लखनऊ : पचास की उम्र के बाद पुरुषों को होने वाली प्रोस्टेट की बीमारी से बचाने के लिए सीएसआईआर सीडीआरआई ने न्यूट्रास्यूटिक उत्पाद विकसित किया है। यह उत्पाद औषधीय पौधे के फल से तैयार किया गया है, जो पूरी तरह आयुर्वेदिक और सुरक्षित है। संस्थान के निदेशक प्रफेसर तपस कुमार कुंडू ने बताया कि उत्पाद के लाइसेंसिंग समझौते पर सोमवार को संस्थान के 68 वें स्थापना दिवस के मौके हस्ताक्षर किए गए। जो चेन्नै की लुमेन मार्केटिंग कंपनी के साथ हुआ है। निदेशक प्रफेसर तपस कुमार कुंडू ने बताया कि बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लाजिया (बीपीएच) या प्रोस्टेट की बीमारी बढ़ती उम्र के पुरुषों में होने वाली सबसे आम बीमारी है, जिसमें प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ जाती है और उन्हें पेशाब करने में परेशानी होती है। आमतौर पर 40 साल की उम्र के बाद इसके प्रारंभिक लक्षण विकसित हो सकते हैं।
इन्होंने की खोज: भारतीय पारंपरिक औषधीय पौधे से विकसित इस न्यूट्रास्युटिकल उत्पाद को बनाने में डॉ़ टी नरेंद्र, डॉ़ मोनिका सचदेव, डॉ. रवि भट्टा, डॉ़ एसके रथ और डॉ. पीआर मिश्रा ने अहम भूमिका निभाई है।