नई दिल्ली, 06 जून 2019,अमित शाह के गृह मंत्री बन जाने के बाद बीजेपी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा, इसपर सभी की नजरे हैं. बीजेपी में लागू एक व्यक्ति- एक पद के सिद्धांत के कारण अमित शाह का अध्यक्ष बने रहना तब तक संभव नहीं है, जब तक कि बीजेपी के संविधान में संशोधन न हो जाए. बीजेपी के सूत्र बता रहे हैं कि अगले महीने तक अध्यक्ष पद पर चुनाव हो जाएगा. हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर शाह पद पर बने भी रह सकते हैं.
बीजेपी के संविधान की बात करें तो कम से कम पचास प्रतिशत से अधिक प्रदेश संगठनों के चुनाव के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो सकता है. इससे पहले 2016 में हुए संगठन के चुनाव में अमित शाह तीन साल के लिए अध्यक्ष बने थे, बाद में लोकसभा चुनाव के कारण उन्हें एक साल का विस्तार मिला था. अब फिर से चुनाव की बारी है. पार्टी सूत्र बता रहे हैं कि साल के आखिर में तीन प्रमुख राज्यों महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा चुनाव हैं. ऐसे में या तो पार्टी इन चुनावों तक किसी को कार्यकारी अध्यक्ष बना सकती है या फिर अगले कुछ महीनों के भीतर राज्यों में कार्यकारिणी का चुनाव कराकर राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर भी पार्टी सर्वसम्मति से मनोनयन कर सकती है.
माना जा रहा है कि अगर पार्टी ने कुछ ही महीनों के बाद होने जा रहे तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर किसी का नाम फिलहाल कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर आगे बढ़ाया तो यह संकेत होगा कि आगे उसे ही पार्टी के पूर्णकालिक अध्यक्ष की कमान दी जाएगी. आखिर 11 करोड़ से अधिक सदस्यों वाली दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी का संगठन कैसे चलता है, कैसे होता है राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव. जानिए बीजेपी के संविधान के हवाले से इन सवालों का जवाब.
ऐसे बनते हैं राष्ट्रीय अध्यक्ष
बीजेपी के संविधान में धारा 19 के तहत राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की व्यवस्था है. चुनाव एक निर्वाचक मंडल की ओर से होगा. जिसमें राष्ट्रीय परिषद और प्रदेश परिषदों के वर्णित सदस्य होंगे. चुनाव राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निर्धारित नियमों के अनुसार होगा. राष्ट्रीय अध्यक्ष वही होगा, जो कम से कम चार अवधियों तक सक्रिय सदस्य रहने के साथ न्यूनतम 15 वर्ष तक पार्टी का प्राथमिक सदस्य रहा हो. निर्वाचक मंडल में से कुल 20 सदस्य राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव की योग्यता रखने वाले व्यक्ति के नाम का प्रस्ताव रखेंगे. शर्त है कि यह संयुक्त प्रस्ताव कम से कम पांच प्रदेशों से भी आना जरूरी है. जहा राष्ट्रीय परिषद के चुनाव संपन्न हो चुके हों.
कार्यकाल
धारा 21 के मुताबिक कोई भी व्यक्ति तीन-तीन वर्ष के दो कार्यकाल तक ही अध्यक्ष रह सकता है. प्रत्येक कार्यकारिणी, परिषद, समिति और उसके पदाधिकारियों तथा सदस्यों के लिए भी तीन वर्ष की अवधि तय की गई है.
सदस्यता की शर्तें
उम्र 18 वर्ष या अधिक होनी चाहिए. दूसरे राजनीतिक दल से जुड़ाव नहीं होना चाहिए. निर्धारित शुल्क देने के बाद छह साल तक सदस्यता प्रभावी रहेगी.एक से अधिक स्थानों पर कोई सदस्य नहीं बन सकता. सदस्यों से प्राप्त शुल्क का हर तीन साल बाद कई इकाइयों में बंटवारा होता है. कुल शुल्क का राष्ट्रीय इकाई को 10 प्रतिशत, प्रदेश को 15, जिला को 25 और मंडल को 50 प्रतिशत हिस्सा जाता है.
कौन होता है सक्रिय सदस्य
पार्टी का सक्रिय सदस्य उसे माना जाएगा, जिसे पार्टी का सदस्य बने कम से कम तीन वर्ष का समय हो गया हो. सक्रिय सदस्यों के लिए आवेदन पत्र के साथ सौ रुपये पार्टी कोष में जमा करना जरूरी है. उसे पार्टी के आंदोलनात्मक कार्यक्रमों में भी शामिल होना होगा. मंडल समिति या उससे ऊपर किसी समिति का चुनाव लड़ने या सदस्य बनने का हक सिर्फ सक्रिय सदस्य को ही होगा.
बीजेपी का संगठनात्मक ढांचा
बीजेपी का पूरा संगठन राष्ट्रीय से लेकर स्थानीय स्तर तक तकरीबन सात भागों में बंटा है. राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय परिषद और राष्ट्रीय कार्यकारिणी, प्रदेश स्तर पर प्रदेश परिषद और प्रदेश कार्यकारिणी होतीं हैं. इसके बाद क्षेत्रीय समितियां, जिला समितियां, मंडल समितियां होती हैं. फिर ग्राम और शहरी केंद्र होते हैं और स्थानीय समितियों का भी गठन होता है. स्थानीय समिति पांच हजार से कम की जनसंख्या पर गठित होती है.
