नई दिल्ली, 09 जून 2020, दिल्ली में एक तरफ कोरोना की स्थिति हाथ से निकलती नजर आ रही है तो दूसरी तरफ दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच तकरार पैदा हो गई है. दिल्ली में बढ़ते कोरोना मरीजों के मद्देनजर अरविंद केजरीवाल सरकार ने अस्पतालों को दिल्लवासियों के लिये रिजर्व रखने का फैसला लिया था, लेकिन उपराज्यपाल ने इस फैसले को पलट दिया है. इस पूरे घटनाक्रम के बीच कोरोना के कम्युनिटी स्प्रेड की गुगली फेंक दी गई है.
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा है कि दिल्ली में स्प्रेड बहुत बढ़ रहा है, ऐसे में अगर बाहर के लोग भी यहां आने लगेंगे तो व्यवस्था करना मुश्किल हो जायेगा. उन्होंने इस स्प्रेड को कम्युनिटी स्प्रेड बताने के लिये एम्स डायरेक्टर के बयान का हवाला दिया.
एलजी के साथ मीटिंग में भी उठा मुद्दा
इन तमाम मसलों पर मंगलवार को उपराज्यपाल के साथ दिल्ली सरकार की बैठक भी हुई है. अरविंद केजरीवाल के आइसोलेशन में होने चलते डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बैठक में शिरकत की. मनीष सिसोदिया ने बैठक में कहा कि अगले कुछ दिन में अगर केस ज्यादा आने लगे और बाहर से भी लोग आने लगे तो बेड कहां से आयेंगे. सिसोदिया ने बताया कि हमने मीटिंग में एलजी साहब से आदेश पर पुनर्विचार करने के लिये कहा है.
वहीं, कम्युनिटी स्प्रेड का मुद्दा भी बैठक में उठा. मनीष सिसोदिया ने बताया कि भारत सरकार के अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली में अभी कम्युनिटी स्प्रेड नहीं है, इसलिये उस पर चर्चा की जरूरत नहीं है. हालांकि, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री इसे टेक्निकलिटी का नाम देकर अब भी स्प्रेड पर फोकस कर रहे हैं.
मनीष सिसोदिया के साथ मौजूद सत्येंद्र जैन ने कहा, 'हम कह सकते हैं कि स्प्रेड है और कोरोना केस बढ़ रहे हैं, लेकिन इसे कम्युनिटी स्प्रेड कहना है या नहीं इस पर केंद्र सरकार को फैसला लेना है.' सत्येंद्र जैन ने एम्स डायरेक्टर के बयान भी हवाला दिया. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर लोग सब जगह से आने लगेंगे तो हमें इंतजाम करने में दिक्कत आएगी.
यानी दिल्ली सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि हमने खतरे को देखते हुये दिल्लीवालों के लिये अस्पताल रिजर्व रखे थे ताकि लेकिन एलजी ने ये फैसला बदल दिया है. साथ ही टेक्निकलिटी का जिक्र करते हुये दिल्ली सरकार ने व्यापक स्प्रेड की बात भी बोल दी है. यानी दिल्ली सरकार का कहना ये है कि जब कोरोना इतने पैमाने पर बढ़ रहा है और दिल्ली में ज्यादा खतरा है, फिर अस्पतालों को रिजर्व न रखने का फैसला सही नहीं है और जब मरीज ज्यादा संख्या में आ जायेंगे तो इंतजाम कैसे होगा.
मनीष सिसोदिया ने साफ कहा है कि एलजी के फैसले से दिल्लीवालों के सामने संकट खड़ा हो गया है. जिस रफ्तार से संक्रमण बढ़ रहा है, उससे लगता है कि 30 जून तक 15 हजार बेड की जरूरत होगी और 31 जुलाई तक 80 हजार बेड की जरूरत होगी. 31 जुलाई तक 5 लाख से अधिक केस हो सकते हैं. अभी दिल्ली सरकार के मुताबिक, साढ़े आठ से नौ हजार बेड उपलब्ध हैं और अगले 15 दिन में 15 से 17 हजार बेड की व्यवस्था होने का टारगेट सरकार का है. लेकिन जितनी तेजी से कोरोना के बढ़ने की आशंका जताई जा रही है, वैसे में बेड को लेकर बवाल हो सकता है.