नई दिल्ली
2019 के लोकसभा खत्म हो चुके हैं. काउंटिंग 23 मई को होगी और उसी दिन नतीजे आएंगे. इससे पहले एग्जिट पोल्स ने सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी (BJP) को कमबैक के संकेत दिए हैं. जिससे के बाद दूसरे राजनीतिक दल ईवीएम को लेकर फिर मुखर हो गए हैं. बिहार, हरियाणा और यूपी में ईवीएम से छेड़छाड़, ईवीएम बदलने जैसी घटनाओं की खबरें भी आ रही हैं. पर क्या ऐसा हो सकता है? क्या चुनाव आयोग वोटिंग के बाद ईवीएम के रखरखाव में वाकई में लापरवाही होती है?
वोट पड़ने और काउंटिंग के बीच कहां-कहां जाती है EVM
एक ईवीएम तीन यूनिट से मिलकर बनती है. पहली कंट्रोल यूनिट, दूसरी बैलट यूनिट और तीसरी VVPAT. कंट्रोल और बैलट यूनिट 5 मीटर लंबी केबल से जुड़ी होती हैं. कंट्रोल यूनिट बूथ में मतदान अधिकारी के पास रखी होती है जबकि बैलेटिंग यूनिट वोटिंग मशीन के अंदर होती है जिसका इस्तेमाल वोटर करता है. इसी के पास होती है VVPAT यूनिट.
ईवीएम में छेड़छाड़ को लेकर पहले भी कई सवाल उठ चुके हैं जिसमें चुनाव आयोग ने साफ किया है कि टेंपरिंग संभव नहीं है. फिर राजनीतिक दल इस चीज को मानने को तैयार नहीं. चुनावी मौसम में ईवीएम का रोना फिर शुरू हो जाता है. लेकिन चुनाव आयोग की मानें तो ईवीएम पूरी तरह से चिप से बनी होती है और इसे किसी भी तरीके से टेंपर नहीं किया जा सकता है.
Close बदन दबाने के बाद काम नहीं करती EVM
एक बूथ में चुनाव होने के बाद मतदान अधिकारी ईवीएम की 'Close' बटन दबा देता है. 'Close' बटन दबाने के बाद ईवीएम पूरी तरह से बंद हो जाती है और इसके बाद कोई बटन काम नहीं करती है. यह बटन दबाते ही ईवीएम की स्क्रीन पर पोलिंग क्लोज टाइमिंग और पड़ने वाले टोटल वोट काउंट हो जाते हैं. इसके बाद पीठासीन अधिकारी तीनों यूनिट को अलग कर देते हैं.
पार्टियों के प्रत्याशियों के सामने सील होती है ईवीएम
हालिया लोकसभा चुनाव में पीठासीन अधिकारी रहे संतोष कुमार सक्सेना बताते हैं कि, वोटिंग के बाद मशीन को कैरिंग बैग में डाल दिया जाता है. प्रेक्षक अधिकारी, जिला निर्वाचन अधिकारी, एसपी, सहायक रिटर्निंग ऑफिसर, अनुविभागीय अधिकारी, पार्टियों के प्रतिनिधियों के सामने ईवीएम को सील किया जाता है. तीनों मशीनों पर पोलिंग बूथ का एड्रेस और पीठासीन अधिकारी के दस्तखत होते हैं. इस दौरान हर पार्टी के 2-2 एजेंट मौजूद होते हैं. इसमें एक मुख्य एजेंट और दूसरा रिलीवर होता है. किसी भी पोलिंग बूथ पर एक पीठासीन अधिकारी और तीन मतदान अधिकारी होते हैं.
सघन सुरक्षा घेरे में होती है ईवीएम
मध्यप्रदेश के कटनी जिले के कलेक्टर और जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ. पंकज जैन ने बताया कि वोटिंग के बाद चुनाव आयोग के दिशानिर्देश का पालन कर ईवीएम को सघन सुरक्षा घेरे में स्ट्रांग रूम तय लाया जाता है.
