंचकर्म विशेषज्ञ कुणाल मानेक का कहना है कि 'जैसे-जैसे मॉनसून करीब आता है, वैसे-वैसे हमारे लिए यह बेहद जरूरी हो जाता है कि किटाणुओं और वायरस के विरुद्ध हम शरीर की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं और उसे और मजबूत करें। -जब शरीर सर्दी के खिलाफ लड़ रहा होता है तो ऐसे में फ्लू के लक्षणों के राहत पाने का सबसे कारगर और आसान उपाय है गर्म पानी की भाप का लेना। यह शरीर को स्वस्थ रखने के लिए एक प्राकृतिक चिकित्सा की तरह काम करती है, जिसका लोग बड़े पैमाने पर उपयोग करते हैं।' डॉक्टर कुणाल के अनुसार, घर पर प्राकृतिक औषधियों से भाप तैयार करने के लिए आप गर्म पानी में पुदीना पत्ती और अजवाइन का उपयोग कर सकते हैं। ये दोनों ही औषधि विशेष रूप से सूखी खांसी के उपचार में कारगर हैं। -आप पुदीना, अजवाइन, कपूर और नीलगिरी को मिलाकर तैयार किए गए आयुर्वेदिक लेप की सहायता से भी गले में खराश, खांसी और जलन की समस्या को दूर कर सकते हैं। यह लेप और भाप सर्दी और फ्लू को भी दूर रखने में सहायक हैं। -इस लेप को पानी में मिलाकर उसे गर्म कर लें। ध्यान रखें कि आपको पानी गर्म करना है, उबालना नहीं है। साथ ही इस लेप को पानी गर्म करके फिर उसमें मिलाकर उपयोग ना करें। बल्कि ताजे पानी में इसे मिलाएं और फिर गर्म करें। इसके बाद इसकी भाप लें। -यह लेप आपको आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर्स पर आसानी से मिल जाएगा। यदि आपके गले या शरीर के किसी अंग में दर्द की समस्या हो रही है तो आप इस लेप को लगाकर इस दर्द से भी आराम पा सकते हैं। अगर इन बचाव के उपायों के बाद भी आपको राहत ना मिले तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
जीरे और गुड़ का एक साथ करें सेवन, वजन घटाने सहित इन 7 प्रकार की बीमारियों से नहीं होगा सामनाजीरा हमारे घर में प्रतिदिन किसी न किसी रूप में खाने के लिए जरूर प्रयोग किया जाता है। इसका इस्तेमाल हम मुख्य रूप से दाल और सब्जी में जरूर करते हैं। वहीं, गुड़ का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के पकवानों को बनाने में या फिर सामान्य रूप से खाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। पर क्या आपने कभी सोचा है कि गुड़ और जीरे का एक साथ सेवन किया जाए तो यह हमारे शरीर के लिए कितना फायदेमंद साबित होगा? यहां पर इन्हीं स्वास्थ्य फायदों के बारे में आपको बताया जाएगा ताकि सेहतमंद बने रहने के लिए यह खाद्य पदार्थ आपके काम आ सके। आइए अब इसके बारे में जानते हैं। ​वजन घटाने में मदद करता है बढ़ा हुआ वजन टाइप-2 डायबिटीज और कई प्रकार के कैंसर का भी खतरा बढ़ा देता है और इस बारे में वैज्ञानिक प्रमाण भी उपलब्ध हैं। जबकि जीरे के पानी को उबालकर गुड़ के साथ इसका सेवन किया जाए तो वजन घटाने में प्रभावी रूप से मदद मिलती है। आप चाहें तो जीरे को भूनकर गुड़ के साथ खाने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं। कई लोगों के द्वारा इसका सेवन वजन को घटाने के लिए मुख्य रूप से किया जाता है। ​एनीमिया के खतरे को कम करे शरीर में खून की कमी को एनीमिया के नाम से जाना जाता है। यह समस्या मुख्य रूप से गर्भावस्था में महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशान करती है। जबकि गुड़ में मौजूद आयरन की भरपूर मात्रा का सेवन उचित मात्रा में किया जाए तो एनीमिया के खतरे को कई गुना तक कम किया जा सकता है। वहीं, जीरे को गुड़ के साथ खाने से ब्लड सर्कुलेशन भी काफी बेहतरीन हो जाता है। ​हाई ब्लड प्रेशर को कम करे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को हाइपरटेंशन के नाम से भी जाना जाता है। इसके कारण हृदय रोग से जुड़ी कई प्रकार की बीमारियां और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है। जबकि जीरा और गुड़ में मौजूद पोटैशियम और मैग्नीशियम की मात्रा हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को कम करने के लिए प्रभावी रूप से कार्य कर सकती है। इसलिए जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है उन्हें जीरे और गुड़ का सेवन डॉक्टर की सलाह लेने के बाद नियमित रूप से जरूर करना चाहिए। ​हड्डियों को मजबूती मिलती है हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए प्रमुख रूप से कैल्शियम पोषक तत्वों की जरूरत होती है। जबकि जीरा और गुड़ का सेवन भी हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफॉरमेशन के अनुसार, इन दोनों खाद्य पदार्थों में हड्डियों को मजबूत बनाने का गुण पाया जाता है। एक रिसर्च के बाद इसकी पुष्टि भी की गई है। इसलिए बुजुर्ग लोगों और खेलकूद में सक्रिय बच्चों के लिए जीरे और गुड़ का सेवन हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए काफी लाभदायक रहेगा। ​हृदय रोग से रहेंगे सुरक्षित हृदय रोग के कारण कई लोग हर साल अपनी जान गंवाते हैं। भारत में ऐसे लोगों की संख्या काफी ज्यादा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पूरी दुनिया में हृदय रोग के कारण सबसे ज्यादा मौत होती है। वहीं, गुड़ और जीरे का सेवन हृदय रोग से बचे रहने के लिए भी काफी लाभदायक असर दिखाता है। दरअसल, गुड़ और जीरा दोनों कार्डियोप्रोटेक्टिव एक्टिविटी रखते हैं। यह दिल से जुड़ी कई प्रकार की बीमारियों के खतरे को कई गुना तक काम कर सकते हैं। इसके कारण आप ह्रदय रोग की चपेट में आने से बचे रहेंगे। ​रोग प्रतिरोधक क्षमता होगी मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने के लिए जीरे और गुड़ का सेवन काफी लाभदायक असर दिखाता है। इन दोनों खाद्य पदार्थों में एंटी ऑक्सीडेंट की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इसका सीधा असर इम्यून सेल्स को मजबूत करने के लिए प्रेरित करता है। इसके कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में काफी मदद भी मिलती है और आप कई प्रकार की संक्रामक बीमारियों की चपेट में आने से बचे रहते हैं। ​पेट से जुड़ी समस्याओं से बचाए हमारे शरीर की लगभग ज्यादातर बीमारियों की शुरुआत पेट से ही होती है। शरीर की लगभग सारी कार्यप्रणाली पाचन क्रिया से प्रभावित होती है जिसके कारण हमें विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व मिलते हैं और हमारे शरीर के उसी हिसाब से कार्य करते हैं। इसलिए पेट के स्वास्थ्य का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। इसके लिए जीरा और गुड़ प्रभावी रूप से मददगार साबित होंगे क्योंकि इसमें फाइबर की मात्रा पाई जाती है। फाइबर पाचन क्रिया को सुचारू रूप से चलाने का कार्य करता है और पेट से जुड़ी कई प्रकार की समस्याओं से भी निजात दिलाता है। ​सर्दी, खांसी और फ्लू से छुटकारा सर्दी, खांसी और फ्लू से परेशान लोगों के लिए जीरा और गुड़ रामबाण औषधि की तरह कार्य करेगा। गुड़ की तासीर गर्म होती है। गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थ सर्दी और खांसी की समस्या से निजात दिलाने के लिए काफी प्रभावकारी माने जाते हैं। यही वजह है कि सर्दी, खांसी और फ्लू से जुड़े लक्षणों को दूर करने के लिए गुड़ का सेवन काफी हद तक आराम पहुंचा सकता है। खासकर जो लोग खांसी से परेशान हैं, उन्हें रात में सोने से पहले अदरक के छोटे टुकड़े के साथ गुड़ का सेवन करना काफी राहत दिलाएगा।
बेड से उतरते समय जमीन पर पैर रखते ही चीख निकल जाती है, क्योंकि एड़ी का दर्द आपको अपने ही पैरों पर खड़े होने और चलने नहीं देता है...यह आज के समय में एक आम समस्या बन गई है। अब सिर्फ बुजुर्ग ही नहीं बल्कि युवा और टीनेजर्स भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। आइए, यहां जानते हैं इस दिक्कत के कारण और समाधान के बारे में... क्यों होता है एड़ी में दर्द? बेड से उतरते समय जमीन पर पैर रखते ही चीख निकल जाती है, क्योंकि एड़ी का दर्द आपको अपने ही पैरों पर खड़े होने और चलने नहीं देता है...यह आज के समय में एक आम समस्या बन गई है। अब सिर्फ बुजुर्ग ही नहीं बल्कि युवा और टीनेजर्स भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। आइए, यहां जानते हैं इस दिक्कत के कारण और समाधान के बारे में... क्यों होता है एड़ी में दर्द? -आयुर्वेद के अनुसार, हमारे शरीर में वायु और पित्त बढ़ने के कारण एड़ियों में दर्द और दुखन की समस्या होती है। वायु बढ़ने पर एड़ी में दर्द होता है और पित्त बढ़ने पर एड़ियों में गर्माहट या जलन का अहसास होता है। - कई लोगों को एड़ी के निचले हिस्से में दर्द और दुखन की समस्या होती है। इस समस्या के कई अलग-अलग कारण हो सकते हैं। इनमें स्नायु तंत्र, पाचन, गठिया या किसी संक्रमण के कारण होनेवाली समस्या शामिल हो सकती है। -वहीं, युवाओं में इस समस्या का सबसे अधिक कारण यूरिक एसिड का बढ़ा हुआ होना देखने को मिल रहा है। शरीर में यूरिक एसिड आमतौर पर उस स्थिति में बढ़ता है, जब हम प्रोटीन डायट का सेवन बहुत अधिक कर रहे हों। या किसी भी कारण से हमारा लिवर प्रोटीन को पचा ना पा रहा हो। यूरिक एसिड बढ़ने के कारण -आजकल युवा मसल्स बनाने के लिए बिना पूरी जानकारी जुटाए प्रोटीन शेक और प्रोटीन डायट ले रहे हैं। प्रोटीन लेने में कोई समस्या नहीं है, यह हमारे शरीर की जरूरत है। लेकिन आवश्यकता से अधिक कुछ भी खाने पर वह शरीर को नुकसान तो पहुंचाएगा ही ना। इसके साथ ही यदि आप जो खा रहे हैं, उसे आपका शरीर ठीक से पचा नहीं पा रहा हो, तब भी शरीर में कोई ना कोई दिक्कत जरूर होती है। इसमें पेट में दर्द, अपच, ठीक से मोशन ना होना, लगातार गैस बनना आदि शामिल हैं। अधिक दाल खाना भी दे सकता है परेशानी -सब्जी कम और दाल अधिक खाने से भी एड़ियों में दर्द होने लगता है क्योंकि इस कारण शरीर में प्रोटीन की मात्रा अधिक हो जाती है, जिससे यूरिक एसिड बढ़ जाता है। यह दिक्कत उन्हीं लोगों में देखने को मिलती है, जिनका शरीर प्रोटीन के पाचन को लेकर अतिसंवेदनशील हो। - कई बार अधिक प्रोटीन डायट लेने से आंत की अवशोषण शक्ति कम हो जाती है। ऐसे में लिवर में कई तरह की दिक्कतें हो जाती है और शरीर में इस कारण ठीक से पेशाब बन नहीं पाता है। या तो व्यक्ति को भूख नहीं लगती है, कभी लगती है तो बहुत तेज लगती है, ऐसे में व्यक्ति जब खाना खाने बैठता है तो उसे पता ही नहीं लगता है कि वह कितना खाना खा चुका है या उसे और कितना खाना खाना है। इससे अक्सर ओवर ईटिंग हो जाती है या शरीर को पूरा पोषण नहीं मिल पाता है। जब किसी व्यक्ति का शरीर लंबे समय तक इस तरह की दिक्कतों से जूझता रहता है तो इससे केवल कई दूसरी गंभीर बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। इनमें मानसिक सेहत से जुड़ी समस्याएं भी शामिल हैं। समस्या का समाधान -इस तरह की समस्या का सबसे आसान समाधान तो यही है कि आप अपनी डायट पर गौर करें। अपने शरीर और पाचन तंत्र को समझने का प्रयास करें कि क्या खाने पर आपका शरीर किस तरह से रिऐक्ट करता है। साथ ही अपना हॉर्मोनल बैलंस सही बनाए रखें। इसके लिए सोने और जागने का समय निश्चित करें। -योग, सही डायट और पूरी नींद के बाद भी अगर आपको अपनी परेशानी में आराम का अनुभव नहीं हो रहा है तो आप बिना देरी किए तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। दवाओं और ट्रीटमेंट के बाद जब आपका रोग ठीक हो जाए तो अपनी जीवनशैली को सही रखने का प्रयास करें।
Hair Care: सिर धोने से 1 घंटे पहले लगाएं ये बेकिंग सोडा शैंपू, टूटते-झड़ते बालों की प्रॉब्‍लम होगी दूरबालों का टूटना और झड़ना एक आम समस्या है। बढ़ते प्रदूषण और खराब खानपान की आदतों के कारण बाल कमजोर होकर टूटने लगते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, धूल-मिट्टी और गंदगी के कारण बालों से जुड़ी अन्य समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं। ऐसी स्थिति में बालों की सही देखभाल की जरूरत पड़ती है। बालों की सफाई के लिए उचित शैंपू का इस्तेमाल करना भी बेहद जरूरी है। दरअसल, बालों के लिए सही शैंपू चुनना हमेशा से ही एक मुश्किल भरा काम रहा है। कई बार हम डॉक्टर की सलाह से कोई शैंपू इस्तेमाल करते हैं, तो कई बार विज्ञापन देखकर बाजार से कोई शैंपू खरीद लाते हैं। अक्सर ये शैंपू बालों पर सही तरीके से काम नहीं करते हैं और बाल पहले की अपेक्षा अधिक टूटने लगते हैं। घर में बनाया गया बेकिंग सोडा शैंपू बालों की जड़ से गंदगी दूर करता है और इन्हें मजबूत बनाता है। ​बेकिंग सोडा शैंपू बनाने के लिए आवश्यक सामग्री घर पर बेकिंग सोडा शैंपू बनाने के लिए एप्पल साइडर विनेगर, पानी और बेकिंग सोडा की जरूरत पड़ेगी। ​शैंपू बनाने का तरीका एक कटोरी में आधा कप बेकिंग सोडा लें। कटोरी में सोडे से तीन गुना अधिक पानी डालें। इस मिश्रण को एक स्प्रे बॉटल में भर लें। एक अलग कटोरी में आधा कप एप्पल साइडर विनेगर और इससे चार गुना अधिक पानी मिलाएं। फिर इसमें लैवेंडर एसेंशियल ऑयल की कुछ बूंदें डालकर इस मिश्रण को एक स्प्रे बॉटल में भर लें। ​कैसे करें इस्तेमाल? बेकिंग सोडा शैंपू का इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले अपने बालों को पानी से गीला करें। इसके बाद बालों पर स्प्रे बॉटल से शैंपू छिड़कें। दोनों हाथों से अच्छी तरह बालों और स्कैल्प की मालिश करें। लगभग 10 मिनट बाद बालों को ठंडे पानी से धो लें। अब एप्पल साइडर विनेगर और लैवेंडर ऑयल के मिश्रण को बालों में कंडीशनर के रूप में लगाएं। 5 मिनट बाद गुनगुने पानी से बालों को धो लें। ​बेकिंग सोडा शैंपू के फायदे ऑयली हेयर और ऑयली स्कैल्प की समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए बेकिंग सोडा शैंपू फायदेमंद है। यह बालों से ऑयल को पूरी तरह अवशोषित कर लेता है। बेकिंग सोडा में एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। यह इंफेक्शन और रुसी की समस्या दूर करने में मदद करता है। बेकिंग सोडा बालों से पसीने की बदबू भी दूर करने में मदद करता है। इस तरह टूटते और झड़ते बालों के लिए बेकिंग सोडा शैंपू बेहद फायदेमंद है। यह घर पर आसानी से बनाया जा सकता है और इससे बालों से जुड़ी सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
नारियल पानी और अमरूद डायबीटीज रोगियों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। हाई ब्लड शुगर को कम करने के लिए नारियल पानी लाभकारी माना जाता है क्योंकि इसमें हाई इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं, जो शरीर के पीएच लेवल के संतुलन को बनाए रखने व मेटाबॉलिज्म को बढ़ाते हैं। इसके अलावा, नारियल पानी प्राकृतिक रूप से मीठा होता है और इसमें अच्छी मात्रा में फाइबर और प्रोटीन होता है। इसमें कम कैलरी, कलेस्ट्रॉल मुक्त और हाइड्रेटिंग गुण भी होते हैं। अमरूद का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता हैवहीं अमरूद में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) होता है, जो डायबीटीज डायट में शामिल खाद्य पदार्थों में एक गुण होना चाहिए। अमरूद धीरे-धीरे पचता है, जो ब्लड शुगर में स्पाइक से बचाता है। इसमें कैलरी और सोडियम की मात्रा भी कम है, और फाइबर और पोटेशियम भरपूर मात्रा में है। जिसकी वजह से यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए एकदम सही विकल्प है। इसलिए फायदेमंद हैं ये ड्रिंक्स आयुर्वेदाचार्य डॉ. ए के मिश्रा के मुताबिक डायबीटीज के लिहाज से अगर देखा जाए, तो 1 अमरूद में कार्बोहाइड्रेट 13 ग्राम होता है, जिसमें 8 ग्राम चीनी होती है, शेष 5 ग्राम फाइबर होता है। कार्बोहाइड्रेट के साथ, 1 अमरूद में 2 ग्राम प्रोटीन होता है। इसके पत्तों के विभिन्न स्वास्थ्य लाभ हैं। यह आपकी प्रतिरक्षा में सुधार करने में मदद करता है, लेकिन बहुत कम लोग इसके औषधीय गुणों के बारे में जानते हैं। अमरूद और इसकी पत्तियां दोनों है फायदेमंद अमरूद ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) पर कम है, कई रोग निवारण लाभ देता है, इसलिए यह डायबीटीज रोगियों के लिए हेल्दी है। अमरूद ऐंटीऑक्सिडेंट, विटमिन सी, पोटैशियम और फाइबर में अद्भुत रूप से समृद्ध है। यह पोषक तत्व सामग्री उन्हें कई स्वास्थ्य लाभ देती है। टाइप 2 डायबीटीज या प्री-डायबीटीज वाले लोगों के लिए अमरूद व इसकी पत्ती की चाय फायदेमंद हो सकती है। शुगर कंट्रोल करता है नारियल पानी वहीं नारियल पानी में धीरे-धीरे पचने वाले कार्बोहाइड्रेटस और हाई इलेक्ट्रोलाइट्स सामग्री होने के साथ ग्लाइसेमिक इंडेक्स 3 और ग्लाइसेमिल लोड 0 है , जिसकी वजह से यह आपके ब्लड शुगर को कंट्रोल रखने में मददगार होता है।
सर्दी के मौसम में आनेवाले प्रमुख फलों में शामिल है चकोतरा। धूप में बैठकर इस फल का लुत्फ उठानेवाले इसके स्वाद और इससे होनेवाले फ्रेश मूड का अनुभव जानते हैं। यह एक पौष्टिक फल है और आमतौर पर पहाड़ी मैदानों के साथ ही प्लेन्स में भी उतना ही लोकप्रिय है। - चकोतरा के जूस में विटमिन-ई, सी और ए पाए जाते हैं। साथ ही यह फल बैक्टीरियल इंफेक्शन से लड़ने में मददगार है। इसके सेवन से स्किन ग्लो करती है और पेट सही रहता है। चकोतरा को ग्रेपफ्रूट के रूप में भी जाना जाता है। यह एक रसीला फल है और इसके सेवन से शरीर में पानी की कमी नहीं होती है, जिससे सर्दियों में त्वचा में खुस्की की समस्या नहीं होती है। - चकोतरा में फैट नहीं होता और शरीर को सिर्फ जरूरी कैलोरी ही मिलती हैं। इस कारण जो लोग अपना बढ़ता हुआ वजन कम करना चाहते हैं, उन्हें भी सर्दियों में चकोतरना का उपयोग करना चाहिए। -जिन लोगों को कोलेस्ट्रॉल से जुड़ी समस्या रहती है, उन्हें एक चकोतरा रोज खाना चाहिए। जर्नल ऑफ एग्रीकल्चर ऐंड फूड केमिस्ट्री की एक रिपोर्ट के अनुसार, खराब कोलेस्ट्रॉल को ठीक करने में चकोतरा अहम भूमिका निभाता है। - दिल की बीमारियों का खतरा कम करने का काम भी चकोतरा करता है। कोलेस्ट्रॉल घटाकर यह रक्त को पतला करने में मदद करता है। इससे स्ट्रोक का रिस्क कम होता है।
डायबिटीज के मरीजों को मीठी चीजें खाने की मनाही होती है। खासतौर पर उस वक्त, जब उनका शुगर लेवल बढ़ा हुआ चल रहा हो। मीठी चीजों में केवल चीनी से बने खाद्य पदार्थ ही नहीं बल्कि मीठे फल भी शामिल हैं। आमतौर पर यह सवाल पूछा जाता है कि क्या शुगर के मरीजों को केला खाना चाहिए? आइए, यहां जानते हैं कि शुगर के मरीज कब केला खा सकते हैं और कब नहीं... विटमिन और फाइबर केला खाने से हमारे शरीर को बड़ी मात्रा में विटमिन-सी और फाइबर की प्राप्ति होती है। लेकिन साथ ही इसके बाद शरीर में ग्लूकोज की वृद्धि भी होती है, जो कि इसके मीठे स्वाद के कारण होता है। क्योंकि केले में नैचरल शुगर काफी मात्रा में होती है। ऐसे खाएं केला केला पौषण से भरपूर फल है। अगर आप शुगर की बीमारी में भी केला खाना चाहते हैं तो आप इसे सेब, अंगूर, कीवी, पपीता जैसे अन्य फलों या ड्राई फ्रूट्स के साथ मिक्स करके खाएं। आपको केवल केला खाने से बचना चाहिए। यदि आप दूसरे ऐसे फ्रूट्स जिनमें शुगर की मात्रा कम होती है या नट्स के साथ खाएंगे तो केला आपके शरीर ताकत देगा। इस पर करता है निर्भर डायबीटीज के दौरान केले का सेवन इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपकी स्थिति कैसी है? आपका शुगर लेवल क्या है? और आपको ऐसी कोई अन्य दिक्कत तो नहीं है जो केले के सेवन से बढ़ जाए? इसलिए डायबीटीज होने पर केला खाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर बात कर लें।
आज यहां बात करते हैं अपने फेफड़ों की। क्योंकि अगर एक बार खांसी शुरू हुई तो ऐसा कम ही होता है, जब वो पूरे परिवार में फैले बिना घर से विदाई ले ले। खांसी का यह सर्कल शुरू होने से पहले ही खत्म करने के लिए अपनी डायट में इन चीजों को शामिल करें... लहसुन और प्याज-लहसुन और प्याज दोनों ही ऐसी सब्जियां हैं, जो फेफड़ों यानी लंग्स को मजबूत भी बनाती हैं। प्याज और लहसुन ऐंटीऑक्सीडेंट्स और ऐंटीफंगल एस्ट्रिजेंट के रूप में काम करते हैं। जो फेफड़ों में सांस के जरिए पहुंची पलूशन पार्टिकल्स, डस्ट पार्टिकल्स और बैक्टीरिया आदि को जमा नहीं होने देते। इससे लंग्स साफ और सुरक्षित रखने में मदद मिलती है। ओमेगा थ्री फैटी एसिड -फैट या फैटी शब्द देखकर परेशान ना हों। हर फैटी चीज और फैट बुरा नहीं होता। फैटी एसिड एक ऐसा एलिमेंट है, जो हमारी फिटनेस और हेल्थ के लिए बेहद जरूरी है। यह हमें लंग्स में दिक्कत के कारण होनेवाली अस्थमा की बीमारी से भी बचाता है। -ओमेगा थ्री फैटी एसिड के लिए आपको खासतौर पर हरी फलियां, सेम की फली, दूध, पनीर, दही और अलसी के बीजों का सेवन करना चाहिए। अनार और सेब -अनार हमारे शरीर में खून बढ़ाने का काम करने के साथ ही फेफड़ों की क्लीनिंग में बड़ा रोल प्ले करता है। वहीं सेब में विटमिन ई और सी दोनों होते हैं। ये दोनों ही फल हमें लंग्स कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचाने में भी बड़ा रोल प्ले करते हैं। -अगर आप किसी ऐसे जॉब में हैं, जिसमें ट्रैवलिंग अधिक होती है या आप पूरा दिन ओपन एरिया में रहते हैं तो अपने लंग्स की सेहत के लिए आपको अपनी डेली डायट में एक अनार और एक सेब शामिल करना चाहिए। -आप इनका जूस भी पी सकते हैं। यह जूस ताजे फलों से तैयार किया हुआ होना चाहिए। बॉटल बंद या पैक्ड जूस की बात यहां नहीं हो रही है।
कैंसर अब बीमारी नहीं बल्कि महामारी बन चुका है। छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्गों और युवाओं, सभी में इस बीमारी का खतरा लगातार बना हुआ है। कैंसर की मुख्य वजह वंशानुगत कारण और खान-पान में बढ़ते पैस्ट्रिसाइट्स हैं। आज की स्थितियों को ध्यान में रखते हुए अगर बात करें तो हमारा इन दोनों स्थितियों पर ही कोई नियंत्रण नहीं है। लेकिन एक बात जो पूरी तरह हमारे कंट्रोल में है, वह है अपनी सेहत का ध्यान रखना। अपने शरीर और उसके संकेतों को समझना। आइए, आज हम बात करते हैं कोलन यानी मलाशय और बाउअल यानी बड़ी आंत में यदि कैंसर हो जाता है तो शुरुआती स्तर पेशंट को किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.. आंत और मलाशय में कैंसर के लक्षण -जिस व्यक्ति की बड़ी आंत या उसके मलाशय में कैंसर की स्थिति बन रही होती है, उसे लगातार आंत से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जैसे कभी कब्ज तो कभी दस्त हो जाना। पॉटी की स्थिति में लगातार बदलाव होते रहना आदि शामिल हैं। -मलाशय से खून आना, पॉटी करते समय ब्लीडिंग होना या पॉटी के साथ ब्लड का आना जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। पॉटी के बाद भी पेशंट को अक्सर लगता है कि उसका पेट अभी पूरी तरह साफ नहीं हुआ है। अभी अंदर मल अटका हुआ है। -कोलन और बाउअल कैंसर की स्थिति में पेशंट को हर समय पेट से संबंधित कोई ना कोई समस्या बनी रहती है। जैसे गैर, अपच, खट्टी डकार आना, पेट में मरोड़ होना आदि। ऐसा कभी नहीं होता कि पेट को लेकर सहज महसूस कर पाए। -कोलन और बाउअल कैंसर की स्थिति में व्यक्ति को हर समय थकान बनी रहती है। जबकि वह सही डायट ले रहा होता है और उसे अक्सर अपने थकने की वजह पता नहीं होती है। ऐसे लोगों का वजन तेजी से कम होने लगता है। जिसका कोई प्रत्यक्ष कारण नजर नहीं आता है। यह भी है एक स्थिति -हर पेशंट के साथ ऐसा नहीं होता है कि कोलन कैंसर या बड़ी आंत में कैंसर होने की स्थिति में उसे अपने शरीर में शुरुआती लक्षण जरूर दिखाई दें। कई केसेज में ऐसा देखने को मिला है कि मरीजों में कैंसर के लक्षण काफी बाद में सामने आते हैं। -और जब ये लक्षण सामने आते हैं, उस वक्त उनकी स्थिति की गंभीरता इस बात पर निर्भर करती है कि कैंसर आकार में कितना बड़ा है और यह बड़ी आंत के किस हिस्से में स्थित है। डॉक्टर की सलाह -अगर आपको यहां बताए गए लक्षणों में से कोई भी लक्षण अपने आपमें नजर आ रहा है तो तुरंत आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। अगर आपकी फैमिली में किसी को कैंसर रहा है तो आपको अधिक जागरूक रहने की जरूरत है। -आमतौर पर कोलन कैंसर की स्क्रीनिंग 50 साल की उम्र के आस-पास होती है। लेकिन जिन पेशंट्स के पारिवारिक इतिहास में किसी को कैंसर रहा होता है, उनमें स्क्रीनिंग की संभावना कम उम्र में भी हो सकती है। इसलिए आपकी स्थिति के अनुसार आपके डॉक्टर आपको बेहतर सलाह दे सकते हैं।
Symptoms Of Depression : डिप्रेशन में जाने के बाद व्यक्ति में दिखाई देते हैं ये खास लक्षण, ऐसे पहचानेंबॉलीवुड के जाने-माने सुपरस्टार सुशांत सिंह राजपूत का करियर अच्छा चल रहा था। कहा जा रहा था कि वह लंबे समय से डिप्रेशन का शिकार थे जिसके कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली। सुशांत एक हंसता खेलता हुआ चेहरा लिए रहते थे और कभी भी उनके चेहरे से इस बात का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता था कि वह किस परेशानी से गुजर रहे हैं। आपके आसपास भी कई ऐसे लोग होते हैं जो डिप्रेशन के शिकार हैं, लेकिन कभी भी उनके चेहरे से यह बातें सामने नहीं आ पाती और वह किसी गलत कदम को उठाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। कई रिसर्च और वैज्ञानिक शोध से जानकारी प्राप्त करने के बाद डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति में दिखने वाले कुछ खास लक्षणों के बारे में यहां बताया जा रहा है। इससे आप अपने चाहने वाले लोगों में डिप्रेशन के लक्षण को पहचान सकते हैं और उनकी मदद के लिए बिना देर किए आगे बढ़कर उन्हें डिप्रेशन से बाहर निकालने में मददगार साबित हो सकते हैं। ​तीन वर्गों में बांटे गए हैं डिप्रेशन के लक्षण डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति के अंदर साइकोलॉजिकल, फिजिकल और सोशल सिप्टम्स दिखाई पड़ते हैं। साइकोलॉजिकल लक्ष्मण की बात करें तो इसमें व्यक्ति दुखी और असहाय महसूस करता है। इतना ही नहीं, बल्कि वह किसी भी चीज के लिए अपने आप को दोषी भी मानते रहते हैं। फिजिकल सिम्टम्स में अवसाद ग्रस्त व्यक्ति थका हुआ रहता है और वह काफी धीरे बोलकर बात करते हैं। उसकी नींद में भी बदलाव हो जाता है और वह देर रात तक जगते रहते हैं। सोशल सिम्टम्स की बात करें तो ऐसे ही व्यक्ति लोगों और दोस्तों के कॉन्टेक्ट में आने से बचते हैं और समाज से जुड़ी किसी भी एक्टिविटी में भी हिस्सा नहीं लेते हैं। वह अपनी रोज की दिनचर्या में शामिल आदतों को भी छोड़ देते हैं। उन्हें परिवार के साथ समय बिताने में भी असहजता महसूस होती है। इसके अलावा भी यहां कुछ विशेष प्रकार के डिप्रेशन के लक्षणों को विस्तार में बताया जा रहा है। ​हमेशा उदास रहना डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति हमेशा उदास रहते हैं। हालांकि, किसी मजाक पर उन्हें हंसी तो जरूर आती है, लेकिन 2 मिनट में उनका चेहरा फिर उदासी में चला जाता है। कारण पूछने पर वह अक्सर कोई बहाना बनाकर इस बारे में बात करना नहीं चाहते। ऐसी स्थिति में जब भी आपको कोई व्यक्ति दिखे तो इस बात की संभावना है कि वह व्यक्ति डिप्रेशन से पीड़ित है। ​अकेले रहना डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति लंबे समय तक अकेले वक्त गुजारना ही ठीक समझते हैं। वह लोगों की भीड़ से बचते हैं और अपने आप को बंद कमरे में कैद रखना पसंद करते हैं। जब भी आपका कोई दोस्त है यार या घर का सदस्य ऐसी आदतों को अपनाने लगे तो आपको उनसे बात करनी चाहिए और उनकी परेशानी का हल निकालने के लिए हर संभव मदद करनी चाहिए। ​हमेशा तनाव में रहना डिप्रेशन से पीड़ित होने वाला व्यक्ति हमेशा किसी ना किसी बात को सोचते रहते हैं और जिसके कारण वह तनाव से भी ग्रसित रहते हैं। तनाव के कारण उनके चेहरे पर चिंता के असर को बड़ी आसानी से समझा जा सकता है। ऐसे लोगों से बातें करें और उन्हें तनाव से बाहर निकालने के लिए प्रेरित करें। कभी-कभी ज्यादा तनाव के कारण भी इंसान डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। भावनाओं में हो जाता है बदलाव डिप्रेशन से पीड़ित होने वाले व्यक्ति की भावनाएं भी बुरी तरह से बदलने लगती हैं। वह नकारात्मक रूप से सोचते हैं और लोगों के सामने भी वैसे ही बातें करते हैं। वह किसी भी बात को मानने के लिए जल्दी तैयार नहीं होते और जो बातें गलत रहती हैं उसी पर ही अडिग रहते हैं। ऐसे लोग डिप्रेशन में होने के साथ-साथ मेंटली रूप से भी काफी डिस्टर्ब हो जाते हैं।
छोटे बच्‍चों को उल्‍टी होना वाकई में चिंता का विषय है। बच्‍चों की इम्‍यूनिटी इतनी मजबूत नहीं होती है कि वो किसी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या या बीमारी से वयस्‍कों की तरह लड़ पाएं। वायरस, फूड पॉयजनिंग या मोशन सिकनेस की वजह से बच्‍चों को उल्‍टी हो सकती है। बच्‍चों में उल्‍टी को रोकने के लिए आप घरेलू उपचार की मदद ले सकते हैं। घरेलू उपाय बच्‍चों के लिए सुरक्षित और हानिकारक प्रभाव से रहित होते हैं। ​बच्चों की उल्टी का घरेलू इलाज है पानी अगर आपके बच्‍चे को लगातार उल्‍टी हो रही है तो इसकी वजह से उसके शरीर में पानी की कमी और थकान हो सकती है। शरीर में तरल पदार्थों की हो रही कमी को दूर करने के लिए बच्‍चे को तरल पदार्थ पिलाती रहें। उसे धीरे-धीरे पानी पिलाएं। अगर आप ज्‍यादा मात्रा में पानी या कोई अन्‍य तरल पिलाएंगी तो बच्‍चे को और ज्‍यादा उल्‍टी होगी। उल्‍टी खत्‍म होने के कम से कम 12 घंटे बाद ही शिशु को कोई ठोस आहार दें। तब तक आप उसे वेजिटेबल सूप दे सकती हैं। ​बच्चों की उल्टी का घरेलू उपाय अदरक का रस और शहद जी मतली और उल्‍टी रोकने के लिए अदरक बेहतरीन उपाय है। अदरक का एक टुकड़ा लेकर उसे घिस लें और फिर उसे निचोड़ कर उसका रस निकाल लें। अब इस रस में कुछ बूंदें शहद की डालें और बच्‍चे को दिन में दो या तीन बार इसे चटाएं। ​बच्चों की उल्टी रोकने का तरीका है पुदीने का रस कुछ ताजा पुदीने की पत्तियां लें और उसका रस निकाल लें। एक चम्‍मच पुदीने के रस में 1 चम्‍मच नींबू का रस मिलाकर उसमें थोड़ा सा शहद डाल दें। अब ये मिश्रण शिशु को दें। पुदीने की ताजा पत्तियां बच्‍चों में उल्‍टी और मतली को रोक सकती हैं। ​बच्चों की उल्टी का घरेलू इलाज है चावल का पानी गैस की वजह से उल्‍टी हो रही हो तो चावल के पानी से इसका इलाज किया जा सकता है। एक कप सफेद चावल लें और उसे दाे कप पानी में उबाल लें। जब पानी आधा रह जाए तो पानी को छानकर शिशु काे पिलाएं। ​बच्चों की उल्टी की देसी दवा है इलायची बच्‍चों में उल्‍टी रोकने का सबसे असरकारी उपाय है इलायची। आधी चम्‍मच इलायची के बीजों को पीस लें और इसमें थोड़ी सी चीनी मिलाकर बच्‍चों को दें। इससे शिशु की उल्‍टी रुक जाएगा। ​बच्चों की उल्टी रोकने का उपाय है एप्‍पल साइडर विनेगर एप्‍पल साइडर विनेगर में एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं जो मतली और उल्‍टी को रोकने में मददगार होते हैं। एप्‍पल साइडर विनेगर पेट को आराम देकर शरीर की सफाई करता है। एक चम्‍मच एप्‍पल साइडर विनेगर और एक चम्‍मच शहद को एक गिलास पानी में मिलाकर बच्‍चे को दिनभर में घूंट-घूंट करके पिलाएं।
