भारत ने चीन की दुखती रग पर रखा हाथ, आर्थिक और कूटनीतिक स्तर पर पहुंचाई बड़ी चोट

भारत ने चीन की दुखती रग पर रखा हाथ, आर्थिक और कूटनीतिक स्तर पर पहुंचाई बड़ी चोटगलवान घाटी (Galwan Valley) में आखिरकार चीन को अपने कदम खींचने पड़े। भारत ने कूटनीतिक तरीके से चीन को सबक सिखा दिया। भारत की सख्ती और जबरदस्त कूटनीतिक कदमों को देखकर चीन ने अपने सैनिकों को गलवान घाटी से 1.5 किलोमीटर पीछे बुला लिया है। इससे पहले चीन बातचीत के जरिए केवल समय काटकर अपना दावा मजबूत करने की फिराक में था लेकिन भारत ने उसकी दुखती रगों पर हाथ रख दिया। भारत ने न केवल आर्थिक तौर पर चीन पर प्रहार किया बल्कि कोरोना की वजह से बदनाम चीन को करारा कूटनीतिक जवाब भी दिया। भारत की सख्ती का परिणाम यह हुआ की चीन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कुर्सी पर भी खतरा मंडराने लगा। ऐसे में अपनी नापाक हरकत पर पीछे हट जाने के अलावा चीन के पास कोई चारा नहीं बचा। ​कमांडर स्तर की बातचीत, भारत रहा अडिग चीन के साथ भारत ने कई बार कमांडर स्तर की बातचीत की लेकिन चीन मानने को तैयार नहीं था। हालांकि भारत भी अपनी बात पर अडिग रहा और किसी भी स्तर पर समझौता करने को तैयार नहीं है। भारत के शीर्ष नेतृत्व और सेना की ओर से संदेश साफ था कि भारत एक इंच जमीन पर भी समझौता नहीं करेगा। ऐसे में चीन का मकसद कामयाब होता नहीं दिखा और अंत में उसे अपने नापाक मंसूबे को छोड़ना ही पड़ा। ​बातचीत में समय काटना चाहता था चीन जानकारों के मुताबिक दिखावे की बातचीत में चीन सिर्फ समय काटना चाहता था। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सदस्य रह चुके प्रोफेसर ब्रह्म चेलानी ने कहा कि चीन आसानी से पीछे हटने वाला नहीं है। स्पष्ट है कि अड़ियल चीन को भारत की तरफ से जोरदार झटका लगा। कूटनीतिक जवाब के साथ भारत ने आर्थिक संकट से जूझ रहे चीन की दुखती रग पर हाथ रख दिया। पिछले एक हफ्ते में भारत सरकार और अनेक राज्यों में उसके आर्थिक नुकसान होने लगे, जिससे उसे भविष्य में बड़े नुकसान का खतरा दिखाई देने लगा। ​59 ऐप बैन, नुकसान से बौखला गया था चीन भारत सरकार ने चीन के 59 ऐप बैन कर दिए थे जिसके बाद चीन की बौखलाहट साफ देखी गई। चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से यह बयान भी आया था कि ये ऐप पूरी तरह से सुरक्षित हैं लेकिन भारत नियमों का उल्लंघन कर रहा है। दरअसल चीन के कई ऐप भारत में लोकप्रिय हो गए थे जिनसे वह मोटी कमाई कर रहा था। इस समय जब चीन आर्थिक संकट से जूझ रहा हो और कमाई का एक बड़ा जरिए बंद हो जाए तो उसे झटका लगना लाजमी था। ​भारत ने दिया चीन को बड़ा कारोबारी झटका उत्तर प्रदेश सरकार ने कानपुर और आगरा मेट्रो के लिए चीनी कंपनी के करार को खत्म कर दिया। इससे चीन को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। भारतीय रेलवे ने चीन की कंपनी का एक बड़ा कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया। यह कॉन्ट्रैक्ट 2016 में ही चीन की कंपनी बीजिंग नैशनल रेलवे रिसर्च ऐंड डिजाइन इंस्टिट्यूट को दिया गया था। बाद में यह भी कहा गया कि यह फैसला अप्रैल में ही ले लिया गया था। चीन भारत को बड़े बाजार के तौर पर इस्तेमाल करता रहा है। हर साल उसे लगभग 60 अरब डॉलर का अधिशेष मिलता है। ऐसे में चीन को भारत की बड़ी जरूरत है। इसलिए भारत के जवाब को चीन सहन नहीं कर पाया। ​वैश्विक कूटनीति में भारी पड़ा भारत कोरोना संकट के दौरान बारत की छवि वैसे भी खराब हो गई है। अमेरिका से चल रहे व्यापार युद्ध की वजह से वह पहले से ही आर्थिक संकट का सामना कर रहा था। इसी बीच कोरोना ने उसे और कमजोर बना दिया। गलवान घाटी के मुद्दे पर अमेरिका औऱ फ्रांस जैसे देश भी भारत के साथ हो लिए। पश्चिम के देशों से भी चीन के संबंध खराब हो गए हैं। वहीं समंदर में कानूनों का उल्लंघन करने के चलते जापान और अन्य पूर्वी देश भी उसे चेतावनी दे चुके हैं। ऐसे में चीन हर स्तर पर कमजोर पड़ गया और उसे अपने कदम वापस खींचने पड़े। ​पीएम मोदी का लेह दौरा, दिया स्पष्ट संदेश चीन की हरकत का जवाब देने और जवानों की हौसला आफजाई के लिए लेह पहुंचे थे। वहां उन्होंने अपने भाषण में चीन को करारा जवाब दिया और स्पष्ट संदेश दे दिया की भारत किसी भी स्तर पर कोई समझौता नहीं करेगा। घायल जवानों से मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने कहा, 'भारत न कभी झुका है औऱ न ही झुकेगा।' इस दौरे के बाद ही चीन के तेवर ढीले होते नजर आए थे।

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