हमारे शरीर में विटमिन-डी आवश्यकता के अनुसार है या नहीं, आखिर इस बात की जांच कैसे की जाए? क्योंकि कोरोना वायरस से बचने के लिए विटमिन-डी बहुत जरूरी है। यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बूस्ट करने का काम करता है। यहां हम शरीर में होनेवाले कुछ ऐसे बदलावों और लक्षणों के बारे में बात करेंगे जो विटमिन-डी की कमी होने पर नजर आते हैं...
विटमिन-डी को ऐक्टिव करता है शरीर
विटमिन-डी एक सॉल्यूबल विटमिन है। शरीर में इसका उत्पादन आमतौर पर तब होता है जब हमारा शरीर सूर्य की किरणों के सीधे संपर्क में आता है। यानी हमने खुद को किसी कांच के पीछे या कपड़े से ढंककर ना रखा हो।
- विटमिन-डी जब हमारे शरीर में सूर्य की किरणों के जरिए पहुंचता है तब यह ऐक्टिव फॉर्म में नहीं होता है। बल्कि हमारा शरीर अपने यूज के लिए इसे ऐक्टिव फॉर्म में बदलता है। विटमिन-डी के इस बदले हुए रूप को '25-हाइड्रॉक्सी विटमिन-डी' कहते हैं।
विटमिन-डी की कम और ज्यादा मात्रा
-शरीर में विटमिन-डी अगर 50 से 125 के बीच हो तो इसे पर्याप्त माना जाता है। वहीं, 30 से कम होने पर यह शरीर में कमी को दर्शाता है और 125 से ज्यादा होने पर शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है।
- आपको शायद जानकारी हो कि अगर हमारे शरीर में विटमिन-डी की मात्रा कम होती है तो कैल्शियम का पाचन भी नहीं हो पाता है। यानी विटमिन-डी की कमी के दौरान आपने जो भी कैल्शियम खाया है, वह मल और यूरिन के साथ फ्लश हो गया है!
विटमिन-डी का शरीर में उपयोग
-विटमिन-डी हड्डियों को मजबूत रखता है।
- मसल्स को मजबूती देता है।
-रोग प्रतिरोधक क्षमता को नियंत्रित करता है।
-कोशिकाओं की वृद्धि में सहायता करता है।
-शरीर में सूजन, हड्डियों में सिकुड़न को रोकता है।
-ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद करता है।
विटमिन-डी की कमी के कारण
सूर्य की किरणों (यूवीबी) में ना बैठना।
-शरीर में विटमिन-डी का अवशोषण ना हो पाना।
-भोजन और फलों के जरिए विटमिन-डी ना लेना।
-अधिक पलूशन भरे क्षेत्र में रहना।
-हर समय घर के अंदर या फुल बाजू के कपड़ों में रहना।
-कॉलेस्ट्रॉल कम करनेवाली कुछ खास दवाएं लेना।
-धूम्रपान करना
- शरीर पर बहुत अधिक फैट जमा होना।
-प्रेग्नेंसी में विटमिन-डी के सप्लिमेंट्स ना लेना
-किडनी और लीवर का ठीक से काम ना करना
-बढ़ती उम्र के कारण कैल्शियम कम होना
-त्वचा का रंग अधिक सांवला होना।
बढ़ जाते हैं ये खतरे
-जिनके शरीर में विटमिन-डी की कमी होती है, वे हर समय खुद को थका हुआ अनुभव करते हैं। हल्का-सा काम करने या कुछ कदम चलने पर ही उनकी सांस फूलने लगती है।
-पिंडलियों (Calf) में दर्द और कमजोरी अनुभव करना।
-उदास रहना और किसी काम में मन ना लगना।
- जोड़ों से चटकने की आवाज आना, हड्डियों में दर्द होना और कमजोरी महसूस होना।
-बच्चों में विटमिन-डी की कमी होने पर उनकी हड्डियां बहुत मुलायम हो जाती हैं।
इलाज और पूर्ति के तरीके
विटमिन-डी की कमी होने पर भोजन और फलों के जरिए इसे शरीर में बढ़ाया जा सकता है।
-जो लोग नॉनवेज खाते हैं वे ऑइली फिश सेलमन, बीफ लिवर के जरिए इसे प्राप्त कर सकते हैं।
-अंडे और डेयरी प्रॉडक्ट्स जैसे फोर्टिफाइड मिल्क के जरिए भी विटमिन-डी प्राप्त किया जा सकता है।
-संतरा, मशरूम और इंस्टेंट ओट्स भी विटमिन-डी प्राप्ति के सोर्स हैं।
-बाकी सूर्य की रोशनी में हर दिन कम से कम 45 मिनट बिताना जरूरी होता है।