पोषक की कमी के कारण बच्‍चों या शिशु में एनीमिया हो सकता है। आयरन को खून से बांधे रखने के लिए कुछ मात्रा में विटामिन सी और अधिक आयरन की जरूरत पड़ती है, लेकिन छोटे बच्‍चों में इतनी जल्‍दी डायट के जरिए एनीमिया को खत्‍म नहीं किया जा सकता है क्‍योंकि बच्‍चों का पेट छोटा होता है और जल्‍दी भर जाता है। बच्‍चों में एनीमिया के लक्षण की बात करें तो इससे ग्रस्‍त बच्‍चे की त्‍वचा पीली पड़ जाती है और थकान ज्‍यादा महसूस होने लगती है। बच्‍चों को एनीमिया से लड़ने के लिए घरेलू उपचार की मदद ली जा सकती है क्‍योंकि ये कम समय में जल्‍दी काम करते हैं। अगर आप भी अपने बच्‍चे के शरीर में खून की मात्रा बढ़ाना चाहते हैं तो यहां बताए गए बच्चों में खून बढ़ाने के उपाय आजमा सकते हैं। एक कप सेब का रस, एक कप चुकंदर का रस और 1 से 2 चम्‍मच शहद लें। इन तीनों चीजों को अच्‍छी तरह से मिक्‍स कर के बच्‍चे को दिन में दो बार पिलाएं। सेब में आयरन होता है और चुकंदर में उच्‍च मात्रा में फोलिक एसिड होने के साथ-साथ फाइबर और पोटैशियम होता है। ​पालक आधा कप उबले हुए पालक में 3.2 मि.ग्रा आयरन होता है। एक कप पानी में आधा कप पालक उबालकर उसका सूप बनाकर बच्‍चे को दें। पालक के एक गिलास जूस में दो चम्‍मच शहद डालकर पीने से भी फायदा होता है। आपको ये जूस कम से कम 40 दिनों तक रोज अपने बच्‍चे को देना है। ​टमाटर सलाद या सैंडविच में बच्‍चों को टमाटर दें। आपको अपने बच्‍चे को रोज 1 से 2 टमाटर खिलाने हैं। बच्‍चे को रोज एक गिलास टमाटर का जूस भी दे सकती हैं। टमाटर विटामिन सी और लाइकोपीन से युक्‍त होता है। विटामिन सी खाद्य पदार्थों से मिलने वाले आयरन को अवशोषित करने में मदद करता है। किशमिश किशमिश में कैल्शियम, पोटैशियम, सोडियम, प्रोटीन, फाइबर और आयरन होता है। 100 ग्राम किशमिश से बच्‍चे को 1.88 मि.ग्रा आयरन मिल सकता है। आप अपने बच्‍चे को रोज किशमिश खिलाएं। उसकी मनपसंद डिश में भी किशमिश डालकर खिला सकती हैं। अनार अनार में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट और फाइबर प्रचुरता में पाया जाता है। इसमें आयरन और कैल्शियम भी होता है। अनार आपके बच्‍चे के लिए सुपरफूड का काम कर सकता है। अगर आप चाहती हैं कि आपके बच्‍चे को एनीमिया न हो या उसके शरीर में खून की मात्रा बढ़े तो उसे रोज 200 ग्राम अनार खाली पेट अनार खिलाएं। आप उसे नाश्‍ते में एक गिलास अनार का जूस भी दे सकती हैं। ​तिल तिल भी एनीमिया का इलाज कर सकते हैं। खासतौर पर काले तिल आयरन का बेहतरीन स्रोत होते हैं। दो घंटे के लिए तिल के बीजों को भीगने के लिए रख दें। अब पानी छानकर तिल को पीसकर पेस्‍ट बना लें। इस पेस्‍ट में शहद डालकर मिलाएं। बच्‍चे को दिन में दो बार ये पेस्‍ट दलिये के रूप में खिलाएं। इसे टेस्‍टी और पौष्टिक बनाने के लिए आप इसमें बादाम, काजू और किशमिश भी डाल सकती हैं।
महंगा फेशियल नहीं, अब कद्दू का Face Pack लगाकर पाइए ग्‍लोइंग स्‍किनकद्दू एक ऐसी सब्‍जी है, जो हर घर में बनाई और चाव के साथ खाई जाती है। इसमें ढेर सारे पोषक तत्‍व पाए जाते हैं, जो आपके शरीर को रोगों से लड़ने में मदद करते हैं। । कद्दू की एक खास बात है कि आप इसे अपने चेहरे पर भी लगा सकती हैं। जी हां, इसे नियमित स्‍किन पर लगाने से स्‍किन बेदाग, चमकदार और जवां बनी रहती है। कद्दू से बना फेस पैक हर टाइप की स्‍किन के लिए बेहद प्रभावशाली माना जाता है। आज हम आपको कद्दू से बने कुछ ऐसे फेस पैक बनाना सिखाएंगे, जिससे आपकी स्‍किन पलभर में ही बेदाग, गोरी और टोन्‍ड हो जाएगी। ​1. कद्दू और दही का फेस पैक: कद्दू के कुछ छोटे पीस लें, फिर उन्‍हें अच्‍छी तरह से मैश करें और उसमें 2 बड़े चम्मच दही मिलाएं। यदि आप चाहें तो इसमें 1 चम्मच शहद भी मिला सकती हैं। अच्छी तरह से मिलाएं और चेहरे पर लगाएं और आधे घंटे के बाद धो लें। इससे आपकी स्‍किन को विटामिन का अच्‍छा डोज मिलेगा और स्‍किन चिकनी बनेगी। ​2. कद्दू, नींबू, और विटामिन ई फेस पैक: कद्दू के कुछ टुकड़े लेकर मैश करें। फिर इसमें विटामिन ई के दो से तीन कैप्सूल डालें। इसमें थोड़ा सा नींबू निचोड़ें। सब कुछ अच्छी तरह से मिलाएं और चेहरे पर लगाएं। फिर 20 मिनट के बाद चेहरा धो लें। ​3. कद्दू और अंडे का फेस पैक: थोड़ा सा कद्दू लेकर उसे मैश करें। इसमें एक अंडे का सफेद भाग डालें। एक बड़ा चम्‍मच शहद मिलाएं और चिकना पेस्ट बनाएं। चेहरे और गर्दन पर लगाकर 20 मिनट तक रखें और फिर धो लें। इससे आपका चेहरा टोन्‍ड और चमकदार बनेगा। ​4. कद्दू और ओटमील फेस पैक: यह एक प्रभावी एक्सफोलीएटिंग फेस पैक है, जो स्‍किन से डेड सेल्‍स को निकालता है। इस फेस पैक को बनाने के लिए कद्दू के कुछ टुकड़ों को पीस लें और उसमें 1 बड़ा चम्मच ओटमील पाउडर और 1 बड़ा चम्मच शहद मिलाएं। अच्छी तरह से मिक्‍स करने के बाद चेहरे पर लगाएं। 30 मिनट के बाद फेस क्‍लीन कर लें। नियमित उपयोग से चेहरा चमकदार और गोरा बनेगा। ​5. कद्दू और दालचीनी फेस पैक: उबले हुए कद्दू के 3 से 4 क्यूब्स लें, उसमें 1 टेबलस्पून शहद, 1 बड़ा चम्मच दूध, 1/2 टेबलस्पून दालचीनी पाउडर मिलाकर पेस्‍ट बनाएं। इस पैक को साफ चेहरे पर लगाकर 15 मिनट के लिए छोड़ दें। फिर गुनगुने पानी से चेहरा धो लें। यह एक बहुत ही हाइड्रेटिंग फेस पैक है, जो चेहरे का ब्‍लड सर्कुलेशन बढ़ाकर चेहरे को निखारता है।
अपने घर, दोस्त या आस-पास के लोगों में से किसी को भी देख लीजिए। जब भी नाश्ता स्टोर करने की बात आती है, सब तेजी से फ्रिज की तरफ दौड़ पड़ते हैं... बिना यह जाने-समझे कि इस नाश्ते को फ्रिज में रखने की जरूरत है भी या नहीं! यहां जानिए उन नाश्ते में खाए जानेवाले उन 5 फूड्स के बारे में, जो रूम टेंप्रेचर पर अधिक समय तक सही और स्वादिष्ट रहते हैं... जी हां, चौंकिए मत लेकिन आप जो ब्रेड मार्केट से लेकर आते हैं क्या कभी उसे ग्रॉसरी स्टोरी या किराना स्टोर में फ्रिज के अंदर रखे हुए देखा है? नहीं देखा होगा... क्योंकि ब्रेड रूम टेंप्रेचर पर ही ठीक रहती है। वहीं अगर आप इसे फ्रिज में रख देते हैं तो यह सूख जाती है और सख्त हो जाती है। इससे इसका स्वाद भी बदल जाता है, जो इसे पहले से कम टेस्टी बना देता है। अगर आप ब्रेड को उसके पैकेट पर दी गई एक्सपाइरी डेट के अंदर ही उपयोग में लाते हैं तो ब्रेड को फ्रिज में रखने की कोई जरूरत नहीं होती है। शहद को फ्रिज में नहीं रखते हैं -ज्यादातर लोग इस बात को नहीं जानते हैं कि शहद को यदि फ्रिज में स्टोर किया जाए तो यह टेस्ट और टेक्सचर दोनों तरीके से बदल जाता है। शहद को फ्रिज में रखने पर यह क्रिस्टलाइज्ड हो जाता है। किसी ठोस और पारदर्शी पत्थर की तरह दिखने लगता है। -इसके साथ ही खाने में इसका उपयोग करना काफी मुश्किल हो जाता है और इसका स्वाद भी बदल जाता है। इसलिए शहद को हमेशा कमरे के तापमान पर ही रखना चाहिए। अगर कभी शहद को निकालने में मुश्किल हो तो इसके जार को कुछ देर के लिए गर्म पानी में रख दीजिए। शहद पिघल जाएगा नट्स -अपने आस-पास के लोगों की आदत पर यदि गौर करेंगे तो पाएंगे कि ऐसे लोग बड़ी संख्या में मौजूद हैं, जो नट्स यानी सूखे मेवे भी फ्रिज में स्टोर करते हैं। जबकि ड्राई फ्रूट्स को फ्रिज की कोई जरूरत नहीं होती है। -नट्स बिना फ्रिज के भी कई महीनों तक सुरक्षित रखे रहते हैं। बस जरूरत है कि आप इन्हें सूखे और कोल्ड प्लेस पर रखें, जहां सूरज सीधी रोशनी ना आती हो। इसके साथ ही इन्हें पन्नी या प्लास्टिक की जगह कांच के जार में रखेंगे तो ये लंबे समय तक फ्रेश बने रहेंगे। चॉकलेट हेज़लनट स्प्रेड -आप बाजार से टोस्ट, ब्रेड या बन के साथ खाने के लिए जैम, स्प्रेड या सॉस जैसी चीजें लेकर आते हैं तो इन्हें फ्रिज में रखने से पहले इनके लेबल पर लिखे स्टोरेज टिप्स ध्यान से पढ़ लें। -क्योंकि ऐसे ज्यादातर फूड्स को फ्रिज में स्टोर करने की कोई जरूरत नहीं होती है। ये बिना फ्रिज के ड्राई प्लेस पर स्टोर किए जा सकते हैं। यहां तक कि कुछ फूड्स का टेस्ट को फ्रिज में रखने के कारण बदल भी जाता है। ब्रेड को फ्रिज की जरूरत नहीं!
Dark Neck Remedy: काली गर्दन हो जाएगी 15 मिनट में साफ, नहाने से पहले लगाएं ये चीजेंचेहरे और गर्दन की त्‍वचा का रंग जब अलग-अलग नजर आता है, तो शर्मिंदगी महसूस होने लगती है। गर्मियों के दिनों में जब पसीने की वजह से गर्दन पर मैल जमने लगती है, तो वहां कि स्‍किन काली पड़ जाती है। ऐसे में आप उबटन या स्‍क्रब लगाकर उसे साफ कर सकती हैं। आज हम आपको गंदी और काली गर्दन को साफ करने के कुछ प्रभावी घरेलू उपचार बताने जा रहे हैं। जिसे रोजाना आजमा कर आप अपनी गर्दन को साफ और गोरा बना सकती हैं। बताए गए इन पैक्‍स को स्‍किन पर मात्र 15 से 20 मिनट तक ही लगाना है। बाद में इसे हल्‍के हाथों से रगड़ कर साफ करने पर आपकी स्‍किन टोन में निखार आ जाएगा। तो चलिए जानते हैं इनके बारे में... ​बेकिंग सोडा बेकिंग सोडा गंदगी और डेड स्‍किन को हटाने में बहुत मददगार है। लंबे समय तक इसके यूज से आपकी स्‍किन में चमक भी आ सकती है क्‍योंकि यह स्‍किन को अंदर तक पोषण देता है। इसका पेस्‍ट बनाने के लिए बेकिंग सोडा और पर्याप्त पानी लें। इस पेस्ट को गर्दन पर लगाएं और सूखने दें। एक बार पूरी तरह से सूख जाने के बाद, गीली उंगलियों का उपयोग करके इसे साफ करें। बाद में अपनी त्वचा को अच्छी तरह से मॉइस्चराइज करें। जब तक आपको अच्‍छा रिजल्‍ट न मिले, तब इसे हर दिन दोहराएं। ​एप्पल साइडर विनेगर एप्पल साइडर विनेगर त्वचा के PH लेवल को संतुलित करता है, जिससे यह एक प्राकृतिक चमक देता है। साथ ही यह डेड स्‍किन को हटाता है। एप्पल साइडर विनेगर के 2 बड़े चम्मच में लगभग 4 बड़ाा चम्मच पानी मिलाएं। फिर इसे रूई की मदद से गर्दन पर लगाएं और 10 मिनट के लिए छोड़ दें। ऐसा हर दूसरे दिन करें। इसे धोने के बाद अपनी स्‍किन को मॉइस्चराइज करें। ​डार्क नेक के लिए आलू का जूस आलू में ब्लीचिंग गुण पाए जाते हैं जो त्वचा की टैनिंग को कम करता है। यह डार्क पैच को हटाने में भी मदद करता है। एक छोटा आलू लें और इसे कद्दूकस कर लें। अब इसे छानकर इसके रस को अपनी गर्दन पर लगाएं। बाद में इसे गुनगुने पानी से धो लें। आप इसे हर दिन दो बार दोहरा सकती हैं। ​डार्क नेक के लिए दही दही में प्राकृतिक एंजाइम होते हैं, जो नींबू के साथ मिलाने पर स्‍किन का टोन हल्‍का करते हैं। इस पेस्‍ट को बनाने के लिए 2 बड़े चम्मच दही में एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर गर्दन पर लगाएं। इसे लगभग 20 मिनट तक छोड़ दें और फिर पानी से साफ कर लें। ​डार्क नेक के लिए उबटन बनाएं उबटन में प्रयोग किया जाने वाला आटा त्वचा को एक्सफोलिएट करने में मदद करता है और अशुद्धियों मिटाकर पोर्स को टाइट करता है। इसे बनाने के लिए एक कटोरी में लगभग 2 बड़े चम्मच बेसन, हल्दी का एक चम्मच, आधा चम्मच नींबू का रस और गुलाब जल लें और पेस्‍ट बनाएं। इस पेस्‍ट को गर्दन पर लगाएं और लगभग 15 मिनट तक छोड़ दें। सूखने के बाद इसे गुनगुने पानी से धो लें। आप इसे हफ्ते में कम से कम दो बार लगा सकती हैं।
Benefits Of Coconut Milk : नारियल का दूध भी देगा कमाल के फायदे, इन 6 रोगों से रहेंगे सुरक्षितस्वस्थ रहने के लिए हमें गाय, भैंस और बकरी आदि का दूध पीना कितना जरूरी होता है, यह बात तो डॉक्टरों के मुंह से आपने भी बहुत बार सुनी होगी। इसके अलावा हमारे आस-पास कई अन्य प्रकार के दूध भी उपलब्ध होते हैं, जो हमारी सेहत के लिए रोगों से दूर रखते हुए सुरक्षा कवच का काम करते हैं। एक ऐसे ही फल के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसके दूध के फायदे आप को कई बीमारियों से दूर रख सकते हैं। हम बात कर रहे हैं नारियल के दूध के फायदे के बारे में, जिसका सेवन करने के कारण नीचे बताई जा रही कई गंभीर बीमारियों से बचे रहने में मदद मिल सकती है। आइए इसके बारे में विस्तारपूर्वक जानते हैं। ​प्रोस्टेट कैंसर से रखेगा दूर प्रोस्टेट कैंसर के कई सारे कारण होते हैं, लेकिन कुछ हानिकारक दूध को पीने से भी प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार भी इस बात की पुष्टि की जा चुकी है। कई रिसर्च में इस बात का दावा किया जाता है कि नारियल के दूध का सेवन करने के कारण प्रोस्टेट कैंसर होने का खतरा कई गुना तक कम हो सकता है। फिलहाल वैज्ञानिक अभी भी इस पर अध्ययन कर रहे हैं। ​डायबिटीज का जोखिम होगा कम डायबिटीज जैसी बीमारी की चपेट में आने के बाद इंसान के शरीर का इम्यून सिस्टम भी काफी कमजोर हो जाता है। इसके कारण वह कई अन्य प्रकार की बीमारियों की चपेट में भी आ सकता है। जबकि नारियल के दूध में एंटी डायबिटिक गुण मौजूद होता है, जो डायबिटीज के चपेट में आने से बचाए रखने के साथ-साथ इसके कारण होने वाले जोखिम के खतरे को भी कई गुना तक कम कर सकता है। इसलिए इस विशेष गुण को ध्यान में रखते हुए आप नारियल के दूध का सेवन कर सकते हैं। ​वजन होगा कम नारियल के दूध से मोटापे की समस्या को भी कम करने में काफी मदद मिलेगी। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार इसमें विशेष प्रकार के फैटी एसिड पाए जाते हैं जो वजन को घटाने में सक्षम होते हैं। इसलिए नारियल के दूध का सेवन करके वजन को घटाने में मदद मिल सकती है। आपको बता दें कि बढ़े हुए वजन के कारण कैंसर और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कई गुना तक बढ़ जाता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए अपने वजन को कम करने के लिए आप वेट लॉस टिप्स को अपना सकते हैं और नारियल के दूध का सेवन भी कर सकते हैं। ​मुंह के छालों को ठीक करे मुंह के छालों से अक्सर वह लोग ज्यादा परेशान हो जाते हैं जिनका पेट ठीक तरह से साफ नहीं होता है। इसलिए मुंह के छालों की समस्या से बचे रहने के लिए सबसे पहले अपने पेट की सफाई पर विशेष ध्यान दें। इसके अलावा घरेलू उपचार के रूप में आप नारियल के दूध का सेवन कर सकते हैं जो अल्सर की समस्या को कम करने का विशेष गुण रखता है। इसका सेवन करने से आपको सकारात्मक लाभ खुद ही महसूस होगा। ​बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाए बदलते हुए मौसम में या फिर दूषित भोजन के कारण बैक्टीरियल संक्रमण कभी भी आपको अपना शिकार बना सकता है। इसलिए अपने खान-पान पर विशेष ध्यान दें और एंटीबैक्टीरियल फूड्स को भी अपने खाने में जरूर शामिल करें। नारियल के दूध में भी एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटीफंगल जैसे गुण पाए जाते हैं। यह गुण आपको विभिन्न प्रकार के संक्रमण और रोगों से बचाए रखने के लिए काफी प्रभावी रूप से कार्य करेंगे। ​त्वचा को दे नमी त्वचा में नमी बनाए रखना बहुत जरूरी होता है। यह न केवल हमारे शरीर पर बढ़ती हुई उम्र के प्रभाव को कम करता है बल्कि स्किन के रूखेपन से भी हमें निजात मिलती है। नारियल के दूध को पीने से त्वचा को नम बनाए रखने में काफी मदद मिलती है। इसमें मॉइस्चराइजिंग का गुण पाया जाता है। इस कारण आप भी इसका सेवन करके अपनी त्वचा में नमी और चमक बनाए रख सकते हैं। आप चाहें तो फेस पैक के रूप में भी इसके दूध का इस्तेमाल कर सकते हैं।
हेयर ग्रोथ एक बेहद स्‍लो प्रोसेस है। दो इंच बाल बढ़ाने के लिए भी आपको महीने लग सकते हैं। इससे पहले की बाल लंबे होते हैं, इन्‍हें ट्रिंम कराने का समय आ जाता है। बाल बढ़ाने के लिए लोग कई उपाय करते हैं। जिसमें से बालों में रोज तेल लगाने से लेकर हेयर पैक लगाना शामिल है। पर क्‍या आप जानते हैं कि पालक से भी बालों की ग्रोथ बढ़ाई जा सकती है। हम सभी जानते हैं कि पत्तेदार सब्जी में पौष्टिकता अधिक होती है और यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है। पालक को हेयर पैक के तौर पर इस्‍तेमाल कर के बालों का विकास किया जा सकता है। यहां जानें, इसके इस्‍तेमाल से हेयर पैक बनाने की विधि- ​पालक हेयर पैक बनाने की सामग्री- 1 कप पालक की पत्तियां 1 बड़ा चम्मच शहद 1 बड़ा चम्मच जैतून, नारियल या अरंडी तेल हेयर पैक बनाने की विधि - एक ब्लेंडर सभी सामग्रियों को डालकर पेस्‍ट बना लें। इस पेस्ट को अपने स्कैल्प और पूरे बालों पर लगाएं। जब बाल पालक से पूरी तरह से ढंक जाएं, तो इसे 30 मिनट से एक घंटे के लिए छोड़ दें। पालक हेयर पैक को सल्फेट-फ्री शैंपू से धोएं। बाल धोने के लिए ठंडे/ गुनगुने पानी का प्रयोग करें। इस पैक को हफ्ते में 1 या 2 लगाने से अच्‍छा असर दिखाई देगा। ​पालक का हेयर पैक कैसे करता है मदद इस पैक में मिलाया गया शहद और तेल बालों में पोषक तत्वों और नमी को सील करने में मदद करते हैं। इससे बाल हेल्‍दी और डैमेज होने से बचते हैं। यह बालों की ग्रोथ को बढ़ावा देता है और ब्‍लड सुर्केलेशन बढ़ाता है। ​बालों के लिए ऑलिव, कोकोनट और कैस्‍टर ऑयल कैसे है फायदेमंद इन सभी तेलों में एंटी-बैक्‍टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो स्‍कैल्‍प को हेल्‍दी बनाने में मदद करते हैं। यह स्प्लिट एंड्स को कम करने और रोकने में मदद करते हैं। यही नहीं ये तीनों ही तेल बालों के विकास को बढ़ावा देते हैं। ​बालों के लिए शहद कैसे है फायदेमंद शहद को बालों के विकास को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। शहद में ढेर सारे एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो आपकी स्‍कैल्‍प और बालों को हेल्‍दी रखने में मदद करते हैं। शहद में प्रोटीन, मिनरल्‍स और विटामिन पाए जाते हैं, बालों की जड़ों को मजबूत करते हैं, उन्‍हें झड़ने से बचाते हैं और गंजापन से छुटकारा दिलाते हैं।
नई दिल्‍ली भारतीय वैज्ञानिकों ने कुछ हर्बल पौधों में ऐसे कम्‍पाउंड पाए हैं जिनसे कोरोना वायरस का इलाज किया जा सकता है। यह दावा हिसार के नैशनल रिसर्च सेंटर ऑन इक्‍वॉइन्‍स (NRCE) के वैज्ञानिकों का है। NRCE इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्‍चरल रिसर्च (ICAR) के तहत आने वाला संस्‍थान है। ICAR ने शुक्रवार को इस रिसर्च की फाइंडिग्‍स पर फॉर्मल नोट जारी किया। इससे वैज्ञानिकों के लिए कोविड-19 मरीजों के इलाज का कोई रास्‍ता निकल सकता है। लिखें NRCE के डेप्युटी डायरेक्‍टर जनरल (एनिमल साइंस) बीएन त्रिपाठी ने टीओआई को बताया कि यह ऐसी लीड है जिसने NRCE के साइंटिस्‍ट्स को कई वायरस के खिलाफ अच्‍छे नतीजे दिए हैं। हालांकि उन्‍होंने उन पौधों के बारे में इस वक्‍त बताने से मना कर दिया। त्रिपाठी ने कहा, 'इस वक्‍त मैं यही बता सकता हूं कि वे हर्बल प्‍लांट्स फिलहाल देश में कई आयुर्वेदिक दवाएं बनाने में इस्‍तेमाल हो रहे हैं।' मुर्गियों पर दिखा पॉजिटिव असर ICAR का नोट कहता है, 'प्रीलिम्‍नरी स्‍टडी में एक नैचरल प्रॉडक्‍ट (VTC-antiC1) ने IBV कोरोना वायरस के खिलाफ अच्‍छे नतीजे दिए हैं।' इसमें कहा गया कि गंभीर IBV इन्‍फेक्‍शन से मुर्गियों के भ्रूण को बचाने में वह दवा सफल रही। इस प्रॉडक्‍ट ने कुछ अन्‍य RNA और DNA वायरस के खिलाफ भी असर दिखाया है। ICAR ने इसी के आधार पर दावा किया है कि VTC-antiC1 में कोरोना वायरस का इलाज करने की क्षमता है। क्‍यों नहीं मिल पा रही कोरोना की दवा कोरोना को कंट्रोल करने के लिए फिलहाल न तो कोई दवा और न ही कोई टीका उपलब्ध है। परंपरागत रूप से एंटी वायरल दवाओं को विकसित करते समय वायरस के किसी एक प्रोटीन को टारगेट किया जाता है। लेकिन वायरस की अपने आप में तेजी से और लगातार परिवर्तन करने की अपनी क्षमता ऐसी दवाओं को बेअसर कर देती है।
अलसी में स्‍वास्‍थ्‍य को लाभ पहुंचाने वाले अनेक गुण मौजूद होते हैं। अब तो अलसी को सुपरफूड कहा जाने लगा है। अलसी बीज, तेल, पाउडर, गोली, कैप्‍सूल और आटे के रूप में उपलब्‍ध है और कब्‍ज, डायबिटीज, हाई कोलेस्‍ट्रोल, हृदय रोग, कैंसर एवं कई अनेक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं से बचने के लिए डायट्री सप्‍लीमेंट के रूप में अलसी का इस्‍तेमाल किया जाने लगा है। आइए जानते हैं अलसी के पोषक तत्‍वों और स्‍वास्‍थ्‍य लाभों के बारे में। अलसी के पोषक तत्व एक चम्‍मच पिसी हुई अलसी 7 ग्राम होती है और इसमें 1.28 ग्राम प्रोटीन, 2.95 ग्राम फैट, 2.02 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 1.91 ग्राम फाइबर, 17.8 मि.ग्रा कैल्शियम, 27.4 मि.ग्रा मैग्‍नीशियम, 44.9 मि.ग्रा फास्‍फोरस, 56.9 मि.ग्रा पोटैशियम, 6.09 माइक्रोग्राम फोलेट और 45.6 माइक्रोग्राम ल्‍यूटिन और जीएक्‍सेंथिन होता है। अलसी खाने का तरीका अलसी के बीजों को साबुत खाने से बचना चाहिए, क्‍योंकि आंतें इसके पोषक तत्‍वों को सोख नहीं पाती हैं। अलसी को पीसकर खाना सही रहता है। कच्‍ची और अधपकी अलसी न खाएं क्‍योंकि इनमें विषाक्‍त तत्‍व होते हैं। पाचन संबंधी परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए पर्याप्‍त पानी पिएं और पिसी हुई अलसी खाएं। अलसी के तेल की छोटी बोतल ही खरीदें और इसकी बोतल का रंग गहरा होना चाहिए। आप इसे फ्रिज में रखें क्‍योंकि ये तेल जल्‍दी खराब हो जाता है। एक्‍पायर होने के बाद अलसी के तेल का इस्‍तेमाल न करें। अलसी खाने केफायदे अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है और रिसर्च की मानें तो ये कई प्रकार की कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोक सकता है। इनमें लिगनेन एंटीऑक्‍सीडेंट भी होता है जो नई रक्‍त वाहिकाओं को बनने से रोक कर ट्यूमर के बढ़ने की गति को धीमा कर देता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, ज्‍यादा फाइबर और ओमेगा-3 खाने से ह्रदय दुरुस्‍त रहता है। लिगनेन भी ह्रदय रोगों से बचाता है। इसमें फाइटोस्‍टेरोल होता है जो आंतों में कोलेस्‍ट्रोल को अवशोषित होने से रोकता है। अर्थराइटिस फाउंडेशन की मानें तो अलसी जोड़ों में दर्द और अकड़न को कम करने में मदद कर सकती है। कुछ लोग रुमेटाइड आर्थराइटिस, लुपस के लिए भी अलसी का सेवन करते हैं। वर्ष 2007 में शोधकर्ताओं की टीम ने रिसर्च के परिणाम प्रस्‍तुत करते हुए कहा था कि अलसी महिलाओं में रजोनिवृत्ति के दौरान हॉट फ्लैशेज की गंभीरता को कम करने में मदद कर सकती है। अलसी के बीजों में अघुलनशील फाइबर भी होते हैं जो पानी में घुलते नहीं है और खाने के बाद पाचन मार्ग में ही रहते हैं। इस तरह यह पानी को सोख लेता है और कब्‍ज से राहत दिलाते हैं। अगर अलसी के सेवन के दौरान पानी कम पिया जाए तो कब्‍ज की स्थिति और खराब हो सकती है। अलसी इतने गुणों और पोषक तत्‍वों से भरपूर है कि आयुर्वेदिक दवाओं में संपूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार लाने, त्‍वचा के पीएच स्‍तर को संतुलित रखने, दीर्घकालिक स्थितियों जैसे कि डायबिटीज, एथेरोस्‍केलेरोसिस और आर्थराइटिस को रोकने एवं कैंसर से बचने के लिए इसका इस्‍तेमाल किया जाता है।
आज कल बूढ़े हों या फिर नौजवान, बालों के सफेद होने की समस्‍या हर किसी को परेशान कर रही है। वो लोग जो बाल काला करने के लिए बाजार की डाई का प्रयोग नहीं करना चाहते हैं, वो घर पर ही एक असरदार तेल तैयार कर सकते हैं। यह तेल कई प्राकृतिक चीजों से मिलकर बनाया जा सकता है। इस तेल को लगाने से बाल कुछ ही समय में काले-घने और मुलायम हो जाएंगे। इस तेल में प्रयोग की जाने वाली सभी सामग्रियां आसानी से घर पर ही मिल जाएंगी। इस तेल को बनाने में भी ज्‍यादा वक्‍त नहीं लगता। तो अगर आप इस लॉकडाउन के समय अपने बालों की नेचुरल केयर करना चाहती हैं, तो यहां जानें इस मैजिकल ऑयल को बनाने और लगाने का तरीका... ​तेल बनाने की सामग्री- सरसों का तेल - 6 चम्‍मच कलौंजी- 1 चम्‍मच मेथी दाना- 1 चम्‍मच आंवला पाउडर- 1 चम्‍मच हिना पाउडर- 1 चम्‍मच लोहे की कढ़ाई तेल बनाने की विधि- सबसे पहले कलौंजी और मेथी दाने को पीस लें। फिर गैस पर कढ़ाई चढ़ाएं और आंच को धीमा रखें। अब इसमें सरसों का तेल डालें। जब तेल गुनगुना हो जाए तब इसमें कलौंजी, मेथी और आंवला पाउडर डालें। जब सारी सामग्रियां पकना शुरू हो जाएं, तब इसमें हिना पाउडर मिक्‍स करें। इसे कुछ देर के लिए पकाएं और फिर गैस बंद कर दें। कढ़ाई को 15 मिनट के लिए ढंक कर रख दें। उसके बाद इसे कांच के कंटेनर में छान कर भर लें। ​कैसे लगाएं इस हेयर ऑयल को नहाने से एक घंटे पहले लगाना है। या फिर अगर आप चाहें तो इसे ओवरनाइट भी लगाकर रख सकते हैं। इस तेल को बालों की जड़ों से लेकर अंत तक लगाना है। यदि गर्मियों का समय है तो बालों को नॉर्मल पानी से धोएं और अगर सर्दियों के दिन हैं, तो इसे गुनगुने पानी से धोएं। ​हिना के फायदे ​सरसों के तेल में हिना यानि मेहंदी को पकाकर उसका मिश्रण लगाने से बालों में मजबूती आती है और वो काले होते हैं। क्योंकि यह बालों को मोटा करती है और उन्हें वॉल्यूम देती है। ​कलौंजी और मेथी से होते हैं ये फायदे कलौंजी में एंटी-इनफ्लामेटरी, एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज होती हैं, जो कि हर तरह के बैक्टीरिया, गंदगी और वायरस से बालों के स्कैल्प को बचाती हैं। यह बालों की ग्रोथ बढ़ाती है और उन्‍हें काला भी करती है। वहीं, मेथी दाना में प्रोटीन की मात्रा बहुत अधिक होती है। जो बालों की जड़ों में डैंड्रफ नहीं होने देता और हेयर फॉल को रोकता है। ​बालों को ऐसे फायदा पहुंचाता है सरसों तेल हफ्ते में कम से कम दो बार शुद्ध सरसों का तेल लगाने से बाल न सिर्फ काले होते हैं बल्‍कि आप गंजे होने से भी बचे रहेंगे। दरअसल सरसों के तेल में जिंक, फोलेट और सेलेनियम की मात्रा पाई जाती है। यह बालों की जड़ों को मजबूत बनाते हैं और उन्हें टूटने से रोकते हैं। ​आंवले के गुण बालों की अलग-अलग समस्‍याओं के लिए आप आंवले का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। यह एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है, जिससे बाल स्‍वस्‍थ, लंबे और काले बने रहते हैं। यदि आपको रूसी की समस्‍या है, तो इस तेल में नीम की पत्‍तियां या फिर नींम का तेल डाल सकते हैं। तेल को हमेशा कांच के बर्तन में ही रखें। स्‍टील के बर्तन में इसे रखने से तेल के काफी सारे गुण नष्‍ट हो जाते हैं।
आयुर्वेद हमारी कई स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करने के लिए प्रभावी असर दिखाता है। यही वजह है कि बड़े पैमाने पर लोग आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का सहारा लेकर कई बीमारियों से ठीक भी हो जाते हैं। बीमारियों से बचे रहने के लिए सबसे जरूरी है कि आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनी रहे। रोग प्रतिरोधक क्षमता अगर मजबूत बनी रहती है तो यह हमें कई प्रकार की संक्रामक बीमारियों से भी सुरक्षा प्रदान करती है। सर्दी, खांसी और बुखार जैसी स्थिति मजबूत इम्युनिटी वाले लोगों को जल्दी नहीं परेशान करती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनाने के लिए हम कई प्रकार के ड्रिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं। आज आपको यहां पर एक खास आयुर्वेदिक ड्रिंक के बारे में बताया जा रहा है जिसे आप घर पर बनाकर पी सकते हैं।इससे आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी प्रभावी रूप से मजबूत हो सकती है। छुहारा और बादाम से तैयार करें ये ड्रिंक छुहारा और बादाम दो ऐसे ड्राई फ्रूट है, जिन्हें हम आमतौर पर घर में बनने वाले किसी व्यंजन में जरूर इस्तेमाल करते हैं। इसे ड्राई फ्रूट के रूप में भी खाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जबकि रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए छुहारा और बादाम का सेवन फायदेमंद भी माना जाता है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन के अनुसार, छुहारा और बादाम दो ऐसे ड्राई फ्रूट हैं जो इम्यून सेल्स को मजबूत बनाने की विशेष क्षमता रखते हैं। इसका सेवन नियमित रूप से करने वाले लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी काफी मजबूत मानी जाती है। जबकि ड्रिंक के रूप में अगर आप इसका इस्तेमाल करते हैं तो यह आपकी इम्युनिटी को और भी तेजी से मजबूत कर सकता है। खासकर कोरोना वायरस संक्रमण के इस दौर में हम रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाकर ही, अपने शरीर को संक्रमण से लड़ने की ताकत बढ़ा सकते हैं और संक्रमण की चपेट में आने से भी बचे रह सकते हैं। आइए जानते हैं कि इस ड्रिंक को कैसे तैयार करना है? सामग्री - 1 गिलास के लिए 3-4 पानी में भीगे हुए छुहारे 3-4 पानी में भीगे हुए बादाम 1 गिलास दूध बनाने की विधि भिगोकर रखे गए बादाम और छुहारे को पानी से निकालकर इन्हें अच्छी तरह धुल लें। अब ग्राइंडर में बादाम व छुहारे को डालें और थोड़ा सा दूध मिला दें। ग्राइंडर को कम से कम 5 मिनट तक चलाएं ताकि बादाम और छुहारा बारीक टुकड़ों में बन जाएं। बचा हुआ दूध इसमें मिलाकर कम से कम 3 मिनट तक ग्राइंडर को चला दें। अब आपकी ड्रिंक तैयार है। इसे गिलास में निकालकर आप इसका सेवन कर सकते हैं। रात को सोने से पहले इस ड्रिंक का सेवन करने से आपको अच्छी नींद भी आएगी।
