चंडीगढ़, 24 फरवरी 2020,पंजाब में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल को तीन साल होने वाले हैं. इन 3 सालों में राज्य की सरकार का खजाना खाली ही रहा है. सरकार लाख कोशिश करने के बावजूद भी कंगाली से आजादी हासिल नहीं कर पाई. हालात यह हैं कि अब सरकार के पास कर्मचारियों के वेतन भत्तों, पेंशन और यहां तक कई मेडिकल बिलों के भुगतान के लिए भी पैसा नहीं है.
कर्मचारी नेताओं के मुताबिक, कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सरकार बनाने से पहले वादा किया था कि वह 6 महीनों के भीतर कर्मचारियों से जुड़े सभी मसलों का हल निकालेंगे, लेकिन 6 महीने तो दूर तीन सालों के भीतर भी सरकार ने कर्मचारियों की सुध नहीं ली.
सोमवार को हजारों सरकारी कर्मचारी पेंशनर और दिहाड़ीदार सरकार के खिलाफ आयोजित अब तक की सबसे बड़ी कर्मचारी रैली में शामिल हुए हैं. रैली में शामिल प्रदर्शनकारियों में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुई हैं. बताया जा रहा है कि इस हड़ताल में 50 कर्मचारी संघ शामिल हैं.
महिला कर्मचारी नेता कमलजीत कौर ने कहा कि सरकार कर्मचारियों के बकाया वेतन और भत्ते नहीं दे रही है. सरकार के मंत्रियों ने खुद की सैलरी कई गुना ज्यादा बढ़ा रखी है. यही नहीं सरकार मंत्रियों और अधिकारियों के लिए नए फर्नीचर और कार खरीद रही है, लेकिन कर्मचारी अपनी मांगे मनवाने के लिए सड़क पर है.
1. पंजाब सरकार के कर्मचारी जिन मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं, उसमें सबसे बड़ी मांग छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू न करना है.
2. सरकार ने 3 साल के दौरान अपने सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन को नहीं बढ़ाया है.
3. कर्मचारियों को मिलने वाली महंगाई भत्ते की चार किश्तें भी लटकी पड़ी हैं.
4. 135 महीनों से बढ़े हुए महंगाई भत्ते की बकाया राशि भी जारी नहीं हुई है.
5. खाली खजाने का रोना रोकर सरकार ने पेंशनभोगी और दूसरे कर्मचारियों के मेडिकल और दूसरे बिलों के भुगतान भी रोक दिए गए हैं.
6. सबसे ज्यादा बुरी स्थिति ठेके पर रखे गए कर्मचारियों की है. इन कर्मचारियों को 10 साल से रेगुलर नहीं किया गया.
7. आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से काम तो 12 महीने लिया जाता है. सैलरी सिर्फ 10 महीनों की दी जाती है, वह भी सिर्फ 1700 रुपये.
सोमवार को सरकारी कर्मचारियों ने राज्य सरकार को दो टूक कह दिया है कि अगर सरकार ने वादे के मुताबिक उनकी नहीं सुनी तो वह साल 2022 के विधानसभा चुनाव में सरकार का तख्तापलट कर सकते हैं . कर्मचारी नेता सुखचैन सिंह खेड़ा ने साफ किया है कि राज्य में 50 लाख से ज्यादा पेंशनर और सरकारी कर्मचारी बसते हैं जो अपने आप में एक बड़ा वोट बैंक है.
पंजाब सरकार न केवल विपक्षी पार्टियों बल्कि कर्मचारियों के निशाने पर भी है. पिछले तीन सालों से सरकार की नाकामियों में अब कर्मचारियों की नाराजगी भी शामिल है. अगर सरकार ने समय रहते कर्मचारियों की मांगे नहीं मानी तो साल 2022 में कांग्रेस को उनकी नाराज़गी भारी पड़ सकती है.