चीन से तनातनी के बीच सीमावर्ती इलाकों में सड़कों का काम हुआ तेज

नई दिल्ली चीन से साथ पूर्वी लद्दाख सीमा पर चल रही तनातनी को देखते हुए सरकार ने सीमावर्ती इलाकों में बड़े पैमाने पर इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर काम तेज कर दिया है। इनमें कई हाइवे परियोजनाएं भी शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में बन रही कई परियोजनाओं पर सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) और National Highways and Infrastructure Development Corporation (एनएचआईडीसीएल) काम कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक 17 स्टैटजिक हाइवे-कम-एयरस्ट्रिप पर भी काम चल रहा है जिनमें से तीन का काम पूरा हो चुका है। इन पर जरूरत पड़ने पर विमान को उतारा जा सकता है। उन्होंने साथ ही कहा कि उत्तराखंड के चारों धामों बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को ऑल वेदर कनेक्टिविटी से जोड़ने के लिए भी 12,000 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी परियोजना का काम जोरशोर से चल रहा है। गडकरी ने कहा कि बीआरओ ने ऋषिकेश-धरासू नेशनल हाइवे पर चंबा शहर के नीचे 440 मीटर लंबी सुरंग खोदकर बड़ी कामयाबी हासिल की है। इसके लिए ऑस्ट्रिया की अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया। इसे तय समय से तीन महीने पहले ही अक्टूबर में ट्रैफिक के लिए खोल दिया जाएगा। हाइवे पर एयरस्ट्रिप गड़करी ने कहा, 'हमने 17 स्ट्रैटजिक प्रोजेक्ट्स में से तीन परियोजनाएं पूरी कर रही हैं। इनमें से अधिकांश सीमावर्ती इलाकों में हैं। बाकी परियोजनाओं पर भी काम तेजी से चल रहा है। इनमें एयरस्ट्रिप भी बनाई जा रही हैं।' उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं को रक्षा मंत्रालय के सहयोग से बनाया जा रहा है ताकि जरूरत पड़ने पर सीमावर्ती इलाकों में हाइवे को एयरस्ट्रिप में बदला जा सके। उन्होंने कहा कि इस तरह के स्ट्रिप पर ट्रैफिक को रेलवे की तरह के इलेक्ट्रॉनिक गेट सिस्टम में कंट्रोल किया जाएगा। इससे जरूरत पड़ने पर वहां विमान उतर सकते हैं और उड़ान भर सकते हैं। इसके लिए एक समिति का गठन किया गया था जिसमें हाइवे और डिफेंस मिनिस्ट्री के अधिकारियों को शामिल किया गया था। गडकरी ने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए भारतमाला परियोजना के तहत कई परियोजनाएं शुरू की गई हैं। ये परियोजनाएं राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर में शुरू की गई हैं। इसका मकसद सीमावर्ती इलाकों का सर्वांगीण विकास करना है। इससे वहां इंडस्ट्री जाएगी और रोजगार के अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि भारतमाला परियोजना के पहले चरण में 34,800 किमी लंबी सड़कें बनाई जा रही हैं जिन पर 5.35 लाख करोड़ रुपये की लागत आएगी। उन्होंने कहा कि बेहतर बुनियादी संरचना उद्योग और रोजगार लाता है। इसके साथ ही, यह सीमावर्ती क्षेत्रों में कृषि और अन्य उपज के मूल्य को बढ़ावा देगा। धारचुला-लिपेलेख सड़क उन्होंने कहा कि कुछ सबसे कठिन इलाकों में बीआरओ काम कर रहा है और महत्वपूर्ण परियोजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर रहा है। हाल ही में बीआरओ ने धारचुला से लिपुलेख तक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सड़क पूरी की है, जिसे कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग के रूप में जाना जाता है। नवनिर्मित 80 किलोमीटर की सड़क चीन की सीमा के साथ 17,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित लिपुलेख दर्रा को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रा को धारचुला से जोड़ती है। इस परियोजना के पूरा होने से कैलाश मानसरोवर यात्रा अधिक सुगम हो जाएगी। धारचुला-लिपुलेख सड़क पिथौरागढ़-तवाघाट-घाटीबाग मार्ग का विस्तार है। यह घाटीबाग से निकलती है और कैलाश मानसरोवर के प्रवेश द्वार लिपुलेख दर्रे पर समाप्त होती है। 80 किलोमीटर की इस सड़क में ऊंचाई 6,000 फुट से 17,060 फुट हो जाती है। इस सड़क के निर्माण में बीआरओ ने कई जानें गंवाईं और काली नदी में गिरने के बाद 25 उपकरण भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गये। मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार देश के समग्र बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए 22 ग्रीन एक्सप्रेसवे का निर्माण कर रही है।

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