Weight loss: नींबू पानी में गुड़ डालकर पीने से जल्‍द कम होगा Belly Fat, जानें बनाने का तरीकाफिट और हेल्दी बॉडी के लिए एक्सरसाइज के साथ ही अच्छी डाइट भी बेहद जरूरी है। अगर आप तीन टाइम अच्छा भोजन करके संतुष्ट हैं, तो मोटापा कम करने के लिए इतना ही पर्याप्त नहीं है। बल्कि वजन घटाने के लिए अपनी स्नैकिंग हैबिट, भोजन करने के समय के साथ ही शरीर को हाइड्रेट करने पर भी ध्यान देना चाहिए। दरअसल अपने आहार में बदलाव करने से न सिर्फ मेटाबोलिज्म में सुधार होता है बल्कि पेट की चर्बी भी घटती है। इससे वजन भी कंट्रोल होता है और बॉडी स्लिम नजर आती है। वजन घटाने के लिए गुड़ और नींबू पानी एक ऐसा ही आयुर्वेदिक तरीका है। रोजाना इसका सेवन करने से बॉडी फैट कम होता है और मोटापा घटता है। ​गुड़ के फायदे शक्कर की अपेक्षा गुड़ सेहत के लिए अधिक फायदेमंद होता है। इसमें कम मात्रा में कैलोरी होती है। गुड़ एंटीऑक्सीडेंट, जिंक और सेलेनियम से भरपूर होता है जो इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करता है और मुक्त कणों से कोशिकाओं को डैमेज होने से बचाता है। सिर्फ इतना ही नहीं, गुड़ शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और मेटाबोलिज्म को मजबूत बनाता है। भोजन के ठीक बाद एक छोटा टुकड़ा गुड़ खाने से भोजन आसानी से पच जाता है। इसके अलावा गुड़ श्वसन और पाचन तंत्र की सफाई के लिए भी अच्छा है। ​नींबू के फायदे नींबू में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। नींबू का रस शरीर को हाइड्रेट रखता है और मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है। एक रिसर्च के अनुसार नींबू में पाया जाने वाला पॉलीफिनोल एंटीऑक्सीडेंट वजन को नियंत्रित रखने में मदद करता है। पॉलीफिनोल एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करके एचडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाता है। जबकि नींबू में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट मुक्त कणों से कोशिकाओं को डैमेज होने से बचाता है। ​कैसे करें गुड़ और नींबू पानी का सेवन? नींबू और गुड़ दोनों पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। सदियों से वजन घटाने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन नींबू और गुड़ का एक साथ सेवन करना अधिक फायदेमंद होता है। एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच नींबू का रस और एक छोटा टुकड़ा गुड़ मिलाएं। पानी में गुड़ जब पूरी तरह घुल जाए तब इसका सेवन करें। वजन घटाने के लिए यह एक बेहतर विकल्प है। वजन कम करने के लिए रोजाना सुबह खाली पेट एक गिलास गुड़ और नींबू पानी का सेवन करना फायदेमंद होता है। आप स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें पुदीने की पत्तियां भी मिला सकते हैं। यह ध्यान रखें कि कम मात्रा में गुड़ मिलाएं ताकि पानी का स्वाद अधिक मीठा न हो सके।
आजकल 30 से 35 की उम्र के बीच ही लोगों को हड्डियों और जॉइंट पेन से जुड़ी दिक्कतें होने लगी हैं। पहले ऐसा आमतौर पर 55 की उम्र के बाद देखने को मिलता था। लेकिन अब अगर समस्याएं कम उम्र में घेर रही हैं तो हमें अपने बचाव के तरीके भी कम उम्र में ही अपनाने होंगे। आइए जानते हैं कि हड्डियों को मजबूत बनाए रखने और जॉइंट पेन से बचने के लिए क्या करना चाहिए... क्या है आज की जरूरत? -35 साल की उम्र तक आते-आते युवाओं के शरीर में कैल्शियम डायट की जरूरत बढ़ रही है। इसकी कुछ खास वजहों में लॉन्ग टाइम सिटिंग या स्टैंडिंग जॉब, शारीरिक गतिविधियों की कमी और बैलंस डायट का ना ले पाना शामिल है। -इसलिए हेल्दी लाइफ के लिए महिलाओं और पुरुषों दोनों को ही 30 की उम्र के बाद या कहिए कि लेट 20's से ही अपनी बॉडी को लेकर एक्स्ट्रा केयरफुल होने की जरूरत है। ताकि बढ़ती उम्र के साथ उनके शरीर में रोगों और दर्द की संख्या ना बढ़े। क्यों हो जाती है कैल्शियम की कमी? -30 साल की उम्र के बाद महिलाओं के शरीर में प्राकृतिक रूप से कैल्शियम की कमी होने लगती है। इससे उनकी हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और कमर दर्द जैसी समस्याएं शुरू होने लगती हैं। -लेकिन बदलती जीवनशैली के बीच अब पुरुषों में भी इस उम्र में कैल्शियम की कमी होने लगी है। कैल्शियम की कमी के अतिरिक्त शरीर में एस्ट्रोजन हॉर्मोन की कमी भी महिलाओं और पुरुषों में हड्डियों की कमजोरी का बड़ा कारण होता है। जानें कितना घटा है समय? -पुरुषों और महिलाओं के शरीर में कैल्शियम की एक्स्ट्रा डोज की जरूरत का वक्त कुछ समय पहले तक अलग था। लेकिन बदली हुई लाइफस्टाइल ने हमारी बीमारियों को शरीर की जरूरतों को भी बदल दिया है। यही कारण है कि आज ना केवल महिलाओं बल्कि पुरुषों को भी 30 से 35 की उम्र में हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए अतिरिक्त कैल्शियम की जरूरत पड़ने लगी है। कैसे मजबूत रहती हैं हड्डियां? -हड्डियों की मजबूती केवल कैल्शियम पर निर्भर नहीं करती है। बल्कि विटमिन-डी और एस्ट्रोजन हॉर्मोन के स्तर पर भी निर्भर करती है। इनके अतिरिक्त कई विटमिन और मिनरल मिलकर हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने का काम करते हैं। लेकिन मुख्य रोल इन तीन यानी कैल्शियम, विटमिन-डी और एस्ट्रोजन का ही माना जाता है। रक्षक की तरह काम करता है एस्ट्रोजन -हमारे शरीर के अंदर एस्ट्रोजन हॉर्मोन हड्डियों को मजबूत रखने के माध्यम के रूप में काम करता है। यह हमारे शरीर में प्राकृतिक रूप और डायट के माध्यम से तैयार होनेवाले कैल्शियम को हड्डियों तक पहुंचाने का काम करता है। -एस्ट्रोजन हॉर्मोन हमारी आंत से कैल्शियम अब्जॉर्ब करने में हमारी बोन्स के हेल्पर की तरह काम करता है। हमारे यूरिन के जरिए लिक्विड फॉर्म में कैल्शियम एक अधिक मात्रा में बाहर ना निकले, इसे नियंत्रित करने में भी एस्ट्रोजन हॉर्मोन की भूमिका होती है। हड्डियों को मजबूत रखने के लिए क्या करें? -30 की उम्र के बाद अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें और जरूरी टेस्ट कराएं कि आपके शरीर में किन विटमिन और मिनरल्स की कमी हो रही है। या आपको खुद को हेल्दी रखने के लिए किस तरह की डायट का पालन करना चाहिए। -बाकी सप्ताह में एक दिन विटमिन-डी की टैबलेट्स दो महीने तक लगातार लें और फिर बंद कर दें। जबकि हड्डियों में दर्द की स्थिति में कैल्शियम हर दिन लेना फायदेमंद होता है। इतना ही नहीं हड्डियों और जोड़ों में दर्द होने पर जरूरी होता है कि आप अपनी डायट भी ऐसी लें, जिससे आपको कैल्शियम और विटमिन-डी की प्राप्ति हो। इसके लिए अपने भोजन में, दूध, अंडा, मछली, सोयाबीन, लोबिया, ओट्स, कटहल और कच्चा पपीता जरूर शामिल करें। -हड्डियों को मजबूत रखने के लिए जरूरी है कि आप हर दिन 30 मिनट ही सही लेकिन एक्सर्साइज, व्यायाम या योग अवश्य करें। यदि संभव ना हो तो कोशिश करें कि अपने घर के काम खुद ही निबटाएं। पोछा लगाना, घर की सफाई करना, घर मैनेज करना और किचन अरेंज करना जैसे काम रोज करने से घर भी साफ रहेगा और आपको फिट रहने में भी मदद मिलेगी।
गर्मी के मौसम में हमारे शरीर को भोजन से अधिक पानी की आवश्यकता होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे शरीर की हर ऐक्टिविटी के लिए जरूरी ऊर्जा और मिनरल्स हमें पानी से मिलते हैं। यही कारण है कि हम कुछ वक्त के लिए बिना भोजन के तो रह सकते हैं या इसके विकल्प के रूप में दूसरी चीजों को खा सकते हैं। लेकिन पानी का कोई विकल्प हमारे लिए काम नहीं करता है। हमें सिर्फ और सिर्फ पानी ही चाहिए। आइए, यहां जानते हैं कि पानी पीने का सही तरीका क्या होता है और कैसे पानी हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायता करता है... हमारे देश के ज्यादातर हिस्सों में पीने का पानी सरलता से उपलब्ध है। ऐसा हम प्रकृति के लिहाज से कह रहे हैं, मानव द्वारा तैयार की गई स्थितियों के आधार पर नहीं। क्योंकि विज्ञान और प्रगति के नाम पर हमने बहुत सारे पारंपरिक सुख-सुविधाओं और संस्कृति को भुला दिया है। -खैरे, हमारे घर जब भी कोई मेहमान आता है या हम कहीं बाहर से आते हैं तो घर में आने के बाद सबसे पहले हमें पीने के लिए पानी चाहिए होता है। क्योंकि पानी हमारे शरीर को शांत करने और तुरंत ऊर्जा प्रदान करने का काम करता है। -शुद्ध पानी में प्राकृतिक रूप से मिनरल्स और औषधिय गुण होते हैं। अगर हम नदियों के माध्यम से पाइपलाइन द्वारा हमारे घर तक पहुंचने वाले पानी की बात करें तो इसे स्टोर करके हम तक सप्लाई किया जाता है। इस स्थिति में इसकी क्वालिटी नदी और हैंडपंप के पानी की तुलना में कम होती है। मार्केटिंग और प्रॉसेसिंग पर फोकस ना करते हुए हम सीधे तौर पर शुद्ध जल की बात करते हैं। पानी पीने का सही तरीका -कभी भी तेज भूख लगने पर अगर खाना तैयार होने में देरी हो तो बहुत अधिक पानी नहीं पीना चाहिए। कुछ देर के लिए भूख शांत करनी हो तो आप कुछ स्नैक्स खा सकते हैं, सलाद खा सकते हैं या अगर पानी पीना ही हो तो 1 से 2 घूंट पानी ही पिएं। -खाने के साथ बहुत अधिक पानी नहीं पीना चाहिए। साथ ही खाने के तुरंत बाद भी पानी का बहुत अधिक सेवन नहीं करना चाहिए। पानी से मिलते हैं ये प्राकृतिक तत्व -शुद्ध और सादे पानी में खनिज लवण और औषधीय गुण पाए जाते हैं। ये हमारे शरीर में जाकर जरूरी धातुओं की कमी को पूरा करने का काम करते हैं। -जो पानी हमें साफ और स्वच्छ नदियों से प्राप्त होता है, उनमें औषधीय गुण इसलिए होते हैं क्योंकि वह पानी उन पहाड़ी रास्तों से होकर हम तक पहुंच रहा होता है, जहां बीच में कई औषधीय पौधे होते हैं। -इन औषधियों का प्राकृतिक सत्व इस पानी के साथ हम तक पहुंचता है। यह एक बड़ी वजह है कि आयुर्वेद में जल चिकित्सा अपने आप में एक अलग तरह की और बहुत प्रभावी चिकित्सा पद्धति है। -हैंडपंप से निकलने वाले पानी भी पृथ्वी में मौजूद खनिज लवण पाए जाते हैं। हालांकि हर जगह के पानी की खूबी उस क्षेत्र की मिट्टी पर अधिक निर्भर करती है। पानी के जरिए मिलने वाले पोषण को बढ़ाने के लिए आप जीरे का पानी, पुदीने का पानी, सौंठ का पानी और अजवाइन जैसी नैचरल हर्ब्स के पानी का उपयोग कर सकते हैं।
वजन घटाने के लिए हम तरह-तरह की ड्रिंक का इस्तेमाल करते हैं। यहां पर एक ऐसी खास ड्रिंक बताई जा रही है जो किचन में मौजूद मसालों के जरिए तैयार होगी। यह मसाले आमतौर पर हमारे घर में बनने वाले खाने में इस्तेमाल होते हैं। इनमें मौजूद पौष्टिक तत्व न केवल हमारे शरीर के लिए लाभदायक होते हैं बल्कि यह मोटापे को कम करने के लिए भी काफी लाभदायक असर दिखा सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि आप इन मसालों को इस तरह से प्रयोग करें कि यह वजन घटाने के लिए अपनी सक्रियता दिखा सकें। किन मसालों का करना है इस्तेमाल? वजन घटाने के लिए तैयार की जाने वाली ड्रिंक में जिन मसालों का इस्तेमाल करना है वह आपको आपके किचन में ही मिल जाएंगे। इनमें तेजपत्ता, दालचीनी, इलायची और जीरा शामिल है। इन मसालों पर मौजूद कई शोध इस बारे में पुष्टि करते हैं कि इनको गर्म पानी में उबालने के बाद ड्रिंक के रूप में किया गया सेवन वजन को कम करने में काफी हद तक मददगार साबित हो सकता है। वजन घटाने में कैसे मदद करेंगे ये मसाले? तेज पत्ते को खुशबू के लिए सब्जी या बिरयानी में इस्तेमाल किया जाता है लेकिन वजन कम करने में भी तेजपत्ता काफी मददगार साबित हो सकता है। तेज पत्ता में एंटीऑक्सिडेंट गुण के साथ-साथ विटामिन-सी भी पाया जाता है। यह शरीर में मेटाबॉलिज्म की क्रिया को बढ़ाकर शरीर को डीटॉक्स करता है। वहीं, दालचीनी हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में प्रभावी मानी जाती है। इसके अलावा इसमें मौजूद कुछ पौष्टिक तत्व वजन कंट्रोल करने का भी गुण रखते हैं। साथ ही साथ दालचीनी पाचन क्रिया को सुधारकर वजन घटाने में मदद कर सकती है। इलायची स्ट्रेस को दूर करती है। कई शोध में इस बात का दावा किया जाता है कि ज्यादा स्ट्रेस लेने के कारण भी वजन बढ़ने की समस्या हो सकती है। इलायची शरीर में फैट बर्न होने करने के प्रोसेस को भी तेज करती है, जो वजन घटाने के लिए काफी मददगार साबित होगी। जबकि जीरे को पानी के साथ उबालकर पीने से वजन घटाने में सकारात्मक रूप से मदद मिलती है। सुबह-सुबह इस ड्रिक को बना लें, उसके बाद पूरे दिन में कम से कम तीन बार इसका सेवन करें। कैसे तैयार करना है ये ड्रिंक इस ड्रिंक को बनाने के लिए जरूरी सामग्री और विधि को यहां बताया जा रहा है। 2-3 तेज पत्ता दालचीनी के 3-4 छोटे टुकड़े 1 चम्मच जीरा 2 छोटी इलायची
एक्यूप्रेशर स्वास्थ्य के लिए कई मायनों में फायदेमंद है। यह एक पुरानी चीनी प्रथा है। शरीर में कुछ विशेष प्वाइंट्स को अपनी उंगलियों या अंगूठे से दबाया जाता है। इससे सिरदर्द, कमर और पीठ दर्द, अनिद्रा सहित कई अन्य शारीरिक और मानसिक समस्याएं दूर हो जाती हैं। एक्यूप्रेशर वजन घटाने के लिए भी बहुत प्रभावी माना जाता है। दरअसल यह भूख, पाचन क्रिया और मेटाबोलिज्म को प्रभावित करता है जिसके कारण वजन नियंत्रित रहता है। एक्यूप्रेशर का अभ्यास करना बेहद आसान है। इसे बिना साइड इफेक्ट के घर पर किया जा सकता है। आइए जानते हैं वजन घटाने के लिए शरीर में किन एक्यूप्रेशर प्वाइंट्स को दबाना चाहिए। कान के सामने और जबड़े के सबसे ऊपरी हिस्से पर प्रेशर प्वाइंट होता है। प्रेशर प्वाइंट ढूंढने के लिए जबड़े को ऊपर नीचे करें। जिस प्वाइंट पर प्रेशर देना है वहां सबसे ज्यादा मूवमेंट होगी। इस प्वाइंट को हर दिन एक या दो मिनट तक दबाएं। इससे भूख नियंत्रित होती है और वजन नहीं बढ़ता है। इनर एल्बो इनर एल्बो के क्रीज से एक इंच नीचे स्थित प्रेशर प्वाइंट को खोजें। इस प्वाइंट पर रोजाना 2 से 3 मिनट तक मसाज करें। इससे आंत मजबूत होती है और वजन कंट्रोल होता है। टखना टखने के ठीक ऊपर प्रेशर प्वाइंट स्थित होता है। इस प्वाइंट को अंगूठे से पांच मिनट तक दबाएं और फिर दो मिनट रुकें। इससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और शरीर के कई अंग सही तरीके से काम करते हैं। अंगूठा अंगूठे के नीचे स्थित प्रेशर प्वाइंट को दबाने से थायरॉयड ग्लैंड उत्तेजित होता है। इससे शरीर का मेटाबोलिज्म बढ़ता है। मेटाबोलिज्म बेहतर होने से वजन नियंत्रित रहता है। कलाई हथेली से दो इंच नीचे कलाई के बीच में एक्यूप्रेशर प्वाइंट खोजें। इस प्वाइंट को अपने अंगूठे और तर्जनी उंगली से दबाएं। इससे पाचन से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं और शरीर पर अतिरिक्त फैट नहीं जमता है। अपर लिप नाक और होंठ के बीच स्थित फिल्थ्रम को दबाने से मेटाबोलिज्म बढ़ता है। इस प्वाइंट को सर्कुलर मोशन में हर दिन 2 से 3 मिनट तक दबाना चाहिए। इससे शरीर का फैट कम होता है। आईब्रो आंख और भौंहों के बीच स्थित स्पॉट को रोजाना एक मिनट तक दबाने से वजन कम होता है। कॉफ घुटने के लगभग चार इंच नीचे बाहरी कॉफ के आसपास एक्यूप्रेशर प्वाइंट होता है। इस प्वाइंट पर प्रेशर देने से पाचन क्रिया मजबूत होती है। जब तक आपको इस प्वाइंट पर हल्का दर्द न महसूस होने लगे, तब तक अंगूठे से इसे दबाए रखें। शरीर के विभिन्न हिस्सों में स्थिन इन एक्यूप्रेशर प्वाइंट को दबाने से कई बीमारियां दूर हो जाती हैं। इसके साथ ही वजन भी नियंत्रित रहता है।
1 दिन में सिर्फ इतने ग्राम खाना चाहिए नमक, अधिक मात्रा में खाने से होंगी कैंसर जैसी ये 6 बीमारियांहमारे घर के खाने में अगर कभी-कभी नमक की मात्रा कम हो जाती है तो वह खाना बेस्वाद लगने लगता है। इसकी पूर्ति करने के लिए कुछ लोग अतिरिक्त नमक ले लेते हैं, तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो प्रतिदिन खाने के अलावा सलाद और अन्य माध्यमों से भी नमक की मात्रा का सेवन करते हैं। अधिक मात्रा में नमक का सेवन कई प्रकार की ऐसी गंभीर बीमारियों को दावत देता है, जिसके कारण लाइलाज बीमारियां आपके शरीर में पनपने लगती हैं। यहां आपको ऐसी ही बीमारियों के बाद बताया जाएगा जो ज्यादा नमक खाने के कारण हो सकती हैं। ​हृदय रोग नमक का अधिक सेवन करने के कारण हृदय की मांसपेशियों में ज्यादा खिंचाव होता है। इसके कारण यह कोशिकाएं स्वत: बढ़ने लगती हैं और हृदय की कार्यप्रणाली में बाधा पहुंचती है। इसके बाद हृदय के कई सारे फंक्शन ठीक तरीके से कार्य करने में सक्षम नहीं रहते हैं। इसका घातक परिणाम कई प्रकार के हृदय रोगों का खतरा कई गुना तक बढ़ा देता है। ​स्ट्रोक कई लोग स्ट्रोक का शिकार बड़ी आसानी से हो जाते हैं। यह हमारे सिर में सबसे ज्यादा घातक साबित होता है और एक बिजली के झटके की तरह हमें महसूस होता है। वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार नमक का अधिक मात्रा में किया गया सेवन स्ट्रोक का प्रमुख कारण माना जाता है। जिन लोगों को माइग्रेन की समस्या है उन्हें को खासतौर पर नमक का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे स्ट्रोक का खतरा और भी बढ़ सकता है। ​हाई ब्लड प्रेशर सबसे पहले जिस मेडिकल कंडीशन की चपेट में आप आ सकते हैं वह हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है। इसे हाइपरटेंशन के नाम से भी जाना जाता है और हर साल इसकी वजह से भारत में हजारों लोगों की मौत होती है। नमक का अधिक सेवन करने के कारण सीधे रूप से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इसलिए ज्यादा मात्रा में नमक ना खाएं और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से बचे रहें। ​सिरदर्द सिरदर्द की समस्या तो आज के समय में एक आम बन चुकी है, जिसका अधिकतर घरेलू तरीके से ही उपचार किया जा सकता है। यहां आपको बता दें कि ज्यादा मात्रा में किया गया नमक का सेवन भी सिरदर्द का प्रमुख कारण माना जाता है। इसमें जरा सी लापरवाही के कारण यह माइग्रेन का रूप भी ले सकता है, जो कि सिर दर्द की एक भयानक स्थिति है। इसलिए जिन लोगों में सिर दर्द की समस्या है, उन्हें नमक का सीमित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए। ​किडनी स्टोन किडनी स्टोन कई प्रकार की मेडिकल कंडीशन के बाद उत्पन्न होती है। यूरिन के जरिए अगर हमारे तो यह क्रिस्टल के रूप में हमारी किडनी में इकट्ठा होने लगता है। नमक का अधिक सेवन करने के कारण ही यह समस्या उत्पन्न हो सकती है। वहीं, जिन लोगों को पहले से ही किडनी स्टोन की समस्या है, उन्हें तो निश्चित रूप से ही सीमित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए। ​पेट का कैंसर जिन लोगों को नमक धिक मात्रा में खाने की आदत है, उन्हें पेट के कैंसर का खतरा भी सबसे ज्यादा होता है। इसका एक कारण यह है कि नमक के सेवन के कारण शरीर में कई प्रकार की मिल जाता है। इसके बाद यह मुख्य रूप से पेट को ही नुकसान पहुंचाना शुरू करती हैं। कभी-कभी स्थिति गंभीर हो जाने पर यह पेट के कैंसर का रूप भी ले सकती हैं। ​दिन में केवल इतनी मात्रा का करें सेवन नमक का अधिक सेवन करने के कारण होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों से बचे रहने के लिए आपको एक दिन में केवल और केवल 5 ग्राम नमक की मात्रा का सेवन करना चाहिए। दरअसल, अधिक मात्रा में किया गया नमक का सेवन आपको ऊपर बताई कई बीमारियों का शिकार बड़ी आसानी से बना देगा। डॉक्टरों की मानें तो उनका भी यही कहना है कि एक दिन में 5 ग्राम से अधिक मात्रा का सेवन करने से बचना चाहिए।
How To Eat Onion In Summer : सलाद में जरूर शामिल करें 2 प्याज, गर्मियों में मिलेगा सबसे ज्यादा फायदाप्याज ऐसा खाद्य पदार्थ है जिसे कई लोग खाने से कतराते हैं। इस पर जब लोगों से पूछा जाता है कि ऐसा क्यों? तो उनका जवाब होता है कि प्याज खाने से मुंह से बदबू आने लगती है। लेकिन क्या आपने सोचा है कि प्याज का सेवन करने के कारण हमारे शरीर को कितने जरूरी पौष्टिक तत्व मिलते हैं? अगर नहीं, तो यह जरूर जान लें कि गर्मियों में प्याज का सेवन करने के कारण यह हीट स्ट्रोक से बचाने का काम तो करेगा ही, साथ ही साथ अन्य कई हानिकारक बीमारियों से भी आपको बचाएगा। नीचे जानिए प्याज का सेवन करने से क्या-क्या फायदे होते हैं। ​हीट स्ट्रोक से बचाए गर्मियों का समय उत्तर भारत में इतना भयानक होता है कि हर साल कई लोग हीट स्ट्रोक का शिकार हो जाते हैं। प्याज का सेवन करने के कारण हीट स्ट्रोक की समस्या से बचे रहने में काफी हद तक मदद मिल सकती है। ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि प्याज में जल की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है जो आपकी बॉडी को जरूरत पड़ने पर पानी की कमी को पूरा कर सकता है। इसलिए गर्मियों में नियमित रूप से प्याज का सेवन कर सकते हैं। ​​कैंसर से बचाए गर्मियों का समय उत्तर भारत में इतना भयानक होता है कि हर साल कई लोग हीट स्ट्रोक का शिकार हो जाते हैं। प्याज का सेवन करने के कारण हीट स्ट्रोक की समस्या से बचे रहने में काफी हद तक मदद मिल सकती है। ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि प्याज में जल की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है जो आपकी बॉडी को जरूरत पड़ने पर पानी की कमी को पूरा कर सकता है। इसलिए गर्मियों में नियमित रूप से प्याज का सेवन कर सकते हैं। ​​कैंसर से बचाए कैंसर जैसी गंभीर और जानलेवा बीमारी से भारत में हर साल लाखों लोग की जान जाती है। विभिन्न प्रकार के कैंसर से आपके शरीर को बचाए रखने के लिए प्याज में एंटीकैंसर गुण पाया जाता है। यह शरीर में पनप रही कैंसर सेल्स को मारने का गुण रखता है। इसी प्रभाव के कारण आपका शरीर कैंसर के जोखिम से बचा रहता है। ​ब्लड सर्कुलेशन को मेंटेन करे प्याज को आप अपनी डायट में सलाद की तरह शामिल कर सकते हैं। खासकर यह उन लोगों के लिए काफी लाभदायक साबित होकर और जिनका सुचारू रूप से पूरी बॉडी तक नहीं पहुंचता है। इसके कारण व्यक्ति को थकान और कमजोरी भी महसूस होने लगती है। जबकि प्याज का सेवन करने के कारण इसमें मौजूद विशेष गुण ब्लड सर्कुलेशन को मेंटेन करने में सक्रिय रूप से मदद करता है। ​रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने के कारण ही हमारे शरीर कई प्रकार के संक्रामक बीमारियों से बचा रहता है। जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत मजबूत होती है वह जल्दी बीमार नहीं पड़ते और उन्हें सर्दी जुकाम की समस्या भी नहीं होती है। प्याज में इम्यून सेल्स को मेंटेन बनाए रखने की विशेष क्रिया पाई जाती है। इसलिए आप भी अपनी इम्यूनिटी को मजबूत बनाए रखने के लिए प्याज का सेवन नियमित रूप से कर सकते हैं। ​पेट के अल्सर से मुक्ति पाचन क्रिया में गड़बड़ी होने के कारण और जंक फूड का अधिक सेवन करने से भी पेट में अल्सर की समस्या हो सकती है। यही अल्सर बड़े होकर कैंसर का रूप ले सकते हैं और आपके कोलन इन्फेक्शन का कारण भी बन सकते हैं। इस समस्या से बचे रहने के लिए प्याज का सेवन किया जा सकता है क्योंकि यह पेट के अल्सर को ठीक करने के लिए प्रभावी रूप से मददगार होती है। ​सूजन कम करे आपने अक्सर देखा होगा कि जब कभी घर पर किसी को चोट लग जाती है तो उसे प्याज और हल्दी को चोट लगने वाली जगह पर लगाने की सलाह दी जाती है। इसका वैज्ञानिक कारण क्या है कि प्याज में और गुण पाया जाता है। यह दर्द के कारण होने वाली सूजन को कम करने में प्रभावी रूप से कार्य करता है। इसलिए प्याज का सेवन करने के कारण आपके शरीर में को दर्द में तो राहत मिलेगी ही, जबकि इसका इस्तेमाल करने के कारण ही आप स्वस्थ बने रहेंगे।
बालों को सफेद होने से बचा सकता है अरंडी का तेल, जानें और भी कई फायदेलंबे, घने, काले और सुंदर बाल कौन नहीं चाहता है लेकिन बहुत ही कम लोगों का यह सपना पूरा होता है। हालांकि, अरंडी के तेल से आप घने और चमकदार बाल पाने के साथ-साथ बालों से जुड़ी कई समस्‍याओं से भी छुटकारा पा सकते हैं। जी हां, अरंडी के तेल में रिसिनोलेइक एसिड होता है जो स्‍कैल्‍प के पीएच लेवल को संतुलित रखने और नैचुरल ऑयल को बनाए रखने में मदद करता है। तो चलिए जानते हैं कि अरंडी यानी कैस्‍टर ऑयल के इस्‍तेमाल से बालों से जुड़ी किन समस्‍याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। ​अरंडी के तेल के फायदे अरंडी के तेल में ऐसे कई गुण होते हैं जो बालों को स्‍वस्‍थ बनाने के साथ-साथ डैंड्रफ, दोमुंहे बाल और स्‍कैल्‍प इंफेक्‍शन जैसी कई समस्‍याओं को भी दूर करते हैं। ​बालों को घना और लंबा करता है इस तेल की नियमित मालिश से न सिर्फ बाल तेजी से बढ़ते हैं बल्कि मजबूत भी होते हैं। इससे तनाव भी दूर होता है। आप बालों की ग्रोथ के लिए नारियल तेल, जैतून के तेल या आर्गन ऑयल में कैस्‍टर ऑयल की कुछ बूंदें मिलाकर सिर की मालिश करें। सबसे पहले 5 से 10 मिनट तक स्‍कैल्‍प की उंगलियों से मालिश करें। इससे स्‍कैल्‍प पर रक्‍च संचार बेहतर होगा। ​स्‍कैल्‍प इंफेक्‍शन से छुटकारा गंजेपन के पैचेज, डैंड्रफ और खुजली की वजह से सिर की त्‍वचा पर संक्रमण हो सकता है। अरंडी के तेल के एंटीफंगल और एंटीबैक्‍टीरियल गुण इन समस्‍याओं से राहत पाने में मदद कर सकते हैं। नारियल तेल में कैस्‍टर ऑयल की कुछ बूंदें डालकर हफ्ते में दो बार सिर और बालों की मालिश करें। ​दोमुंहे बाल अगर आपके रूखे, कमजोर और दोमुंहे बाल हैं तो अरंडी का तेल आपको इससे निजात दिला सकता है। ये सकैल्‍प के अंदर जाकर बालों के रूखे फॉलिकल्‍स को नरम करता है। इस तेल में ओलिक और लिनोलिक एसिड होता है जो बालों को स्‍ट्रेस, प्रदूषण और देखभाल की कमी से बालों को पहुंचे नुकसान को ठीक करता है। अगर आप रातभर तेल को बालों में लगाकर नहीं सो सकते हैं तो कंडीश्‍नर के तौर पर अरंडी के तेल को इस्‍तेमाल कर सकते हैं। शैंपू के बाद तेल की दो बूंदों को बालों के सिरे पर लगाएं। ​सफेद बाल नहीं आएंगे यदि आपको डर है कि बढ़ती उम्र में आपके बाल सफेद हो जाएंगे तो आज से ही बालों पर अरंडी का तेल लगाना शुरू कर दें। ये बालों के सफेद होने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है। इससे बालों को अपना पिगमेंट वापस पाने और स्‍कैप्‍ल पर रक्‍त प्रवाह बढ़ाने में मदद मिलती है। कैस्‍टर ऑयल में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है जो बाल सफेद होने से रोकता है। सरसों के तेल में अरंडी का तेल मिलाकर उसे हल्‍का गर्म करने के बाद लगाएं। इसे कम से कम एक घंटे बालों में लगा रहने दें। ​अरंडी का तेल कितनी बार इस्‍तेमाल करें कैस्‍टर ऑयल का इस्‍तेमाल हफ्ते में एक या दो बार से ज्‍यादा नहीं करना चाहिए। इसे बहुत कम मात्रा में ही लेना चाहिए और इसे नारियल तेल या ऑलिव ऑयल जैसे कैरियर ऑयल के साथ मिक्‍स कर के ही लगाना चाहिए।
प्याज एक ऐसी चीज है जो घरों में बहुत आसानी से मिल जाती है। हम जब भी कोई हेल्थ या ब्यूटी टिप्स बताते हैं तो अक्सर लोगों को उससे जुड़ा सामान एकत्रित करने में कठिनाई आ सकती है क्योंकि लॉकडाउन में आधारभूत सामान ही मिल रहा है। ऐसे में हम अधिकतर पोस्ट में आपको ऐसी टिप्स बताने का प्रयास करते हैं जिसका सामान आपको घरों में ही आसानी से मिल जाए। प्याज सिर्फ खाने में ही स्वाद नहीं बढ़ाता बल्कि आपके स्वास्थ्य से लेकर आपकी स्किन के लिए भी काफी अच्छा रहता है। अगर आप अब तक यही सोचते थे की प्याज सिर्फ आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है तो अब तक शायद आपने इसे अपनी स्किन और बालों के लिए सही से इस्तेमाल ही नहीं किया। इस पोस्ट में हम आपको आपकी स्किन और बालों के लिए प्याज के कुछ ऐसे फायदे बताने वाले हैं जिसके बाद आप तुरंत ही इन्हें इस्तेमाल करना शुरू कर देंगे। प्याज को स्किन और बालों के लिए ऐसे करें इस्तेमाल प्याज का रस आपके बालों के लिए वो काम करता है जो कोई महंगा कॉस्मेटिक आपके लिए अब तक नहीं कर पाया होगा। प्याज के रस से केरेटिन के फार्मेशन में मदद मिलती है, जिससे आपकी बालों की ग्रोथ बढ़ती है। प्याज के फायदे प्याज में विटामिन, मिनरल, एंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन इ जैसे मुख्य पोषक तत्व होते हैं जो आपकी स्किन को स्वस्थ रखने के लिए बहुत जरुरी होते हैं। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स आपकी स्किन को साफ करता है और किसी भी तरह की स्किन प्रॉब्लम्स से आपकी स्किन की रक्षा करता है। यह सिर्फ लड़कियों के लिए नहीं बल्कि पुरुषों और महिलाओं दोनों की स्किन और बालों के लिए कारगर है। रोजाना प्याज के रस को होठों पर लगाने से आपके लिप्स की डेड स्किन निकल जाएगी और आपके लिप्स सॉफ्ट हो जाएंगे। नींबू और प्याज का पैक प्याज का रस निकाल कर उसमें थोड़ा सा नींबू का रस डाल दें। इस सोल्यूशन में रुई के टुकड़े को डुबो दें और अपनी गर्दन और चेहरे पर इसे लगा लें। इसके सूखने के बाद ठंड़े पानी से धो लें। इसे कम से कम एक हफ्ते में तीन बार करें। इससे आपको स्किन इन्फेक्शन्स नहीं होंगे। प्याज के रस और शहद का हेयर मास्क शहद में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं जो हेयर डैमेज रोकने में मदद करता है। इससे आपकी स्कैल्प और बाल दोनों हेल्दी रहते हैं। शहद एक नेचुरल हेयर कंडीशनर की तरह भी काम करता है। शहद बालों के झड़ने को भी रोकता है। घर पर कैसे बनाएं हेयर मास्क? आधा कप प्याज के रस के साथ एक चम्मच शहद अच्छे से मिला लें। इसे स्कैल्प से लेकर बालों के अंत तक अच्छे से लगा लें। कुछ मिनटों के लिए इसे अच्छे से मसाज करें। इसे हटाने के लिए माइल्ड शैम्पू से बाल धो लें और बालों को कंडीशन भी कर लें। इसे हफ्ते में एक बार करें। प्याज का रस बहने लगता है। इसके लिए आप शावर कैप या टॉवल का इस्तेमाल कर सकते हैं।nbt
