नई दिल्ली, 30 अप्रैल 2019,नॉन–परफॉर्मिंग एसेट यानी एनपीए को नियंत्रित करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक ने बड़ा कदम उठाया है. दरअसल, एसबीआई की ओर से नई कानूनी फर्मों को नियुक्त करने की योजना बनाई गई है. इसके तहत एसबीआई, दिवाला और दिवालियापन (आईबीसी) के 100 करोड़ रुपये से अधिक के मामलों को संभालने के लिए अपनी टीम को मजबूत बनाएगा.
एसबीआई की ओर से कहा गया कि बैंक 100 करोड़ रुपये से अधिक के मामलों को संभालने के लिए अपनी टीम में वकीलों/कानूनी फर्मो को जोड़ने की तैयारी कर रहा है. यह संभव है कि इसके लिए बड़े पैमाने पर भर्ती की जाएं. हालांकि आईबीसी के तहत मामला सुलझाने में वक्त लगता है, लेकिन बैंकों के पास अन्य विकल्पों की तुलना में यह बेहतर विकल्प है. बता दें कि एसबीआई फिलहाल आवेदनों की जांच कर रहा है. बैंक की देश भर में 20 मैनेजमेंट ब्रांच हैं.
बैंकिंग सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल में दिए गए आदेश में कहा था कि 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के एनपीए के मामलों में बैंकों (एसबीआई समेत) को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) जाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का निर्देश लेने की जरूरत नहीं है. इसके बाद से सभी बैंक लंबे समय से लंबित पड़े सभी मामलों को समय से हल करने की कोशिश कर रहे हैं.
बता दें कि रेटिंग एजेंसी फिच ने बीते महीने कहा था भारत के बैंकिंग सेक्टर के गैर-निष्पादित कर्ज (एनपीएल) में पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले चालू वित्त वर्ष के शुरुआती नौ महीने में कमी आई है. फिच के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में दिसंबर तक के नौ महीने के एनपीएल का अनुपात 10.8 फीसदी है जबकि पिछले वित्त वर्ष के आखिर में यह अनुपात 11.15 फीसदी था. फिच की रेटिंग के अनुसार, 21 सरकारी बैंकों में से 14 में प्रोविजनिंग का दबाव कम हुआ है. मध्यम या छोटे आकार के सरकारी बैंक सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं.