भरतपुर, 20 मई 2020,राजस्थान की सड़कों पर पैदल चलते मजदूरों ने गहलोत सरकार के दावे की हवा निकाल दी है. दरअसल, गहलोत सरकार ने दावा किया था कि कोई भी मजदूर राजस्थान की जमीन पर पैदल चलता हुआ दिखाई नहीं दे सकता है. इस दावे से उलट लगातार प्रवासी मजदूर पैदल चलते हुए जा रहे हैं, जिनके साथ महिलाएं और छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल है.
कई प्रवासी मजदूर गुजरात के सूरत से पैदल चलते हुए राजस्थान को लांघकर आज उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर पहुंची. ये सभी मजदूर उत्तर प्रदेश के कासगंज जा रहे हैं. इनमें एक 8 महीने की गर्भवती सोनेन्द्री देवी भी शामिल है. उसने बताया कि वह अपने परिजनों के साथ गुजरात के सूरत में मजदूरी करती थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते मजदूरी बंद हो गई.
गर्भवती महिला ने कहा कि हम लोग सूरत से ही पिछले 10 दिनों से पैदल चलकर आज भरतपुर पहुंचे हैं और यहां से हम लोग उत्तर प्रदेश जा रहे हैं. हजारों किलोमीटर पैदल चलते हुए उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर पहुंचे मजदूरों ने बताया की ऊंचा नगला बॉर्डर पर कांग्रेस की सैकड़ों बस खड़ी है, लेकिन हमको ले जाने से मना कर दिया. क्या हम मजदूर नहीं है?
अब सवाल उठता है कि एक तरफ राजस्थान कांग्रेस की तरफ से उत्तर प्रदेश में पैदल चलने वाले मजदूरों को छोड़ने के लिए 500 की व्यवस्था की गई है, जो यूपी बॉर्डर पर खड़ी है. वहीं, मजदूर राजस्थान में पैदल चलकर अपने घर लौटने की कोशिश कर रहे हैं. क्या इन बसों के जरिए मजदूरों को उत्तर प्रदेश बॉर्डर तक नहीं लाया जा सकता था?