नई दिल्ली, 15 मई 2020,एक याचिका की सुनवाई के दौरान राजस्थान उच्च न्यायालय ने कहा है कि राज्य के स्कूल अगर चाहें तो इस लॉकडाउन की अवधि के दौरान छात्रों से फीस की मांग कर सकते हैं. स्कूलों में छात्रों से फीस की मांग की जाए या नहीं, इस पर चल रही तमाम बहस को देखते हुए कोर्ट ने गुरुवार को यह फैसला लिया. साथ ही अदालत ने यह भी कहा है कि वे आगे स्कूल की फीस के मामले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे.
स्कूल की फीस के संबंध में अपना निर्णय देते हुए अदालत ने यह भी कहा कि अगर माता-पिता किसी भी कारण से लॉकडाउन की अवधि के दौरान स्कूल की फीस का भुगतान नहीं कर सकते हैं, तो स्कूल के पास छात्र का नाम काटने का अधिकार नहीं है.
अदालत ने देशभर में फैले कोविड -19 संक्रमण के दौरान लागू लॉकडाउन को देखते हुए स्कूल फीस के भुगतान के संबंध में अधिवक्ता राजीव भूषण बंसल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान ये फैसला लिया.
फीस देने में असमर्थ माता-पिता: बंसल
अधिवक्ता राजीव भूषण बंसल ने राजस्थान उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी जिसमें मांग की गई कि स्कूल को लॉकडाउन अवधि के दौरान फीस नहीं मांगनी चाहिए. इसकी वजह देश में कोरोनो वायरस के तेजी से प्रसार के कारण वित्तीय संकट का बढ़ना है.
राजीव भूषण ने कहा कि सभी व्यवसाय और उद्योग बंद होने के कारण सभी माता-पिता अपने बच्चों की स्कूल फीस का भुगतान करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं. चूंकि इस समय सभी स्कूल और शैक्षणिक संस्थान गैर-ऑपरेशनल हैं, इसलिए कोर्ट को लॉकडाउन के दौरान राज्य के स्कूलों द्वारा फीस वसूली के मुद्दे पर गौर करना चाहिए.
उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने न्यायमूर्ति सबीना और न्यायमूर्ति चंद्र कुमार सोंगरा की खंडपीठ ने सुनवाई करने के बाद जनहित याचिका का निपटारा किया.