02 जुलाई 2020संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका और जर्मनी ने भारत के साथ मजबूती से आकर पाकिस्तान और चीन को बड़ा संदेश दे दिया है. कराची स्टॉक एक्सचेंज पर सोमवार को हुए आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान की तरफ से चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बयान जारी करने का प्रस्ताव लाया था. हालांकि, अमेरिका ने दखल देते हुए चीन प्रायोजित बयान को तुरंत पास नहीं होने दिया.
इससे पहले, जर्मनी की वजह से भी प्रस्ताव अटका रहा. दरअसल, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने हमले के लिए भारत को दोषी ठहराया है. अमेरिका और जर्मनी यह सुनिश्चित करना चाह रहे थे कि कहीं बयान में भारत के खिलाफ कोई जिक्र तो नहीं किया गया है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में आतंकी हमलों की निंदा करते हुए बयान जारी करना सामान्य बात है लेकिन चूंकि प्रस्ताव चीन की तरफ से पेश किया गया था इसलिए भारत विरोधी किसी साजिश की आशंका से अमेरिका ने पूरे बयान को पढ़ने के लिए वक्त मांगा.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संसद में कराची स्टॉक एक्सचेंज पर हुए आतंकी हमले के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया था. इमरान खान ने कहा था कि इसमें कोई शक नहीं है कि इस हमले के पीछे भारत का हाथ है. विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी कहा था कि भारत को पाकिस्तान की शांति बर्दाश्त नहीं हो रही है इसलिए वो ऐसे हमले करवा रहा है. हालांकि, तमाम कोशिशों के बावजूद यूएनएससी के बयान में भारत का कोई जिक्र नहीं हुआ.
पाकिस्तान के आरोपों के बाद संयुक्त राष्ट्र में आतंकी हमले पर बयान लाने के पीछे के मकसद को समझे बगैर इसे पास कर देना भारत को मुश्किल में डाल सकता था. पाकिस्तान-चीन के गठजोड़ की कोशिशों को नाकाम करने के लिए अमेरिका ने आगे बढ़कर भारत की मदद की और प्रस्ताव पास करने से पहले और वक्त मांग लिया.
चीन की ओर से यह प्रस्ताव 'साइलेंट प्रोसीजर' के तहत लाया गया था. इसमें प्रस्ताव लगभग पास ही माना जाता है जब तक कि किसी सदस्य देश की तरफ से तय समयसीमा के अंदर आपत्ति ना आए.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस मामले में सबसे पहले जर्मनी ने हस्तक्षेप किया और प्रस्ताव पर विचार करने के लिए 1 जुलाई को सुबह 10 बजे तक का समय मांगा. इसके बाद, अमेरिका ने भी और समय मांगा जिससे डेडलाइन दोपहर 1 बजे तक के लिए आगे बढ़ गई. सूत्रों के मुताबिक, चीनी यूएन प्रतिनिधिदल ने इस देरी का विरोध किया था.
हालांकि, बयान में सिर्फ कराची स्टॉक एक्सचेंज हमले की निंदा की गई थी और किसी देश को निशाना नहीं बनाया गया था इसलिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इसे पास कर दिया गया. कूटनीतिज्ञों का कहना है कि भले ही बयान पास हो गया लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका का चीन और पाकिस्तान को आईना दिखाना एक बड़ा संकेत है.