लंदन
हॉन्ग-कॉन्ग के नागरिकों को नागरिकता की पेशकश करने के ब्रिटेन के फैसले पर चीन ने नाराजगी जताई है। चीन ने गुरुवार को चेतावनी दी कि ब्रिटेन के इस फैसले का वह इसके 'अनुरूप जवाब' देगा। चीन ने इस हफ्ते ही हॉन्ग-कॉन्ग में नैशनल सिक्यॉरिटी लॉ को लागू किया है। बता दें कि पहले हॉन्ग-कॉन्ग ब्रिटेन के ही अधीन था। चीन ने कहा है कि वह इस कदम का कड़ा विरोध करता है और इसके हिसाब से कदम उठाने का अधिकार रखता है। यही नहीं, चीन ने यह भी कहा है कि लंदन अपने फैसले पर दोबारा विचार करे और 'हॉन्ग-कॉन्ग के मसलों में दखल देने से बचे।'
'अपनी स्थिति, नियमों को नुकसान पहुंचा रहा ब्रिटेन'
चीनी दूतावास ने लंदन में इस बात पर जोर दिया कि हॉन्ग-कॉन्ग में रह रहे सभी चीनी चीन के ही नागरिक हैं। दरअसल, ब्रिटेन के प्लान में हॉन्ग-कॉन्ग के ऐसे 30 लाख लोग आते हैं जिनके पास ब्रिटिशन नैशनल ओरसीज पासपोर्ट हैं या अप्लाई करने के लिए योग्य हैं। चीन का कहना है कि ये लोग चीन के ही नागरिक हैं। दूतावास ने बयान जारी कर कहा है, 'अगर ब्रिटेन एकपक्षीय बदलाव करता है तो वह अपनी स्थिति और वादों, अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के पालन के नियमों को नुकसान पहुंचाएगा।'
PM बोरिस जॉनसन ने की थी नागरिकता की पेशकश
इससे पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा था कि नए सुरक्षा कानून के जरिए हॉन्ग कॉन्ग की स्वतंत्रता का उल्लंघन किया जा रहा है। इससे प्रभावित लोगों को हम ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज स्टेटस के जरिए ब्रिटिश नागरिकता देंगे। बता दें कि हॉन्ग कॉन्ग के लगभग 3 लाख 50 हजार लोगों को पहले ही ब्रिटिश नागरिकता प्राप्त है जबकि, 26 लाख अन्य लोग भी इस कानून के तहत नागरिकता पाने के हकदार हैं। चीन को 1997 में ब्रिटेन सौंपा गया था। तब चीन ने गारंटी दी थी कि वह शबर की न्यायिक और विधायिकी स्वायत्ता को कायम रखेगा।
अमेरिका ने भी कड़ा कर रखा है हॉन्ग-कॉन्ग पर रुख
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, 'चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के हॉन्ग कॉन्ग की स्वतंत्रता को खत्म करने के फैसले ने ट्रंप प्रशासन को हॉन्ग कॉन्ग को लेकर अपनी नीतियों को फिर मूल्यांकन करने का मौका दिया है। चूंकि चीन राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को पारित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, इसलिए अमेरिका हॉन्ग कॉन्ग को अमेरिकी मूल के रक्षा उपकरणों को रोक रहा है।'