जयपुर
कोरोना वायरस से लड़ाई में भीलवाड़ा एक मॉडल बनकर उभरा है। यहां जिस तरह से COVID-19 महामारी पर काबू पाया गया, उसकी पूरा देश तारीफ कर रहा है। प्रशासन ने सख्ती से पूरे जिले को स्क्रीन किया और अब हालात नियंत्रण में हैं तो क्रेडिट लेने की होड़ भी मच गई है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राजस्थान की कांग्रेस सरकार और राहुल गांधी को इस लड़ाई का क्रेडिट दिया तो भीलवाड़ा की देवरिया ग्राम पंचायत की सरपंच किस्मत गुर्जर नाराज हो गईं। उन्होंने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि उससे इन्हें बहुत दुख हुआ है। किस्मत गुर्जर वही सरपंच हैं जिनका एक वीडियो पिछले दिनों वायरल हुआ था। वह अपने गांव में खुद ही डिसइन्फेक्टेंट स्प्रे कर रही थीं।
क्या कहा सरपंच जी ने?
किस्मत गुर्जर ने कहा, "आज जिसे भीलवाड़ा मॉडल कहा जा रहा है, दरअसल उसके पीछे यहां के किसानों, महिलाओं, ग्रामीणों और भीलवाड़ा की स्वयंसेवी संस्थाओं की कड़ी मेहनत है। पिछले कई दिनों से राज्य सरकार जिसका क्रेडिट लेने की लगातार कोशिश कर रही है और आज राहुल गांधी ने लेने की कोशिश की, वो दरअसल स्थानीय लोगों की मेहनत का नतीजा है। जिन्होंने कोरोना से लड़ने के लिए छोटी-छोटी बातों का पालन किया और आत्मसंयम का परिचय दिया। यहां के लोगों ने ना सिर्फ लॉकडाउन का भली-भांति पालन किया है, बल्कि सोशल डिस्टेंसिंग और साफ-सफाई का ध्यान रखा है। डॉक्टर, नर्स, मेडिकल स्टाफ के साथ सहयोग करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो आग्रह किया है, उसका यहां के लोगों पर गहरा प्रभाव पड़ा है। यह समय राजनीतिक स्वार्थ-सिद्धि का नहीं है, बल्कि सतर्कता और संयम के साथ रोज मेहनत करने का है।"
किस्मत गुर्जर का ये वीडियो हुआ था वायरल
देवरिया की सरपंच ने खुद अपनी ग्राम पंचायत में सैनिटाइजेशन किया था। वह अपनी पीठ पर मशील लगाकर हाथ से गांव में स्प्रे करती नजर आई थीं। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
क्या है भीलवाड़ा मॉडल?
भीलवाड़ा मॉडल चिकित्सा विभाग, पुलिस और प्रशासनिक अमले के कोऑर्डिनेशन का एक अच्छा एग्जाम्पल है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी मेडिकल कॉलजों में आरआरटी (Rapid Response Team) का गठन करवाया था। भीलवाड़ा कलेक्टर राजेन्द्र भट्ट में RRT को सटीक तरीके से काम में लिया। कोरोना पॉजीटिव की सूचना मिलते ही RRT को तुरंत क्षेत्र में भेजा गया। 1, 3 और 5 किलोमीटर के दायरे में कर्फ्यू और फिर महाकर्फ्यू लगाया गया। हर घर के सदस्य की 2-2, 3-3 बार स्क्रीनिंग की गई।
लक्षण मिलते ही फौरन क्वारंटीन
जहां भी कुछ लक्षण मिलते, उन्हें तुरंत 14 दिनों के क्वारंटीन में भेजा गया। उन पर लगातार निगरानी रखी गई। जांच की रिपोर्ट आते ही पॉजिटिव मरीजों को आइसोलेशन वार्ड में रखा कर, तुरंत इलाज किया गया। पॉजिटिव लोगों के संपर्क में आए व्यक्तियों की सघन कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की गई। संपर्क में आए लोगों की भी व्यापक स्तर पर स्क्रीनिंग और जांच करवाई गई। मरीजों की पल-पल की रिपोर्ट लेते रहे। रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद संक्रमित मरीजों को डिस्चार्ज किया गया।