इस्लामाबाद
पाकिस्तान में मुस्लिम कट्टरपंथियों का एक घिनौना चेहरा सामने आया है। राजधानी इस्लामाबाद में बनने वाले पहले कृष्ण मंदिर के निर्माण पर रोक लगवाने के बाद अब कट्टरपंथियों ने मंदिर की जमीन पर जबरन अजान दी है। यही नहीं मंदिर की नींव को भी कुछ मजहबी गुटों ने पिछले दिनों ढहा दिया था। एक तरफ पाकिस्तानी कट्टरपंथियों ने इस मंदिर के निर्माण को रोकने के लिए अभियान चला रखा है, वहीं रियासत-ए-मदीना बनाने का वादा करने वाली इमरान खान सरकार ने पूरे मामले पर चुप्पी साध रखी है।
कट्टरपंथियों की कायराना हरकत की अल्पसंख्यकों ने कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ असहिष्णुता बढ़ती जा रही है। बता दें कि इमरान सरकार ने दो दिन पहले ही मुस्लिम कट्टरपंथियों के फतवे के आगे घुटने टेकते हुए मंदिर के निर्माण पर रोक लगा दी थी। इस मंदिर का निर्माण पाकिस्तान के कैपिटल डिवेलपमेंट अथॉरिटी कर रही थी। पाकिस्तान सरकार ने अब मंदिर के संबंध में इस्लामिक ऑइडियॉलजी काउंसिल से सलाह लेने का फैसला किया है।
धार्मिक पहलू देखने के बाद होगा फैसला
धार्मिक मामलों के मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि धार्मिक पहलू को देखने के बाद मंदिर को बनाने पर फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान अल्पसंख्यकों के पूजा स्थलों के लिए फंड जारी करने पर फैसला लेंगे। मंदिर के निर्माण पर रोक लगाने के बाद उन्होंने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की जाएगी।
मंदिर निर्माण के खिलाफ फतवा जारी
बता दें कि पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में पहला मंदिर बनाए जाने से पहले ही बवाल शुरू हो गया है। कई कट्टरपंथी धार्मिक संस्थाओं ने सरकार के फैसले का विरोध करते हुए इसे इस्लाम विरोधी करार दिया है। कुछ दिन पहले ही इस मंदिर के निर्माण की आधारशिला रखी गई थी। इसके लिए इमरान खान सरकार ने 10 करोड़ रुपये देने की भी घोषणा की थी।
मंदिर निर्माण के लिए सरकारी धन के खर्च पर बवाल
मजहबी शिक्षा देने वाले संस्थान जामिया अशर्फिया ने मुफ्ती जियाउद्दीन ने कहा कि गैर मुस्लिमों के लिए मंदिर या अन्य धार्मिक स्थल बनाने के लिए सरकारी धन खर्च नहीं किया जा सकता। इसी संस्था ने मंदिर निर्माण को लेकर फतवा जारी करते हुए कहा कि अल्पसंख्यकों (हिंदुओं) के लिए सरकारी धन से मंदिर निर्माण कई सवाल खड़े कर रहा है।
20 हजार वर्गफुट में बनाया जा रहा मंदिर
बता दें कि भगवान कृष्ण के इस मंदिर को इस्लामाबाद के H-9 इलाके में 20 हजार वर्गफुट के इलाके में बनाया जा रहा है। पाकिस्तान के मानवाधिकारों के संसदीय सचिव लाल चंद्र माल्ही ने इस मंदिर की आधारशिला रखी थी। इस दौरान मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए माल्ही ने बताया कि वर्ष 1947 से पहले इस्लामाबाद और उससे सटे हुए इलाकों में कई हिंदू मंदिर थे। इसमें सैदपुर गांव और रावल झील के पास स्थित मंदिर शामिल है। हालांकि उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया और कभी इस्तेमाल नहीं किया गया।