JJP विधायक गौतम के आरोप पर दुष्यंत चौटाला बोले- 'वरिष्ठ नेता, बातों का बुरा नहीं मानता'

चंडीगढ़ हरियाणा में सरकार की साझेदार जननायक जनता पार्टी में उठे बगावत के सुर के बाद पार्टी प्रमुख दुष्यंत चौटाला ने मीडिया के सामने आकर अपनी बात रखी है। विधायक रामकुमार गौतम के पार्टी उपाध्यक्ष पद छोड़ने के ऐलान को लेकर उन्होंने कहा कि अभी गौतम का इस्तीफा उन्हें नहीं मिला है। अगर मिलता है तो यह मामला पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष देखेंगे। गौरतलब है कि इस्तीफा देने के बाद गौतम ने उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के खिलाफ भी जमकर भड़ास निकाली और दावा किया कि जेजेपी के कई विधायक दुष्यंत की कार्यशैली से नाराज हैं। गौतम के इस आरोप को लेकर डेप्युटी सीएम ने कहा कि वह हमारे वरिष्ठ नेता हैं इसलिए वह उनकी बातों का बुरा नहीं मानते। चौटाला ने कहा कि अगर उन्हें कोई शिकायत है तो पार्टी प्लेटफॉर्म पर आकर बात करें। इस्तीफा नहीं मिलाः चौटाला पार्टी उपाध्यक्ष पद से गौतम के इस्तीफे पर चौटाला ने कहा, 'अभी उनका इस्तीफा मिला नहीं है। अगर मिलता है तो यह मामला जेजेपी के प्रदेश अध्यक्ष देखेंगे।' उन्होंने आगे कहा कि अगर अनुशासनहीनता की कोई बात है तो वह भी प्रदेश अध्यक्ष ही देखेंगे। हालांकि, रामकुमार गौतम ने पार्टी तो नहीं छोड़ी है लेकिन पार्टी से दूरी बनाने के संकेत जरूर दिए हैं। गौतम हिसार जिला के नारनौंद विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। वह पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु को हराकर विधानसभा में पहुंचे थे। सतह पर आई पुरानी नाराजगी जेजेपी के समर्थन से प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के दौरान ही चर्चाओं का दौर शुरू हो गया था कि वरिष्ठता के आधार पर रामकुमार गौतम को सरकार में शामिल किया जाएगा। मनोहर मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान अंतिम समय तक अटकलें चलती रहीं कि रामकुमार गौतम को जेजेपी के कोटे से मंत्री बनाया जाएगा लेकिन दुष्यंत ने अपने अलावा दूसरा मंत्री पद अनूप धानक को दिया। जिसके बाद से रामकुमार गौतम और अन्य दो वरिष्ठ विधायक अंदरूनी तौर पर दुष्यंत से नाराज चल रहे थे। पर्दे के पीछे चल रही यह नाराजगी बुधवार को सार्वजनिक हो गई। मुझे क्यों बनाया बलि का बकराः गौतम बता दें कि हरियाणा की राजनीति में दादा के नाम से प्रसिद्ध रामकुमार गौतम ने कड़ाके की ठंड में बागी तेवर दिखाते हुए कहा कि उन्हें मंत्री न बनाए जाने का गम नहीं है, लेकिन दुख इस बात का है कि गुरुग्राम के मॉल में जो गुप्त समझौता हुआ है, उसके लिए बलि का बकरा मुझे क्यों बनाया गया। दुष्यंत पर परोक्ष तौर पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, 'उमुख्यमंत्री ने 11 विभाग अपने पास रखे हैं जबकि पार्टी के मात्र एक विधायक को एक कनिष्ठ मंत्री बनाया गया है।

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