वर्चुअल बनाम रियलिटी: दिल्ली कोरोना ऐप मरीजों के साथ छलावा

नई दिल्ली, 11 जून 2020,देश की राजधानी में अस्पतालों में उपलब्ध बेड्स और दिल्ली सरकार के कोरोना ऐप में दिखाई गई बेड्स की संख्या में बड़ा गैप दिखाने के बाद इंडिया टुडे ने और गहराई से जाकर जांच की तो पाया कि प्राइवेट अस्पताल जो कोविड इलाज के लिए निर्धारित किए गए हैं, वहां महामारी से निपटने के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर ही मौजूद नहीं हैं. इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (SIT) ने जिन प्राइवेट अस्पतालों की जांच की वहां न आइसोलेशन वार्ड दिखे, न बेड, न उपकरण, यहां तक कि कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज के लिए स्टाफ भी तैयार नजर नहीं आया. न बेड, न वार्ड दिल्ली के वसुंधरा एन्क्लेव में धर्मशाला नारायणा अस्पताल की मैनेजर ममता से SIT के एक अंडरकवर रिपोर्टर ने कोविड मरीज के तीमारदार के तौर पर बात की. ममता- ‘हमारे पास बेड्स नहीं है. सर.’ रिपोर्टर- ‘लेकिन ये (ऐप) 30 दिखा रहा है, मैडम.’ ममता- ‘सर, ऐप में 30 दिख रहे हैं, लेकिन हमारे पास बेड्स तैयार नहीं हैं. हमने सरकार को सूचित किया है कि हमारे पास बेड्स नहीं हैं. हमारे पास वार्ड्स नहीं हैं. हमारे पास सिर्फ 10 बेड्स और 11 मरीज हैं.’ ममता ने कबूल किया- ‘पहली बात बेड्स ही नहीं हैं. उन्होंने फिर भी गिनती दिखा दी. अनुपात (कोरोना वायरस मरीजों के बेड्स का) तभी उपलब्ध कराया जा सकता है अगर वो फिजीकली उपलब्ध हों.’ इलाज को तैयार नहीं स्टाफ पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार में जीवन अनमोल अस्पताल की मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. नीरा सोढ़ी ने कबूल किया कि उनका स्टाफ कोविड मरीजों को अस्पताल में लेने के लिए तैयार नहीं है. रिपोर्टर: ‘क्या आप एडमिशन ले रही हैं?’ डॉ. सोढ़ी- ‘फिलहाल नहीं, मेरे पास स्टाफ नहीं है.’ डॉ. सोढ़ी ने साफ किया कि ‘एडमिशन तभी हो सकते हैं जब आपके पास स्टाफ हो, हमारे पास अभी तक स्टाफ नहीं है.’ डॉ. सोढ़ी ने कहा, ‘सरकार ने हमसे ऐसा करने के लिए कहा. हम सहमत हो गए. हमने जगह उपलब्ध कराई. लेकिन मेरा स्टाफ मना कर रहा है. अगर उनसे कहा जाए तो वो जॉब छोड़ देंगे. मैं क्या कर सकती हूं.’ क्रिटिकल केयर इक्विपमेंट मौजूद नहीं दिल्ली के यमुना विहार में पंचशील अस्पताल में ड्यूटी पर मौजूद डॉ. रियाज ने माना कि उनके यहां वेंटिलेटर्स नहीं हैं, जिनकी गंभीर मरीजों को जरूरत पड़ सकती है. डॉ रियाज- ‘सर, हम कोविड मरीज नहीं भर्ती कर रहे. उन्हें वेंटिलेटर्स की जरूरत होगी लेकिन हमारे पास वेटिलेटर्स की सुविधा नहीं है.’ ऐप पर बेतरतीब लिस्टिंग दिल्ली के सबसे पुराने प्राइवेट अस्पताल ‘सेंट स्टीफंस’ में रजिस्ट्रेशन की ड्यूटी संभाल रहे शख्स ने कबूल किया कि अस्पताल में कोविड मरीजों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद नहीं है. रिपोर्टर- ‘दिल्ली सरकार का ऐप दिखा रहा है कि यह (सेंट स्टीफंस) भरा हुआ नहीं है.’ अस्पताल स्टाफ- ‘अगर पैसा आता है तो हम क्यों मना करेंगे? लेकिन आप एक हफ्ते में बेड तैयार नहीं कर सकते. इतने बेड उनके (थोड़े) टाइम फ्रेम में नहीं बन सकते. चीजों को अलग करना होगा. सब कुछ अलग करना होगा. उन्होंने सिर्फ़ क्षमता का जिक्र किया है जो हम बना सकते हैं.’ पिछले हफ्ते इंडिया टुडे ने प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों के रियलिटी चेक में दिखाया था कि मरीजों को बेड के लिए मना किया जा रहा है जबकि दिल्ली सरकार का कोरोना ऐप कुछ और दिखा रहा था. सोशल मीडिया पर भी कई यूजर्स ने आरोप लगाए कि उन्हें अस्पताल पहुंचने पर एडमिशन नहीं दिया गया. रिपोर्ट दिखाए जाने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि कुछ अस्पताल ‘गड़बड़ कर रहे’ हैं और अगर एक भी मरीज को भर्ती किए बिना लौटाया गया तो उन्हें बख्शा नहीं जाएगा. मुख्यमंत्री ने शनिवार को एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा था, ‘हम ऐसे अस्पतालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे. वो मरीजों को मना नहीं कर सकते. जो माफिया इसमें शामिल है उसे ब्रेक करने में कुछ वक्त लगेगा. इन थोड़े अस्पतालों के राजनीतिक कनेक्शन हैं लेकिन वो किसी भ्रम में न रहें कि उनके राजनीतिक आका उन्हें बचा लेंगे.’

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