सीमा विवाद पर अकेला पड़ा चीन, भारत के साथ खड़ी हुईं ये महाशक्तियांभारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा है जो तय नहीं है। चीन ने कभी सीमांकन को लेकर गंभीरता दिखाई नहीं। ऊपर से घुसपैठ करके जमीन हथियाने की उसकी चालें भी अब दुनिया खुली आंखों से देख रही है। पूर्वी लद्दाख में जिस तरह से चीन ने अतिक्रमण करने की कोशिश की और भारी-भरकम फौज का दम दिखाकर भारत को दबाव में लाना चाहा, उससे चीन को कूटनीतिक नुकसान हुआ। पूरी दुनिया में चीन की थू-थू हो रही है। भारत इस पूरे विवाद में मैच्योर और सेंसिबल बनकर उभरा है। दुनिया की महाशक्तियां उसके पक्ष में खड़ी हैं और चीन अलग-थलग नजर आ रहा है। जापान ने शुक्रवार को साफतौर पर भारत का पक्ष लेते हुए चीन को आड़े हाथों लिया। उससे पहले अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम जैसे कई बड़े देश भारत को सपोर्ट कर चुके हैं।
डोकलाम के बाद लद्दाख... जापान हमेशा साथ
जापान ने शुक्रवार को भारत का साथ दिया और कहा कि वह 'LAC पर यथास्थिति में किसी तरह के एकतरफा बदलाव' का विरोध करता है। जापानी राजदूत सतोशी सुजुकी ने भारतीय विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला से बातचीत के बाद ट्वीट कर भारत को सपोर्ट किया। जापान ने 2017 डोकलाम विवाद के दौरान भी भारत का साथ दिया था। खुद अपने यहां समुद्र इलाकों में चीनी जहाजों की मौजूदगी को लेकर उसका चीन से विवाद चल रहा है।
LAC पर चीन की हरकतों से दिखा CCP का असली रंग : अमेरिका
व्हाइट हाउस ने बुधवार को पूरी तरह से सीमा पर तनाव का जिम्मेदार चीन को ठहराया। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हवाले से प्रेस सेक्रेटरी ने कहा, "भारत-चीन सीमा पर चीन का आक्रामक रुख दुनिया के बाकी हिस्सों में चीनी आक्रामकता के बड़े पैटर्न से मेल खाता है। और ऐसी कार्रवाइयां असल में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) का असली रंग दिखाती हैं। भारत के 59 चीनी ऐप्स पर बैन लगाने का भी अमेरिका ने स्वागत और सपोर्ट किया है।
फ्रांस ने दिया सपोर्ट का भरोसा
फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली ने भारतीय समकक्ष राजनाथ सिंह को भरोसा दिलाया था कि वह 'त्वरित और मैत्रीपूर्ण समर्थन' देंगे। 29 जून को लिखी एक चिट्ठी में फ्लोरेंस ने गलवान घाटी में 20 भारतीय जवानों की शहादत पर शोक भी प्रकट किया था। फ्लोरेंस ने राजनाथ से आगे भारत में मुलाकात की इच्छा भी जताई थी। दोनों देशों के बीच में यह ऐसे वक्त में हुआ जब फ्रेंच नेवी ने हिन्द महासागर में भारत के साथ मिलकर युद्धाभ्यास और पैट्रोलिंग बढ़ाने पर जोर दिया है।
चीन से पहले ही खार खाए बैठा ब्रिटेन
हॉन्ग कॉन्ग के लिए नए सुरक्षा कानून को लेकर चीन का ब्रिटेन से पहले ही पंगा चल रहा है। यूनाइटेड किंगडम ने कहा है कि 'हिंसा किसी के हित में नहीं है।' ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने हॉन्ग कॉन्ग को लेकर चीन को काफी भला-बुरा कहा है। LAC पर तनाव को लेकर ब्रिटिश उच्चायोग के प्रवक्ता चिंता जता चुके हैं। उन्होंने दोनों देशों से बात करने की अपील की थी।
ऑस्ट्रेलिया बन सकता है भारत का बड़ा सहयोगी
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने हाल ही में LAC पर तनाव का संदर्भ दिया था। बुधवार को देश का डिफेंस प्लान पेश करते हुए उन्होंने कहा था कि 'भारत और चीन, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में तनाव बढ़ रहा है।' उन्होंने कहा कि इंडो-पैसिफिक एरिया रणनीतिक प्रतियोगिता का केंद्र है और जरा सी चूक भारी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि इस इलाके की शांति सिर्फ चीन और अमेरिका पर निर्भर नहीं, भारत, जापान, साउथ कोरिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर और वियतनाम पर भी जिम्मा है। हिन्द महासागर में ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच रक्षा रिश्ते और मजबूत हुए हैं। चीन की वजह से इनमें और बेहतरी की उम्मीद है।
चीन से तंग आ चुके हैं आसियान देश
आसियान देशों ने भारत-चीन तनाव पर सीधे तो कुछ नहीं कहा है। मगर एक बयान में ये जरूर साफ कर दिया कि वे चीन की दादागीरी बर्दाश्त नहीं करेंगे। मामला दक्षिण चीन सागर का है जहां चीन जबरन समुद्री इलाके पर कब्जे की कोशिश में लगार है। आसियान देशों ने साफ कहा कि चीन संयुक्त राष्ट्र की संधि का पालन करे। दक्षिण चीन सागर में इस वक्त अमेरिका के जंगी जहाज भी मौजूद हैं।