गलवान के साथ-साथ पैंगोंग झील में भी उलझ रहा चीन, भारत भेजेगा हाई स्पीड सुपरबोट्स

नई दिल्ली लद्दाख की पैंगोंग झील में भारतीय सैनिकों का रास्ता रोके बैठे चीन को सबक सिखाने की तैयारी चल रही है। झील में चीन की बड़ी नावों को टक्कर देने के लिए सरकार ने हाई स्पीड वाली इंटरसेप्टर बोट्स (नाव) पैंगोंग झील भेजने का मन बनाया है। इस प्लान को जल्द फाइनल किया जाएगा। इन नावों में निगरानी रखने के तमाम नए उपकरण होंगे। भारतीय सेना के सूत्रों से जानकारी मिली है कि अभी वहां भारत के पास 17 QRT (क्विक रिऐक्शन टीम) बोट्स हैं जो झील में पट्रोलिंग का काम करती हैं। भारत को ये नाव करीब 8 साल पहले मिली थीं। लेकिन अभी चीन वहां तैनाती बढ़ा रहा है, बड़ी नावें भी ले आया है। चीनी सैनिक अभी भारी 928B टाइम बोट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं जिनसे टक्कर के लिए भारत को नई नावें भेजनी होंगी। चुनौतियां भी कम नहीं सूत्र ने बताया कि सबसे बड़ी चुनौती नावों को वहां तक पहुंचाने की है। ऐसी ऊंचाई वाली जगह पर इन नावों को किसी भी चीज से भेजना इतना आसान नहीं है। फिलहाल प्लानिंग यह है कि इन्हें डिसमेंटल (अलग) करके सी-17 ग्लोबमास्टर प्लेन से लेह तक भेजा जाए। फिर वहां से इन्हें आगे लेकर जाया जाए। हालांकि, इसमें कुछ वक्त तो लगेगा ही। चीन ने रोक लिया है फिंगर 4 से लेकर फिंगर 8 तक का रास्ता बता दे कि पैंगोंग झील करीब 134 किलोमीटर लंबी है। इसका दो-तिहाई हिस्सा चीन के कंट्रोल में है। फिर जहां से यह तिब्बत से भारत की तरफ आ रही है, उसपर चीन की निगाहें हैं। भारत और चीन के बीच 15 जून को गलवान में हुई हिंसक घटना से पहले झड़प पैंगोंग झील के पास ही हुई थी। 5-6 मई को हुई इस झड़प की वजह चीनी सैनिकों की मनमानी थी। उन्होंने अभी फिंगर 4 से फिंगर 8 तक का 8 किलोमीटर के रास्ते को रोक लिया है। ऊंची जगहों पर उसने अपने सैनिक बैठा दिए हैं। अपनी (चीन) सीमा में उसका निर्माण कार्य भी जारी है।

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