हमारे शरीर में विटमिन-डी आवश्यकता के अनुसार है या नहीं, आखिर इस बात की जांच कैसे की जाए? क्योंकि कोरोना वायरस से बचने के लिए विटमिन-डी बहुत जरूरी है। यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बूस्ट करने का काम करता है। यहां हम शरीर में होनेवाले कुछ ऐसे बदलावों और लक्षणों के बारे में बात करेंगे जो विटमिन-डी की कमी होने पर नजर आते हैं... विटमिन-डी को ऐक्टिव करता है शरीर विटमिन-डी एक सॉल्यूबल विटमिन है। शरीर में इसका उत्पादन आमतौर पर तब होता है जब हमारा शरीर सूर्य की किरणों के सीधे संपर्क में आता है। यानी हमने खुद को किसी कांच के पीछे या कपड़े से ढंककर ना रखा हो। - विटमिन-डी जब हमारे शरीर में सूर्य की किरणों के जरिए पहुंचता है तब यह ऐक्टिव फॉर्म में नहीं होता है। बल्कि हमारा शरीर अपने यूज के लिए इसे ऐक्टिव फॉर्म में बदलता है। विटमिन-डी के इस बदले हुए रूप को '25-हाइड्रॉक्सी विटमिन-डी' कहते हैं। विटमिन-डी की कम और ज्यादा मात्रा -शरीर में विटमिन-डी अगर 50 से 125 के बीच हो तो इसे पर्याप्त माना जाता है। वहीं, 30 से कम होने पर यह शरीर में कमी को दर्शाता है और 125 से ज्यादा होने पर शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। - आपको शायद जानकारी हो कि अगर हमारे शरीर में विटमिन-डी की मात्रा कम होती है तो कैल्शियम का पाचन भी नहीं हो पाता है। यानी विटमिन-डी की कमी के दौरान आपने जो भी कैल्शियम खाया है, वह मल और यूरिन के साथ फ्लश हो गया है! विटमिन-डी का शरीर में उपयोग -विटमिन-डी हड्डियों को मजबूत रखता है। - मसल्स को मजबूती देता है। -रोग प्रतिरोधक क्षमता को नियंत्रित करता है। -कोशिकाओं की वृद्धि में सहायता करता है। -शरीर में सूजन, हड्डियों में सिकुड़न को रोकता है। -ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद करता है। विटमिन-डी की कमी के कारण सूर्य की किरणों (यूवीबी) में ना बैठना। -शरीर में विटमिन-डी का अवशोषण ना हो पाना। -भोजन और फलों के जरिए विटमिन-डी ना लेना। -अधिक पलूशन भरे क्षेत्र में रहना। -हर समय घर के अंदर या फुल बाजू के कपड़ों में रहना। -कॉलेस्ट्रॉल कम करनेवाली कुछ खास दवाएं लेना। -धूम्रपान करना - शरीर पर बहुत अधिक फैट जमा होना। -प्रेग्नेंसी में विटमिन-डी के सप्लिमेंट्स ना लेना -किडनी और लीवर का ठीक से काम ना करना -बढ़ती उम्र के कारण कैल्शियम कम होना -त्वचा का रंग अधिक सांवला होना। बढ़ जाते हैं ये खतरे -जिनके शरीर में विटमिन-डी की कमी होती है, वे हर समय खुद को थका हुआ अनुभव करते हैं। हल्का-सा काम करने या कुछ कदम चलने पर ही उनकी सांस फूलने लगती है। -पिंडलियों (Calf) में दर्द और कमजोरी अनुभव करना। -उदास रहना और किसी काम में मन ना लगना। - जोड़ों से चटकने की आवाज आना, हड्डियों में दर्द होना और कमजोरी महसूस होना। -बच्चों में विटमिन-डी की कमी होने पर उनकी हड्डियां बहुत मुलायम हो जाती हैं। इलाज और पूर्ति के तरीके विटमिन-डी की कमी होने पर भोजन और फलों के जरिए इसे शरीर में बढ़ाया जा सकता है। -जो लोग नॉनवेज खाते हैं वे ऑइली फिश सेलमन, बीफ लिवर के जरिए इसे प्राप्त कर सकते हैं। -अंडे और डेयरी प्रॉडक्ट्स जैसे फोर्टिफाइड मिल्क के जरिए भी विटमिन-डी प्राप्त किया जा सकता है। -संतरा, मशरूम और इंस्टेंट ओट्स भी विटमिन-डी प्राप्ति के सोर्स हैं। -बाकी सूर्य की रोशनी में हर दिन कम से कम 45 मिनट बिताना जरूरी होता है।
Hair Care: सफेद बालों को काला कर सकती है 2 रुपए की फिटकरी, जानें कैसे करना है यूजहम सभी के घरों में फिटकरी आराम से पाई जाती है। इसका रासायनिक नाम पोटाश एलम है। इसे घरों में पानी साफ करने के लिये या फिर शेविंग के बाद ब्‍लीडिंग को रोकने के लिये यूज किया जाता है। हालांकि इसके कई और फायदे भी होते हैं। कई बीमारियों में फिटकरी आराम पहुंचाती है। यह लाल व सफेद दो तरह की होती है, लेकिन सफेद फिटकरी का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। यहां तक कि फिटकरी को सफेद बालों को काला करने के लिये भी यूज किया जाता है। यदि आप इसका लंबे समय तक उयोग करेंगे तो आपको रिजल्‍ट अच्‍छा मिलेगा। यहां जानें इसका उपयोग कैसे करें... ​सफेद बालों को काला करने के लिये ऐसे करें प्रयोग फिटकरी का एक छोटा टुकड़ा लें और उसे पीस कर उसमें 1 चम्‍मच गुलाब जल मिलाएं। फिर इसे बालों में लगा कर कम से कम 5 मिनट तक मसाज करें। उसके 1 घंटे के बाद अपने बालों को शैंपू से धो लें। ​कितनी बार करें ये काम सफेद बालों से परेशान लोग फिटकरी को सप्ताह में 3 से 4 बार लगाएं। ऐसा करने पर सफेद बालों की प्रॉब्लम धीरे-धीरे खत्म होना शुरू होगी। ​बाल धोने के बाद लगाएं कंडीशनर बाल धोने के बाद गुनगुने पानी में पिसी हुई फिटकरी और कंडीशनर को एक साथ मिक्‍स करें। इसे बालों में नीचे तक लगाएं और फिर 15 से 20 मिनट बाद ठंडे पानी से धो लें। ऐसा सप्ताह में 2 या 3 बार करें। ​मुंहासों का रामबाण इलाज अगर आपके चेहरे पर मुंहासों के ढेरों दाग हैं और आपको उसे दूर करना है तो फिटकरी पीस कर पानी के साथ पेस्‍ट बनाएं। इस पेस्‍ट को मुहासों के दाग पर लगाएं और 20 मिनट तक लगाकर छोड़ दें। फिर चेहरे को पानी से धो लें। ऐसा नियमित करने पर दाग कुछ ही दिनों में दूर हो जाएंगे। ​चेहरे से झुर्रियां हटाए अगर आपकी स्‍किन पर धीरे धीरे झुर्रियां आ रही हैं तो उसे टाइट करने के लिये फिटकरी का प्रयोग करें। इसका उपयोग करने के लिये गुलाब जल के साथ फिटकरी मिलाएं और पूरे चेहरे पर लगाएं। इससे आपके चेहरे पर कसावट आएगी। nbt
Honey Benefits : रात में इसलिए करना चाहिए शहद का सेवनशहद एक ऐसा स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ है जिसे हम कई प्रकार से अपनी डायट में शामिल कर सकते हैं। कई लोग इसे दूध के साथ मिलाकर पीते हैं तो कई लोग किसी व्यंजन को बनाने में इसका इस्तेमाल करते हैं। स्वाद से भरा होने के साथ-साथ या पौष्टिक तत्वों से भरपूर भी होता है। इतना ही नहीं, रात में जो लोग शहद का सेवन करते हैं उनकी सेहत पर यह कई प्रकार के सकारात्मक प्रभाव भी डालता है। आइए इसके सेवन से होने वाले फायदों के बारे में नीचे विस्तारपूर्वक जानते हैं। ​अनिद्रा दूर करे Honey Benefits : रात में इसलिए करना चाहिए शहद का सेवनशहद एक ऐसा स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ है जिसे हम कई प्रकार से अपनी डायट में शामिल कर सकते हैं। कई लोग इसे दूध के साथ मिलाकर पीते हैं तो कई लोग किसी व्यंजन को बनाने में इसका इस्तेमाल करते हैं। स्वाद से भरा होने के साथ-साथ या पौष्टिक तत्वों से भरपूर भी होता है। इतना ही नहीं, रात में जो लोग शहद का सेवन करते हैं उनकी सेहत पर यह कई प्रकार के सकारात्मक प्रभाव भी डालता है। आइए इसके सेवन से होने वाले फायदों के बारे में नीचे विस्तारपूर्वक जानते हैं। ​अनिद्रा दूर करे जिन लोगों को रात में नींद की समस्या होती है, उनके शरीर में स्लीपिंग हार्मोन बड़ी कम मात्रा में बनता है। ऐसे लोगों के लिए रात में शहद का सेवन करना काफी लाभदायक साबित होगा क्योंकि शहद का सेवन करने से स्लीपिंग हार्मोन में बढ़ोत्तरी होती है। इस कारण रात में जो लोग शहद का सेवन करेंगे उन्हें बढ़िया नींद आ सकती है। अनिद्रा की समस्या से बचने के लिए आप इसे दूध के साथ भी पी सकते हैं। ​पाचन क्रिया को ठीक रखे कई लोगों को रात में कब्ज की समस्या भी बहुत परेशान करती है । खाना खाने के बाद जब वह सोने की कोशिश कर रहे होते हैं तो कब्ज उनकी परेशानी का कारण बन जाता है। इस समस्या से बचने के लिए पर्याप्त रूप से फाइबर का सेवन करना चाहिए। उसके लिए शहद एक बेहतरीन विकल्प के रूप में साबित हो सकता है क्योंकि इसमें फाइबर की भी मात्रा पाई जाती है जो कब्ज की समस्या से आपको राहत दिला सकता है। ​खांसी से छुटकारा आपने अक्सर देखा होगा कि कई लोगों को रात में सोने से पहले अचानक खांसी आने लगती है। यह किसी गंभीर बीमारी का खतरा भी हो सकता है या फिर सामान्य रूप से आने वाली खांसी भी हो सकती है। वैज्ञानिक अध्ययन की मानें तो शायद में ऐसे गुण पाए जाते हैं जिसको खाने से खांसी की समस्या से निजात मिल सकती है। ​सिर दर्द को दूर करे सिर दर्द की समस्या किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। जो लोग स्ट्रेस लेते हैं और जिन पर काम का दबाव ज्यादा रहता है वह लोग सिरदर्द की चपेट में आसानी से आ सकते हैं। कुछ लोगों को रात के समय भी सिरदर्द की समस्या बहुत ज्यादा परेशान करती है। वहीं, के अध्ययन के अनुसार, इस बात की पुष्टि की गई कि शहद का सेवन करने वाले लोग सिरदर्द की समस्या से काफी हद तक राहत महसूस कर सकते हैं। थकान मिटाए पूरे दिन काम करने के बाद सभी लोगों की शरीर को थकावट महसूस होती है। यह थकावट काफी लंबे समय तक बनी रहे तो शरीर की मांसपेशियों में खिंचाव भी होने लगता है। जबकि शहद का सेवन करने से थकान को मिटाने में काफी मदद मिल सकती है। शरीर की थकान को दूर करने के लिए रात को सोने से पहले आप एक मिलाकर पी सकते हैं। इसका आपको सकारात्मक फायदा खुद ही महसूस होगा।
Summer Heart Care Tips: गर्मियों में जरूर खाएं ये तीन 'रेड फूड्स' हार्ट रहेगा मजबूतगर्मी के मौसम में हाइपरटेंशन यानी हाई बीपी की समस्या अधिकतर लोगों को अपनी चपेट में लेती है। गर्मी के कारण ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, जिससे हृदय संबंधी समस्या होने का खतरा भी बढ़ जाता है। चलिए यहां जानते हैं, ऐसे कुछ फूड्स के बारे में जो गर्मी के मौसम में आपके दिल का पूरा खयाल रखेंगे... स्वादिष्ट और ठंडा राजमा -राजमा को किडनी बीन्स के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि यह किडनी की शेप का होता है और साथ ही सेहत के लिए बहुत गुणकारी भी होता है। राजमा एक साबुत अनाज है, जो फाइबर और विटमिन्स से भरपूर होता है। -राजमा तासीर में ठंडा होता है। इसलिए गर्मी के मौसम में शरीर में ठंडक बनाए रखता है। बीपी को बढ़ने से रोकता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि राजमा दोपहर के भोजन में खाएं। रात में इसे खाने से बचें। - राजमा खाने से ना केवल ब्लड में शुगर का स्तर कम रहता है बल्कि यह बैड कॉलेस्ट्रॉल को कम करने का काम भी करता है। जिससे बीपी बढ़ने की समस्या नहीं रहती है। 'Loo' Protection Tips: शरीर की PH वैल्यू मेंटेन कर लू से बचाती हैं ये सब्जियां स्वाद और दिल की सेहत के लिए खाएं तरबूज तरबूज गर्मी के मौसम का बेस्ट फल है। क्योंकि यह फाइबर और लिक्विड से भरपूर होता है। पेट साफ रखता है, शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद करता है, लू से बचाता है। -आपको जानकर हैरानी होगी कि तरबूज गर्मियों के मौसम में खासतौर पर दिल की सेहत का ध्यान रखता है। क्योंकि इसमें लाइकोपीन पाया जाता है। लाइकोपीन शरीर में एक अच्छे ऐंटिइंफ्लामेट्री के रूप में कार्य करता है। -यानी यह शरीर में अंदरूनी और बाहरी दोनों स्तर पर सूजन बढ़ने से रोकता है। इससे हमारी हार्ट आर्टरीज हेल्दी रहती हैं और हार्ट अटैक का खतरा कम होता है कच्चा टमाटर खाएं, इसकी सब्जी नहीं -गर्मी के मौसम में टमाटर की सब्जी खाने से बचना चाहिए। जबकि सलाद में टमाटर काटकर काला नमक और जीरा-पाउडर लगाकर जरूर खाना चाहिए। इससे शरीर को लाइकोपीन मिलता है। -लाइकोपीन हार्ट और हेल्थ के लिए कितना लाभकारी है, इस बारे में हम ऊपर बात कर चुके हैं। लेकिन टमाटर की सब्जी खाना गर्मी के मौसम में काफी नुकसानदायक होता है। क्योंकि यह शरीर में क्षार तत्व को बढ़ाती है।
तेजी से बदलते हुए दौर में हम अपने खाने पीने का विशेष ध्यान नहीं देते हैं और यही वजह है कि अक्सर हम बीमार पड़ जाते हैं। बीमारियों की चपेट में आने से बचे रहने के लिए हमें अपनी डायट की आदतों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। कहा जाता है कि सेहतमंद बने रहने के लिए दूध पीना बहुत जरूरी है। लेकिन अगर आप दूध में इलायची मिलाकर पीते हैं तो आप नीचे बताई जा रही इन गंभीर बीमारियों की चपेट में आने से बचे रहेंगे। आइए अब इसके बारे में विस्तार से जानते हैं... कैंसर की बीमारी से बचाने बदलती हुई जीवनशैली के कारण आज हम कई प्रकार के कैंसर से भी वाकिफ हो चुके हैं। इसलिए हमें ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जिससे कैंसर होने का खतरा कम रहे। इलायची में एंटी कैंसर एक्टिविटी पाई जाती है। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि इलायची और दूध का एक साथ किया गया सेवन कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के खतरे को भी कई गुना तक कम कर सकता है। कैंसर को अपने शरीर से दूर बनाए रखने के लिए आप दूध और इलायची का सेवन कर सकते हैं। ​​हड्डियों को मिलेगी मजबूती हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए दूध काफी सक्रिय रूप से कार्य करता है क्योंकि इसमें कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है। वहीं, इलायची में मौजूद कैल्शियम की मात्रा इसके फायदे को दोगुना कर देती है। इसलिए बुजुर्ग लोगों को विशेष तौर पर दूध में इलायची मिलाकर पीना चाहिए जो उनके लिए काफी फायदेमंद रहेगी। दूध और इलायची घर में छोटे बच्चों के लिए भी काफी फायदेमंद रहेगा। ​पाचन क्रिया को करेगा मजबूत पाचन क्रिया को मजबूत बनाने के लिए इलायची और दूध दोनों में फाइबर नामक पोषक तत्व पाया जाता है। कई वैज्ञानिक रिसर्च में इस बात का दावा किया जा चुका है कि फाइबर पोषक तत्व हमारे पाचन के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए जिन लोगों की पाचन क्रिया ठीक तरीके से पूरी नहीं होती है, ऐसे लोगों को दूध और इलायची का सेवन खाने के बाद करना चाहिए। इससे पाचन क्रिया ठीक तरह से काम करेगी और आप पाचन संबंधी कई प्रकार की बीमारियों से भी बचे रहेंगे। अल्सर को ठीक करने में मिलेगी मदद आपने अक्सर मुंह के छालों से कई लोगों को परेशान होते हुए जरूर देखा होगा। आमतौर पर यह पेट के ठीक तरह से साफ ना होने के कारण होता है। जबकि इलायची में ऐसे विशेष गुण होते हैं जो मुंह और पेट के छालों को भी ठीक करने में कारगर साबित हो सकते हैं। इलायची में पाई जाती है जो छालों को ठीक करने के लिए प्रभावी मानी जाती है। इसलिए दूध और इलायची का एक साथ किया गया सेवन आपको छालों की समस्या से भी निदान दिला सकता है। ​ब्लड प्रेशर को रखता है संतुलित ब्लड प्रेशर को मेंटेन बनाए रखना बहुत जरूरी होता है। हाई ब्लड प्रेशर के मरीज हृदय रोगों के चपेट में कभी भी आ सकते हैं। इतना ही नहीं, हाई ब्लड प्रेशर के कारण हृदय से जुड़ी कई प्रकार की गंभीर बीमारियों जैसे स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है। इससे बचे रहने के लिए दूध और इलायची पीना काफी फायदेमंद साबित होगा। ऐसा इसलिए मुमकिन हो सकता है क्योंकि दूध और इलायची दोनों में मैग्नीशियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है। यह पोषक तत्व हाई ब्लड प्रेशर को कम करने और ब्लड प्रेशर को संतुलित बनाए रखने के लिए प्रभावी रूप से कार्य करता है। ​सर्दी-जुकाम को ठीक करे ब्लड प्रेशर को मेंटेन बनाए रखना बहुत जरूरी होता है। हाई ब्लड प्रेशर के मरीज हृदय रोगों के चपेट में कभी भी आ सकते हैं। इतना ही नहीं, हाई ब्लड प्रेशर के कारण हृदय से जुड़ी कई प्रकार की गंभीर बीमारियों जैसे स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है। इससे बचे रहने के लिए दूध और इलायची पीना काफी फायदेमंद साबित होगा। ऐसा इसलिए मुमकिन हो सकता है क्योंकि दूध और इलायची दोनों में मैग्नीशियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है। यह पोषक तत्व हाई ब्लड प्रेशर को कम करने और ब्लड प्रेशर को संतुलित बनाए रखने के लिए प्रभावी रूप से कार्य करता है। ​सर्दी-जुकाम को ठीक करे NBT नेशनल सेंटर फॉर बायो टेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन केअध्ययन के अनुसार, इलायची में कॉमन कोल्ड को ठीक करने का ही गुण पाया जाता है। के द्वारा भी इस बारे पुष्टि की जा चुकी है। इसलिए जो लोग सर्दी-जुकाम की चपेट में आने से बचे रहना चाहते हैं वह इलायची और दूध का सेवन से कर सकते हैं। खासकर यह उन लोगों के लिए और भी फायदेमंद रहेगा, जो इम्यून सिस्टम काफी कमजोर होने की वजह से जल्दी-जल्दी सर्दी-जुकाम की चपेट में आ जाते हैं।
महिलाएं हों या फिर पुरुष, बालों को हल्‍दी रखना हर किसी को पसंद है। इन दिनों खराब लाइफस्‍टाइल और प्रदूषण के चलते बालों की सेहत पर सीधा असर पड़ता है। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि बालों की ग्रोथ और उन्‍हें घना-मुलायम करने के लिए लहसुन कितना असरदार साबित हो सकता है। लहसुन हमारी सेहत के लिए जितना फायदेमंद है, उतना ही बालों की खूबसूरती और मजबूती बढ़ाने में भी मदद करता है। लहसुन विटामिन बी-6, सी और मैगनिस जैसे पौष्टिक तत्व से भरा होता है, इसलिए यह बालों का झड़ना रोक कर उन्‍हें घना बनाता है। इसे आप शैंपू या फिर अपने तेल में डाल कर प्रयोग कर सकते हैं। यहां जानें इसे हेयर ग्रोथ के लिए कैसे इस्‍तेमाल करें। हेयर ग्रोथ के लिए लहसुन का तेल इस तेल की मालिश से सिर का ब्‍लड सर्कुलेशन बढ़ता है, जिससे बालों की जड़ें मजबूत बनती हैं और बालों की ग्रोथ होती है। तेल बनाने के लिए लहसुन की 8 कलियां और 1 मध्यम आकार का प्याज एक साथ ब्‍लेंड करें। फिर एक कढाई में 1/2 कप जैतून, नारियल या अरंडी का तेल डालकर गरम करें और उसमें लहसुन और प्याज का पेस्ट डालें। तेल को तब तक गर्म करें जब तक कि गूदा भूरा न होने लगे। आंच बंद कर दें। जब तेल ठंडा हो जाए तब अपने स्कैल्प पर दो बड़े चम्मच तेल से मालिश करें। बेस्‍ट रिजल्‍ट के लिए इसे सप्ताह में 3 बार दोहराएं। बालों की ग्रोथ के लिए लहसुन और शहद शहद आपके बालों में नमी को सील कर देता है, जिससे बाल मुलायम और चमकदार बने रहते है। इस पैक को बनाने के लिए लहसुन की आठ कलियों का रस निकालें। फिर इसमें एक बड़ा चम्मच शहद मिलाएं। मिश्रण को अपने बालों और स्‍कैल्‍प पर लगाएं और 20 मिनट के लिए छोड़ दें। शैंपू करके बाल धो लें। इसे हफ्ते में 2-3 बार दोहराएं। रूसी से छुटकारे के लिए लहसुन और अदरक रिसर्च के अनुसार अदरक रूसी को कम कर सकता है। इसका उपयोग बालों को झड़ने से रोकता है। लहसुन की 8 कलियां लेकर उसके साथ 2 इंच की अदरक को ब्‍लेंड करें। एक कढाई में आधा कप जैतून या नारियल का तेल गरम करें। उसमें लहसुन और अदरक का पेस्‍ट डालकर भूरा होने तक पकाएं। आंच बंद कर दें। तेल के ठंडा हो जाने के बाद इसे स्‍कैल्‍प और बालों में लगाएं। 30 मिनट के बाद बाल धो लें। ​5. प्याज, लहसुन, और दालचीनी प्याज का रस बालों के विकास को प्रोत्साहित करने में मदद कर सकता है। एक अध्ययन से पता चला कि दालचीनी भी बालों को बढ़ाती है। इस तेल को बनाने के लिए 1 छोटा प्याज, लहसुन की 3 कलियां, 1 दालचीनी छड़ी और पानी लें। सभी चीजों को 15 मिनट के लिए दो कप पानी में उबालें। घोल को ठंडा होने दें। फिर इसे छान लें और नहाने से पहले अपने बालों में इसे लगाएं। 30 घंटे के बाद इसे गुनगुने पानी से धो लें। ​हेयर ग्रोथ के लिए गार्लिक शैंपू 15 लहसुन की कलियों का पेस्‍ट बना लें। इसे शैंपू की एक बोतल में मिलाए। खुशबू के लिए पेपरमिंट ऑयल की 10 बूंदें मिलाएं। अपने बालों को धोने के लिए इस शैंपू का उपयोग करें। इस शैंपू का इस्तेमाल हफ्ते में 3 बार से ज्यादा न करें।nbt
How To Get Strong Liver : लिवर की कमजोरी दूर करने के लिए अपनी थाली में रखना न भूलें ये 6 फूड्सलिवर हमारे शरीर का एक ऐसा अंग होता है जो सुचारू रूप से कार्य करके हमारे शरीर की कई कार्यप्रणालियों को बेहतरीन तरीके से चलाता है। इसमें अगर थोड़ी-सी भी कमी हो जाए या फिर यह कमजोर पड़ जाए तो हमारे शरीर के कई कार्य रुक जाएंगे, जो गंभीर बीमारियां भी उत्पन्न कर सकते हैं। खराब खान-पान के कारण लिवर कमजोर हो जाता है जिस कारण वह ठीक तरीके से कार्य नहीं कर पाता है। इसलिए लिवर को मजबूत बनाए रखना बहुत जरूरी है। लिवर को मजबूत बनाए रखने के लिए यहां पर कुछ ऐसे ही खास खाद्य पदार्थ बताए जा रहे हैं जिसका सेवन आप नियमित रूप से कर सकते हैं। आइए अब इनके बारे में विस्तार से जानते हैं। ​लहसुन लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही जरूरी माना जाता है। वहीं, जब बात आती है लिवर को मजबूत बनाने की तो इसमें भी लहसुन का सेवन सक्रिय रूप से कार्य करता है। कई वैज्ञानिक रिपोर्ट में इस बात का दावा किया जा चुका है कि लहसुन का सेवन करने से लिवर को स्वस्थ बनाए रखने में काफी मदद मिलती है। इसके लिए आप रोज सुबह तक के लहसुन का सेवन एक गिलास पानी के साथ भी कर सकते हैं। ​पपीता गर्मियों में पपीता आपको बड़ी आसानी से मिल जाएगा। इसे आप चाहें तो आमतौर पर जूस के रूप में भी पी सकते हैं। यहां को हाइड्रेट रखने के साथ-साथ आपके शरीर को कई जरूरी पोषक तत्व भी प्रदान करता है। लिवर को मजबूत बनाने के लिए भी पपीता काफी कारगर साबित हो सकता है। लिवर को डिटॉक्सिफाई करने में भी सक्रिय रूप से कार्य करता है। इसलिए आप हफ्ते में पपीते का सेवन कम से कम 2 बार जरूर कर सकते हैं। ​पालक हरी पत्तेदार सब्जियों में प्रमुख रूप से गिनी जाने वाली पालक का साग के रूप में सबसे ज्यादा सेवन किया जाता है। पालक में विटामिन-सी की मात्रा पाई जाती है। हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है जो हमारे लिवर को कमजोर होने से बचाने के लिए भी कार्य करता है। इसलिए पालक का जूस का सेवन करने से लिवर को कमजोर होने से बचाए रख सकते हैं। ​ब्लैकबेरी ब्लैकबेरी आपको किसी भी मौसम में बड़ी आसानी से मिल जाएगी। इसका सबसे ज्यादा उपयोग स्मूदी के रूप में भी किया जाता है। इसमें एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण पाया जाता है। यह एक ऐसा गुण है जो शरीर में विभिन्न प्रकार की सूजन को रोकने के लिए कार्य करता है। वहीं, लिवर में किसी भी कारण से होने वाली सूजन को कम करने के लिए भी ब्लैकबेरी मददगार होती है। ​हल्दी हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है इसके साथ-साथ हमारे शरीर को कई अन्य लोगों से भी बचाने का कार्य करती है। लिवर को मजबूत बनाए रखने के लिए और उसकी कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से चलाने के लिए भी हल्दी का सेवन सक्रिय रूप से मददगार साबित हो सकता है। अब गोल्डन ड्रिंक के रूप में हल्दी और दूध का एक साथ सेवन कर सकते हैं, जिससे आपका लिवर अच्छी तरह से कार्य करेगा और यह बीमारियों से बचा भी रहेगा। ​आंवला आंवला एक ऐसा फल है जो कई रूपों में खाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसका अचार, जूस के और मुरब्बे के रूप में सेवन किया जाता है। लिवर को मजबूत बनाने के लिए यह फल काफी लाभदायक माना जाता है। पर प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार लिवर को मजबूत बनाए रखने के लिए आंवला का सेवन भी कर सकते हैं। इसलिए आप चाहें तो ऊपर बताए गए 3 रूपों में से किसी भी एक रूप में आंवले का सेवन कर सकते हैं। यह त्वचा को निखारने के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है।
इंसान के शरीर के लिए फलों और सब्जियों का रस बहुत ज्यादा फायदेमंद साबित होता है। सबसे बड़ी बात यह है कि जूस पीने से सिर्फ तुरंत हाइड्रेशन में मदद ही नहीं मिलती है बल्कि इससे ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं। अगर आप भी मजबूत और चमकदार बालों की कल्पना कर रहे हैं तो हम आपको बालों की मजबूती के लिए कुछ ऐसे जूस के बारे में बता रहे हैं। यहां हम आपको इन जूस के फायदों के बारे में बता रहे हैं और इन्हें बनाने की विधि भी बता रहे हैं। आलू का जूस आलू का रस पीने से बालों को बहुत फायदा होता है। आलू में आयरन, विटामिन सी, जिंक, बीटा कैरोटीन और फॉस्फोरस होता है, जिसकी वजह से इसका रस सिर की कोशिकाओं को पोषण देकर बालों को स्वास्थ रखता है। आलू सिर के पीएच लेवल को संतुलित रखकर रूसी और खुजली पर रोक लगाता है, इससे बालों का झड़ना बंद कम हो जाता है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि आलू का रस कैसे तैयार किया जाता है। बनाने की विधि: सबसे पहले आलू को छीलकर औस छोटे-छोटे भागो में काटें। अब बारीक कटे हुए आलू को को एक ब्लेंडर में डालें। अब इसमें थोड़ा पानी मिलाएं और इसे तब तक ब्लैंड करें जब तक इसका रस ना निकल जाए। लिक्विड को अलग करके एक लंबे ग्लास में डाल दें। अब इस तुरंत इसका सेवन करें। आंवला का जूस अगर आप नियमित रुप से आंवला का जूस पीते हैं तो यह आपको बालों के लिए किसी औषधि से कम नहीं है। यह बालों और सिर की देखभाल के लिए मददगार साबित होता है। भारत में मिलने वाले आंवले का जूस विटामिन सी से भरपूर होता है और यह एक नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट है। यह मुक्त कणों से लड़ने में मदद करता है। आंवले का जूस काफी तेजी से बालों के झड़ने को रोक सकता है। इसी के साथ यह समय से पहले बालों को सफेद होने से भी रोकता है। आंवले का रस पीने से से आपके बालों का रंग प्राकृतिक काला हो सकता है। आंवले के जूस मे एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं जो कि डैंड्रफ और यीस्ट इन्फेक्शन को रोकते हैं। यहां हम आपको इस जूस को बनाने की विधि बता रहे हैं। बनाने की विधि: सबसे पहले आंवला को धोकर साफ कर लीजिए अब आंवला को छोटे-छोट भागों में काट लीजिए। अब कटे हुए आंवला को एक ब्लेंडर में थोड़े से पानी के साथ रखिए। अब इसे तब तक ब्लैंड कीजिए जब तक कि यह नरम न हो जाए। अब फिल्टर का इस्तेमाल करके लिक्विड को अलग करें और पल्प को अलग छान लें। अब इसमें एसिडिटी को कम करने के लिए थोड़ा शहद मिला सकते हैं, जिससे यह अधिक पीने योग्य बना जाएगा। गाजर का जूस सर्दियों के मौसम में वैसे गाजर का सबसे ज्यादा सेवन किया जाता है। वैसे तो गाजर का जूस कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जिसके चलते यह बालों के विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। गाजर के जूस में कैरोटेनॉयड्स नामक एंटीऑक्सिडेंट अधिक मात्रा में होते हैं जो कि सिर की कोशिकाओं की कोशिकाओं के ऑक्सीडेटिव क्षति को कम करते हैं। इसमें मौजूद विटामिन ड्राई और डैमेज्ड को ठीक करके बालों को झड़ने से रोकती हैं। इससे बाल हाइड्रेट होते हैं और मुलायम और कोमल हो जाते हैं। इसमें बायोटिन का मुख्य सोर्स है जो कि बालों के झड़ने और बालों के पतले होने से रोकने के लिए केराटिन को तैयार करता है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि इस जूस को कैसे बनाया जाता है। बनाने की विधि: सबसे पहले गाजर को अच्छी तरह से धोकर साफ कर लीजिए। साफ गाजर को अब छील कर उसे टुकड़ों में काट लीजिए। अब कटी हुई गाजर को एक जार में थोड़े पानी के साथ रखिए। जब तक यह पूरी तरह से मिल न जाए इसे तब तक जार में ब्लैंड कीजिए। अब जूस को छान कर इसे किसी लंबे ग्लास में रखिए और पीजिए।
दाल खाना हमारी सेहत के लिए बहुत अधिक लाभकारी होता है लेकिन अगर इन्हें दिन के समय में और मौसम का ध्यान रखकर खाया जाए। अगर आप सिर्फ प्रोटीन पाने की चाहत में कोई-सी भी दाल कभी भी बनाकर खा लेते हैं तो आपको अपनी लाइफ में हो रही दिक्कतों की वजह यहां पता चल जाएगी... इस दाल को कभी भी खा सकते हैं - मूंग और मसूर की मिक्स दाल एक ऐसी दाल होती है, जिसे आप 24 घंटे में कभी भी खा सकते हैं क्योंकि यह पचने में आसान होती है। -मूंग दाल की तासीर ठंडी और मसूर दाल की तासीर गर्म होती है। जब इन दोनों को मिलाकर तैयार किया जाता है तो महादिल (किसी भी समय खाई जा सकनेवाली) की तरह पौष्टिक हो जाती हैं। उड़द की दाल खा सकते हैं रात को -उड़द की छिलके सहित दाल आप रात के समय भोजन में ले सकते हैं। साथ ही खास बात यह है कि इसे पूरे साल किसी भी मौसम में रात को बनाकर खाया जा सकता है। -मूंग-मसूर की मिक्स दाल की तरह ही इसे रात को खाने से ना तो गैस की समस्या होती है ना ही पेट दर्द और अपच की शिकायत। एक-एक दाल का असर मूंग की छिलके सहित दाल गर्मी और बरसात में रात को आराम से खाई जा सकती है। यह तासीर में शीतल होती है और शरीर को ठंडक देने का काम करती है। -मसूर की दाल अगर अकेले बनाकर खानी हो तो आप इसे केवल सर्दियों में ही रात को बनाकर खाएं। क्योंकि मसूर की दाल बहुत अधिक गर्म होती है। जगह-जगह का असर -जिन दालों के बारे में हमने ऊपर बात की है, उन्हें तो कभी भी कहीं भी बनाकर खाया जा सकता है। यानी आप बस नियम का ध्यान रखें और बनाकर खाएं। लेकिन कुछ दालें ऐसी होती हैं, जिन्हें खाने से पहले स्थान का ध्यान रखना होता है। -उदाहरण के लिए, गर्मी के मौसम में रात के समय पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अरहर की दाल खाने का चलन नहीं है। क्योंकि यह रात को अपच की समस्या कर सकती है। -लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश में अरहर की दाल रात के समय बहुत चाव से खाई जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारे खान-पान और क्षेत्र की जलवायु का हमारे शरीर पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। उम्र का भी है संबंध -आपको जानकर हैरानी हो सकती है लेकिन उड़द, छोले, साबुत मसूर, साबुत मूंग और राजमा जैसे साबुत अनाज अगर 50 साल से कम उम्र के लोग रात को खाते हैं तो उन्हें बहुत गहरी नींद आने की संभावना होती है। -जबकि यही दालें अगर 50 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति रात को खाएं तो उनकी पूरी रात जागते-जागते गुजर सकती है। इन्हें तो किसी भी सूरत में रात को ना खाएं उड़द, छोले, साबुत मसूर, साबुत मूंग और राजमा किसी भी मौसम में और किसी भी क्षेत्र में रात के वक्त खाने से बचना चाहिए। क्योंकि रात में इनका पाचन सही प्रकार से नहीं हो पाता है। इसके चलते कई तरह की शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं। - जैसे पेट में भारीपन होना, गैस बनना, नींद पूरी ना होना, सुबह पेट ठीक से साफ ना होना, पेट दर्द हो जाना या अगले दिन बहुत अधिक आलस आना। आयुर्वेद कहता है फरवरी-मार्च में नहीं खानी चाहिए ये दालें Know Your Food: आयुर्वेद कहता है फरवरी-मार्च में नहीं खानी चाहिए ये दालेंआयुर्वेद के अनुसार हमें अपने खाने-पीने का ध्यान मौसम के अनुरूप रखना चाहिए। लेकिन आज की जनरेशन के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि हमें पता ही नहीं कि किस फूड का नेचर कैसा होता है यानी तासीर में कौन-सी खाद्य वस्तु ठंडी है और कौन-सी गर्म होती है। यहां दालों के गुण और उनकी प्रकृति के बारे में जानें। फरवरी-मार्च ना गर्मी है ना सर्दी आयुर्वेदाचार्य सुरेंद्र सिंह का कहना है कि फरवरी लास्ट और मार्च का समय ऐसा होता है, जब ना बहुत अधिक सर्दी होती है और ना ही बहुत अधिक गर्मी। इस मौसम को शीतोष्ण कहा जाता है। ऐसे मौसम में हमें अपने खान-पान में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ना तो हम एकदम गर्म तासीर की चीजें खाएं और ना ही ठंडी तासीर की। कौन-सी दाल खाना है बेहतर? आयुर्वेद के अनुसार, इस मौसम में मिश्रित दालों को खाना चाहिए, जिन्हें मिक्स दाल कहा जाता है। जैसे आप अरहर की दाल में मसूर की दाल मिलाकर इस मौसम में खाएंगे तो यह आपको बदलते मौसम की बीमारियों से भी बचाएगी। मूंग और मसूर की दाल मूंग की दाल तासीर में बहुत ठंडी होती है और मसूर की दाल गर्म होती है। ऐसे में फरवरी और मार्च के महीने में इन दोनों दालों को बराबर मात्रा में मिलाकर खाना चाहिए। इससे शरीर को मौसम के हिसाब से तापमान नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। पेट रहता है साफ मूंग दाल का प्रभाव बड़ी आंत पर अधिक होता है। यह पेट की गर्मी से होनेवाले रोगों में फायदेमंद है। सर्दी के मौसम में हम गर्म तासीर की चीजें अधिक खाते हैं ऐसे में कई बार कॉन्स्टिपेशन की समस्या हो जाती है। यह दाल खाने में उपयोग करने पर डायजेशन ठीक रहता है। पेट को सेहतमंद रखने में मदद मिलती है। स्किन और बालों की ड्राईनेस रोके मूंग मसूर की दाल मिलाकर खाने पर यह बॉडी में बढ़ती ड्राइनेस को कंट्रोल करने में मदद करती है। जाती हुई सर्दी में जो ठंडी हवाएं चलती हैं, उनसे बालों में भी अधिक रुखापन होने लगता है। अगर आप नियमित रूप से मूंग और मसूर की दाल बराबर मात्रा में लेकर बनाएंगे और सेवन करेंगे तो आपको रुखेपन की इस समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। दिमाग में क्लियर कर लें यह बात कुछ लोगों को यह जानकर हैरानी हो सकती है लेकिन यह एक नैचरल ट्रुथ है कि साबुत मसूर तासीर में ठंडी होती है लेकिन इसकी दाल तासीर में गर्म होती है। जबकि साबुत मूंग तासीर में गर्म होती है और छिलके सहित उसकी दाल तासीर में ठंडी होती है। शोध का विषय है साबुत मसूर और साबुत मूंग को पीसकर दाल बनाने पर इनकी प्रकृति में इतना बदलाव क्यों आ जाता है कि तासीर में गर्म मूंग की दाल ठंडी और ठंडी मसूर की दाल तासीर में गर्म हो जाती है। यह एक शोध का विषय है। महादिल होती है चने की दाल चना और चने की दाल अपनी खूबियों के कारण एकदम अनूठे होते हैं। चना और चने की दाल की प्रकृति महादिल बताई गई है। यानी ऐसे खाद्य पदार्थ जिन्हें किसी भी मौसम में खाया जा सकता है। बस इन्हें रात में खाने से बचना चाहिए। ठंडी प्रकृति की होती हैं ये दालें -अरहर की दाल -मूंग दाल छिलकेवाली -उड़द की धुली दाल -साबुत मसूर -राजमा (हालांकि होली के बाद उड़द में मिलाकर राजमा खा सकते हैं) गर्म प्रकृति वाली दालें -उड़द (लेकिन इस मौसम में इन्हें खालिस खा सकते हैं, राजमें के साथ नहीं) - खालिस मसूर की दाल -उड़द की छिलकेवाली दाल -लोबिया -साबुत मूंग