बूथ से लेकर स्ट्रांग रूम तक पहुंचने में ईवीएम की सुरक्षा में पैरामिलिट्री फोर्स, पीएसी के जवान और लोकल पुलिस होती है. इनके साथ कार्यपालिक मजिस्ट्रेट और चुनाव अधिकारी भी होते हैं. स्ट्रांग रूम से पहले ईवीएम एकत्रित करने के लिए विधान सभा के अनुसार सेंटर बनाए जाते हैं. जहां पर चुनाव अधिकारी अपने-अपने बूथ की ईवीएम जमा करते हैं.'
परींदा भी नहीं मार सकता पर
ईवीएम सुरक्षा को लेकर उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले एडीएम प्रशासन डॉ. राकेश कुमार पटेल का कहना है कि, 'ईवीएम में किसी तरीके से छेड़छाड़ संभव नहीं है. ईवीएम को सघन सुरक्षा में पोलिंग बूथ से स्ट्रांग रूम तक लाया जाता है. स्ट्रांग रूम में ऑब्जर्वर, अभ्यर्थियों और राजनीतिक प्रतिनिधियों के साथ रिटर्निंग ऑफिसर और सहायक रिटर्निंग ऑफिसर की मौजूदगी में मशीनों सील कर दिया जाता है. जिस कमरे में ईवीएम रखी जाती है. उसके दरवाजे पर डबल लॉक लगाने के बाद एक 6 इंच की दीवार भी बनाई जाती है.
इस पूरी प्रक्रिया के दौरान वीडियोग्राफी भी की जाती है. अगर कोई ताला तोड़कर उस कमरे में घुसने की कोशिश भी करेगा तो सबसे पहले दीवार को तोड़ना पड़ेगा. दीवार टूटने से पता चल जाएगा कि किसी ने स्ट्रांग रूम में घुसने की कोशिश की है. इतना ही नहीं स्ट्रांग रूम के आसपास इतनी कड़ी सुरक्षा होती है कि कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता है, इंसान तो दूर की बात है.'
तीन लेयर में जवान चौथी में सीसीटीवी
एडीएम पटेल के अनुसार स्ट्रांग रूम के बाहर तीन लेयर की सुरक्षा होती है. पहले लेयर में पैरामिलिट्री फोर्स, पीएसी के जवान और फिर राज्य पुलिस के जवान तैनात होतै हैं. ये जवान 24 घंटे अलग-अलग शिफ्ट में ड्यूटी देते हैं. स्ट्रांग रूम के एरिया को एक तरह छावनी बना दिया जाता है. जवान यहां तंबू लगाकर रहते हैं और ड्यूटी देते हैं. इतना ही नहीं प्रत्याशी को किसी भी प्रकार की कोई शंका न हो ऐसे में उनके प्रतिनिधियों के रहने के लिए भी तंबू-टेंट की व्यवस्था जिला निर्वाचन आयोग की ओर से की जाती है. इसके अलावा स्ट्रांग रूम के बाहर सीवीटीवी कैमरे लगाए जाते हैं जिनकी मॉनिटरिंग के लिए अलग से रूम में गार्ड्स तैनात रहते हैं. पावर बैकअप की भी व्यवस्था होती है.'
कैसे अलॉट होती हैं ईवीएम
वोटिंग के एकदिन पहले पीठासीन अधिकारियों को EVM अलॉट होती हैं. इसके लिए बाकायदा पूरी एक प्रक्रिया है. किस बूथ के लिए कौन-सी कंट्रोल यूनिट, बैलट यूनिट (EVM) और कौन-सी VVPAT जारी होगी. उसकी पूरी डिटेल सूची तैयार की जाती है. यह सूची चुनाव अधिकारी, प्रत्याशी को पहले ही दे दी जाती है. साथ ही चुनाव आयोग से हर बूथ के लिए एक्सट्रा ईवीएम भी अलॉट होती हैं ताकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी में इन्हें बदला जा सके. इन मशीनों की डिटेल भी बाकायदा उस लिस्ट में होती है