कोटा
राजस्थान और पश्चिम बंगाल में बुधवार को दो महिलाओं पर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के लिए सर्वे करने वाली कर्मचारी समझकर भीड़ ने हमला कर दिया। राजस्थान के कोटा में नजीरन बानो ब्रजधाम इलाके में राष्ट्रीय आर्थिक जनगणना 2019-2020 के लिए आंकड़े इकट्ठा कर रही थीं, जब भीड़ ने उन्हें सीएए-एनआरसी के लिए सर्वे करने वाली सरकारी कर्मचारी समझ लिया। हालांकि वह भीड़ को समझाने में कामयाब रहीं कि वह भी एक मुस्लिम हैं, जिसके बाद उन्हें जाने दिया गया। पुलिस ने हमले के एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।
एसएचओ महेश सिंह ने बताया कि भीड़ ने नजीरन का फोन छीनकर उनका सारा डेटा डिलीट कर दिया। भीड़ चाहती थी कि वह साबित करें कि वह सचमुच मुस्लिम हैं। इसके लिए उनसे कुरान की आयत सुनाने को कहा। हालांकि जब नजीरन ने अपनी पर्स में मौजूद अयात-अल-कुर्सी दिखाया, तब उन्हें जाने दिया गया।
जानकारी देने के बाद बोले- डिलीट करो डेटा
बानो ने बताया कि ब्रजधाम इलाके में वह घर-घर जाकर लोगों से आर्थिक जनगणना के आंकड़े जुटा रही थीं। उन्होंने कहा कि 4-5 परिवारों ने मुझे जानकारी देने के बाद वापस बुलाया और कहा कि मैं सारा डेटा डिलीट कर दूं, क्योंकि वे कोई जानकारी नहीं देना चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'मैंने उन्हें समझाया कि यह आर्थिक जनगणना के आंकड़े हैं और पोर्टल पर अपलोड हो चुके हैं, मगर वे नहीं माने और मुझसे धक्का-मुक्की करने लगे।'
पश्चिम बंगाल में महिला को एनआरसी सर्वेयर समझ घर फूंका
उधर, पश्चिम बंगाल के बीरभूम में भी ऐसी ही घटना देखने को मिली। 20 वर्षीय छुमकी खातून गूगल इंडिया और टाटा ट्रस्ट्स की तरफ से ग्रामीण महिलाओं के डिजिटल साक्षरता अभियान से जुड़े आंकड़े जुटा रही थीं। कुछ लोगों ने समझा कि वह एनआरसी के लिए डेटा इकट्ठा कर रही हैं और उन पर हमला कर दिया। खातून के गौरबाजार स्थित घर में आग लगा दी गई। खातून के परिवार ने स्थानीय पुलिस थाने पहुंचकर शरण ली। घटना का कोई भी आरोपी गिरफ्तार नहीं किया गया है।