मुंबई कोरोना वायरस जहां धीरे-धीरे अपने पैर पसारता जा रहा है, वहीं चिंता की बात है कि अभी तक इसकी कोई स्पेसिफिक दवा या वैक्सीन नहीं बन पाई है। ऐसे में जिन संभावित दवाओं से इलाज की उम्मीद है, दुनियाभर के डॉक्टर उन्हीं से इलाज कर रहे हैं। ऐसा ही प्रयोग मुंबई के केईएम अस्पताल में एक 35 वर्षीय कोरोना मरीज पर किया गया, जिसे त्वचा रोग के इलाज के लिए दी जाने वाली दवा दी गई। Itolizumab नाम की इस दवा को बेंगलुरु स्थित दवा कंपनी बायोकॉन बनाती है। इसका इस्तेमाल सोरायसिस के इलाज में किया जाता है। केईएम अस्पताल के डीन डॉ. हेमंत देशमुख ने बताया कि शनिवार को एक 35 वर्षीय मरीज को 8 घंटे के अंतराल पर इस दवा को दिया गया। Itolizumab को बायोकॉन ने कोविड-19 के इलाज के लिए अधिकृत किया है। देशमुख ने बताया, 'हमने कुछ हफ्ते पहले केईएम और कोविड-19 का इलाज कर रहे अन्य अस्पतालों में इस दवा के क्लिनिकल ट्रायल की इजाजत मांगी थी।' अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र पहला ऐसा राज्य है जिसने त्वचा रोग में इस्तेमाल होने वाली दवा को कोविड-19 के इलाज के लिए इस्तेमाल किया। अन्य किसी राज्य में इसके ट्रायल की अभी तक कोई खबर नहीं मिल पाई है। शरीर में घुसीं बाहरी कोशिकाओं से लड़ने में मदद करती है दवा इस दवा को 'humanised anti-CD6 monoclonal antibody' के तौर पर क्लासिफाई किया गया है। जिसका मतलब होता है लैब में पैदा किया गया ऐसा मॉलिक्यूल जो बाहरी कोशिकाओं से लड़ने में रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए सब्सटीट्यूट एंटीबॉडी का काम करता है। जिस 35 वर्षीय मरीज पर इस दवा का ट्रायल किया गया वह वर्ली का रहने वाला है और पेशे से ड्राइवर है। उसे 27 अप्रैल को केईएम में भर्ती किया गया था, अगले दिन वह कोविड-19 पॉजिटिव पाया गया। दवा से मजबूत होगा मरीज का इम्यून सिस्टम केईएम हॉस्पिटल के एक डॉक्टर ने बताया कि मरीज को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है क्योंकि उसका ऑक्सीजन लेवेल 90 तक पहुंच गया है। उन्होंने बताया, 'इस शख्स को कम गंभीर मरीज की श्रेणी में रखा जा सकता है। हमने उसे दवा दी है जिससे उसका इम्यून सिस्टम मजबूत होगा और वह कोरोना से आसानी से लड़ सकेगा।' इस बीच बीएमसी अधिकारियों ने बताया कि अस्पताल ऐसे दूसरे कोविड-19 मरीज की तलाश में हैं जिस पर प्लाज्मा ट्रीटमेंट थेरपी का ट्रायल किया जा सके।
रात में अगर आपको भी देर तक नींद नहीं आती है और करवटें बदलते-बदलते आपकी सुबह हो जाती है तो हो सकता है कि आप अनिद्रा की समस्या से जूझ रहे हों। कई लोग ऐसे भी होते हैं जो दिनभर काम करने के बावजूद रात को अच्छी नींद नहीं ले पाते हैं। इसका एक कारण स्ट्रेस भी हो सकता है। यहां एक ऐसी ही खास ड्रिंक के बारे में बताया जा रहा है जो आपकी अनिद्रा की समस्या को दूर करके बढ़िया नींद दिला सकती है। इस ड्रिंक को बनाने की विधि के साथ-साथ यह कैसे मददगार होगी इस बारे में भी आपको बताया जाएगा। नींबू रस से तैयार होगी ड्रिंक आपको यह सुनकर थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन इस पर कई सारे शोध हुए हैं, जिनमें इस बात की पुष्टि होती है कि नींबू का सेवन अगर रात में अनिद्रा की समस्या से छुटकारा पाने के लिए किया जाए तो यह सक्रिय रूप से काफी मददगार साबित हो सकता है। इसके वैज्ञानिक कारण की बात करें तो यह स्लीपिंग हार्मोन को एक्टिवेट करने का गुण रखता है। इस वजह से भी यह नींद दिलाने में मददगार ड्रिंक साबित हो सकती है। स्ट्रेस को भी करती है कम कई लोग ऐसे भी होते हैं जो ऑफिस की टेंशन या फिर घर की कुछ समस्याओं के कारण स्ट्रेस से परेशान रहते हैं। आप भी अगर ऐसे ही स्ट्रेस से जूझ रहे हैं तो इससे छुटकारा पाने के लिए भी नींबू आपको काफी फायदा पहुंचा सकता है। नेशनल सेंटर फॉर बायो टेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन के अनुसार नींबू में स्ट्रेस को कम करने का सक्रिय गुण पाया जाता है। इतना ही नहीं, लेमन ड्रिंक फ्लेवर के कई परफ्यूम और रूम फ्रेशनर को इन्हेल करने के लिए भी डॉक्टरों के द्वारा सलाह दी जाती है, जो स्ट्रेस को कम करके नींद दिलाने में काफी मददगार साबित होते हैं। वहीं, ड्रिंक के रूप में नींबू का सेवन स्ट्रेस को कम करके आपको नींद दिलाने में कम समय में ही अपना असर दिखा सकता है। सामग्री - 1 गिलास के लिए एक नींबू 1 चुटकी नमक बनाने की विधि सबसे पहले नींबू को काट लें। नींबू का रस स्क्वीजर के जरिए निकालें। अब एक गिलास पानी लें और नींबू के रस को पानी में चम्मच के सहारे अच्छी तरह मिला दें। ऊपर से नमक डालें और इस ड्रिंक का सेवन सोने से आधे घंटे पहले करें। 2 से 3 दिन तक लगातार सेवन करने के बाद आपकी अनिद्रा की समस्या काफी हद तक कम हो सकती है।
फैटी लिवर को हेप्टिक स्‍टेटोसिस भी कहा जाता है। इस स्थिति में लिवर में अत्‍यधिक फैट जमा हो जाता है। ये जमाव लिवर के कार्यों में बाधा उत्‍पन्‍न करता है और शरीर के लिए जरूरी पित्त रस एवं इंसुलिन का उत्‍पादन धीमा कर देता है। कुछ गंभीर मामलों में लिवर पर हमेशा के लिए स्‍कार लग सकता है और धीरे-धीरे लिवर फेल भी हो सकता है। ये एक जानलेवा स्थिति होती है जिसे लिवर सिरोसिस के नाम से जाना जाता है। ​फैटी लिवर का इलाज आप घरेलू उपचार से भी फैटी लिवर का इलाज कर सकते हैं। दवा के साथ घरेलू नुस्‍खों के इस्‍तेमाल से आप जल्‍दी फैटी लिवर की समस्‍या से निजात पा सकते हैं। ​फैटी लिवर का घरेलु उपचार है एप्‍पल साइडर विनेगर एप्‍पल साइडर विनेगर लिवर से विषाक्‍त पदार्थों को बाहर निकाल देता है। ये लिवर को स्‍वस्‍थ बनाने में मदद करता है। एक कप गुनगुने पानी में एक चम्‍मच एप्‍पल साइडर विनेगर डालकर रोज सुबह पिएं। ​फैटी लिवर का रामबाण इलाज है नींबू फैटी लिवर के इलाज के लिए आप नींबू का भी इस्‍तेमाल कर सकते हैं। नींबू विटामिन सी से युक्‍त होता है जो कि एक पाॅवरफुल एंटीऑक्‍सीडेंट है और यह लिवर की कोशिकाओं को रेडिकल डैमेज से रोक सकता है। एक कप पानी में आधा नींबू निचोड़ें और एक चम्‍मच शहद डालकर रोज सुबह पिएं। ​फैटी लिवर का देसी इलाज है हल्‍दी हल्‍दी में करक्‍यूमिन नामक तत्‍व होता है जो कि नॉन-एल्‍कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज की स्थिति में लिवर की कोशिकाओं को सुरक्षित रख सकता है। एक गिलास पानी लें और उसे उबालने के लिए रख दें। अब इसमें एक चुटकी हल्‍दी डालें। आप चाहें तो इसमें नींबू का रस भी डाल सकते हैं। मिक्‍स कर के रोज सुबह इस गुनगुने पानी का सेवन करें। ​आंवला है फैटी लिवर के घरेलू नुस्खे आंवला विटामिन सी से युक्‍त होता है जो लिवर को साफ रखने और आगे किसी भी तरह के नुकसान से बचाने में मदद करता है। आंवले में क्‍यूरसेटिन नामक फाइटोकेमिकल होता है जो लिवर कोशिकाओं के ऑक्‍सीडेटिव स्‍ट्रेस को कम कर सकता है। मध्‍यम आकार के दो से तीन आंवला लें और उन्‍हें छोटे टुकड़ों में काटकर बीज अलग कर दें। अब इसमें थोड़ा-सा पानी डालकर ब्‍लैंड कर जूस निकाल लें। इस जूस को एक गिलास गर्म पानी में डालकर पिएं। ​फैटी लिवर का घरेलू उपचार है दालचीनी फैटी लिवर के लिए दालचीनी सबसे असरकारी दवा है। इसके सूजन-रोधी गुण ज्‍यादा शराब के कारण लिवर में आई सूजन को कम करते हैं। एक गिलास पानी में दालचीनी की दो से तीन स्टिक डालकर पानी को उबाल लें। दो से तीन मिनट के बाद पानी को छानकर रोज सुबह पिएं। ​फैटी लिवर का घरेलू इलाज है अलसी अलसी न सिर्फ पाचन के लिए बेहतर होती हैं बल्कि फैटी लिवर से भी बचाती है। अलसी कोशिकाओं पर पड़ रहे ऑक्‍सीडेटिव स्‍ट्रेस को कम कर लिवर को हुए नुकसान को घटाती है। आप अलसी को पाउडर के रूप में ले सकते हैं। पानी या सलाद पर भी अलसी का पाउडर डालकर खा सकते हैं। ​डैंडलियोन टी एक कप पानी में चार से पांच डैंडलियोन के फूलों को एक से दो मिनट तक उबालें। अब इस पानी को छानकर पी लें। डैंडलियोन में पॉवरफुल बायोएक्टिव यौगिक होते हैं जो शरीर में कोलेस्‍ट्रोल के लेवल को कम कर सकते हैं। इस तरह इन घरेलू उपायों की मदद से आप फैटी लिवर की समस्‍या को खत्‍म या कम तो जरूर कर सकते हैं।
गर्मियों में सबसे ज्‍यादा खाया जाने वाला खीरा न केवल शरीर को ठंडक का एहसास करवाता है बल्‍कि कब्‍ज और डिहाइड्रेशन से भी मदद दिलाता है। खीरा विटामिन C और K समेत अन्‍य आवश्यक पोषक तत्वों से भरा होता है। यह आपको वजन कम करने में भी मदद करता है। यह कैलोरी में बेहद कम होता है इसलिए आप इसे दिनभर में कभी भी और किसी भी रूप में खा सकते हैं। वो लोग जो वेट लॉस के लिए तहर-तरह के डायट प्‍लान आजमाते हैं, उन्‍हें अपने आहार में खीरे को भी शामिल करना चाहिए। इन दिनों मार्केट में खूब तरबूज, खरबूज, ककड़ी और खीरे मिल रहे हैं, जिन्‍हें वजन कम करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। मगर आज यहां हम आपको बताएंगे कि मोटापा घटाने के लिए खीरे को किस तरह से खाएं: ​मोटापा घटाने में कैसे मदद करता है खीरा खीरे में न के बराबर कैलोरी पाई जाती है। वजन घटाने के लिए हमें अपनी कैलोरी इंटेक पर ध्‍यान देना चाहिए। दिनभर में आप जितनी कैलोरी खाते हैं, उससे कहीं ज्‍यादा बर्न कर के आप वजन घटा सकते हैं। 300-ग्राम खीरे में केवल 2 ग्राम प्रोटीन और 0.3 ग्राम फैट पाया जाता है। यही नहीं 1 कप खीरे में मात्र 14 कैलोरी ही पाई जाती है। यदि आपको बार-बार भूख लगती है तो आप चाहे जितना खीरा खाकर अपने पेट की भूख शांत कर सकते हैं और आपका वजन भी नहीं बढेगा। ​अन्‍य जरूरी पोषक तत्‍वों से भरा होता है खीरा एक मध्यम आकार का बिना छीला हुआ खीरा आपको विटामिन K प्रदान कर सकता है। यह एक जरूरी पोषक तत्व है जो ब्‍लड क्‍लॉटिंग और खून में कैल्शियम केवेल को मेटेंन करता है। एक मीडियम साइज का खीरा आपको विटामिन सी के दैनिक मूल्य का 7 प्रतिशत प्रदान करता है। विटमिन सी आपकी इम्‍यूनिटी को बढ़ाता है, कोलेजन के उत्पादन में मदद करता है जो आपकी हड्डी, बाल और त्वचा को मजबूत रखता है। खीरे के बीज कब्ज से लड़ने में मदद करते हैं, मधुमेह विरोधी लाभ होते हैं और एंटीबायोटिक की एक सभ्य मात्रा होती है। यह सब पोषण आपको सक्रिय और स्वस्थ जीवन जीने में मदद करता है। ऐसे खाएं तो घटेगा वजन ज्‍यादातर घरों में खीरे को सलाद के रूप में खाया जाता है। सलाद खाने से आपका पेट लंबे समय तक भरा रहेगा और बार-बार कुछ खाने की इच्‍छा भी नहीं करेगी। सलाद बनाने के लिए आप खीरे के अलावा इसमें टमाटर, मूली, गाजर, प्‍याज और नींबू का रस मिलाकर आजमा सकते हैं। खीरे का जूस खीरे का जूस बनाने के लिए एक खीरे के साथ, पुदीने के पत्ते, तुलसी के पत्ते और 1 नींबू का रस मिलाएं। इसे और भी स्वास्थ्यवर्धक बनाने के लिए आप इसमें कुछ पालक के पत्‍ते भी मिला सकते हैं। इस जूस को पीने से स्‍किन पर ग्‍लो भी आएगा। ​खीरा खाते वक्‍त रखें इस बात का ध्‍यान खीरे में 95 फीसदी पानी होता है। इसलिए खीरे का सेवन करने के तुरंत बाद पानी का सेवन न करें। ऐसा करने से पेट में दर्द हो सकता है। इसके अलावा सोने से ठीक पहले खीरे का सेवन न करें क्योंकि इससे आपकी नींद में खलल पड़ सकता है।
नई दिल्ली: आंखों की रोशनी कम हो जाना आजकल काफी आम बात हो गई है। छोटी-छोटी उम्र में बच्चों को नंबर के चश्मे लग जाते हैं। हर दिन Myopia और Hyperopia के केस बढ़ते जा रहे हैं। इसके अलावा भी आंखों से सम्बंधित बीमारियां जैसे कि ग्लूकोमा, कैटरेक्ट, मधुमेह संबंधी रेटिनोपैथी आदि आपके दुनिया को देखने के तरीके को प्रभावित कर सकते हैं। आंखों की रोशनी को बेहतर करने और उसे सुधारने के लिए काफी कुछ किया जा सकता है। क्या है डॉक्टर की राय? डॉक्टर अनीता सेठी (डायरेक्टर, नेत्र विज्ञान, फोर्टिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम) के अनुसार, ऐसी कोई डाइट नहीं है जिससे चश्मा हटाया जा सकता है या जिससे नंबर बढ़ने से रोका जा सकता है। चश्मा पहनने की आवश्यकता या जिसे रेफ्रेक्टिव एरर के नाम से भी जाना जाता है, वो आंख के आकर पर निर्भर करता है। इसके अलावा, आंख के नम्बर पर फैमिली हिस्ट्री का प्रभाव पड़ता है। इसका मतलब यह है कि अगर आपके माता-पिता को बचपन से चश्मा लगा है, तो संभावना होती है कि बच्चे को भी चश्मा लगे। रेफ्रेक्टिव एरर (Refractive Error) अधिकतर बचपन से ही होता है, इसलिए जरूरी है कि स्वस्थ आंखों के लिए हेल्दी डाइट ली जाए। गाजर और अन्य रंगीन सब्जियां विटामिन A का अच्छा स्त्रोत होती हैं। यह आंखों और स्किन दोनों के लिए अच्छी होती हैं। इसी के साथ बच्चों और वयस्कों में अच्छी रीडिंग और स्क्रीन आदतें होना जरूरी है। बच्चों का स्क्रीन टाइम स्कूल के दिनों के दौरान 1 घंटा और छुट्टी के दिन 2 घंटे तक का होना चाहिए। वयस्कों को स्वस्थ आंखों के लिए कलर्ड और पत्तों वाली सब्जियां खानी चाहिए। इससे भी ज्यादा जरूरी अपनी आंखों को अल्ट्रा वॉइलट किरणों से बचाना है। जिन लोगों को लंबे समय तक स्क्रीन के आगे रहना पड़ता है, उन्हें थोड़े समय-समय में आंखों को आराम देने के लिए ब्रेक लेना चाहिए। आंखों पर पड़ने वाले जोर को कम करने के लिए एंटी-ग्लेयर चश्मों का प्रयोग करें। किसी भी डाइट से चश्मों से निजात तो नहीं पाया जा सकता, लेकिन इसके नंबर बढ़ने से रोका जा सकता है। आंखों का व्यायाम (Eye Exercises) आंखों की रोशनी को ठीक करने के लिए आप घर बैठे आंखों की कुछ एक्सरसाइज कर सकते हैं: हाथ योग (Hatha Yoga): अपने दोनों हाथों को तब तक रगड़ें जब तक की वो गर्म न हो जाएं। अब अपने हाथों को अपनी आंखों पर रख लें। इससे आंखों के आस-पास की नसों को आराम मिलेगा और ब्लड सर्कुलेशन बढ़ेगा। सनिंग (Sunning): सूरज की तरफ देखते हुए अपने सर को एक तरफ से दूसरी तरफ तक हिलाएं। खुली आंखों से सीधे सूरज की तरफ न देखें। आंखों की पुतलियों को क्लॉकवाइस और एंटी-क्लॉकवाइस घुमाएं। ऐसा अपनी आंखें बंद कर के करें। इसे दिन में दो बार करें। हालांकि, इसे आप दिन में दो से अधिक बार भी कर सकते हैं। 20-20-20 रूल को करें फॉलो: हर 20 मिनट में 20 सेकंड्स के लिए 20 मीटर दूर फोकस करें। इसके बीच में आपको पलक जरूर झपकानी है। इससे आंखों का विजन बेहतर होगा।| आंखों का विजन बेहतर करने के आयुर्वेदिक उपाय: त्रिफला(Triphala): कई हजारों सालों से त्रिफला को कई बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसमें विटामिन A होने के कारण यह आंखों में होने वाली जलन को रोकता है। त्रिफला कॉर्नियल डायस्ट्रोफिस, कंजंक्टिवाइटिस, आंखों की रोशनी जाना और उम्र के कारण आंखों के कमजोर होने जैसी परिस्थितियों में मदद करता है। एक गिलास गुनगुने पानी में एक बड़ी चम्मच त्रिफला चूर्ण मिलाएं और पानी को ठंडा होने दें। इसे रात भर पड़ा रहने दें और इस पानी से सुबह अपनी आंखें धो लें। इसे सिर्फ एक महीने और प्रति दिन में एक बार ही इस्तेमाल करें। आवलां (Indian Gooseberry): विटामिन C की अधिकता वाला यह पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट आंखों के लिए काफी अच्छा है। यह रेटिना सेल्स के काम करने के तरीके में भी सुधार करता है और स्वस्थ कोशिकाओं को बढ़ावा देता है। पानी में 2 से 4 चम्मच आंवलें का पाउडर और शहद मिला लें। इसे कुछ महीनों तक रोजाना दो बार पीएं।
किशमिश का सेवन करने के बारे में आपने तो बहुत सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी काली किशमिश के बारे में भी कभी सुना है! अगर नहीं, तो कोई बात नहीं। लेकिन इसके सेवन के कई फायदे हैं। यह आपकी सेहत के लिए और भी फायदेमंद हो सकते हैं। इसका सेवन आप दूध के साथ भी कर सकते हैं। हल्के नारंगी कलर में दिखने वाले किशमिश हरे अंगूर से बनते हैं वहीं, काले किशमिश काले अंगूर के जरिए तैयार किए जाते हैं। इसलिए यह आपको बड़ी आसानी से ग्रोसरी शॉप पर मिल जाएंगे। आइए अब इनसे होने वाले फायदों के बारे में जानते हैं। ​​रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करे किशमिश का सेवन करने के बारे में आपने तो बहुत सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी काली किशमिश के बारे में भी कभी सुना है! अगर नहीं, तो कोई बात नहीं। लेकिन इसके सेवन के कई फायदे हैं। यह आपकी सेहत के लिए और भी फायदेमंद हो सकते हैं। इसका सेवन आप दूध के साथ भी कर सकते हैं। हल्के नारंगी कलर में दिखने वाले किशमिश हरे अंगूर से बनते हैं वहीं, काले किशमिश काले अंगूर के जरिए तैयार किए जाते हैं। इसलिए यह आपको बड़ी आसानी से ग्रोसरी शॉप पर मिल जाएंगे। आइए अब इनसे होने वाले फायदों के बारे में जानते हैं। ​​रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करे NBT आपको यह सुनकर हैरानी होगी लेकिन काली किशमिश का सेवन करने के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत बनाया जा सकता है। दरअसल, काली किशमिश में विटामिन सी की मात्रा पाई जाती है जो एंटी ऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करके और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में मदद कर सकती है। इसलिए अगर आप भी अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाए रखना चाहते हैं तो आज से ही काली किशमिश का सेवन शुरू कर सकते हैं। ​हड्डियों को मजबूत करने के लिए किशमिश का सेवन करने के बारे में आपने तो बहुत सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी काली किशमिश के बारे में भी कभी सुना है! अगर नहीं, तो कोई बात नहीं। लेकिन इसके सेवन के कई फायदे हैं। यह आपकी सेहत के लिए और भी फायदेमंद हो सकते हैं। इसका सेवन आप दूध के साथ भी कर सकते हैं। हल्के नारंगी कलर में दिखने वाले किशमिश हरे अंगूर से बनते हैं वहीं, काले किशमिश काले अंगूर के जरिए तैयार किए जाते हैं। इसलिए यह आपको बड़ी आसानी से ग्रोसरी शॉप पर मिल जाएंगे। आइए अब इनसे होने वाले फायदों के बारे में जानते हैं। ​​रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करे NBT आपको यह सुनकर हैरानी होगी लेकिन काली किशमिश का सेवन करने के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत बनाया जा सकता है। दरअसल, काली किशमिश में विटामिन सी की मात्रा पाई जाती है जो एंटी ऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करके और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में मदद कर सकती है। इसलिए अगर आप भी अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाए रखना चाहते हैं तो आज से ही काली किशमिश का सेवन शुरू कर सकते हैं। ​हड्डियों को मजबूत करने के लिए NBT हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए किशमिश में कई सारे गुण पाए जाते हैं और काली किशमिश का सेवन भी आपको लाभदायक असर दिखा सकता है। ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी से बचाए रखने के लिए भी यह काफी फायदेमंद हो सकता है। नेशनल सेंटर फॉर बायो टेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन के अनुसार काली किशमिश में मैग्नीशियम की मात्रा पाई जाती है जो हड्डियों को कमजोर होने से बचाने का काम कर सकती है। वहीं, दूध के साथ इसका सेवन करने से आपको सकारात्मक रूप से इसका लाभ मिल सकता है। ​ब्लड प्रेशर को संतुलित बनाए रखने में ब्लड प्रेशर बढ़ने के कारण कभी-कभी स्ट्रोक का खतरा भी काफी हद तक बढ़ जाता है लेकिन इससे बचे रहने के लिए आप ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाए रख सकते हैं। ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाए रखने के लिए हमारे शरीर को पर्याप्त रूप से पोटेशियम की मात्रा मिलनी चाहिए। वहीं, के अनुसार काली किशमिश में भी पोटेशियम की पर्याप्त मात्रा मौजूद होती है जिसका सेवन करने के कारण ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाए रखने में मदद मिल सकती है। इसलिए अगर आपके घर में भी कोई ब्लड प्रेशर की समस्या से परेशान है तो आप उसे काली किशमिश का सेवन करा सकते हैं। ​बालों को झड़ने से रोके कई प्रकार के पौष्टिक तत्वों और खासकर विटामिन बी की कमी के कारण बालों से जुड़ी कई प्रकार की समस्याएं देखने को मिलती हैं। बाल झड़ने से लेकर बालों में डैंड्रफ और उनके कमजोर हो जाने के पीछे विटामिन और मिनरल्स की कमी ही सबसे बड़ी वजह होती है। जबकि काली किशमिश का सेवन करने वाले लोग इस समस्या से बचे रह सकते हैं। एक रिसर्च के अनुसार, बालों को झड़ने से बचाए रखने के लिए आपके शरीर में आयरन और विटामिन सी की भी पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए जो काली किशमिश में भी मौजूद होती है। इसलिए काली किशमिश और दूध का नियमित रूप से किया गया सेवन आपको बालों से जुड़ी कई प्रकार की समस्याओं से बचाए रख सकता है। ​कोलेस्ट्रॉल को संतुलित करे कोलेस्ट्रोल के लेवल में अगर असंतुलन हो जाए तो यह कई प्रकार के हृदय रोगों का खतरा बन जाता है लेकिन इससे बचे रहने के लिए आपको अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। कई रिसर्च रिपोर्ट में यह दावा किया जा चुका है कि काली किशमिश में ऐसे औषधीय गुण मौजूद होते हैं जिसका सेवन करने के कारण खराब कोलेस्ट्रोल के लेवल को कम किया जा सकता है। इतना ही नहीं, यह खून में मौजूद फैट को भी कम करने के लिए सक्रिय रूप से कार्य करता है। इसलिए कोलेस्ट्रॉल लेवल को संतुलित बनाए रखने के लिए आप भी काली किशमिश का सेवन कर सकते हैं। ​स्किन के लिए लाभदायक हमारी रोज की दिनचर्या में ऐसा कोई ना कोई खाद्य पदार्थों जरूर खाने में इस्तेमाल होता है जो हमारी त्वचा के लिए लाभदायक होता है। काली किशमिश में एंटीऑक्सीडेंट गुण और बैक्टीरियल संक्रमण से बचाने का गुण पाया जाता है। एंटी ऑक्सीडेंट गुण त्वचा को निखारने का काम करता है तो वहीं, हमारी त्वचा को कई सारे इंफेक्शन से बचाए रखने के लिए सुरक्षा कवच का कार्य करती है। इस कारण त्वचा संबंधित कई प्रकार की बीमारियों से बचे रहने के लिए आप नियमित रूप से दूध के साथ काली किशमिश का सेवन कर सकते हैं। ​खून की कमी से बचाए खून की कमी को एनीमिया के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी ज्यादातर महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान होती है। शरीर में अगर खून की कमी ज्यादा हो जाए तो यह कई प्रकार के रोगों का मुख्य कारण बन सकता है। वहीं काली किशमिश में आयरन की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है। आयरन एक ऐसा मिनरल है जो शरीर में खून बनाने के लिए सक्रिय रूप से कार्य करता है। इसलिए काली किशमिश को आयरन के स्रोत खाद्य पदार्थ के रूप में इस्तेमाल करके आप खून की कमी से बचे रह सकते हैं।
इम्यून सिस्टम एक ऐसा सिस्टम होता है जो हमें कई प्रकार के बाहरी संक्रमण और बीमारियों की चपेट में आने से बचाए रखता है। जब भी हमारे शरीर में किसी प्रकार की एंटीबॉडीज प्रवेश करने की कोशिश करती हैं, तब यह इम्यून सिस्टम उन्हें रोकने के लिए विपरीत क्रिया करता है और हमारे शरीर को इनकी चपेट में आने से बचाता है। हालांकि, इसके लिए इम्यून सिस्टम का मजबूत होना बहुत जरूरी है और इसे मजबूत करने के लिए हम यहां कुछ खास फूड्स और टिप्स आपको बताने जा रहे हैं जिसे आप अपनी दिनचर्या में अपनाकर अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत कर सकते हैं। ​पालक पालक हरी पत्तेदार सब्जियों में से एक है जिसे आप स्मूदी के रूप में ड्रिंक के रूप में या फिर जूस के रूप में भी पी सकते हैं। इसमें भी विटामिन-सी की मात्रा पाई जाती है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए कार्य करती है। इसलिए आप भी इसका सेवन नियमित रूप से कर सकते हैं। ​लहसुन पुरुषों के लिए लहसुन जितना फायदेमंद होता है, उतना ही इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए भी इसका सेवन किया जाता है। यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसके लिए आप सुबह रोज दो कच्चे लहसुन का भी सेवन कर सकते हैं जो आपकी इम्यूनिटी बढ़ाने में मददगार साबित होगा। ​विटामिन-डी विटामिन डी आपको रोज सुबह सूर्योदय के बाद थोड़ी देर तक सूर्य से निकलने वाली किरणों के जरिए प्राप्त होती है। सूर्य को ही विटामिन डी का सबसे प्रबल स्रोत माना जाता है। उसके नाम आपको कुछ अन्य खाद्य पदार्थों में भी इसकी मात्रा मिलती है लेकिन सूर्य की रोशनी के मुकाबले या इतनी प्रभावी नहीं मानी जाती। इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए विटामिन डी का अवशोषण भी शरीर को बहुत जरूरी है इसलिए रोज सुबह सूर्योदय के समय कम से कम 7 से 8 मिनट तक धूप में खड़े होकर विटामिन डी प्राप्त करें। ​प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का करें सेवन प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन भी आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए बहुत जरूरी माना जाता है और इतना नहीं प्रोटीन बॉडीबिल्डिंग में भी काफी मददगार साबित होती है। इसके लिए आप अंडे और सेल्फिश का प्रयोग कर सकते हैं जो सक्रिय रूप से आपकी मदद करेगा। ​रेड मीट अगर आप नॉनवेज खाते हैं तो आपके लिए रेड मीट सबसे बढ़िया विकल्प साबित होगा जो आपके इम्यून सिस्टम को बड़ी तेजी से पोस्ट करेगा। दरअसल रेड मीट में जिंक की मात्रा पाई जाती है और जिंक रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए कार्य करता है। ​विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थों का करें सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाए रखने के लिए सबसे जरूरी विटामिन की श्रेणी में विटामिन सी रखा गया है जिसे आप अपनी डायट में शामिल कर सकते हैं। यह आपको कीवी और नींबू जैसे फलों के माध्यम से बड़ी आसानी से मिल सकता है, जिससे आपकी इम्यूनिटी सक्रिय रूप से मजबूत होगी। दही का करें सेवन दही एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जो हम रोज सुबह नाश्ते के रूप में भी खा सकते हैं या हमारे पेट को ठंडा रखने के साथ-साथ हमें कई प्रकार की बीमारियों से भी बचाता है। इतना ही नहीं, पेट में अच्छे बैक्टीरिया बनाकर भी यह हमारे इम्यून सिस्टम को कमज़ोर होने से बचाए रखने का काम करता है। इसलिए इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए आप भी नियमित रूप से दही का सेवन कर सकते हैं।
