सुपरफूड का काम करते हैं अलसी के बीज, लेकिन इस तरह खाया तो फायदे की जगह होगा नुकसान

अलसी में स्‍वास्‍थ्‍य को लाभ पहुंचाने वाले अनेक गुण मौजूद होते हैं। अब तो अलसी को सुपरफूड कहा जाने लगा है। अलसी बीज, तेल, पाउडर, गोली, कैप्‍सूल और आटे के रूप में उपलब्‍ध है और कब्‍ज, डायबिटीज, हाई कोलेस्‍ट्रोल, हृदय रोग, कैंसर एवं कई अनेक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं से बचने के लिए डायट्री सप्‍लीमेंट के रूप में अलसी का इस्‍तेमाल किया जाने लगा है। आइए जानते हैं अलसी के पोषक तत्‍वों और स्‍वास्‍थ्‍य लाभों के बारे में। अलसी के पोषक तत्व एक चम्‍मच पिसी हुई अलसी 7 ग्राम होती है और इसमें 1.28 ग्राम प्रोटीन, 2.95 ग्राम फैट, 2.02 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 1.91 ग्राम फाइबर, 17.8 मि.ग्रा कैल्शियम, 27.4 मि.ग्रा मैग्‍नीशियम, 44.9 मि.ग्रा फास्‍फोरस, 56.9 मि.ग्रा पोटैशियम, 6.09 माइक्रोग्राम फोलेट और 45.6 माइक्रोग्राम ल्‍यूटिन और जीएक्‍सेंथिन होता है। अलसी खाने का तरीका अलसी के बीजों को साबुत खाने से बचना चाहिए, क्‍योंकि आंतें इसके पोषक तत्‍वों को सोख नहीं पाती हैं। अलसी को पीसकर खाना सही रहता है। कच्‍ची और अधपकी अलसी न खाएं क्‍योंकि इनमें विषाक्‍त तत्‍व होते हैं। पाचन संबंधी परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए पर्याप्‍त पानी पिएं और पिसी हुई अलसी खाएं। अलसी के तेल की छोटी बोतल ही खरीदें और इसकी बोतल का रंग गहरा होना चाहिए। आप इसे फ्रिज में रखें क्‍योंकि ये तेल जल्‍दी खराब हो जाता है। एक्‍पायर होने के बाद अलसी के तेल का इस्‍तेमाल न करें। अलसी खाने केफायदे अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है और रिसर्च की मानें तो ये कई प्रकार की कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोक सकता है। इनमें लिगनेन एंटीऑक्‍सीडेंट भी होता है जो नई रक्‍त वाहिकाओं को बनने से रोक कर ट्यूमर के बढ़ने की गति को धीमा कर देता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, ज्‍यादा फाइबर और ओमेगा-3 खाने से ह्रदय दुरुस्‍त रहता है। लिगनेन भी ह्रदय रोगों से बचाता है। इसमें फाइटोस्‍टेरोल होता है जो आंतों में कोलेस्‍ट्रोल को अवशोषित होने से रोकता है। अर्थराइटिस फाउंडेशन की मानें तो अलसी जोड़ों में दर्द और अकड़न को कम करने में मदद कर सकती है। कुछ लोग रुमेटाइड आर्थराइटिस, लुपस के लिए भी अलसी का सेवन करते हैं। वर्ष 2007 में शोधकर्ताओं की टीम ने रिसर्च के परिणाम प्रस्‍तुत करते हुए कहा था कि अलसी महिलाओं में रजोनिवृत्ति के दौरान हॉट फ्लैशेज की गंभीरता को कम करने में मदद कर सकती है। अलसी के बीजों में अघुलनशील फाइबर भी होते हैं जो पानी में घुलते नहीं है और खाने के बाद पाचन मार्ग में ही रहते हैं। इस तरह यह पानी को सोख लेता है और कब्‍ज से राहत दिलाते हैं। अगर अलसी के सेवन के दौरान पानी कम पिया जाए तो कब्‍ज की स्थिति और खराब हो सकती है। अलसी इतने गुणों और पोषक तत्‍वों से भरपूर है कि आयुर्वेदिक दवाओं में संपूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार लाने, त्‍वचा के पीएच स्‍तर को संतुलित रखने, दीर्घकालिक स्थितियों जैसे कि डायबिटीज, एथेरोस्‍केलेरोसिस और आर्थराइटिस को रोकने एवं कैंसर से बचने के लिए इसका इस्‍तेमाल किया जाता है।

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