मुंबई
टीम इंडिया के पूर्व कैप्टन और 'रॉयल बंगाल टाइगर' के नाम से मशहूर सौरभ गांगुली ने बुधवार को विधिवत रूप से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का अध्यक्ष पद संभाल लिया। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में बोर्ड का कामकाज देख रही प्रशासकों की समिति (CoA) का कार्यकाल भी खत्म हो गया है। अब बोर्ड से जुड़े सभी कामकाज बीसीसीआई के चुने हुए नए प्रतिनिधि ही संभालेंगे।
47 वर्षीय गांगुली की अध्यक्षता वाली इस नई टीम में उनके अलावा उपाध्यक्ष के पद पर महीम वर्मा, सचिव के रूप में जय शाह, अरुण धूमल (कोषाध्यक्ष) के साथ केरल के जयेश जॉर्ज संयुक्त सचिव का पद संभालेंगे। बुधवार को बीसीसीआई की सालाना आम सभा बैठक (एजीएम) के दौरान गांगुली ने औपचारिक तौर पर पदभार संभाला।
नए दौर की शुरुआत
साल 2003 में खेले गए वनडे वर्ल्ड कप में गांगुली की कप्तानी वाली टीम इंडिया उप-विजेता रही थी। गांगुली को आक्रामक कप्तान माना जाता है जो अपने साहसिक फैसलों के लिए मशहूर रहे हैं। माना जा रहा है कि किसी पूर्व क्रिकेटर के बोर्ड अध्यक्ष बनने से बीसीसीआई में नए दौर की शुरुआत होगी।
धोनी के भविष्य पर भी बात
अब नए अध्यक्ष गुरुवार को सिलेक्शन कमिटी के साथ अपनी पहली बैठक करेंगे। गांगुली ने पहले ही संकेत दिए थे कि इस बैठक में वह पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के भविष्य पर चयनकर्ताओं से बात कर सकते हैं। बता दें कि गुरुवार को ही बांग्लादेश के खिलाफ होने वाली घरेलू टी20 सीरीज के लिए टीम इंडिया का ऐलान किया जाएगा। गांगुली ने साथ ही कहा था कि फर्स्ट क्लास क्रिकेट उनकी प्राथमिकता में रहेगा।
राय अपने कार्यकाल से संतुष्ट
बीसीसीआई एजीएम मीटिंग में शिरकत करने पहुंचे सीओए के अध्यक्ष विनोद राय ने अपने कार्यकाल पर संतुष्टि जाहिर की। राय ने बैठक में शामिल होने से पहले कहा, 'मैं बहुत संतुष्ट हूं।' राय ने यह बात सुप्रीम कोर्ट से मिली अपनी जिम्मेदारी को लेकर कही।
33 महीनों से CoA देख रही थी कामकाज
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एस. ए. बोबडे और जस्टिस एल. नागेश्वर राव की बेंच ने प्रशासकों की समिति (CoA)को निर्देश दिया था कि बुधवार को जब बीसीसीआई के नवनियुक्त पदाधिकारी चार्ज संभाल लें तो वह अपना काम समेट लें। भारत के पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) विनोद राय के नेतृत्व में यह प्रशासनिक समिति बीते 33 महीनों से बोर्ड का कामकाज देख रही थी।
क्यों हुई थी समिति नियुक्त
साल 2013 में आईपीएल के दौरान स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी के आरोपों के बाद सुप्रीम कोर्ट को बीसीसीआई के कामकाज में दखल देना पड़ा था। दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड के कामकाज में पारदर्शिता लाने, भ्रष्टाचार खत्म करने समेत कई सुधारों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 22 जनवरी 2015 को जस्टिस आर. एम. लोढ़ा के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया था। समिति ने उसी साल 14 जुलाई को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को लागू करने के मकसद से प्रशासनिक समिति का गठन किया था।