मॉनसून में फैलने वाले बुखार और फ्लू में डेंगू सबसे अधिक खतरनाक माना जाता है। इसका कारण यह है कि इस बुखार के दौरान पीड़ित व्यक्ति की प्लेटलेट्स बहुत तेजी से गिरने लगती हैं। प्लेटलेट्स वे रक्त कोशिकाएं होती हैं, जो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने का काम करती हैं। साथ ही शरीर से बहनेवाले खून पर थक्का जमाने का काम करती हैं। ताकि शरीर से बहुत अधिक खून ना बह सके। लेकिन डेंगू का वायरस इन प्लेटलेट्स को तेजी से कम कर देता है। आइए, जानते हैं डेंगू से बचाव और इसके लक्षणों से जुड़ी कुछ जरूरी बातें...
क्यों फैलता है डेंगू?
-डेंगू एक तरह का वायरल फीवर होता है, जो मच्छर के काटने से फैलता है। डेंगू फैलानेवाले मच्छरों का बायॉलजिकल नाम एडीज एजिप्टी है। आम बोलचाल की भाषा में इन्हें टाइगर मच्छर भी कहा जाता है क्योंकि इनके शरीर पर सफेद और काली धारियां होती हैं।
-इन एडीज मच्छरों की एक खास बात यह होती है कि ये घरों में जमा होनेवाले साफ पानी में पनपते हैं और वहीं अंडे भी देते हैं। जैसे कूलर में जमा पानी या गमलों में भरा पानी, पानी की टंकी आदि। साथ ही ये मच्छर आमतौर पर दिन में और सुबह के समय अधिक काटते हैं।
डेंगू के फैलने का सीजन
-डेंगू बुखार बरसात का मौसम शुरू होते ही यानी जून महीने के अंतिम दिनों से लेकर अक्टूबर तक फैलता है। इसके बाद सर्दी का मौसम आ जाने से इन मच्छरों के पनपने के अनुकूल मौसम नहीं रह जाता है। लेकिन कुछ खास परिस्थितियों में डेंगू के केस कई महीनों बाद तक देखने को मिलते रहते हैं।
डेंगू के लक्षण
-डेंगू से संक्रमित व्यक्ति को अचानक तेज बुखार हो जाता है और उसे बहुत तेज ठंड लगती रहती है।
-मरीजे के सिर में बहुत तेज दर्द होता है। साथ ही शरीर के जोड़ों में कमजोरी और दर्द से बहुत अधिक बेचैनी होने लगती है।
-गले में हर समय दर्द रहता है, यह कभी हल्का होता है तो कभी बहुत तेज। साथ ही चेहरे और सीने या गर्दन पर गुलाबी रंग के रैशेज हो जाते हैं।
- इस दौरान मरीज का कुछ भी खाने का मन नहीं करता है। हर समय ऐसा लगता रहता है कि जैसे बस अब उल्टी हुई..
डेंगू के प्रकार
-डेंगू का बुखार मुख्य रूप से 3 तरह का होता है। इनमें साधारण डेंगू, रक्त स्त्राव वाला डेंगू और डेंगू शॉक सिंड्रोम। इन तीनों के लक्षण इनके प्रकार के हिसाब से ही गंभीर होते जाते हैं।
-जो लक्षण ऊपर बताए गए हैं वे साधारण डेंगू के लक्षण हैं। डेंगू के दूसरे प्रकार यानी रक्त स्त्राव वाले डेंगू में मरीज की त्वचा का रंग पीला पड़ जाता है। साथ ही उसका शरीर गर्म की जगह ठंडा महसूस होता है।
-रोगी के नाक या मसूड़ों से खून आने लगता है। इस दौरान खून की उल्टियां भी हो सकती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि रोगी की प्लेटलेट्स तेजी से गिर रही होती हैं। इस कारण उसके शरीर से ब्लीडिंग शुरू हो जाती है। रोगी को तेज प्यास लगती है, गला सूखता है और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।
-वहीं, तीसरे प्रकार के डेंगू यानी डेंगू शॉक सिंड्रोम के दौरान मरीज की नब्ज भी कमजोर होने लगती है। पेट में तेज और लगातार दर्द हो सकता है। शरीर ठंडा पड़ने लगता है और मरीज दर्द से करहाने लगता है।
क्या नहीं करना है?
-क्या करना है के साथ ही आपको यह भी पता होना चाहिए कि डेंगू होने पर हमें क्या नहीं करना चाहिए। यह एक वायरल बुखार है इसलिए इस दौरान आप पैरासिटामोल, आईबुप्रोफेन और एस्प्रिन जैसी दवाओं का सेवन ना करें। क्योंकि इस बीमारी में ऐंटिबायॉटिक दवाओं का शरीर पर कोई असर नहीं होता है।
-मरीज को जितना हो सके ओआरएस का घोल देते रहें। भूख लगने पर या ना लगने पर भी भोजन के समय के अनुसार, मूंग की छिलका दाल मिलाकर तैयार की गई खिचड़ी मरीज को खिलाएं। पेशंट को बिल्कुल भी भूख बर्दाश्त नहीं करनी चाहिए नहीं तो हालत अधिक गंभीर हो सकती है।
इतने दिन में दिखता है बुखार का असर
-डेंगू का संक्रमण किसी भी मरीज के अंदर संक्रमित मच्छर द्वारा वायरस छोड़ने के 3 दिन से लेकर 7 दिन के अंदर फैलने लगता है। इस दौरान मरीज के शरीर में डेंगू के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इसके लक्षणों के बारे में हम बात कर चुके हैं।
कहां कराएं इलाज?
-अब यह जान लीजिए कि जब भी घर-परिवार में किसी को डेंगू के लक्षण नजर आएं तो आपको परेशान नहीं होना है। बल्कि किसी अच्छे फिजिशियन को दिखना चाहिए। यदि घर में बीमार होनेवाला शख्स कोई बच्चा है तो आप इसे चाइल्ड स्पेशलिस्ट या फिजिशियन दोनों में से किसी को भी दिखा सकते हैं।