लॉकडाउन में घर बैठे-बैठे अगर आप बोर हो रहे हैं तो इस दौरान आप अपने सेहत का खास ख्याल भी रख सकते हैं। पर्याप्त समय होने के साथ-साथ आप अपने घर पर कई सारी सेहतमंद टिप्स का पालन करते हुए ना केवल गंभीर बीमारियों से बचे रह सकते हैं बल्कि आप अपनी क्वालिटी ऑफ लाइफ को भी काफी रिच बना सकते हैं। कई प्रकार की बीमारियों से बचे रहने के लिए यहां पर एक ऐसे ही जूस के बारे में बताया जा रहा है, जिसका नाम सेलेरी (Celery) है। यह जूस अजवाइन के हरे पत्ते से तैयार होता है। इसे अगर आप सुबह-सुबह पीते हैं तो इससे आपको कई सारे स्वास्थ्य फायदे होंगे। इसे बनाने की विधि और उससे होने वाले फायदे नीचे बताए जा रहे हैं। ​कैंसर से बचाए रखने में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचे रहने के लिए भी आप इस जूस का सेवन कर सकते हैं। इसका आपको सक्रिय रूप से लाभ भी मिलेगा, क्योंकि इस जूस में एंटी कैंसर एक्टिविटी पाई जाती है। इसलिए यदि आप इसका नियमित रूप से सेवन करते हैं तो यह कैंसर होने के जोखिम को कई गुना तक कम कर सकता है। ​किडनी को रखता है स्वस्थ किडनी हमारे शरीर का एक ऐसा अंग है जो मुख्य रूप से बॉडी के अंदर से कुछ खराब पदार्थ को बाहर करता है। अगर इस प्रक्रिया में थोड़ी-सी भी कमी आ जाती है तो स्वास्थ्य के लिए बहुत गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है। किडनी फंक्शन को सुचारू रूप से चलाए रखने के लिए भी यह जूस काफी फायदेमंद रहेगा। इसमें ऐसे औषधीय गुण पाए जाते हैं जिसका सेवन करने का असर सीधे तौर पर आपकी किडनी को स्वस्थ रखने में मदद करेगा। ​पाचन क्रिया को रखेगा मेंटेन पाचन क्रिया शारीरिक क्रिया का एक ऐसा भाग है जिसके जरिए हमारे द्वारा खाया हुआ खाना ठीक तरीके से पचता है और इससे हमारे शरीर को ऊर्जा मिलने के साथ-साथ विभिन्न पौष्टिक तत्वों की भी पूर्ति होती है। इस प्रक्रिया को ठीक तरह से चलाने के लिए फाइबर की जरूरत होती है जो सेलेरी जूस (Celery Juice) में पाई जाती है। इसलिए यदि आप सेलेरी जूस का सेवन करते हैं तो आपको पाचन संबंधित समस्या का सामना भी नहीं करना पड़ेगा। ​शरीर को डिटॉक्सिफाई करने के लिए शरीर को डिटॉक्सिफाई करना उतना ही जरूरी होता है जितना शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को रोजाना बाहर निकालना। दरअसल, हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन करने के कारण कुछ हानिकारक तत्व शरीर में ही मौजूद हो जाते हैं और यह धीरे-धीरे इकट्ठा होकर किसी गंभीर बीमारी का कारण बन सकते हैं लेकिन अगर आप सेलेरी जूस का सेवन करते हैं तो इसमें मौजूद डिटॉक्सिफाई करने का गुण आपके शरीर को डिटॉक्सिफाई करने के लिए सक्रिय रूप से मदद कर सकता है। ​एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा से भरपूर एंटीऑक्सीडेंट एक विशेष प्रकार का गुण होता है जो मानव शरीर की त्वचा के लिए बेहद जरूरी माना जाता है। इतना ही नहीं, वैज्ञानिकों की रिसर्च के अनुसार एंटी ऑक्सीडेंट त्वचा के लिए सक्रिय रूप से कारगर होता है जो त्वचा को निखारने और दाग धब्बों को दूर करने का गुण रखता है। इसलिए इस जूस का सेवन करने से आपको एंटीऑक्सीडेंट की भरपूर मात्रा मिलेगी जो आपकी त्वचा के लिए काफी लाभदायक है। ​एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा से भरपूर एंटीऑक्सीडेंट एक विशेष प्रकार का गुण होता है जो मानव शरीर की त्वचा के लिए बेहद जरूरी माना जाता है। इतना ही नहीं, वैज्ञानिकों की रिसर्च के अनुसार एंटी ऑक्सीडेंट त्वचा के लिए सक्रिय रूप से कारगर होता है जो त्वचा को निखारने और दाग धब्बों को दूर करने का गुण रखता है। इसलिए इस जूस का सेवन करने से आपको एंटीऑक्सीडेंट की भरपूर मात्रा मिलेगी जो आपकी त्वचा के लिए काफी लाभदायक है। एंटीऑक्सीडेंट एक विशेष प्रकार का गुण होता है जो मानव शरीर की त्वचा के लिए बेहद जरूरी माना जाता है। इतना ही नहीं, वैज्ञानिकों की रिसर्च के अनुसार एंटी ऑक्सीडेंट त्वचा के लिए सक्रिय रूप से कारगर होता है जो त्वचा को निखारने और दाग धब्बों को दूर करने का गुण रखता है। इसलिए इस जूस का सेवन करने से आपको एंटीऑक्सीडेंट की भरपूर मात्रा मिलेगी जो आपकी त्वचा के लिए काफी लाभदायक है। बढ़ते हुए वजन से आज हजारों लोग परेशान हैं, लेकिन ऐसे लोगों की परेशानी को दूर करने के लिए यह जूस वेट लॉस डायट के रूप में साबित होगा। दरअसल, इस जूस में फाइबर की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है जिसके कारण आपको लंबे समय तक भूख नहीं लगेगी और भूख को नियंत्रित करके वजन घटाने में यह आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। इसलिए अगर आप भी अपना वजन कम करना चाहते हैं तो इस जूस का सेवन रोजाना कर सकते हैं। ​अनिद्रा से मिलेगी मुक्ति वर्क फ्रॉम होम करने के दौरान कई लोगों को स्ट्रेस का भी खतरा देखने को मिल रहा है, लेकिन अगर आप रात में सोने से पहले इस जूस का सेवन करते हैं तो इससे स्लीपिंग हार्मोन एक्टिव हो जाएंगे और आपको जल्दी भी नींद आएगी। इतना ही नहीं, इसका अगर आप नियमित रूप से सेवन करते हैं तो आपको अनिद्रा की समस्या से जल्द ही छुटकारा भी मिल सकता है।
सिर्फ फायदा चाहिए तो इतनी मात्रा में करें दालचीनी का सेवन, नहीं तो पड़ सकते हैं लेने के देनेदालचीनी रसोई में उपयोग होनेवाला एक ऐसा मसाला है, जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने का काम करता है। साथ ही यह हार्ट अटैक के खतरे को कम करने का काम करती है। दालचीनी एक खास तरह की लकड़ी होती है, जो औषधिय गुणों से भरपूर होती है। यह दालचीनी (Cinnamon) सिनेमामम नाम के पौधे के तने और शाखाओं की अंदरूनी छाल (परत) होती है। यह सेहत के लिए बहुत गुणकारी होती है अगर इसका सेवन सीमित मात्रा में किया जाए तब। नहीं तो यह जान के लिए खतरे की वजह भी बन सकती है... दो प्रकार की होती है दालचीनी -आमतौर पर हम दालचीनी के एक ही प्रकार के बारे में जानते हैं, जिसका उपयोग ड्रिंक्स, दाल और सब्जी तैयार करने में किया जाता है। लेकिन दालचीनी मुख्य रूप से दो तरह की होती है। इन दोनों तरह की दालचीनी के बीच मुख्य अंतर स्वाद का होता है। -आमतौर पर जो लकड़ी के रंग जैसी दालचीनी हमारे घरों में यूज होती है, उसका टेस्ट अधिक तीखा होता है। इसे रेग्युलर सिनमन या कैशीअ (Cassia) नाम से जाना जाता है। यह दालचीनी सुपरमार्केट और किराना शॉप्स पर आराम से मिल जाती है। -दूसरी तरह की दालचीनी को सीलोन (Ceylon)नाम से जाना जाता है। इसका स्वाद कैशीआ से लाइट होता है। इस दालचीनी को ट्रयू सिनमन नाम से भी जाना जाता है। सीलोन का उपयोग कुछ खास चीजों और दवाओं में ही किया जाता है। यह कैशीअ की तुलना में महंगी होती है। दालचीनी का उपयोग और प्रभाव -कैशीअ दालचीनी यानी जो दालचीनी हम रसोई में उपयोग करते हैं, इसका सेवन बहुत कम और सीमित मात्रा में किया जाता है। अगर सही तरीके से इसका उपयोग किया जाए तो यह शरीर को कई गंभीर रोगों से बचाती है। -लेकिन अगर अधिक मात्रा में इसका उपयोग किया जाए तो यह लाभ पहुंचाने की जगह हमारी सेहत को हानि पहुंचा सकती है। क्योंकि इसमें कूमरिन (coumarin) नाम का कंपाउंड होता है। जो सेंट में वनीला की तरह फील होता है और टेस्ट में हल्का कड़वा होता है। अधिक मात्रा में शरीर में जाने पर यह कई तरह की बीमारियां पैदा करता है। लीवर डैमेज और कैंसर का खतरा कई अलग-अलग रिसर्च में यह बात साबित हो चुकी है कि अधिक मात्रा में कूमरिन का सेवन लीवर को नुकसान पहुंचाता है। लंबे समय तक और निश्चित मात्रा से अधिक मात्रा में दालचीनी का उपयोग करने से लीवर डैमेज का खतरा बढ़ जाता है। -यदि बिना मात्रा का ध्यान रखे लगातार कूमरिन का सेवन किया जाए तो यह कैंसर का खतरा भी बढ़ा देता है। यह मुख्य रूप से लीवर कैंसर, फेफड़ों के कैंसर और किडनी संबंधी बीमारी पैदा करता है। इस तरह के होते हैं कैंसर के लक्षण। ब्लड प्रेशर बेहद कम होने का डर -दालचीनी एक ऐसी प्राकृतिक औषधि है, जिसका सही मात्रा में सेवन करते रहने पर हाई ब्लड प्रेशर की समस्या नहीं होती है। साथ ही डायबीटीज के मरीज यदि इसका सेवन करें तो यह ब्लड में शुगर की मात्रा को भी नियंत्रित करने का काम करती है। -लेकिन अगर सीमित मात्रा से अधिक दालचीनी का सेवन किया जाए तो ब्लड प्रेशर बहुत तेजी से कम भी हो सकता है, जो हानिकारक हो सकता है। अधिक मात्रा में नियमित उपयोग से दालचीनी के कारण थकान, उनींदापन और चक्कर आने की समस्या भी हो सकती है। ब्रेन को ऐक्टिव रखने के लिए डॉक्टर्स के अनुसार ये तरीके अपनाने चाहिए। बन सकती है सांस लेने में दिक्कत की वजह -दालचीनी की चाय और काढ़ा भले ही हमारे रेस्पिरेट्री सिस्टम को क्लीन करने और हेल्दी रखने में मदद करता है। लेकिन अधिक मात्रा में दालचीनी के उपयोग से सांस से जुड़े रोग भी हो सकता हैं। यहां जानें, दालचीनी का काढ़ा बनाने का तरीका। -एक एक बार में अधिक दालचीनी का उपयोग किया जाए तो आपको खांसी, गले में खराश और जलन और सांस लेने में समस्या हो सकती है। - जिन लोगों को अस्थमा और सांस से जुड़ी दूसरी समस्याएं हों उन्हें दालचीनी का उपयोग करते समय खास सावधानी बरतनी चाहिए। मुंह में छाले और घाव होना दालचीनी में सिनामनडिहाइड नामक कंपाउंड होता है। इसका सेवन अगर सीमित मात्रा से अधिक किया जाए तो यह शरीर में एलर्जी और रिऐक्शन पैदा करता है। - ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारे मुंह में मौजूद सलाइवा के कारण यह कंपाउंड लंबे समय तक हमारी जीभ और मुंह की अंदरूनी त्वचा के संपर्क में रहता है। -अधिक मात्रा में दालचीनी के सेवन से मुंह में छाले और साथ ही जीभ में छाले हो सकते हैं। मुंह के अंदर इचिंग, सेंसेशन या गले में जलन की दिक्कत हो सकती है। साथ ही मुंह के अंदर सफेद रंग के पैच भी बन सकते हैं। -हालांकि ये सभी दिक्कते हमारे लिए घातक स्थिति नहीं बनाती हैं लेकिन हमें दिमागी रूप से परेशान और शारीरिक रूप से असहज जरूर करती हैं। आयुर्वेदिक तरीके से फिट रहने के लिए वैद्य ने सुझाए हैं ये उपाय। एक टेबलस्पून भी है खतरनाक एक्सपर्ट्स की मानें तो लगभग 60 किलो वजन के एक व्यक्ति के लिए दिनभर में 5 मिलीग्राम दालचीनी काफी होती है। यह मात्रा एक टेबलस्पून से भी काफी कम होती है। अगर आप एक पूरे दिन में इतनी दालचीनी का उपयोग अपने भोजन में करते हैं, तब भी आप सीमित मात्रा से अधिक दालचीनी का उपयोग कर रहे होते हैं। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने बताया कि घरेलु चीजों से आप कैसे अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं। क्यों नहीं खानी चाहिए सूखी दालचीनी? सूखी दालचीनी खाने से गले में छाले, जलन, सूजन और घाव की समस्या भी हो सकती है। साथ ही ना केवल गले में बल्कि सीने में तेज जलन हो सकती है। -सूखी दालचीनी खाने से आपके फेफड़े हमेशा कि लिए भी डैमेज हो सकते हैं। ऐसा सिनमन में पाए जानेवाले फाइबर के कारण होता है। क्योंकि सूखी दालचीनी के फाइबर को फेफड़े तोड़ नहीं पाते हैं, इस कारण इनमें सूजन की समस्या हो सकती है। -फेफड़ों में सूजन निमोनिया की वजह बन सकती है। अगर इसका समय पर इलाज ना कराया जाए तो यह हमेशा के लिए फेफड़ों को बीमार बना सकता है। हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता इस तरीके से हमारा बचाव करती है।
हींग भारतीय घरों में सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले मसालों में से एक है। यह न केवल अपनी गंध से पहचानी जाती है बल्कि भोजन का स्वाद भी बढ़ाती है। सिर्फ यही नहीं, यह पाचन शक्ति बढ़ाने में भी काम करती है। हींग का सेवन करने से सेहत को कई फायदे होते हैं। दरअसल, हींग में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-वायरल गुण पाए जाते हैं जो संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं और बीमारियों से शरीर की सुरक्षा करते हैं। अगर आपको भोजन या करी में हींग डालना पसंद नहीं है तो पानी में एक चुटकी हींग मिलाकर सेवन करना भी बेहद फायदेमंद हो सकता है। यहां तक कि मोटापे को दूर करने के लिए भी इसका सेवन किया जाता है। इसे एक चुटकी हल्के गुनगुने पानी में मिलाकर रोज पीने से शरीर की अनेकों समस्याएं हो जाती हैं। आइए जानते हैं हींग के पानी के अचूक फायदे... ​हींग का पानी बनाने की विधि हींग का पानी तैयार करना बेहद आसान है। एक गिलास गर्म पानी लें और इसमें 1/2 चम्मच हींग पाउडर मिलाएं। हर सुबह इसे खाली पेट पीएं। जल्द ही फर्क नजर आएगा। ​हींग का पानी पीने के फायदे हींग का पानी सेहत के लिए कई मायनों में फायदेमंद है। यह न सिर्फ भोजन को पचाने में मदद करता है बल्कि अपच और बदहजमी को भी दूर करता है। इसके अलावा हींग का पानी पीने के अन्य फायदे भी हैं। ​सिरदर्द दूर करे हींग में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है जो सिरदर्द में काफी राहत देता है। यह सिर की रक्त वाहिकाओं में सूजन को कम करता है। एक गिलास हींग के पानी का सेवन करने से सिरदर्द दूर हो जाता है। ​ठंड को रोकता है हींग में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो सेहत के लिए अच्छे होते हैं। ठंड के मौसम में रोजाना एक गिलास हींग का पानी पीने से श्वसन संबंधी समस्याएं नहीं होती हैं और सर्दी से भी बचाव होता है। ​वजन घटाने में फायदेमंद हींग का पानी मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है जिससे शरीर पर अतिरिक्त फैट जमा नहीं होता है और शरीर का वजन घटता है। इसके अलावा हींग शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है जिससे हृदय रोगों से बचाव होता है। ​पाचन सुधारने में हींग पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करती है। यह पाचन तंत्र से सभी हानिकारक विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालती है जिससे अपच जैसी समस्याएं होती नहीं होती हैं। इसके अलावा यह पेट के पीएच स्तर को सामान्य रखने में भी सहायक होती है। ​अस्‍थमा से राहत हींग में एंटी-वायरल और एंटीबायोटिक जैसे गुण पाए जाते हैं जो अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, सूखी खांसी आदि में आराम दिलाती है। यह छाती की जकड़न को दूर करने और कफ को मिटाने में भी मदद करती है। सांस की समस्याओं से राहत पाने के लिए हींग, सोंठ और थोड़ा सी शहद को गुनगुने पानी में मिला कर सेवन करें। ​कैंसर से बचाए हींग में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो शरीर की कोशिकाओं को मुक्त कणों से बचाते हैं और इससे कैंसर से सुरक्षा मिलती है। रोजाना हींग के पानी का सेवन करना बेहद फायेदमंद है। ​पीरियड के दर्द में दे राहत पीरियड के दौरान पीठ और पेट के निचले हिस्से के दर्द से छुटकारा पाने के लिए हींग एक बेहतरीन उपाय है। यह ब्लड थिनर के रूप में काम करता है और शरीर में रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है। इससे पीरियड के दर्द से राहत मिलती है। इस तरह नियमित रूप के खाली पेट हींग का पानी पीने से सेहत ठीक रहता है और कई बीमारियों से बचाव भी होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार दुनिया में आज करोड़ों की संख्या में लोग डायबिटीज की बीमारी से जूझ रहे हैं। वहीं, भारत को तो डायबिटीज की राजधानी कहा जाता है। खानपान पर ठीक तरह से ध्यान ना देना और अनावश्यक चीजों का सेवन करने के कारण ही यह समस्या आज बड़ी तेजी से लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल रही है। साल 2016 में डब्ल्यूएचओ की ओर से जारी की गई रिपोर्ट पर नजर डालें तो करीब 1.6 मिलियन लोगों की मौत केवल डायबिटीज के कारण ही हुई है। हालांकि, इस बीमारी की चपेट में आने से बचे रहने के लिए आपको अपने खान-पान पर सबसे ज्यादा ध्यान देना चाहिए। नीचे आपको कुछ ऐसे ही खास फूड्स के बारे में बताया जा रहा है जिनमें ऐसे गुण मौजूद होते हैं जो आपको डायबिटीज से बचाए रखने में काफी मदद प्रदान कर सकते हैं। ​​सालमन डायबिटीज से बचे रहने के लिए अगर सबसे पहले किसी फूड की बात की जाती है तो वह सालमन है। वहीं, डॉक्टर भी आपको सालमन मछली खाने की सलाह देंगे। ऑरेंज कलर इस नॉनवेज फूड का सेवन करने से आप टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज की चपेट में आने से बचे रहेंगे। इतना ही नहीं इसमें मौजूद ओमेगा 3 फैटी एसिड आपके हृदय स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक होता है। ​दही दही का सेवन आमतौर पर लंच में या फिर डिनर में तो जरूर ही किया जाता है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इस खाद्य पदार्थ का सेवन करने से भी आप डायबिटीज की चपेट में आने से बचे रहेंगे। वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार इसमें ब्लड शुगर को कम करने के साथ-साथ हृदय रोगों से बचाए रखने का भी गुण पाया जाता है। वहीं, इसमें मौजूद प्रोबायोटिक्स डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी से बचाने में काफी मददगार साबित हो सकते हैं। आप चाहें तो दही का सेवन लस्सी के रूप में भी कर सकते हैं। लहसुन लहसुन का सेवन भारतीय सब्जियों में तो किया ही जाता है लेकिन कई लोग इसे कच्चा भी खाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है। वहीं, बात की जाए डायबिटीज की तो इस बीमारी से बचे रहने के लिए भी लहसुन का सेवन आपको सकारात्मक परिणाम ही देगा। दरअसल, लहसुन में इन्फ्लेमेशन कम करने, ब्लड शुगर कम करने और लो डेंसिटी लिप्रोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल यानी कि खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने के गुण पाया जाता है। इसके अलावा या ब्लड प्रेशर को भी कम कर सकता है। इन विशेष गुणों के कारण ही लहसुन आपको डायबिटीज जैसी बीमारी से बचाए रखने के लिए काफी लाभदायक फूड साबित हो सकता है। एप्पल साइडर विनेगर सिरका का सेवन तो आप सभी लोगों ने कभी ना कभी किया ही होगा। वहीं, सेब का सिरका आपको डायबिटीज जैसी बीमारी से बचाए रखने के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकता है। सेब का सिरका खाने से यह ब्लड शुगर लेवल और इंसुलिन लेवल को बड़ी तेजी से कंट्रोल करने में मदद करता है। वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार प्रतिदिन दो चम्मच इस सिरके का सेवन आपको डायबिटीज की बीमारी से बचाए रखने में सक्रिय रूप से मदद कर सकता है। ​ड्राई फ्रूट्स टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज से बचे रहने के लिए ड्राई फ्रूट्स का सेवन भी काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। इन फ्रूट्स में पिस्ता, अखरोट, काजू, ब्राजील नट्स, बादाम जैसे ड्राई फ्रूट्स शामिल हैं। इन ड्राई फूड्स में ब्लड शुगर लेवल को कम करने का गुण पाया जाता है जिससे कारण आप डायबिटीज की चपेट में आने से बचे रहेंगे। आप चाहें तो इनका सेवन रोजाना भी कर सकते हैं। यह ड्राई फ्रूट आपको मोटापे की समस्या से भी बचाए रखने में काफी मदद करेंगे। ​ब्रोकली ब्रोकली हरी सब्जियों में प्रमुख स्थान रखती है और भारतीय व्यंजनों में इसे बड़े चाव से खाया जाता है। वहीं, बात की जाए डायबिटीज से बचे रहने के लिए इस फूड के योगदान की तो ब्रोकली में विटामिन सी और मैग्नीशियम की मात्रा पाई जाती है। डायबिटीज के मरीजों पर ब्रोकली के सेवन से होने वाले फायदों पर किए गए अध्ययन के अनुसार यह इंसुलिन के लेवल को कम करता है और कोशिकाओं को हानिकारक फ्री रेडिकल डैमेज से भी बचाए रखने में मदद करता है। इस कारण आप डायबिटीज की समस्या से बचे रह सकते हैं। ​​अलसी का बीज (Flaxseed) अलसी के बीज का सेवन भी डायबिटीज के जोखिम से बचाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। अलसी के बीज में इनसोल्युबल फाइबर की मात्रा पाई जाती है। यह फाइबर हृदय रोगों का खतरा कम करने के साथ-साथ ब्लड शुगर को कंट्रोल करके, ब्लड शुगर लेवल को भी मेंटेन करने में काफी मदद करता है जिसके कारण आप डायबिटीज की समस्या से बचे रह सकते हैं।
Healthy Tips : दिनभर में केवल 2 बार करें दही का सेवन, होंगे इतने सारे फायदेआपके घर में भी अगर बुजुर्ग लोग हैं तो आपने उनसे किसी भी शुभ कार्य पर जाने से पहले दही खाने की बात जरूर सुनी होगी। इतना ही नहीं, बल्कि कई घरों में इस परंपरा को अभी भी माना जाता है। ज्यादातर लोग दही का सेवन कभी ना कभी तो करते ही हैं, लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि दही आपके स्वास्थ्य के लिए कितने प्रकार से लाभदायक साबित हो सकता है। जी हां, दही खाने से कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं। दही का सेवन आपके स्वास्थ्य से जुड़ी जिन समस्याओं में यह कारगर साबित हो सकता है, उनके बारे में नीचे आपको विस्तृत रूप से जानकारी दी जा रही है। ​दिल की धड़कन को रखता है सामान्य दिल की धड़कन को सामान्य रूप से संचालित करने के लिए आपके शरीर को कुछ जरूरी पौष्टिक तत्वों की आवश्यकता होती है जिसे दही के जरिए पूरा किया जा सकता है। दही में विटामिन बी की अच्छी मात्रा मौजूद होती है। विटामिन बी हमारे शरीर को विभिन्न प्रकार के हृदय रोगों से बचाए रखने का काम तो करता ही है साथ ही साथ हार्टबीट को भी संतुलित बनाए रखने में बहुत मददगार साबित हो सकता है। इसलिए हार्ट बीट को सामान्य रूप से बरकरार रखने के लिए आप भी दही का सेवन कर सकते हैं। ​ब्लड प्रेशर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में भी दही का सेवन काफी लाभदायक साबित हो सकता है। वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार दही में पोटेशियम की मात्रा पाई जाती है। नेशनल सेंटर फॉर बायो टेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, पोटेशियम की मात्रा ब्लड प्रेशर की समस्या को रोकने में काफी हद तक मददगार साबित हो सकती है। इसलिए जिन लोगों को ब्लड प्रेशर से जुड़ी परेशानी है वह दही का सेवन कर सकते हैं। हड्डियों की मजबूती के लिए हड्डियों की मजबूती के लिए भी दही का सेवन काफी फायदेमंद हो सकता है। यही वजह है कि दही को बुजुर्गों के द्वारा भी बहुत ज्यादा पसंद किया जाता है क्योंकि यह ऑस्टियोपोरोसिस ( हड्डी से जुड़ा एक रोग) के जोखिम को कम करने के लिए भी बहुत सक्रिय रूप से कार्य कर सकता है। वहीं, दही में मौजूद कैल्शियम और प्रोटीन की मात्रा हड्डियों के विकास और उनकी मजबूती के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। इसलिए बोन हेल्थ को ध्यान में रखते हुए आप दही का सेवन कर सकते हैं। ​डायरिया से बचाने में मददगार डायरिया जैसी बीमारी का अगर ठीक समय पर इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा भी साबित हो सकती है। वहीं, दही का सेवन करने से आप डायरिया के कारण होने वाले जोखिम से भी बचे रह सकते हैं और इसका कारण दही में मौजूद एंटीबायोटिक्स है। दरअसल एंटीबायोटिक्स के कारण ही अगर डायरिया जैसी बीमारी में आप इसका सेवन करते हैं तो यह आपके शरीर को इससे होने वाले जोखिम से बचाने में काफी मदद कर सकता है। ​इम्यून सिस्टम को करता है मजबूत इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए भी दही का सेवन आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी लेकिन इस पर डॉक्टरी अध्ययन भी हो चुके हैं। दरअसल दही में प्रोबायोटिक बैक्टीरिया मौजूद होते हैं जो इम्यून सेल्स को मजबूत करते हैं क। इसलिए दही का सेवन करने से आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सकती है। ​शरीर के लिए जरूरी विटामिन्स की होगी पूर्ति दही का सेवन करने से आपके शरीर को जरूरी कई प्रकार के विटामिन्स भी बड़ी आसानी से मिल जाते हैं। दरअसल दही में बिफिडोबैक्टीरिया ( Bifidobacteria) मौजूद होता है। जब आप दही का सेवन करते हैं तो यह बैक्टीरिया पेट में पहुंचने के बाद शारीरिक क्रियाओं को संपन्न करते हुए थायमीन, नियासिन, फोलेट, विटामिन बी6, विटामिन बी12 और पोटेशियम जैसे पौष्टिक तत्वों का निर्माण करके शरीर को इनकी पूर्ति कर सकता है। जिसने आपके शरीर को अन्य आवश्यक पौष्टिक तत्वों की भी पूर्ति बड़ी आसानी से हो जाती है। इसलिए विभिन्न प्रकार के पौष्टिक तत्वों की पूर्ति करने के लिए भी आप दही का सेवन कर सकते हैं।
सितंबर के महीने में पिछले साल प्रकाशित हुई एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, हमारे देश में टीबी के करीब 27 लाख मरीज हैं। हमारे देश में टीबी से मरनेवाले लोगों की संख्या आज भी इतनी अधिक है कि पूरी दुनिया में टीबी कारण होनेवाली मौतों के आंकड़े के आधार पर हमारा देश दूसरे नंबर पर आता है। आइए, इस बीमारी के बारे में अपनी जानकारी बढ़ाते हैं ताकि इससे बचाव किया जा सके... शुगर के मरीजों को टीबी का खतरा अधिक हमारे देश को शुगर के मरीजों की या डायबीटीज की कैपिटल कहा जाता है। क्योंकि पूरी दुनिया में सबसे अधिक शुगर के मरीज हमारे देश में हैं। ऐसे में टीबी के मरीजों की संख्या अधिक होने का खतरा और बढ़ जाता है। क्योंकि सामान्य लोगों की तुलना में डायबीटीज के मरीजों को टीबी की बीमारी होने का खतरा 2 से 3 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। दोबारा टीबी होने की संभावना अगर टीबी के मरीज को डायबीटीज भी होती है तो इनमें दोबारा टीबी होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। साथ ही इन दोनों बीमारियों से एक साथ जूझ रहे मरीजों में मृत्युदर भी अधिक देखी जाती है। इलाज में होनेवाली मुश्किल डायबीटीज होने की वजह से टीबी का इलाज मुश्किल हो जाता है। इस कारण मरीजों की तकलीफ कई गुना बढ़ जाती है। डाबीटीज के कारण मरीजों का इलाज काफी लंबे समय तक चलता है। टीबी होने की वजह से डायबीटिक लोगों में शुगर कंट्रोल करना भी मुश्किल हो जाता है। एचआईवी और टीबी एक साथ टीबी एक ऐसी मुख्य बीमारी है, जो एचआईवी पेशंट्स की बड़े स्तर पर जान ले रही है। सामान्य लोगों की तुलना में HIV पेशंट्स में टीबी होने के चांस 21 गुना अधिक होते हैं। एक रिसर्च के मुताबिक हमारे देश में एचआईवी मरीजों में से 25 प्रतिशत की मृत्यु टीबी के कारण होती है। बच्चों में टीबी की बढ़ती समस्या हमारे देश में बच्चों की एक बड़ी संख्या टीबी की बीमारी का शिकार है। पीडियाट्रिक ट्यूबरक्लॉसिस जो 15 साल से कम उम्र के बच्चों में होती है, इनके केसेज भी पहले की तुलना में काफी अधिक बढ़ गए हैं। ताजा आंकड़ों के मुताबिक हमारे देश में इस वक्त 1 लाख 33 हजार से अधिक केस ऐसे हैं, जिनमें मरीज की उम्र 15 साल से कम है। यह आंकड़ा टीबी के मरीजों की कुल संख्या का 6.17 प्रतिशत है। मल्टीपल ड्रग रजिस्टेंट (MDR)टीबी के केस सबसे अधिक चिंता का विषय यह है कि मल्टीपल ड्रग रजिस्टेंट (MDR)टीबी के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि सामान्य तौर पर टीबी के इलाज के लिए दी जानेवाली दवाइयां इस स्थिति में पेशंट पर काम करना बंद कर देती हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में करीब 27 हजार मरीज ऐसे हैं, जिन्हें एमडीआर टीबी है। ट्रीटमेंट सक्सेस रेट पहले की तुलना में कम इस सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2018 के मुकाबले 2019 में जो टीबी के जो नए पेशंट्स आए, उनमें ट्रीटमेंट सक्सेस रेट पहले की तुलना में 9 प्रतिशत तक कम हो गया, जो कि एक बड़ी चिंता का विषय है।
मुंबई कोरोना के लगातार मरीज बढ़ने से लोगों के मन में डर बना हुआ है। इस जानलेवा वायरस और बीमारी को लेकर लोगों के मन में कई सवाल भी हैं। इन सवालों के जवाब दिए जाने-माने वायरॉलजिस्ट और लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन ऐंड ट्रॉपिकल मेडिसिन विभाग के प्रफेसर पीटर पायट ने। बता दें कि प्रफेसर पीटर इबोला एक्सपर्ट के रूप में भी जाने जाते हैं। आइए जानते हैं क्या है कोरोना वायरस और यह कैसा दिखता है- सवाल- वायरस क्या होता है? जवाब- वायरस आरएनए या डीएनए जेनेटिक कोड का एक बहुत छोटा कण होता है जो प्रोटीन आवरण से प्रोटेक्ट होता है। सवाल- वायरस कितने कॉमन हैं? जवाब- वायरस हर जगह हैं। दुनिया भर में जितने वायरस है उनका कुल वजन दुनिया की सारी सजीव वस्तुएं जैसे पेड़, जानवर या बैक्टीरिया से ज्यादा हैं। ह्यूमन जीनोम का 10 फीसदी वायरस डीएनए से प्राप्त होता है। इसलिए पृथ्वी वास्तव में एक वायरस ग्रह है। सवाल- वायरस को फैलने से रोकना इतना मुश्किल क्यों है? जवाब- क्योंकि वायरस के कण इतने सूक्ष्म होते हैं कि एक बार खांसने भर से ही हवा में अरबों वायरस तैर सकते हैं। सवाल- SARS CoV2 और COVID-19 में क्या अंतर है? जवाब- SARS CoV2 एक वायरस है और COVID-19 उस बीमारी का नाम है जो यह वायरस फैलाता है। सवाल- यह कैसा दिखता है? जवाब- यह स्पेगेटी (एक प्रकार की मैक्रोनी) के एक छोटे रेशे की तरह होता है जो बॉल की गोल घूमकर आकार लेता है और प्रोटीन के बनी एक शेल में पैक होता है। इस शेल में स्टिक निकली होती है। इस परिवार के सभी वायरस इसी तरह की आकृति के होते हैं। सवाल- और कितने प्रकार के कोरोना वायरस हैं? जवाब- कोरोना वायरस 7 तरह के होते हैं। 4 से हल्की सर्दी जुकाम भर होता है लेकिन तीन वायरस जानलेवा हो सकते हैं। ये वायरस हैं SARS, MERS और अब नया कोरोना वायरस SARS CoV2। सवाल- इसका नाम नॉवेल कोरोना वायरस क्यों है? जवाब- यहां नॉवेल का मतलब है- मानव के लिए नया। यानी एक ऐसा वायरस जिसे पहले नहीं सुना गया। हमारा इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षण तंत्र) 20 लाख साल से विकसित हो रहा है लेकिन हमारे शरीर ने ऐसा वायरस कभी पहले नहीं झेला। इम्यूनिटी की कमी और वायरस के तेजी से फैलने की क्षमता की बदौलत सार्स Cov-2 काफी भयावह हो गया है। सवाल- नॉवेल वायरस कितनी बार उभरता है ताकि हम इससे खुद की केयर कर सकें जवाब- यह काफी दुर्लभ होता है लेकिन होता है तो काफी भयानक परिणाम सामने आते हैं। उदाहरण के लिए एचआईवी, सार्स, MERS और कुछ दूसरे वायरस। ये बार-बार सामने आते हैं। नॉवेल वायरस का उभरना काफी बड़ी समस्या है... अगर यह आसानी से लोगों में फैलता है और खतरनाक होता है।
नई दिल्ली, 15 मार्च 2020,पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है. भारत में भी इसके मामले बढ़ते जा रहे हैं. भारत में इस महामारी से अब तक 105 लोग पीड़ित हो चुके हैं. वहीं दो लोगों की मौत भी इससे हो चुकी है. क्या हैं कोरोना वायरस के लक्षण? कोरोना वायरस के लक्षण आम सर्दी-जुकाम की तरह ही हैं जैसे गले में खराश होना, सूखी खांसी और बुखार आना. मिलते-जुलते लक्षणों की वजह से ही लोगों को कोरोना वायरस और आम सर्दी-जुकाम में फर्क करना मुश्किल हो रहा है. WHO की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, बुखार, सूखी खांसी, थकान, थूक बनना, सांस की तकलीफ, गले में खराश, सिरदर्द, लकवा या गठिया, ठंड लगना, मिचली या उल्टी, बंद नाक, दस्त, खांसी में खून आना कोरोना वायरस के अन्य लक्षण हैं. क्या कहते हैं डॉक्टर्स? दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टर अनिल कुमार राय का कहना है कि थकान, सांस लेने में तकलीफ, छाती में बलगम, जकड़न या भारीपन के साथ खांसी आ रही है तो ये कोरोनावायरस के लक्षण हैं. हालांकि सामान्य इन्फ्लूएंजा वायरस और सर्दी में भी इस प्रकार के लक्षण होते हैं और यही लक्षण H1N1वायरस (स्वाइन फ्लू) के भी थे. क्या गले में खराश होना कोरोना वायरस का लक्षण है? गले में खराश होना कोरोना वायरस का एक लक्षण हो सकता है. कोरोना वायरस के लक्षण 2 से 10 दिनों के बीच में दिखने शुरू होते हैं. वायरस के लक्षण देरी से दिखने की वजह से लोग बाहर से बीमार नहीं लगते हैं जिसके कारण संक्रमण लोगों में आसानी से फैल रहा है. कोरोना वायरस को WHO द्वारा पहले ही महामारी घोषित किया जा चुका है. कोरोना वायरस के प्रति लोगों को सचेत करने के लिए WHO की तरफ से कई तरह की पहल की जा रही है. भारत में तेजी से फैलते कोरोना के संक्रमण को देखते हुए कई राज्यों के स्कूलों को 31 मार्च और सिनेमाघरों को अगले आदेश तक बंद कर दिया गया है.