क्या है राष्ट्रीय परिषद
इसमें पार्टी के संसद सदस्यों में से 10 प्रतिशत सदस्य चुने जाते हैं, जिनकी संख्या दस से कम न हो. यदि संसद सदस्यों की कुल संख्या दस से कम हो तो सभी चुने जाएंगे. परिषद में पार्टी के सभी भूतपूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेशों के अध्यक्ष, लोकसभा, राज्यसभा में पार्टी के नेता, सभी प्रदेशों की विधानसभाओं और विधान परिषदों में पार्टी नेता सदस्य होंगे. इसके अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष की ओर से अधिक से अधिक 40 सदस्य नामांकित किए जा सकते हैं. राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सभी सदस्य भी इसमें शामिल होते हैं. विभिन्न मोर्चो और प्रकोष्ठों के अध्यक्ष और संयोजक भी सदस्य होते हैं. सभी को 100 रुपये का सदस्यता शुल्क देना पड़ता है.
राष्ट्रीय कार्यकारिणी
राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अध्यक्ष तथा अधिक से अधिक 120 सदस्य होंगे. जिनमें कम से कम 40 महिलाएं और 12 अनुसूचित जाति-जनजाति के सदस्य होंगे, जो अध्यक्ष मनोनीत करेंगे. अध्यक्ष की ओर से राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों में से अधिकतम 13 उपाध्यक्ष, नौ महामंत्री, एक महामंत्री (संगठन), अधिक से अधिक 15 मंत्री और एक कोषाध्यक्ष मनोनीत किया जाता है. कार्यकारिणी के सदस्य वे व्यक्त होंगे जो कम से कम तीन अवधियों तक सक्रिय सदस्य होंगे.
विशेष हालात में राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिकतम 15 सदस्यों को इससे छूट दे सकते हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष अपनी कार्यसमिति में कम से कम 25 प्रतिशत नए सदस्यों को स्थान देंगे. राष्ट्रीय कार्यकारिणी में विशेष आमंत्रित सदस्यों की संख्या 30 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी. राष्ट्रीय, प्रादेशिक तथा जिलास्तरो पर पूर्णकालिक कार्यकर्ता को ही महामंत्री(संगठन) के पद पर नियुक्त किया जाएगा. पद मुक्त होने के दो साल बाद ही वह किसी भी चुनाव में भाग लेने के लिए अर्ह होंगे.
संसदीय बोर्ड
पार्टी की संसदीय गतिविधियों के संचालन और समन्वय के लिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी एक संसदीय बोर्ड का गठन करती है. संसदीय बोर्ड ही इससे जुड़े नियम बनाता है. पार्टी अध्यक्ष के अतिरिक्त इसमें दस सदस्य होते है. इसमें से एक सदस्य संसद में पार्टी का नेता होगा. राष्ट्रीय अध्यक्ष बोर्ड के प्रमुख होते हैं.अध्यक्ष पार्टी के महामंत्रियों में से एक को संसदीय बोर्ड का सचिव नियुक्त करता है. संसदीय बोर्ड को मंत्रिमंडल गठन पर मार्गदर्शन करने, विधानमंडल और संसदीय दल की गतिविधियों की निगरानी करने, अनुशासन भंग के मामले मे विचार करने का अधिकार होगा.
केंद्रीय चुनाव समिति
राष्ट्रीय कार्यकारिणी केंद्रीय चुनाव समिति का गठन करेगी. जिसमें संसदीय बोर्ड के सदस्यों के अलावा समिति के लिए निर्वाचित आठ सदस्य होंगे. महिला मोर्चा की अध्यक्ष पदेन सदस्य होंगी. यह समिति संसद और विधानमंडलो के लिए उम्मीदवारों के चयन को अंतिम रूप देती है. चुनाव अभियानों का भी संचालन करती है.
पूर्ण और विशेष अधिवेशन
बीजेपी के संविधान के मुताबिक पार्टी का पूर्ण अधिवेशन एक सत्र में एक बार होगा. अध्यक्ष की अध्यक्षता में होने वाले अधिवेशन में राष्ट्रीय, प्रदेश परिषद के सभी सदस्य, संसद सदस्य, विधायक शामिल होंगे. पार्टी का विशेष अधिवेशन तब होगा जब राष्ट्रीय कार्यकारिणी ऐसा निश्चत करे. राष्ट्रीय परिषद के कम से कम एक तिहाई सदस्य अनुरोध करें.. पूर्ण या विशेष अधिवेशन में लिए गए निर्णय पार्टी की सभी इकाइयों और सदस्यों पर लागू होंगे.
प्रदेश चुनाव समिति
प्रदेश कार्यकारिणी आवश्यक नियम बनाकर प्रदेश चुनाव समिति का गठन करेगी. जिसमें सदस्यों की अधिकतम 15 संख्या होगी. यह समिति प्रदेश से संसद और विधानमंडल उम्मीदवारों के नाम केंद्रीय चुनाव समिति को प्रस्तावित करेगी. स्थानीय सहकारी समितियों के भी उम्मीदवारों का चयन करेगी.
कैसे होता है संविधान संशोधन
संविधान में संशोधन, परिवर्तन सिर्फ पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की ओर से ही किया जा सकता है. हालांकि राष्ट्रीय कार्यकारिणी को भी संशोधन करने का अधिकार है, जिसे पार्टी की राष्ट्रीय परिषद के आगामी सम्मेलन में पुष्टि के लिए रखा जाएगा. यह संशोधन राष्ट्रीय परिषद से पुष्टि के पर्व भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा निर्धारित तिथि से लागू किया जा सकता है.
बीजेपी में तीन श्रेणियों के प्रदेश
बीजेपी ने संगठन के लिहाज से प्रदेशों को तीन श्रेणियों में बांटा है. तीन या उससे कम लोकसभा सीटों वाले प्रदेश को श्रेणी 1 में रखा गया है. इसी तरह चार से 20 लोकसभा सीट वाले प्रदेश श्रेणी 2 और 21 से अधिक लोकसभा सीट वाले प्रदेश श्रेणी 3 में हैं.