जयपुर, 16 मार्च 2020, राजस्थान सरकार ने सोमवार को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. अनुच्छेद 131 के तहत राजस्थान सरकार ने केंद्र सरकार के इस कानून के खिलाफ दायर याचिका में कहा है कि धर्म के आधार पर यह कानून बनाया गया है जो संविधान के खिलाफ है. राजस्थान सरकार ने अपने वाद के जरिए धर्म के आधार पर देश के नागरिकों के वर्गीकरण के कानून को चुनौती दी है.
केरल और पंजाब के बाद राजस्थान ने भी अब सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका दी है. अनुच्छेद 131 के तहत राज्यों को यह अधिकार है कि दो या दो से अधिक राज्यों और केंद्र के बीच के विवाद के फैसले के लिए बस सुप्रीम कोर्ट जाए और इसी अधिकार के तहत राजस्थान सरकार नागरिकता कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची है.
नागरिकों के मौलिक अधिकार का हनन
राजस्थान सरकार की तरफ से वाद दायर करने वाले अधिवक्ता मनीष सिंघवी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया नया नागरिकता कानून संविधान की धारा 14, 21 और 35 के तहत दिए गए नागरिकों के मौलिक अधिकार का हनन करता है. नए नागरिकता कानून में नागरिकों का बंटवारा धर्म के आधार पर किया गया है, जो संविधान के मूल भावना के खिलाफ है. 10 जनवरी को पारित इस कानून को रद्द करने के लिए राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में वाद पेश किया है.
गौरतलब है कि राजस्थान में इससे पहले विधानसभा में दिए एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया जा चुका है. एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य था. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ना केवल इस कानून के खिलाफ धरना दिया था, बल्कि शाहीन बाग के तर्ज पर चल रहे धरने में भी शामिल हुए थे.