आपके किचन में बड़ी आसानी से मिलने वाला मसाला अजवाइन औषधीय गुणों से भरपूर है। इसमें ऐंटिऑक्सिडेंट्स, विटमिन्स, मिनरल्स और फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है। अजवाइन न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाती है बल्कि हमारी सेहत के लिए भी कई तरह से फायदेमंद है। अजवाइन आपका वजन कम करने में मदद करती है, हार्ट को हेल्दी बनाए रखती है, पेट से जुड़ी बीमारियां जैसे- गैस और अपच दूर करने में मदद करती है, सिरदर्द-उल्टी जैसी समस्याएं दूर करती है और यहां तक की स्किन से जुड़ी समस्याएं दूर करने में भी मददगार है अजवाइन। लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं अजवाइन कैसे डायबीटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकती है। आप अजवाइन को खाने में डालें, कच्चा खाएं या फिर गर्म पानी के साथ सीधे निगल लें, अजवाइन आपके ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करती है। अजवाइन में ऐसे कई औषधीय गुण पाए जाते हैं जो टाइप 2 डायबीटीज को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखना है तो एक कप गर्म दूध में थोड़ा सा अजवाइन, नीम का पाउडर और जीरा पाउडर मिक्स करें और नियमित रूप से इसका सेवन करें। इससे भी आपका ब्लड शुगर कंट्रोल में रहेगा। अगर आप डायबीटीज के मरीज हैं तो दवा खाने के साथ ही आप कुछ घरेलू उपाय करके भी शुगर को कंट्रोल में रख सकते हैं। इसके लिए खाना खाने के 45 मिनट बाद अजवाइन की चाय पीना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। अजवायन की चाय बनाने के लिए गर्म पानी में 1 चम्मच अजवाइन, 1 चम्मच सौंफ और चौथाई चम्मच दालचीनी पाउडर डालें और उबलने दें। कुछ देर बाद इसे छानकर पी लें। नियमित रूप से इसका सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल में कमी नजर आएगी।
नई दिल्ली, 24 जनवरी 2020, न्यूट्रिशन से भरपूर बादाम को सेहत के लिए अच्छा माना जाता है. इसे रोजाना डाइट में शामिल कर आप सेहतमंद रह सकते हैं. अखरोट में प्रोटीन और फैट होता है जो शरीर को कैल्शियम और आयरन देने का काम करता है. कुछ शोधकर्ताओं का दावा है कि अखरोट सेहत से जुड़ी कई बड़ी समस्या को जड़ से खत्म कर सकता है. साल 2019 में पेंसिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी में शोधकर्ताओं ने इसे लेकर एक रिसर्च भी किया था. इस रिसर्च में शोधार्थियों सैचुरेटेड फैट की जगह अखरोट का सेवन करने वाले लोगों का स्वास्थ्य ज्यादा बेहतर पाया. शोधकर्ताओं का दावा था कि अखरोट में मौजूद अनसैचुरेटेड फैट ब्लड प्रेशर को संतुलित कर हृदय संबंधी रोगों को शरीर से दूर रखता है. इस रिपोर्ट में खोजकर्ताओं ने ये भी बताया था कि अखरोट में अल्फा लिनोलेनिक एसिड होता है जो ओमेगा-3 फैटी एसिड का ही एक प्रकार है. यह आमतौर पर पौधों में पाया जाता है. असिस्टेंट रिसर्च प्रोफेसर क्रिस्टियाना पीटरसन के नेतृत्व में भी इसे लेकर एक शोध किया गया था. क्रिस्टियाना के शोध में भी अखरोट को सेहत के लिए बेहद फायदेमंद बताया गया था. क्रिस्टियाना पीटरसन ने बताया कि हम देखना चाहते थे कि क्या अखरोट से आंतों में सुधार आने का असर हृदय रोगों पर भी पड़ता है. जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक नई रिपोर्ट में भी अखरोट को हेल्दी डाइट बताया गया है जो कि हृदय और आंतों के लिए काफी अच्छा होता है. रोजाना 60-80 ग्राम अखरोट खाने से आपकी सेहत में सुधार आ सकता है.
आपने अभी तक फूल गोभी और बंद गोभी या पत्ता गोभी का ही स्वाद लिया होगा और इसके हेल्थ बेनिफिट्स के बारे में भी जानते होंगे। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी गोभी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे डायबीटीज से लेकर कैंसर की रोकथाम और वेट लॉस में कारगर माना जाता है। इस गोभी का नाम है चोकीगोभी, जिन्हें अंग्रेजी भाषा में ब्रूसेल्स स्प्राउट्स के नाम से जाना जाता है। यूंकि यह गोभी ब्रूसेल्स, बेलजियम में काफी पॉप्युलर रही है, इसलिए यह भी उसी नाम से मशहूर है। 1- चोकीगोभी में काफी कम कैलरी होती हैं, लेकिन इसमें विटमिन सी, के और फाइबर पर्याप्त मात्रा में होता है। ये सभी तत्व टिशू को रिपेयर करने, इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने और आयरन के अब्जॉर्प्शन में मदद करते हैं। 2- चोकीगोभी में पोटैशियम, कैल्शियम प्रचुर मात्रा में होता है, जबकि इसमें सैचरेटेड फैट बिल्कुल भी नहीं होता। इसलिए यह वेट लॉस में कारगर मानी जाती है। चोकीगोभी का ग्लाइसेमिक इंडेक्स काफी कम होता है और फाइबर की मात्रा ज्यादा, इसलिए इस वजन घटाने वालों के लिए एकदम सही ऑप्शन माना जाता है। 3- इसमें डायटरी फाइबर होता है जो ब्लड शुगर को रेग्युलेट करने में मदद करता है और पाचन क्रिया में भी सहायता करता है। इसी खूबी की वजह से इसे टाइप 2 डायबीटीज की रोकथाम में कारगर माना गया है। 4- कुछ स्टडीज में दावा किया गया है कि चोकीगोभी में मौजूद ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स कुछ तरह के कैंसर के प्रति इम्युनिटी प्रदान करते हैं। 5- इसके अलावा चोकीगोभी लिवर के रिपेयर में भी मदद करती है। स्किन को खूबसूरत और हेल्दी बनाने में भी यह सहायक है। 6- कोऐग्युलेशन में मदद करता है, जिससे ब्लीडिंग रुक जाती है।
नई दिल्ली, 21 अक्टूबर 2019, एंटीबायोटिक दवाओं के अनियंत्रित इस्तेमाल से उनके खिलाफ बैक्टीरिया और वायरस में प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो रही है. ऐसे में आयुर्वेदिक एंटीबायोटिक दवाएं इनका विकल्प साबित हो सकती हैं. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल के अध्ययन में एक आयुर्वेदिक एंटीबायोटिक दवा फीफाट्रोल को एक प्रमुख बैक्टीरिया संक्रमण के खिलाफ प्रभावी पाया गया है. एम्स भोपाल ने अपने शोध में पाया कि फीफाट्रोल स्टैफिलोकोकस प्रजाति के बैक्टीरिया के खिलाफ बेहद शक्तिशाली है. इस प्रजाति के कई बैक्टीरिया सक्रिय हैं जिनमें आरियस, एपिडर्मिस, स्पोफिटिकस के उप प्रकार शामिल हैं. इन तीनों बैक्टिरिया के खिलाफ यह प्रभावी रूप से कारगर पाया गया है. एक अन्य बैक्टीरिया पी रुजिनोसा के विरुध्द भी यह असरदार है. इसके अलावा इकोलाई, निमोनिया, के एरोजेन आदि बैक्टीरिया के प्रति भी इसमें संवेदनशील प्रतिक्रिया देखी गई. शोधकर्ता टीम के प्रमुख और एम्स भोपाल के निदेशक डॉ. समरन सिंह के अनुसार आमतौर पर आयुर्वेदिक दवाएं प्रतिरोधक क्षमता को बढाती हैं लेकिन फीफाट्रोल में बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ने की क्षमता देखी गई है. सिंह के अनुसार आरंभिक नतीजे उत्साहजनक हैं. स्टैफिलोकोकस बैक्टीरिया त्वचा, श्वसन तथा पेट संबंधी संक्रमणों के लिए जिम्मेदार हैं. जिन लोगों का प्रतिरोधक तंत्र कमजोर होता है उनमें इसका संक्रमण घातक भी हो सकता है. बता दें कि एमिल फार्मास्यूटिकल्स द्वारा निर्मित फीफाट्रोल 13 जड़ी बूटियों से तैयार एक एंटी माइक्रोबियल सोल्यूशन है जिसमें पांच बूटियों की प्रमुख हिस्सेदारी तथा 8 के अंश मिलाए गए हैं. इनमें सुदर्शन वटी, संजीवनी वटी, गोदांती भस्म, त्रिभुवन कीर्ति रस तथा मृत्युंजय रस हैं. जबकि आठ अन्य औषधीय अंशों में तुलसी, कुटकी, चिरयात्रा, मोथा, गिलोय, दारुहल्दी, करंज और अप्पामार्ग शामिल हैं आयुर्वेद विशेषज्ञ डा. रामनिवास पराशर के अनुसार यह शोध साबित करता है कि आयुर्वेद में एंटीबायोटिक दवाओं का विकल्प मौजूद है जो पूरी तरह से जड़ी-बूटियों पर आधारित है. इसलिए सरकार को इस दिशा में फोकस करना चाहिए.
टोरंटो रिसर्चरों ने एक ऐसी संभावित दवा विकसित की है, जो दिल के दौरे का इलाज करने और हृदयघात से बचाने में कारगर है। इन दोनों ही स्थितियों के लिए फिलहाल कोई उपचार मौजूद नहीं है। एक अध्ययन में पाया गया कि दिल का दौरा पड़ने से हृदय में सूजन बढ़ जाती है और दिल में एक जख्म बन जाता है, जिससे आगे चलकर हृदयघात होने की आशंका बढ़ जाती है। यह एक लाइलाज स्थिति है। इस दवा को विकसित करने वालों में कनाडा के गुलेफ यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता भी शामिल हैं। उनका कहना है कि दवा दिल में जख्म बनने से रोकती है और मरीजों के लिए जीवन भर हृदय संबंधी दवाएं लेने की जरूरत को खत्म करेगी। उन्होंने कहा कि यह दवा सर्कैडीअन रिदम कहे जाने वाले हमारे शरीर के प्राकृतिक समय-चक्र के आधार पर काम करती है। यह अध्ययन ‘नेचर कम्युनिकेशन्स बायोलॉजी’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
नई दिल्ली, बेदाग खूबसूरत त्वचा का सपना हर कोई देखता है. लेकिन चेहरे की ये खूबसूरती उस समय फीकी पड़ जाती है जब चेहरे पर किसी जगह मस्सा उग आए. चेहरे पर ही नहीं मस्से शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकते हैं. यूं तो मस्से व्यक्ति को किसी तरह की हानि नहीं पहुंचाते, लेकिन यह आपके लुक को प्रभावित कर सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं आखिर कैसे इन बिन बुलाए मेहमानों से बड़ी आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है. केले का छिलका- केला ही नहीं इसके छिलकों के भी बेशुमार फायदे हैं. सेहत बनाने के साथ इसका छिलका आपकी खूबसूरती में भी चार चांद लगा सकता है. केले के छिलके में मस्से को सुखाने की क्षमता होती है. इसके लिए रात को मस्से वाली जगह पर केले के छिलके को रखकर उस पर कपड़ा बांध लें. ऐसा तब तक करें जब तक मस्सा साफ न हो जाए. बेकिंग सोडा- मस्सा हटाने के लिए एक चम्मच बेकिंग सोडा में कुछ बूंदें कैस्टर ऑइल डालकर इस पेस्ट को मस्से पर लगाकर हल्के हाथों से मसाज करें. चेहरे को एक घंटे बाद धो लें. एक महीने में आपको मस्सों की परेशानी से निजात मिल जाएगी. लहसुन- लहसुन में पाए जाने वाले एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण त्वचा से मस्से हटाने में मदद करते हैं. मस्से हटाने के लिए लहसुन की दो कलियां लेकर उनका पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को मस्से पर एक घंटे तक लगाकर रखें. थोड़ी देर बाद त्वचा को पानी से धो लें. दिन में दो बार इस उपाय को करें. नोट- मस्से हटाने के लिए किए गए इन उपायों को करते समय अगर आपको किसी तरह की कोई जलन या परेशानी महसूस हो तो तुरंत उस जगह को साफ कर लें या फिर अपने डॉक्टर से सलाह लें.
नई दिल्ली, 26 सितंबर 2019,अक्सर लोगों को सिर में फंगल इंफेक्‍शन की शिकायत होती है. फंगस पैदा करने वाले बैक्‍टीरिया आमतौर पर मानसून में पैदा होते हैं और बारिश के बाद भी इनका प्रभाव खत्म नहीं होता. इस दौरान लोग डैंड्रफ से भी काफी परेशान रहते हैं. आइए आपको बताते हैं कि किन चीजों का इस्तेमाल कर आप डैंड्रफ और फंगस इंफेक्शन से बच सकते हैं. बेकिंग सोडा- स्कैल्प फंगल इंफेक्शन दूर करने में बेकिंग सोड़ा बड़ा कारगर है. ये फंगल की एक्टिविटी को कम कर राहत दिलाता है. बेकिंग सोडा को पानी में मिक्स कर थोड़ी देर के लिए मसाज करें और बाद में शैम्पू की बजाय सिर को सादे पानी से धो लें. विनेगर- फंगल इंफेक्शन दूर करने के लिए आप एप्पल विनेगर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. विनेगर इन्फेक्शन पैदा करने वाली मुख्य फंगी पर वार करता है. एप्पल विनेगर को पानी पहले पानी में मिला लें और फिर धीरे-धीरे इसे इंफेक्शन वाले हिस्से पर लगाएं. एलोवेरा जेल- एलोवेरा को संजीवनी बूटी कहें तो गलत नहीं होगा. क्या आपको पता है कि सिर में होने वाले इंफेक्शन को दूर करने में एलोवेरा जेल काफी कारगर है. यह आपको जलन, खुजली और रैशेज से राहत भी दिलाएगा. इंफेक्शन होने पर बालों की जड़ों में एलोवेरा जेल 30 मिनट तक लगाकर छोड़ दें. जल्दी ही आपको इस समस्या से मुक्ति मिल जाएगी. टी ट्री ऑयल- टी ट्री ऑयल फंगल इंफेक्शन की समस्या को कुछ समय में ही दूर कर देता है. ट्री टी ऑयल को ऑलिव और बादाम के तेल के साथ मिलाकर इंफेक्शन वाली जगह पर लगाने से आप इंफेक्शन से राहत पा सकेंगे. नीम की पत्तियां- बारिश के मौसम में होने वाला फंगल इंफेक्शन नीम की पत्तियों से भी दूर किया जा सकता है. इसके लिए घर में नीम की पत्तियों का पेस्ट बना लें और उसमें थोडा सा नींबू का रस और थोड़ी हल्दी मिला लें. इस पेस्ट को बालों की जड़ो में 30 मिनट तक लगाकर छोड़ दें. जल्दी ही आपका इंफ्केशन दूर हो जाएगा. दही- अगर आप या आपका कोई परिचित फंगल इंफेक्शन का दंश झेल रहा है तो उसे रोकने के लिए दही खासा मददगार हो सकता है. दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स लैक्टिक एसिड बनाता है, जो फंगल इंफेक्शन की रोकथाम में मददगार होता है. हल्दी- एक चम्मच हल्दी आपको कई तरह के त्वचा रोगों से निजात दिला सकती है. यदि आप हल्दी में शहद मिलाकर पेस्ट बनाकर इंफेक्शन वाली जगह पर लगाएं तो जल्दी ही आपको इससे मुक्ति मिल सकती है.
नई दिल्ली, 22 जुलाई 2019, अक्सर पूजा में भगवान गणेश को अर्पित की जाने वाली दूब का लोग सिर्फ धार्मिक महत्व जानते हैं. लेकिन जिन लोगों को इसके औषधीय गुणों की समझ होती है वो दूब का इस्तेमाल सेहत ही नहीं अपनी खूबसूरती को बनाए रखने के लिए भी करते हैं. बहुत कम ही लोग जानते हैं कि हिन्दू संस्कारों में उपयोग करने के अलावा दूब घास यौन रोगों, लीवर रोगों, कब्ज जैसी कई परेशानियों के उपचार में रामबाण माना जाता है. आइए जानते हैं दूब के ऐसे ही कुछ चमत्कारी फायदों के बारे में. आयुर्वेद के अनुसार दूब का स्वाद कसैला-मीठा होता है. इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, फाइबर, पोटाशियम पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं. इसका सेवन करने से मुंह के छाले ही नहीं कई तरह के पित्त एवं कब्ज विकारों को ठीक करने में भी मदद मिलती है. दूब पेट, यौन, और लीवर संबंधी रोगों के लिए असरदार मानी जाती है. दूब बढ़ाएं प्रतिरोधक क्षमता- दूब घास शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करती है. इसमें मौजूद एंटीवायरल और एंटीमाइक्रोबिल गुण बीमारियों से लड़ने की क्षमता में बढ़ोत्तरी करते हैं. अनिद्रा से राहत- दूब का सेवन करने से व्यक्ति को अनिद्रा, थकान, तनाव जैसे रोगों को ठीक करने में फायदा मिलता है. त्‍वचा संबंधी समस्‍या- दूब में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-सेप्टिक गुणों की वजह से त्‍वचा संबंधी समस्‍याओं में लाभ मिलता है. इसका सेवन करने से त्‍वचा संबंधी परेशानी जैसे- खुजली, त्वचा पर चकत्‍ते और एक्जिमा जैसी समस्‍याओं से राहत मिलती है. इसके लिए दूब घास को हल्दी के साथ पीसकर उसका पेस्ट बनाकर त्वचा पर लगाने से इन सभी समस्‍याओं से राहत मिलती है. प्यास से मिलेगी राहत- दूब का रस पीने से व्यक्ति को बार-बार प्यास नहीं लगती है. इसके अलावा व्यक्ति को पेशाब खुलकर होता है और खून में मौजूद अनावश्यक गर्मी शांत होकर त्‍वचा संबंधी विकारों से भी व्यक्ति दूर रहता है. एनीमिया दूर करें- आजकल खराब लाइफस्टाइल के चलते हर दूसरा व्यक्ति एनीमिया का शिकार है. ऐसे लोगों के लिए दूब का रस अमृत हो सकता है. दरअसल दूब के रस को हरा रक्त भी कहा जाता है, क्‍योंकि इसे पीने से एनीमिया की समस्‍या दूर होती है. दूब खून को साफ करने के साथ शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को भी बढ़ाने का काम करती है. इसका सेवन करने से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है. आंखों के लिए फायदेमंद- दूब पर सुबह उटकर नंगे पांव चलने से आंखों की ज्योति बढती है. इसके अलावा दूब का ताजा रस सुबह के समय पीने से मानसिक रोगों में अद्भुत लाभ होता है और त्वचा के रोगों से भी मुक्ति मिलती है. मुंह के छाले- दूब की पत्तियों को गर्म पानी में उबालकर हर रोज कुल्ला करने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं
हर दिन सोडा पीने से न सिर्फ आपका वजन बढ़ता है और आप मोटे हो सकते हैं बल्कि आपको कैंसर होने का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है। हाल ही में हुई एक नई स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है। लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस कैटिगरी में सिर्फ सोडा ही नहीं बल्कि फ्रूट जूस भी है। हर दिन सोडा पीने से कैंसर का खतरा 18 प्रतिशत अधिक अगर कोई व्यक्ति हर दिन सिर्फ 100ML सोडा का सेवन करे तो उस व्यक्ति में कई तरह के कैंसर विकसित होने का खतरा 18 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी की मानें तो हर दिन सोडे का सेवन करने से अकेले ब्रेस्ट ट्यूमर का खतरा 22 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि सिर्फ सोडा ही नहीं बल्कि बिना मिठास वाला फ्रूट जूस भी सेहत के लिए हानिकारक है। हर दिन फ्रूट जूस का सेवन भी कैंसर के खतरे को बढ़ाता है। मिठास वाली ड्रिंक्स और कैंसर के बीच कनेक्शन यह रिसर्च फ्रांस में की गई जहां न्यूट्रिशन और हेल्थ के बीच क्या संबंध है यह जानने की कोशिश की गई और इसी के तहत अनुसंधानकर्ताओं ने इस बात का पता लगाया कि स्वीट ड्रिंक्स यानी वैसे ड्रिंक्स जिनमें मिठास होती है, उनके और कैंसर के बीच कनेक्शन है। इस रिसर्च के नतीजे साफतौर पर बताते हैं कि फ्रूट जूस जिन्हें काफी हेल्दी बताकर दुनियाभर में प्रमोट किया जाता है, दरअसल वह हमारी सेहत के लिए नुकसानदेह है। स्टडी में करीब 1 लाख लोगों को किया गया शामिल इस रिसर्च के लिए अनुसंधानकर्ताओं ने 97 पेय पदार्थ और 12 आर्टिफिशली स्वीटेंड पेय पदार्थों की जांच की जिसमें कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, स्पोर्ट्स ड्रिंक्स, सिरप और प्योर फ्रूट जूस शामिल थे। रिसर्च के ऑथर्स ने कहा, रिसर्च का डेटा इस बात का समर्थन करता है कि मौजूदा न्यूट्रिशनल रेकमेंडेशन यही है कि लोगों को हर दिन मिठास वाली ड्रिंक्स के सेवन पर कंट्रोल करना चाहिए जिसमें 100 फीसदी फ्रूट जूस भी शामिल है। साल 2009 से हो रही इस स्टडी में करीब 1 लाख लोगों को शामिल किया गया था।
नई दिल्ली, 09 जुलाई 2019,दिल से जुड़ी बीमारियों के कारण पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें होती हैं. खतरनाक फैट बढ़ने की वजह से हृदय काम करना बंद कर देता है, जिससे इंसान की मौत हो जाती है. इस फैट को कंट्रोल करने के लिए ज्यादातर लोग कार्डियो करते हैं, जबकि एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि कार्डियो की बजाय वेटलिफ्टिंग ज्यादा बेहतर विकल्प है. दोनों ही एक्सरसाइज हृदय के आस-पास जमा बॉडी फैट को कंट्रोल करने में कारगर हैं. स्टडी में बताया गया है कि हृदय के पास एक ऐसा फैट भी होता है जिसे कार्डियो के जरिए कम करना मुश्किल है. इस फैट को सिर्फ वेटलिफ्टिंग के जरिए 31 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है. हालांकि फैट को कम करने के लिए किस तरह की वेटलिफ्टिंग कर रहे हैं, इस पर ध्यान देना भी जरूरी है. हार्ट फैट को कम करने के लिए सिंगल आर्म डंबल रो बेहतर एक्सरसाइज है. इसके अलावा आप बॉडी वेट पुशअप्स से भी हार्ट फैट को कम कर सकते हैं. इस दौरान आपको घंटों तक कार्डियो करने की भी जरूरत नहीं है. कॉपेनहेगन यूनिवर्सिटी हॉस्पीटल के वैज्ञानिकों ने 32 ऐसे लोगों पर यह रिसर्च किया था जो मोटापे से ग्रस्त होने के बावजूद किसी तरह की एक्सरसाइज नहीं कर रहे थे. बता दें कि पूरी दुनिया में मरने वाले हर तीसरे व्यक्ति की मौत का कारण हृदय रोग ही होता है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक हृदय रोगों की वजह से हर साल करीब 1 करोड़ 80 लाख लोगों की मौत होती है.
नई दिल्ली, 07 जुलाई 2019,बढ़ता वजन आजकल हर दूसरे व्यक्ति के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है. वजन कम करने के लिए लोग कभी जिम का सहारा लेते हैं तो कभी योग और दवाइयों का. बावजूद इसके कम समय में मनचाहा रिजल्ट नहीं मिल पाता है. ऐसे में अगर आप इस खास कॉफी का सेवन करती हैं तो हो सकता है आप कुछ ही दिनों में अपना वजन कम कर एक परफेक्ट फिगर पा लें. जिम और एक्सरसाइज के बावजूद वजन कम नहीं हो रहा तो कॉफी पीने से भला वजन कम कैसे किया जा सकता है? यही सोच रही हैं न आप? आपको बता दें, जो लोग अपना वजन कम करना चाहते हैं उन्हें अपनी कॉफी में खाना पकाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला नारियल का तेल मिलाकर पीना चाहिए. ऐसा करने से आपके शरीर की चर्बी पिघलेगी और आपका वजन कम हो जाएगा. कॉफी में नारियल का तेल मिलाने से बॉडी के एक्स्ट्रा फैट तेजी से बर्न होने लगते हैं. इस खास कॉफी को बनाने के लिए आपको कॉफी मग में 2 चम्मच नारियल का तेल डालना है. इसके बाद पहले से तैयार की हुई बिना दूध वाली कॉफी को मग में डालें. ध्यान रखें कि कॉफी गरम होनी चाहिए ताकि तेल और कॉफी अच्छे से मिक्स हो सकें. अगर आप शुगर की मरीज हैं तो बिना चीनी वाली कॉफी का सेवन करें. एक रिसर्च की मानें तो रोजाना ब्लैक कॉफी में नारियल तेल मिलाकर पीने से वजन तेजी से घटने के साथ शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल का लेवल भी बढ़ता है. इतना ही नहीं व्यक्ति की बॉडी के मेटाबॉलिज्म रेट में भी तेजी से सुधार होता है. जिसकी वजह से भी वजन जल्दी कम होता है. aajtak
लंदन आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि बैक्टीरिया और वायरस ही बीमारियों की जड़ होते हैं लेकिन अब एक नई रिसर्च में यह बात सामने आयी है कि एक खास तरह के बैक्टीरिया के सेवन से हार्ट को हेल्दी रखा जा सकता है और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम होता है। शोधकर्ताओं की मानें तो अक्करमेंसिया म्यूसिनीफिला नाम का बैक्टीरिया जो मानव आंत में उपस्थित जीवाणु की एक प्रजाति है का अगर पास्चुरीकरण के रूप में उपयोग किया जाए तो यह विभिन्न हृदय रोग जोखिम कारकों से सुरक्षा प्रदान करता है। प्रतिभागियों में पहले से थे दिल की बीमारी के जोखिम कारक पत्रिका ‘नेचर मेडिसिन’ में प्रकाशित इस निष्कर्ष के मुताबिक, लौवेन यूनिवर्सिटी की रिसर्च टीम ने मानव शरीर में प्रभावी बैक्टीरिया पर अध्ययन किया। इसके लिए 42 प्रतिभागियों को नामांकित किया गया और 32 ने इस परीक्षण को पूरा किया। शोधकर्ताओं ने मोटे प्रतिभागियों को अक्करमेंसिया दिया, इन सभी में डायबीटीज टाइप 2 और मेटाबॉलिक सिंड्रोम देखे गए यानी इनमें दिल की बीमारियों से संबंधित जोखिम कारक थे। 3 महीने तक करना था अक्करमेंसिया का सेवन प्रतिभागियों को 2 समूहों में बांट दिया गया- एक जिन्होंने जीवित बैक्टीरिया लिया, दूसरा जिन्होंने पास्चुरीकृत बैक्टीरिया लिया। इन दोनों समूहों के सदस्यों से अपने खान-पान और शारीरिक गतिविधियों में परिवर्तन करने के लिए कहा गया। इन्हें अक्करमेंसिया न्यूट्रीशनल सप्लिमेंट के तौर पर दिया गया। अक्करमेंसिया का सेवन इन प्रतिभागियों को तीन महीने तक लगातार करना था। डायबीटीज, हार्ट डिजीज का खतरा काफी हद तक हुआ कम शोधकर्ताओं ने पाया कि इस सप्लिमेंट को खाना आसान रहा और जीवित और पास्चुरीकृत बैक्टीरिया लेने वाले समूहों में कोई साइड इफेक्ट नहीं देखा गया। पास्चुरीकृत बैक्टीरिया ने प्रतिभागियों में डायबीटीज टाइप 2 और दिल की बीमारियों के खतरे को काफी हद तक कम कर दिया। इससे लिवर के स्वास्थ्य में भी सुधार देखा गया। प्रतिभागियों के शारीरिक वजन में भी गिरावट (सामान्य तौर पर 2.3 किलो) देखी गई और इनके साथ ही साथ कलेस्ट्रोल के स्तर में भी कमी आई।
लखनऊ : पचास की उम्र के बाद पुरुषों को होने वाली प्रोस्टेट की बीमारी से बचाने के लिए सीएसआईआर सीडीआरआई ने न्यूट्रास्यूटिक उत्पाद विकसित किया है। यह उत्पाद औषधीय पौधे के फल से तैयार किया गया है, जो पूरी तरह आयुर्वेदिक और सुरक्षित है। संस्थान के निदेशक प्रफेसर तपस कुमार कुंडू ने बताया कि उत्पाद के लाइसेंसिंग समझौते पर सोमवार को संस्थान के 68 वें स्थापना दिवस के मौके हस्ताक्षर किए गए। जो चेन्नै की लुमेन मार्केटिंग कंपनी के साथ हुआ है। निदेशक प्रफेसर तपस कुमार कुंडू ने बताया कि बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लाजिया (बीपीएच) या प्रोस्टेट की बीमारी बढ़ती उम्र के पुरुषों में होने वाली सबसे आम बीमारी है, जिसमें प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ जाती है और उन्हें पेशाब करने में परेशानी होती है। आमतौर पर 40 साल की उम्र के बाद इसके प्रारंभिक लक्षण विकसित हो सकते हैं। इन्होंने की खोज: भारतीय पारंपरिक औषधीय पौधे से विकसित इस न्यूट्रास्युटिकल उत्पाद को बनाने में डॉ़ टी नरेंद्र, डॉ़ मोनिका सचदेव, डॉ. रवि भट्टा, डॉ़ एसके रथ और डॉ. पीआर मिश्रा ने अहम भूमिका निभाई है।
लखनऊ पुरुषों में होने वाले कैंसरों में प्रॉस्टेट कैंसर का नाम सबसे प्रमुख है। अखरोट के आकार की प्रॉस्टेट-ग्रन्थि का काम अपने स्रावों द्वारा शुक्राणुओं को आहार व गति प्रदान करना होता है। प्रॉस्टेट कैंसर शुरू में इसी ग्रन्थि तक सीमित रहता है, लेकिन बाद में आसपास व दूर के अंगों में फैल भी सकता है। उम्र बढ़ने के साथ इसकी आशंका बढ़ती है। मोटापे से भी इसका सम्बन्ध पाया गया है और कई बार आनुवंशिकी (जेनेटिक्स) के कारण एक ही परिवार के कई पुरुषों में भी यह हो सकता है। बीमारी के लक्षण - पेशाब की धार का पतला होना - पेशाब करने में असमर्थता - वीर्य में खून आना - शिश्न के स्तम्भन में समस्या - कमर के नीचे के इलाके में या हड्डियों में दर्द बचने के उपाय - ताजे फल और सब्जियों का सेवन - कसरत करना - वजन कंट्रोल में रखना - खाद्य-सप्लिमेंट न लें - लक्षणों का पता चलते ही डॉक्टर से मिलना डिजिटल रेक्टल जांच जरूरी डॉक्टर इस रोग की पुष्टि के लिए कई तरह की जांच करते हैं। उंगली को मलद्वार के रास्ते प्रवेश करके प्रॉस्टेट को महसूस करना (डिजिटल रेक्टल एग्जामिनेशन) इनमें महत्त्वपूर्ण है। फिर प्रॉस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन नामक जांच भी खून में कराई जाती है। प्रॉस्टेट की अल्ट्रासोनोग्राफी और बायॉप्सी भी की जाती है। इन सब के बाद पुष्टि होने पर प्रॉस्टेट-कैंसर का उपचार डॉक्टर शुरू करते हैं।
गैस बनना पाचन क्रिया का सामान्य हिस्सा है। हालांकि, कई बार जब गैस आंत में फंस जाती है तो यह मुश्किल खड़ी कर देती है। पेट में ज्यादा गैस बनें तो न सिर्फ आप असहज हो जाते हैं, बल्कि कई बार इससे दर्द भी होता है। इससे भूख कम लगने लगती है और खाना कम खाने के कारण आम कमजोरी महसूस करते हैं। कई बार इसके लिए आपको तुरंत मेडिकल स्टोर की ओर दौड़ना पड़ता है। आपको बता दें कि गैस की परेशानी होने पर हर बार आपको मेडिकल स्टोर भागने की जरूरत नहीं है। आपके घर में ही कई ऐसी चीजें हैं जो आपकी इस समस्या को ठीक कर सकती है। गैस की समस्या में घर में मौजूद इन चीजों के इस्तेमाल से तुरंत आराम मिलता है। अदरक अदरक में पेट की गैस को खत्म करने के गुण होते हैं। गैस की समस्या से परेशान हों तो अदरक का सेवन करें। छाछ छाछ पीने से पेट को तुरंत आराम मिलता है। इसमें अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो पेट की गैस खत्म करके पाचन क्रिया में मदद करता है। ऐलोवेरा जूस त्वचा के लिए ऐलोवेरा के फायदे सभी जानते हैं लेकिन कम ही लोगों को पता है कि यह गैस के इलाज में भी काफी फायदेमंद है। पपीता पपीता में न सिर्फ ऐंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं बल्कि इसमें पाचन में मदद करने वाले एंजाइम्स भी होते हैं। यह पेट में ज्यादा गैस बनने से रोकता है। लौंग लौंग भी पेट की समस्या में तुरंत राहत देता है। पुराने जमाने से पेट के दर्द और गैस को ठीक करने के लिए लौंग का इस्तेमाल किया जाता
आजकल घुटनों और कमर में दर्द की समस्या काफी आम हो गई है। इस समस्या से सिर्फ बुजुर्ग ही नहीं बल्कि बच्चे और युवा तक ग्रस्त हैं। अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो फिर यह खतरनाक रूप ले सकता है। यहां कुछ घरेलू नुस्खे बताए जा रहे हैं जो घुटनों और कमर के दर्द में राहत देंगे: ठंडे पानी की पट्टी और सिकाई ठंडे पानी की पट्टियों से घुटनों औरठंडे पानी की पट्टियों से घुटनों और कमर की सिकाई करें। इससे रक्त कोशिकाएं यानी ब्लड वेसल्स सिकुड़ जाएंगी और प्रभावित हिस्से में ब्लड का फ्लो भी कम हो जाएगा। ऐसे में न सिर्फ दर्द कम होगा बल्कि सूजन भी घट जाएगी। ठंडे पानी की पट्टियों के अलावा सिकाई के लिए बर्फ के टुकडों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। एक कपड़े में कुछ आइस क्यूब्स लपेटकर दर्द से प्रभावित हिस्से की सिकाई करें। ऐपल साइडर विनिगर घुटनों और कमर के दर्द को कम करने के लिए ऐपल साइडर विनिगर को सबसे अधिक कारगर माना गया है। इसकी वजह है इसका ऐल्कलाइन नेचर। यह बॉडी में मौजूद खतरनाक और विषैले तत्वों और इकट्ठा हुए मिनरल्स को घोल देता है। इसके अलावा यह जोड़ों को लचीलापन देने वाले लुब्रिकेंट्स का पुनर्निर्माण करने में भी मदद करता है। इसलिए रोजाना या तो सोने से पहले 1 कप पानी में एक ढक्कन ऐपल साइडर विनिगर मिलाकर पिएं या फिर उसे सरसों या नारियल के तेल के साथ मिलाकर प्रभावित हिस्से पर लगाएं। अदरक घुटनों और कमर के दर्द में अदरक भी लाभकारी है। अदरक में जिंजरॉल होता है जो जोड़ों के दर्द के अलावा मांसपेशियों में खिंचाव को कम करने में भी मदद करता है। रोजाना अदरक का जूस पीने से दर्द से निजात मिल सकती है। इस जूस में एक नींबू और आधा चम्मच शहद मिलाकर पिएं। घुटनों और कमर के प्रभावित हिस्से की अदरक के तेल से मालिश करने से भी आराम मिलेगा। नींबू आप मानें या न मानें लेकिन जोड़ों के दर्द में नींबू भी कमाल का काम करता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज होती हैं जो दर्द के अलावा सूजन भी कम करने में मदद करती हैं। इसके अलावा यह यूरिक ऐसिड को भी रेग्युलेट करने में मदद करता है जोकि जोड़ों के दर्द का मुख्य कारण माना जाता है। इसलिए घुटनों और कमर के दर्द में आप या तो रोजाना नींबू का पानी पी सकते हैं या फिर उसे प्रभावित हिस्से पर भी लगा सकते हैं। इतना ही नहीं, नींबू को रोजाना सलाद और खाने के साथ भी खाएं। इन बातों पर ध्यान दें: - घुटनों और कमर के दर्द में घरेलू इलाज के साथ-साथ डॉक्टरी इलाज करवाना न भूलें। कोई भी तरीका अपनाने से पहले डॉक्टर से सलाह लें। - किसी भी तरह की कठिन एक्सर्साइज से बचें और ज्यादा आराम न करें। ज्यादा आराम करने से मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं जिससे जोड़ों का दर्द गंभीर रूप ले सकता है। इसके अलावा सही लाइफस्टाइल और सही खान-पान भी रखें। -तली-भुनी चीजों के अलावा जंकू फूड से दूरी बनाएं। दूध और दूध से बनी चीजें, बीन्स, साबुत अनाज, मौसमी फल और सब्जियां भरपूर मात्रा में खाएं। -खूब पानी पिएं और तरल पदार्थों का सेवन करें।
बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से मरने वालों की संख्या 97 तक पहुंच गई है. बुखार का जिम्मेदार लीची खाना बताया जा रहा है. वैसे आजकल खाने पीने की चीजों में मिलावट होना आम बात हो गई है. ऐसे में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या वाकई चमकी नाम का ये बुखार खाली पेट ज़्यादा लीची खाने से हो रहा है या फिर मिलावटी लीची का सेवन करने से. सब्जी और फलों में मिलावट आपकी सेहत को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है. ऐसे में सेहत के इस दुश्मन से अपने परिवार को बचाने के लिए अपनाएं ये खास उपाय. भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने रोजमर्रा के खाद्य पदार्थों में मिलावट का पता लगाने के लिए एक मैनुअल जारी किया है. डिटेक्ट एडल्ट्रेशन विद रैपिड टेस्ट (डीएआरटी) नाम की इस किताब में कई आसान परीक्षणों द्वारा बताया गया है कि आप कैसे आसानी से खाद्य पदार्थों में मिलावट का पता लगा सकते हैं. लीची- बाजार में लाल लीची की मांग हमेशा बनी रहती है. ऐसे में कुछ लोग हरे रंग की लीची या बासी लीची को अच्छे दामों पर बेचने के लिए उस पर लाल कैमिकल कलर कर देते हैं. डॉक्टर्स की मानें तो ऐसे कैमिकल रंग वाली लीची खाने से ना सिर्फ आपकी सेहत खराब हो सकती है बल्कि आप कैंसर तक के शिकार हो सकते हैं. ऐसे में लीची का सेवन करने से पहले उसे पानी में डालकर देखें. अगर पानी का रंग बदल जाता है तो समझ जाइए लीची मिलावटी है. सेब- फलों में सबसे ज्यादा मिलावट सेब में होती है. बासी खराब सेब को फ्रेश दिखाने के लिए कई बार उस पर वैक्‍स लगा दिया जाता है ताकि वो चमकदार दिखने लगे. ऐसे में खाने से पहले सेब को ऊपर से चाकू से कुरेद कर देख लें. अगर उसमे से कुछ सफेद-सफेद निकले तो समझ जाएं कि यह मिलावटी सेब है. आइसक्रीम- आइसक्रीम का रंग ज्यादा सफेद दिखाने के लिए उसमें वाशिंग पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है. आइसक्रीम में मिलावट की पहचान करने के लिए उसमें कुछ बूंद नींबू के रस की डालें. अगर ऐसा करने पर आइसक्रीम में झाग बनने लगे तो समझ जाएं कि इसमें वाशिंग पाउडर मिला हुआ है. इस तरह की मिलावटी आइसक्रीम खाने से पेट संबंधी रोगों के साथ आपके लीवर पर भी बुरा असर पड़ सकता है. नारियल तेल- नारियल तेल में मिलावट की पहचान करने के लिए उसे लगभग 30 मिनट के लिए फ्रिज में रख दें. अगर उसमें किसी तरह की मिलावट की गई है तो नारियल तेल तो जम जाएगा लेकिन मिलावटी पदार्थ ऊपरी सतह में तैरता दिखाई देगा. दूध में मिलावट- दूध में थोड़ा सा पानी मिलाकर उसे अच्छी तरह हिलाकर देख लें. अगर उसमें किसी तरह के डिटर्जेंट पाउडर की मिलावट की गई होगी तो दूध में झाग बन जाएगा.
नई दिल्ली ऑफिस या घर पर बदलते शरीर के तापमान की वजह से बीमार होने वालों के लिए वैज्ञानिकों ने एक खास डिवाइस तैयार किया है। वैज्ञानिकों ने एक खास तरह का बैंड बनाया है, जिसे बांह पर पहनने पर शरीर का तापमान एक जैसा बना रहेगा। यह आर्मबैंड एक 'पर्सनल थर्मोस्टेट' की तरह काम करेगा और शरीर के तापमान पर नजर रखेगा। उन लोगों के लिए यह काफी मददगार होगा, जो बदलते तापमान की वजह से ज्यादा प्रभावित होते हैं या बीमार हो जाते हैं। बैंड आठ घंटे से ज्यादा वक्त तक काम करता है और किसी के शरीर का तापमान 10 डिग्री सेल्सियस तक कम कर सकता है। इसकी खोज करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि बैंड एक आसान सॉल्यूशन है जो खासकर ऐसी स्थिति में काम करेगा, जब कुछ लोगों की जरूरत के हिसाब से पूरी बिल्डिंग का तापमान एसी की मदद से कम या ज्यादा करना पड़ता है। इस बैंड को पहनने पर हर किसी का तापमान अलग-अलग बना रहेगा और उस एक की वजह से बाकियों को गर्मी या ठंड में नहीं बैठना होगा। आर्मबैंड दरअसल एक थर्मोइलेक्ट्रिक अलॉय मटीरियल की मदद से तैयार किया गया है। यह बैंड बिजली की मदद से हीट कोटिंग शीट में बदलाव करेगा और इससे शरीर का तापमान प्रभावित होगा। यह छोटे बैटरी पैक से कनेक्ट रहेगा, जिससे इसे पावर मिलेगी। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के प्रफेसर चेन ने कहा, 'ऐसा डिवाइस उनके लिए तापमान से जुड़ा कंफर्ट लेकर आएगा, जिन्हें किसी गर्म दिन में भयानक गर्मी या ऑफिस में ज्यादा ठंड का सामना करना पड़ता है।' फिलहाल यह मार्केट में उपलब्ध नहीं है। प्रफेसर ने कहा, 'इस डिवाइस को पहनने वालों को एक जैसा तापमान लगातार महसूस होगा। अलग-अलग मौसम में उन्हें खास इंतजाम नहीं करने होंगे और सबसे अच्छी बात, इसका कोई साइड इफेक्ट शरीर पर नहीं होगा।' बता दें, दुनिया की ऊर्जा का 10 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा बिल्डिंग्स की हीटिंग या कूलिंग के लिए ही खर्च होता है। इसे कम करने के लिए बहुत से विकल्प भी मौजूद नहीं है, ऐसे में स्मार्ट बैंड जैसा डिवाइस बेहतरीन ऑप्शन साबित हो सकता है। इससे जुड़े कई विकल्प तलाशे जा रहे हैं।
वॉशिंगटन कोई व्यक्ति खुदकुशी करने जा रहा है, क्या इस बात का पता पहले से ही लगाया जा सकता है? अमेरिका में हुए एक अध्ययन की मानें तो ऐसा संभव है। स्टडी में कहा गया है कि ब्रेन स्कैन के जरिये यह पता चल सकता है कि किसी व्यक्ति को खुदकुशी के ख्याल आ रहे हैं या नहीं। इस स्टडी से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर (PTSD) से पीड़ित व्यक्ति के मन में खुदकुशी के आ रहे विचार से जुड़ा एक रासायन पाया गया है। आम लोगों की तुलना में PTSD से पीड़ित व्यक्ति में खुदकुशी का खतरा अधिक रहता है, लेकिन बेहद खतरे वाले व्यक्ति की पहचान मुश्किल है। अमेरिका के येल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया शोध प्रोसिडिंग्स ऑफ द नैशनल अकैडमी ऑफ साइंसेज में पब्लिश हुआ है। उन्होंने mGluR5 का स्तर जांचने के लिए PET तस्वीरों का इस्तेमाल किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि PTSD से पीड़ित लोगों में mGluR5 का स्तर बेहद अधिक है जिससे कोई व्यक्ति एंजायटी और मूड डिसॉर्डर से पीड़ित हो जाता है। PTSD से पीड़ित लोगों के लिए दो तरह का अप्रूव्ड इलाज है, लेकिन यह जांचने में कि ये प्रभावी हैं या नहीं इसमें कई सप्ताह और महीनों लग सकते हैं। येल की असोसिएट प्रफेसर इरिना ईस्टरलिस ने कहा, 'अगर आपके पास ऐसे लोग हैं जो उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं, तो आप तुरंत रक्तचाप कम करना चाहते हैं। लेकिन PTSD में हमारे पास वह विकल्प नहीं है।' उन्होंने कहा कि mGluR5 के स्तर की जांच से उन लोगों की पहचान में मदद मिल सकती है जिनमें खुदकुशी का खतरा सबसे अधिक है और उन्हें तुरंत चिकित्सीय मदद दी जा सकती है। इरिना ने साथ ही कहा कि mGluR5 के स्तर को संतुलित रखकर खुदकुशी के खतरे को कम किया जा सकता है।
नई दिल्ली, 08 मई 2019,आज दुनियाभर में वर्ल्ड थैलेसीमिया डे (Thalassemia Day)मनाया जा रहा है. थैलेसीमिया बच्चों को उनके माता-पिता से मिलने वाला आनुवांशिक रक्त रोग है. इस रोग की पहचान बच्चे में 3 महीने बाद ही हो पाती है. ज्यादातर बच्चों में देखी जाने वाली इस बीमारी की वजह से शरीर में रक्त की कमी होने लगती है और उचित उपचार न मिलने पर बच्चे की मृत्यु तक हो सकती है. आइए जानते हैं आखिर क्या है ये बीमारी और इसके लक्षण और बचाव के तरीके. क्या है यह बीमारी- आमतौर पर हर सामान्य व्यक्ति के शरीर में लाल रक्त कणों की उम्र करीब 120 दिनों की होती है, लेकिन थैलेसीमिया से पीड़ित रोगी के शरीर में लाल रक्त कणों की उम्र घटकर मात्र 20 दिन ही रह जाती है. इसका सीधा असर व्यक्ति के हीमोग्लोबिन पर पड़ता है. जिसके कम होने पर व्यक्ति एनीमिया का शिकार हो जाता है और हर समय किसी न किसी बीमारी से ग्रसित रहने लगता है. थैलेसीमिया के प्रकार- थैलेसीमिया दो तरह का होता है. माइनर थैलेसीमिया या मेजर थैलेसीमिया. किसी महिला या फिर पुरुष के शरीर में मौजूद क्रोमोजोम खराब होने पर बच्चा माइनर थैलेसीमिया का शिकार बनता है. लेकिन अगर महिला और पुरुष दोनों व्यक्तियों के क्रोमोजोम खराब हो जाते हैं तो यह मेजर थैलेसीमिया की स्थिति बनाता है. जिसकी वजह से बच्चे के जन्म लेने के 6 महीने बाद उसके शरीर में खून बनना बंद हो जाता है और उसे बार-बार खून चढ़वाने की जरूरत पड़ने लगती है. थैलेसीमिया की पहचान- थैलेसीमिया असामान्य हीमोग्लोबिन और रेड ब्लड सेल्स के उत्पादन से जुड़ा एक ब्लड डिसऑर्डर है. इस बीमारी में रोगी के शरीर में रेड ब्लड सेल्स कम होने की वजह से वो एनीमिया का शिकार बन जाता है. जिसकी वजह से उसे हर समय कमजोरी,थकावट महसूस करना, पेट में सूजन, डार्क यूरिन, त्वचा का रंग पीला पड़ सकता है. थैलेसीमिया से बचने के लिए घरेलू उपचार- -इस गंभीर रोग से होने वाले बच्चे को बचाने के लिए सबसे पहले शादी से पहले ही लड़के और लड़की की खून की जांच अनिवार्य कर देनी चाहिए. - अगर आपने खून की जांच करवाए बिना ही शादी कर ली है तो गर्भावस्था के 8 से 11 हफ्ते के भीतर ही अपने डीएनए की जांच करवा लेनी चाहिए. - माइनर थैलेसीमिया से पीड़ित व्यक्ति किसी भी सामान्य व्यक्ति की तरफ अपना जीवन जीता है. बिना खून की जांच करवाए कई बार तो उसे पता ही नहीं चलता कि उसके खून में कोई दोष भी है. ऐसे में अगर शादी से पहले ही पति-पत्नी के खून की जांच करवा ली जाए तो काफी हद तक इस आनुवांशिक रोग से होने वाले बच्चे को बचाया जा सकता है. थैलेसीमिया का उपचार- थैलेसीमिया का इलाज, रोग की गंभीरता पर निर्भर करता है. कई बार थैलेसीमिया से ग्रसित बच्चों को एक महीने में 2 से 3 बार खून चढ़ाने की जरूरत पड़ सकती है। -बोन मैरो प्रत्यारोपण से इन रोग का इलाज सफलतापूर्वक संभव है लेकिन बोन मैरो का मिलान एक बेहद मुश्किल प्रक्रिया है. - इसके अलावा रक्ताधान, बोन मैरो प्रत्यारोपण, दवाएं और सप्लीमेंट्स, संभव प्लीहा या पित्ताशय की थैली को हटाने के लिए सर्जरी करके भी इस गंभीर रोग का उपचार किया जा सकता है.aajtak
इस मौसम में मार्केट में आम की भरमार है लेकिन कहीं ऐसा तो नहीं कि आप कैमिकल वाले आम खा रहे हैं क्योंकि मार्केट में आर्टिफिशियली पके आम खूब से बिक रहे हैं. कच्चे आमों को कैल्शियम कार्बाइड की मदद से पकाया जाता है जोकि हेल्थ के लिए हानिकारक होता है. यहां हम बता रहें हैं आम पहचानने के तरीके... - बाजार में मिलने वाले आम के रंग पर न जाएं क्योंकि जरूरी नहीं कि जो पीले हों वो पके आम हों. कुदरती रूप से पके आम हरे और नारंगी रंग के होंगे. - पके हुए आम को डंठल के पास सूंघने पर खास तरह की खुशबू आएगी जबकि कार्बाइड से पकाए गए आम में कोई महक नहीं आएगी. - अगर आम में एल्कोहल, कार्बाइड या किसी अन्य तरह की महक आती है ऐसे आम न खरीदें. यह ज्यादा पके और अंदर से खराब हो सकते हैं. - अच्छे आम पर सामान्य के अलावा कोई दाग नहीं होते. जबकि कैमिकल वाले आम का रंग 2-3 दिन के अंदर काला होने लगता है. - आम खरीदते समय इन्हें दबाकर देखें. पके आम आसानी से दब जाएंगे. - आम खरीदने से पहले इन्हें चखकर देखें चखने से मीठे और स्वादिष्ट लगें तो ही लें. जबकि कार्बाइड से पकाए फल का स्वाद किनारे पर कच्चा और बीच में मीठा होता है. - पके हुए फल का वेट और कलर एक समान होता है. स्वाद में भी पूरा फल एक समान मीठा होता है. यह लंबे समय तक खराब नहीं होते. जबकि कार्बाइड से पकाए फलों का भार समान नहीं होता. - मुमकिन हो तो बाजार से आम खरीदने के बजाय सीधे आम के बगीचे से ही खरीदें और घर में ही घास, कागज, या प्याज के बीच रखकर इन्हें पकाएं. - बाजार से खरीदे हुए आम पहले साफ पानी से धो लें फिर किसी ठंडी जगह पर 1-2 घंटे रख दें. इसके बाद खाने में इस्तेमाल करें. - आम को घोलकर उसके रस को सीधे मुंह से चूसने के बजाय इसके छिलके उतारकर मिक्सर में जूस बनाकर पीयें.
नई दिल्ली, कक्यूर्मा लॉन्गा (हल्दी के पौधे) की जड़ों से निकले करक्यूमिन को पेट का कैंसर रोकने या उससे निपटने में मददगार पाया गया है. फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ साओ पाउलो (यूनिफैस्प) तथा फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ पारा (उफ्पा) के शोधकतार्ओं ने ब्राजील में यह जानकारी दी. करक्यूमिन के अलावा, हिस्टोन गतिविधि को संशोधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अन्य यौगिकों में कोलकेल्सीफेरोल, रेस्वेराट्रोल, क्वेरसेटिन, गार्सिनॉल और सोडियम ब्यूटाइरेट (आहार फाइबर के फरमेंटेशन के बाद आंत के बैक्टीरिया द्वारा उत्पादित) प्रमुख थे. वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड इंटरनेशनल के पेट के कैंसर संबंधी आंकड़ों के अनुसार, विश्व स्तर पर, प्रत्येक वर्ष गैस्ट्रिक कैंसर के अनुमानित 9,52,000 नए मामले सामने आते हैं, जिसमें लगभग 7,23,000 लोगों की जान चली जाती है (यानी 72 प्रतिशत मृत्यु दर). भारत में, पेट के कैंसर के लगभग 62,000 मामलों का प्रतिवर्ष निदान किया जाता है (अनुमानित 80 प्रतिशत मृत्यु दर के साथ). इस बारे में हेल्थ केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के के अग्रवाल ने कहा, "पेट का कैंसर कई वर्षों में धीरे-धीरे विकसित होता है, इसलिए शुरूआत में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते हैं. सामान्य लक्षणों में भूख कम होना, वजन में कमी, पेट में दर्द, अपच, मतली, उल्टी (रक्त के साथ या बिना उसके), पेट में सूजन या तरल पदार्थ का निर्माण, और मल में रक्त आना शामिल हैं. इन लक्षणों में से कुछ का इलाज किया जाता है, क्योंकि वे दिखाई देते हैं और गायब हो जाते हैं, जबकि अन्य लक्षण उपचार के बावजूद जारी रहते हैं. रोग की उच्च दर के लिए तनाव, धूम्रपान और अल्कोहल जिम्मेदार हो सकते हैं. धूम्रपान विशेष रूप से इस स्थिति की संभावना को बढ़ाता है." भारत में कई जगहों पर, आहार में फाइबर सामग्री कम रहती है. अधिक मसालेदार और मांसाहारी भोजन के कारण पेट की परत में सूजन हो सकती है, जिसे अगर छोड़ दिया जाए तो कैंसर हो सकता है. डॉ. अग्रवाल ने कहा, "पेट के कैंसर के लिए पर्याप्त फॉलो-अप और पोस्ट-ट्रीटमेंट देखभाल की आवश्यकता होती है, इसलिए नियमित जांच के लिए स्वास्थ्य टीम के संपर्क में रहना महत्वपूर्ण है. पहले कुछ वर्षों के लिए, स्वास्थ्य टीम से हर 3 से 6 महीने में मिलने की सिफारिश की जाती है, उसके बाद सालाना मिला जा सकता है. हालांकि, पेट के कैंसर के निदान के बाद जीवन तनावपूर्ण हो जाता है, परंतु सही उपचार, जीवनशैली में बदलाव और डॉक्टरों व शुभचिंतकों के समर्थन से, मरीज ठीक हो सकता है."
आधुनिक जीवन में अधिकतर लोग डायबिटीज और मोटापे की समस्या से जूझ रहे हैं. मोटापे से छुटकारा पाने के लिए लोग घंटों जिम में पसीना बहाते हैं, स्ट्रिक्ट डाइट फॉलो करते हैं. लेकिन अब आप बिना डाइट और एक्सरसाइज किए भी वजन कम कर सकेंगे. दरअसल, एक नई स्टडी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि डायबिटीज के मरीजों द्वारा ली जाने वाली दवाई वजन कम करने में अहम भूमिका निभाती है. आइए जानते हैं आखिर ये कौन सी दवाई है और किस तरह वजन कम करती है... स्टडी की रिपोर्ट में बताया गया है कि टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित करोड़ों लोग मेटफोर्मिन (Metformin) दवाई लेते हैं. करीब 30 हजार लोगों पर 15 सालों तक चली स्टडी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि टाइप-2 डायबिटीज में ली जाने वाली मेटफोर्मिन गोलियां वजन कम करने में भी मददगार साबित होती हैं. स्टडी की रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि वजन कम करने में यह दवाई डाइट और एक्सरसाइज से ज्यादा असरदार साबित होती है. शोधकर्ताओं का मानना है कि आने वाले समय में मेटफोर्मिन (Metformin) दवाई मोटापे से पीड़ित लोगों को वजन कम करने के लिए दी जा सकती है. स्टडी के दौरान मेटफोर्मिन (Metformin) के असर को डाइट और एक्सरसाइज से तुलना कर के देखा गया. इसके लिए लुइसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मोटापे से पीड़ित करीब 3,234 लोगों पर इसकी जांच की. स्टडी में शामिल कुछ लोगों को प्लेसबो दिया गया. वहीं कुछ लोगों को एक तय डाइट और एक्सरसाइज प्लान फॉलो करने के लिए कहा गया, जबकि कुछ लोगों को दिन में दो बार 850 मिलीग्राम मेटफोर्मिन दिया गया. एक साल के बाद नतीजों में पाया गया कि मेटफोर्मिन लेने वाले 28.5 फीसदी, डाइट और एक्सरसाइज फॉलो करने वाले 62.6 फीसदी और प्लेसबो लेने वाले 13.4 फीसदी लोगों ने करीब 5 फीसदी तक वजन कम किया. हालांकि, स्टडी के पहले साल में डाइट और एक्सरसाइज फॉलो करने वाले लोगों का सबसे अधिक वजन कम हुआ. लेकिन डाइट और एक्सरसाइज की मदद से कम किए हुए वजन को लंबे समय तक नियंत्रण में रखना बहुत मुश्किल था. स्टडी के खत्म होने तक मेटफोर्मिन लेने वालों ने लगभग 6.2 फीसदी वजन कम किया. वहीं, इसकी तुलना में डाइट और एक्सरसाइज फॉलो करने वालों का सिर्फ 3.7 फीसदी तक वजन कम हुआ और प्लेस्बो लेने वालों का 2.8 फीसदी वजन कम हुआ स्टडी के सह-लेखक डॉक्टर किशोर गड्डे ने बताया, 'डाइट और एक्सरसाइज फॉलो करने वाले लोगों का कम हुआ वजन लंबे समय तक कंट्रोल में नहीं रहता है. लंबे समय तक वजन को कंट्रोल में रखने के लिए रोजाना गोलियां लेना, डाइट और एक्सरसाइज करने से ज्यादा आसान है. हालांकि, डॉक्टर किशोर गड्डे का मानना है कि मेटफोर्मिन वजन कम करने मे कितनी असरदार होती है इसकी पुष्टि करने के लिए अभी और रिसर्च करनी बाकी हैं. बता दें, फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) या नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) ने वजन कम करने के लिए मेटफोर्मिन गोलियों को खाने को मंजूरी नहीं दी है. लेकिन कुछ डॉक्टर्स टाइप-2 डायबिटीज की बीमारी और मोटापे से पीड़ित लोगों को मेटफोर्मिन गोलियां लेने की सलाह देते हैं. स्टडी के मुताबिक, डायबिटीज से पीड़ित लोगों में मेटफोर्मिन शरीर में ब्लड ग्लूकोज को कंट्रोल में रखने में मदद करती है. स्टडी की रिपोर्ट में बताया गया है कि इसको लेने से शरीर में इंसुलिन अधिक मात्रा में प्रोड्यूस नहीं होता है. साथ ही इसको लेने से भूख भी कंट्रोल में रहती है, जो वजन कम करने में मदद करती हैं. लेकिन वजन कम करने के लिए मेटफोर्मिन गोलियां कितनी असरदार होती हैं, इसकी अभी ओर जांच होनी बाकी है.
आज के समय में मोबाइल फोन हमारी जरूरत बन गया है। मोबाइल फोन से हमें कई तरह के फायदे होते हैं लेकिन इससे होने वाले नुकसान को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडिएशन हमारे शरीर के लिए घातक होता है। रोज 50 मिनट तक लगातार मोबाइल का इस्तेमाल ब्रेन की सेल्स को नुकसान पहुंचा सकता है। अक्सर देखा जाता है कि खबरें आती रहती हैं कि मोबाइल फोन के रेडिएशन के कारण ब्रेन ट्यूमर या कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है। वहीं, एक्सपर्ट्स का मानना है कि आज तक यह सिद्ध नहीं हो पाया है कि किसी व्यक्ति को ब्रेन ट्यूमर या कैंसर की बीमारी मोबाइल रेडिएशन के चलते हुई हो। साथ ही एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि अधिक रेडिएशन छोड़ने वाले फोन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसके अलावा हमें कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए, जो हमें खतरनाक रेडिएशन से बचा सकें। सावधानियां बरतेंः 1. शरीर से रखें दूर मोबाइल फोन- हमको कोशिश करनी चाहिए कि मोबाइल फोन को शरीर से पर्याप्त दूरी पर रखें। मोबाइल फोन का शरीर से कम संपर्क हो इसलिए उसे पैंट या शर्ट में न रखने बजाय बैग में रखना चाहिए। 2. स्पीकर पर करें बात- मोबाइल फोन पर बात करते समय कोशिश करनी चाहिए कि स्पीकर का प्रयोग किया जाए। इसके अलावा आप हैंड्स फ्री का इस्तेमाल करना चाहिए। यदि दोनों तरीकों से बात करना संभव न हो पाए तो मोबाइल फोन को कान से कुछ दूरी रखकर बात करें। 3. लैंडलाइन का करें अधिक इस्तेमाल- अगर हमारी पहुंच में लैंडलाइन है तो मोबाइल का इस्तेमाल न करके उसी से बात करनी चाहिए। आप चाहें घर पर हो या ऑफिस में मोबाइल फोन की अपेक्षा लैंडलाइन का इस्तेमाल करें। 4. प्रयोग न होने पर कर दें ऑफ- अधिकतर लोगों का मोबाइल फोन हमेशा ऑन रहता है। जरूरत न पड़ने पर मोबाइल फोन को ऑफ कर देना चाहिए। अगर देखा जाए तो ऐसा करना कम संभव है। कम से कम रात को सोते समय मोबाइल फोन को ऑफ कर देना चाहिए। 5. मैसेज से करें बात- छोटी-छोटी बातों के लिए फोन करने की जगह मैसेज करना चाहिए। मैसेज से बात करने से मोबाइल फोन से निकलने वाली रेडिएशन से काफी हद तक बचा जा सकता है। 6. चार्जिंग के समय न करें बात- मोबाइल फोन के चार्जिंग होने के दौरान बात नहीं करनी चाहिए। चार्जिंग के समय बात करने से मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडिएशन का लेवल 10 गुना तक बढ़ जाता है। 7. सिग्नल और बैटरी कम होने पर न करें प्रयोग- मोबाइल फोन में सिग्नल और बैटरी कम होने बात नहीं करनी चाहिए। इस दौरान मोबाइल फोन में रेडिएशन बढ़ता है।
जीवन में कुछ बड़ा हासिल करने के लिए शरीर के साथ-साथ दिमाग का तंदुरूस्त रहना भी बेहद जरूरी है. शरीर को फिट रखने के लिए हर व्यक्ति को अच्छी डाइट के साथ एक्सरसाइज करना भी बेहद जरूरी है. पर क्या आप वाकई अपने दिमाग को फिट और तेज रखने के लिए ये सब करते हैं. बता दें, दिमाग को तेज रखने के लिए एक खास खुराक की जरूरत होती है, जिसे डाइट में शामिल कर आप अपने दिमाग को तेज बना सकते हैं. आइए जानते हैं क्या हैं वो तरीके और डाइट प्लान. अश्वगंधा- प्राचीन काल से अश्वगंधा का प्रयोग व्यक्ति तनाव को दूर करने के लिए करता आया है. इसकी मदद से स्ट्रेस हार्मोन को कम किया जा सकता है. दिमाग तेज करने के लिए एक टीस्पून अश्वगंधा का पाउडर रात को सोने से 30 मिनट पहले गर्म दूध में डालकर पीएं. अखरोट- अखरोट आपके दिल के साथ आपके दिमाग का भी ध्यान रखता है. इसमें अल्फा इनोलेनिक एसिड के साथ कई अन्य पोषण तत्व मौजूद होते हैं. जो दिमाग तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचाकर रक्तसंचार बढ़ाने का काम करते हैं. जिसकी वजह से मेमोरी शार्प होती है. हल्दी- हल्दी में कई ऐसे गुण मौजूद होते हैं जो तनाव के असर बेअसर करने का काम करते हैं. हल्दी में मौजूद कर्क्यूमिन व्यक्ति के भीतर फील-गुड हार्मोन तो डोपामाइन और सेरोटोनिन अवसाद संबंधित लक्षणों को कम करने का काम करते हैं. अपने दिमाग को तेज करने के लिए आपको हल्दी का लगभग आधा चम्मच डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए. बेरी - ब्लूबेरी हो स्ट्रॉबेरी या ब्लैक बेरी, एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होने की वजह से दिमाग के लिए बेहद फायदेमंद होता है. यह आपकी एकाग्रता में वृद्ध‍ि करने में भी सहायक है. ऐसी एक्सरसाइज जिसे करने से आपका दिमाग तेजी से काम करने लगेगा- पजल्स गेम- पजल्स गेम खेलने से अल्जाइमर का खतरा कम हो जाता है. न्यूजपेपर क्रॉसवर्ड और सुडोकू गेम से इसकी शुरुआत करनी चाहिए. इन खेलों से आप खुद को चैलेंज देते हैं जिससे दिमाग की अच्छी कसरत हो जाती है. रोजमर्रा के कामों के लिए उल्टे हाथ का प्रयोग करें- दांतों को ब्रश या बालों को कंघी करने जैसे काम अगर हम उल्टे हाथों से करें तो इसका दिमाग पर अच्छा प्रभाव पड़ता है. कुछ काम आंख बंद करके करें- अपने रोज के काम जैसे खाना या जूस बनाना या फिर नहाना आंख बंद कर के करें. हां, इसमें आपको सावधानी जरूर बरतनी होगी. लेकिन यह टास्क पूरी तरह से टच पर निर्भर करता है जिससे आपके दिमाग के कुछ हिस्से एक्टिव हो जाते हैं जो आम तौर पर निष्क्रिय रहते हैं. नई भाषा सीखें- इसमें आपको थोड़ा धीरज रखने की आवश्यकता है. लेकिन आप रोज थोड़ा समय इस पर दे सकते हैं. कोई भी भाषा जिसमें आपकी रूचि हो, सीखना शुरू कर दें. एक स्टडी के मुताबिक, बहुभाषियों की रीजनिंग अच्छी होती है.

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